भारतीय संविधान के बारे में निम्नलिखित प्रत्येक निष्कर्ष की पुष्टि में दो उदाहरण दें: Show
शासकों की सीमा का निर्धारण करना संविधान के लिए क्यों जरूरी है ? क्या कोई ऐसा भी संविधान हो सकता है जो नागरिकों को कोई अधिकार न दे। शासकों की सीमा का निर्धारण:
एक राजशाही संविधान में, एक राजा का फैसला होता है लेकिन लोकतांत्रिक संविधानों में, लोग निर्णय लेते हैं। आज के समय में ऐसा कोई संविधान नहीं हो सकता, जो अपने नागरिकों को कोई अधिकार न दे। किसी देश के लिए संविधान में शक्तियों और जिम्मेदारियों का साफ़-साफ़ निर्धारण क्यों जरूरी है? इस तरह का निर्धारण न हो तो क्या होगा ?शक्ति विभाजन भारतीय संविधान का सर्वाधिक महत्वपूर्ण लक्षण है, राज्य की शक्तियां केंद्रीय तथा राज्य सरकारों मे विभाजित होती है। दोनों सत्ताएँ एक-दूसरे के अधीन नही होती है, वे संविधान से उत्पन्न तथा नियंत्रित होती है। दोनों की सत्ता अपने अपने क्षेत्रो मे पूर्ण होती है। देश के शासन को सुचारु रूप से चलाने के लिए शक्तियों और जिम्मेदारियों का निर्धारण किया जाना आवश्यक हो जाता हैं। यदि इस तरह का स्पष्ट निर्धारण न किया जाए तो अनिश्चितता बढ़ जाएगी जिसके परिणामस्वरूप केंद्र एवं राज्यों में मतभेद एवं गतिरोध की संभावना बनी रहेगी। भारतीय संविधान के बारे में निम्नलिखित प्रत्येक निष्कर्ष की पुष्टि में दो उदाहरण दें: दो उदाहरण:
अवशेष शक्तियाँ केंद्र के पास हैं। भारतीय संविधान के बारे में निम्नलिखित प्रत्येक निष्कर्ष की पुष्टि में दो उदाहरण दें: इस बारे में दो निम्न नामों के उदहारण दिए जा सकते हैं:
इनमे से कौन सा संविधान का प्रकार नहीं है?यह गणराज्य भारत के संविधान के अनुसार शासित है जिसे संविधान सभा द्वारा 26 नवम्बर 1949 को ग्रहण किया गया तथा जो 26 जनवरी 1950 को प्रवृत्त हुआ।
1 इनमें कौन सा संविधान का कार्य नहीं है क यह नागरिकों के अधिकार की गारंटी देता है?जन्मस्थान के आधार पर देश के किसी भी नागरिक के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता। इस प्रकार समानता का अधिकार भारतीय संविधान में दिया गया एक मौलिक अधिकार है।
निम्न में से कौन सा संविधान का कार्य नहीं है?इस उदाहरण से स्पष्ट है कि कानून और नैतिक मूल्यों के बीच गहरा संबंध है।
किसी देश के संविधान में शक्तियों और जिम्मेदारियों का साफ साफ निर्धारण करना क्यों जरूरी है?शासकों की सीमा का निर्धारण करना संविधान के लिए इसलिए जरुरी हैं ताकि शासक निरंकुश एवं तानाशाह न बन सकें अथवा लोगो की स्वतंत्रता बरकरार रहे। शासकों द्वारा बनाए गए कानून सदैव उचित हो एवं जनता के हित में हो। इसलिए भी शासकों की सीमा का निर्धारण करना अनिवार्य हो जाता हैं।
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