कैंसर का आखिरी स्टेज क्या है? - kainsar ka aakhiree stej kya hai?

Cancer Stages in Hindi: कैंसर एक जानलेवा बीमारी है, जिसका नाम सुनते ही हाथ-पैर फूलने लगते हैं. लेकिन, सौभाग्य से चिकित्सकों और वैज्ञानिकों के द्वारा साइंस और मेडिकल काफी एडवांस कर लिया गया है. इनकी बदौलत कैंसर का इलाज (Cancer Treatment) मुमकिन हो पाया है. कैंसर जैसी बीमारी से लड़ने व जीतने के लिए आपको सही जानकारी होना बहुत जरूरी है. क्योंकि, कैंसर से असली लड़ाई दिमाग में चलती है. इस आर्टिकल में आपको कैंसर की सभी स्टेज यानी कैंसर के चरणों (Cancer Stages) के बारे में जानने को मिलेगा.

कौन-सी बातें निर्धारित करती हैं कैंसर की स्टेज? (Factors that decides Cancer Stages)
अमेरिका के नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट की वेबसाइट के मुताबिक, कैंसर के स्टेज देखने के कई सिस्टम होते हैं. जिसमें से TNM सिस्टम काफी ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन सभी सिस्टम में कैंसर की स्टेज निर्धारित करने के लिए कुछ बातों के बारे में जांच की जाती है, जो कि निम्नलिखित हैं.

  • ट्यूमर के विकसित होने की जगह
  • कैंसर सेल का प्रकार
  • कैंसरस ट्यूमर का आकार
  • लिंफ नोड्स में कैंसर के फैलाव की स्थिति
  • दूसरे शारीरिक अंगों तक कैंसर के फैलाव की स्थिति
  • ट्यूमर ग्रेड, जिससे कैंसर सेल के फैलने और विकास को आंका जाता है, आदि

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कैंसर की कितनी स्टेज होती हैं? (What are the Stages of Cancer?)
नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट के मुताबिक, कैंसर की निम्नलिखित स्टेज होती हैं. कई बार ट्यूमर कैंसर की एक ही स्टेज के अंदर कम से लेकर ज्यादा गंभीर तक भी हो सकता है.

Cancer Stage 0: स्टेज 0
कैंसर की सबसे पहली स्टेज 0 होती है. इसे कार्सिनोमा इन सिटु (Carcinoma in situ) या सीआईएस भी कहा जाता है. इस स्टेज में सेल कैंसरस नहीं होती हैं, लेकिन भविष्य में बनने का खतरा होता है. कैंसर स्टेज 0 में असामान्य कोशिकाएं मौजूद तो होती हैं, लेकिन आसपास के टिश्यू तक नहीं पहुंची होती हैं.

Cancer Stage 1: स्टेज 1
कैंसर की स्टेज 1 में असामान्य कोशिकाएं कैंसरस हो जाती हैं. हालांकि, अभी भी ट्यूमर छोटा होता है और अपने उद्गम जगह से कहीं और नहीं फैला होता है. इसे प्राइमरी कैंसर भी कहा जाता है.

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Cancer Stage 2: स्टेज 2

कैंसर की स्टेज 2 से कैंसर वाली कोशिकाएं बढ़ने लगती हैं, जिसके कारण ट्यूमर बड़ा होने लगता है. लेकिन अभी भी यह कहीं फैला नहीं होता है. इस स्टेज से कैंसर गंभीर होने लगता है.

Cancer Stage 3: स्टेज 3
कैंसर की स्टेज 3 से हालाक बेकाबू होने लगते हैं. जिसमें कैंसर वाला ट्यूमर बड़ा हो जाता है और आसपास के टिश्यू और लिंफ नोड्स तक फैल जाता है.

Cancer Stage 4: स्टेज 4
कैंसर की आखिरी स्टेज 4 होती है. यह काफी खतरनाक होती है और जानलेवा साबित हो सकती है. इस स्टेज में कैंसरस ट्यूमर आसपास या दूर के दूसरे शारीरिक अंगों तक फैल जाता है. इसे सेकेंडरी और मेटास्टेटिक कैंसर (Secondary or Metastatic Cancer) भी कहा जाता है.

यहां दी गई जानकारी किसी भी चिकित्सीय सलाह का विकल्प नहीं है. यह सिर्फ शिक्षित करने के उद्देश्य से दी जा रही है.

कैंसर के लास्ट स्टेज पर पहुंचने का मतलब यह है कि हर तरह के इलाज के बावजूद कैंसर ठीक नहीं हुआ है. कई बार समय पर पता चलने के बाद भी कैंसर लास्ट स्टेज तक चला जाता है. यह बहुत दुखदायी स्थिति होती है. कैंसर जब लास्ट स्टेज पर पहुंच जाता है, तो शरीर में कई तरह के बदलाव होने लगते हैं, जैसे हमेशा थकान महसूस होना, भूख न लगना, कन्फ्यूजन की स्थिति व दर्द आदि.

