किसी भी पदार्थ की अवस्था परिवर्तन के दौरान तापमान स्थिर क्यों रहता है वायुमंडलीय गैसों को द्रव में परिवर्तन करने? - kisee bhee padaarth kee avastha parivartan ke dauraan taapamaan sthir kyon rahata hai vaayumandaleey gaison ko drav mein parivartan karane?

Solution : किसी पदार्थ का ताप बढ़ाने पर वह दूसरी अवस्था में परिवर्तित होने लगता है तथा एक निश्चित ताप पर अवस्था परिवर्तन होता है। सम्पूर्ण अवस्था परिवर्तन के दौरान तापमान स्थिर रहता है क्योंकि उस समय सम्पूर्ण ऊष्मा उस पदार्थ के कणों के मध्य स्थान बढ़ाने में काम आती है, जिससे वह पदार्थ अपनी अवस्था परिवर्तित करता है, अर्थात् कणों के पारस्परिक आकर्षण बल को वशीभूत करके पदार्थ की अवस्था को बदलने में इस ऊष्मा का उपयोग होता है। ऐसा तब तक होता है, जब तक कि पदार्थ पूर्ण रूप से दूसरी अवस्था में परिवर्तित न हो जाए।

किसी भी पदार्थ की अवस्था परिवर्तन के समय तापमान स्थिर क्यों रहता है?

सम्पूर्ण अवस्था परिवर्तन के दौरान तापमान स्थिर रहता है क्योंकि उस समय सम्पूर्ण ऊष्मा उस पदार्थ के कणों के मध्य स्थान बढ़ाने में काम आती है, जिससे वह पदार्थ अपनी अवस्था परिवर्तित करता है, अर्थात् कणों के पारस्परिक आकर्षण बल को वशीभूत करके पदार्थ की अवस्था को बदलने में इस ऊष्मा का उपयोग होता है।

किसी भी पदार्थ की अवस्था परिवर्तन के दौरान तापमान स्थिर क्यों रहता है 4 वायुमंडलीय गैसों को द्रव में परिवर्तन करने?

उत्तर- किसी भी पदार्थ की अवस्था परिवर्तन के दौरान ताप इसलिए स्थिर रहता है क्योंकि दी जाने वाली ऊष्मा उसके कणों के बीच आकर्षण बल को तोड़ने में प्रयुक्त हो जाती है। अतः इस प्रकार अवस्था परिवर्तन के दौरान दी गई ऊष्मा को गुप्त ऊष्मा (गलन की गुप्त ऊष्मा या वाष्पीकरण की गुप्त ऊष्मा) कहते हैं।

दौरान तापमान स्थिर क्यों रहता है वायुमंडलीय गैसों को द्रव में परिवर्तन करने के लिए कोई विधि सुझाइए?

8 के कणों में उसी तापमान पर पानी के कणों की अपेक्षा अधिक ऊर्जा होती है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि भाप के कणों ने वाष्पीकरण की गुप्त ऊष्मा के रूप में अतिरिक्त ऊष्मा अवशोषित कर ली है। द्रव अवस्था में परिवर्तित हुए बिना, ठोस अवस्था से सीधे गैस में और वापस ठोस में बदल जाते हैं ।

पदार्थ की अवस्था पर ताप का क्या प्रभाव पड़ता है?

Solution : ताप और दाब का पदार्थ की अवस्था पर प्रभाव पड़ता है। जब किसी ठोस को गर्म किया जाता है तो उसे के कणों की गतिज ऊर्जा बढ़ जाती है। वे तेजी से कम्पन करती है और अधिक स्थान ग्रहण करते हैं और वे फलने लगते हैं। एक निश्चित तापमान पर वे आकर्षण के बंधन से मुक्त हो स्वतंत्रतापूर्वक घूमने लगते हैं।