आज इस लेख में हम कैंसर के लास्ट स्टेज के लक्षणों के बारे में ही बात करेंगे -

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कैंसर के लास्ट स्टेज में दिखने वाले लक्षण

कैंसर के लास्ट स्टेज पर पहुंचते ही हो सकता है कि कुछ समय तक व्यक्ति को कोई बदलाव न महसूस हो, लेकिन जल्द ही व्यक्ति का शरीर धीरे-धीरे काम करना बंद कर देता है. कैंसर के लास्ट स्टेज के लक्षण में हमेशा थकान महसूस होना, भूख न लगना, कन्फ्यूजन की स्थिति व दर्द होना आदि शामिल है. आइए, कैंसर के लास्ट स्टेज के लक्षणों के बारे में विस्तार से जानते हैं -

हमेशा थकान महसूस होना

कैंसर के लास्ट स्टेज तक पहुंचते-पहुंचते व्यक्ति को बहुत ज्यादा थकान महसूस होने लगती है. व्यक्ति भले ही चुपचाप बिस्तर पर लेटा रहे, लेकिन कैंसर उसके शरीर से लगभग सारी ऊर्जा को सोख लेता है. दिनोंदिन व्यक्ति की थकान और कमजोरी बढ़ती जाती है.

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भूख न लगना

कैंसर की वजह से शरीर खाने-पीने वाली चीजों का सही तरीके से इस्तेमाल करना बंद कर देता है. इसके बाद व्यक्ति का वजन नहीं बढ़ता और न ही उसे पोषक तत्व या एनर्जी मिलती है. वहीं, कैंसर के लास्ट स्टेज तक आते-आते व्यक्ति का शरीर उसे कहने लगता है कि उसे फूड या लिक्विड किसी भी चीज की जरूरत नहीं है. भूख बिल्कुल भी नहीं लगती है.

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कंफ्यूजन की स्थिति

कई कारणों की वजह से व्यक्ति कैंसर के लास्ट डेट तक पहुंचते-पहुंचते शंका के घेरे में रहने लगता है. दरअसल, कैंसर के लास्ट स्टेज पर पहुंचने के बाद ब्रेन को पर्याप्त ब्लड फ्लो, ऑक्सीजन और न्यूट्रिशन नहीं मिलता, जिसकी वजह से वह अलर्ट नहीं महसूस करता है. यह भी संभव है कि कन्फ्यूजन दवाइयों का एक साइड इफेक्ट हो या फिर दवाइयां लेना बंद करने के बाद यह असंतुलन आ गया हो. 

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दर्द

अन्य स्टेज की तरह, कैंसर से दर्द तब हो सकता है, जब कैंसर टिश्यू पर कब्जा कर लेता है या जब ट्यूमर हड्डियों, नसों या अंगों पर दबाव डालता है. कुछ ट्यूमर ऐसे केमिकल छोड़ते हैं, जो दर्द का कारण बनते हैं या शरीर को दर्द में रिएक्ट कराने का कारण बनते हैं. पेन मैनेजमेंट के लिए हेल्थ केयर टीम की मदद ली जा सकती है.

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निगलने में दिक्कत होना

कैंसर के लास्ट स्टेज तक पहुंचते-पहुंचते व्यक्ति को खाना निगलने में दिक्कत होने लगती है. वह इतनी कमजोरी महसूस करने लगता है कि वह किसी भी चीज को निगल पाने में समर्थ नहीं होता. यह भी संभव है कि इस समय ब्रेन से निकलने वाले संदेश एसोफैगस तक न पहुंच रहे हों. एसोफैगस शरीर का वह हिस्सा है, जो मुंह को पेट से जोड़ता है. इस समय हेल्थ केयर टीम लिक्विड या सॉफ्ट फूड खाने की सलाह दे सकती है.

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कैंसर के लास्ट स्टेज में क्या क्या होता है?

कैंसर की आखिरी स्टेज 4 होती है. यह काफी खतरनाक होती है और जानलेवा साबित हो सकती है. इस स्टेज में कैंसरस ट्यूमर आसपास या दूर के दूसरे शारीरिक अंगों तक फैल जाता है. इसे सेकेंडरी और मेटास्टेटिक कैंसर (Secondary or Metastatic Cancer) भी कहा जाता है.

लास्ट स्टेज कैंसर पेशेंट कितने समय तक जीवित रह सकता है?

लास्ट स्टेज में भी मरीज जीन ट्रीटमेंट कर तीन से चार साल तक जिंदा रह सकते हैं।

सबसे खतरनाक कैंसर कौन सा होता है?

इनमें से सबसे खतरनाक कैंसर ल्यूकेमिया (leukemia) को माना जाता है.

क्या 4 स्टेज कैंसर ठीक हो सकता है?

हेमन्त मल्होत्रा ने बताया कि चौथी स्टेज तक पहुंचने के बाद कैंसर का उपचार करना असंभव माना जाता है, क्योंकि इस स्टेज पर कैंसर पूरे शरीर में फैल जाता है। लेकिन इम्यूनो थेरेपी के जरिये वैज्ञानिकों ने कैंसर के ट्यूमर से लड़ने के लिए एंटीबॉडीज का आविष्कार किया है जो शरीर के भीतर टी सेल्स से लड़ने में कामयाब है।