Solution : (i) कृषि को भारतीय अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार इसलिए कहा गया है, क्योंकि 67% जनसंख्या प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप में कृषि पर निर्भर है। Show
नई दिल्ली, कंटेंट पार्टनर। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) किसी देश के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, वह चाहे विकसित देश हो या विकासशील। इसमें भारत भी शामिल है। MSME भारत की अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि ये सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी में अहम योगदान देते हैं और औद्योगिक व सेवा क्षेत्रों में बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार देते हैं। कढ़ाई बुनाई से लेकर दवाई तक, खेत खलिहान से लेकर खेल के मैदान तक, वस्त्र से लेकर शस्त्र तक अनेक क्षेत्रों में MSME ने अपनी अहम भूमिका निभाकर देश की प्रगति को गति देने का काम किया है। आइए जानते हैं कि भारत की अर्थव्यवस्था में MSME सेक्टर कैसे रीढ़ की हड्डी है। रोजगार का सृजन करे किसी भी देश के लिए रोजगार एक जरूरी विषय होता है, जिसके बिना अर्थव्यवस्था की पटरी आगे नहीं बढ़ सकती। भारत देश में रोजगार हमेशा से ही ज्वलंत विषय रहा है। MSME सेक्टर कई बेरोजगार युवाओं के लिए रोजगार के बड़े अवसर पैदा करता है। यह कृषि क्षेत्र के बाद दूसरा ऐसा सबसे बड़ा सेक्टर है, जो लोगों को रोजगार मुहैया कराता है। इसी साल उद्योग मंडल सीआईआई ने एक सर्वेक्षण में दावा किया कि MSME क्षेत्र ने पिछले चार वर्षों में 13.5 मिलियन से 14.9 मिलियन नए रोजगार सृजित किए हैं। ऐसे में यदि देश की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाई देनी है, तो MSME सेक्टर को मजबूत करना बहुत ही जरूरी है। निर्यात को दे बढ़ावा किसी देश की तरक्की की गाथा तभी लिखी जा सकती है जब वहां की अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़े। MSME सेक्टर न केवल रोजगार के क्षेत्र में, बल्कि निर्यात के क्षेत्र में भी अपनी अहम भूमिका निभाकर अपनी मौजूदगी दर्ज करा रहा है। MSME कुल निर्यात का 45% अकेले योगदान देता है। विनिर्माण, निर्यात और रोजगार में MSME के योगदान को देखते हुए, अन्य क्षेत्र भी इससे लाभान्वित हो रहे हैं, जिसमें बड़ी कंपनियां भी शामिल हैं। समावेशी विकास (Inclusive Growth) को करे प्रोत्साहित आर्थिक असमानता दुनिया में बड़े पैमाने पर मौजूद है और भारत भी इसका बड़ा उदाहरण है। अमीरों और गरीबों के बीच की खाई को कम करने के लिए MSME सेक्टर का मजबूत होना बहुत ही जरूरी है। पिछले कई वर्षों से MSME मंत्रालय एजेंडे में समावेशी विकास शीर्ष पर है। इस दिशा में सरकार काम कर रही है और MSME सेक्टर की ग्रोथ के लिए कई योजनाएं भी लेकर आई है। मेक इंन इंडिया का सपना करे पूरा किसी भी देश के नागरिक का सपना होता है कि उसके देश में बनी वस्तुएं पूरी दुनिया में परचम लहराए। यह तभी संभव है जब MSME सेक्टर का विकास तेजी से हो। हालांकि यहां MSME सेक्टर को कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जिसमें बुनियादी ढांचा और नवीनतम तकनीक की कमी शामिल है। आज भी भारत में ऐसी कई छोटी कंपनियां है, जिनके पास मूलभूत तकनीकी सुविधाएं नहीं है। एक बात तो सच है कि आधुनिक बिजनेस सूचना प्रौद्योगिकी की मदद के बिना संभव नहीं है, इसलिए यदि आप छोटा बिजनेस भी चला रहे हैं तो तकनीकी मदद लेनी बहुत ही जरूरी है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए Dell कंपनी छोटे कारोबारियों की मदद कर रही है। बता दें कि Dell ने कंप्यूटर रिफ्रेस प्रोग्राम के तहत पुराने कंप्यूटर को नए कंप्यूटर में बदलने की व्यवस्था की है। यह व्यवस्था दूसरे तकनीकी प्रोडक्ट्स के लिए भी है। अगर आप अपने तकनीकी प्रोडक्ट को अपग्रेड करवाते हैं तो आपको आकर्षक एक्सचेंज वैल्यू मिलेगा। इसके कई फायदे हैं जैसे,
इसके अलावा इनके विश्वसनीय पार्टनर Cashifyऔर Yaantraहै। Dell पहला और इकलौता ऐसा ब्रांड है जो एक्सचेंज और अपग्रेड पर 2X फायदे देता है। Dell दूसरे तकनीकी ब्रांड्स के लिए भी ये ऑफर दे रहा है। MSME की संरचना बहुत सरल छोटा बिजनेस शुरू करने के लिए एक बड़ी पूंजी की आवश्यकता नहीं होती है। सीमित संसाधनों से ही बिजनेस की शुरुआत की जा सकती है। एक बड़ी कंपनी को संगठनात्मक संरचना (Departmental Functioning) के कारण प्रत्येक विभागीय कामकाज के लिए एक विशेषज्ञ की आवश्यकता होती है। वहीं दूसरी ओर छोटी कंपनी को प्रबंधन के लिए एक बाहरी विशेषज्ञ को नियुक्त करने की आवश्यकता नहीं होती। इसमें मालिक खुद ही प्रबंधन का कार्य कर सकता है। इस तरह देखा जाए तो MSME की संरचना बहुत ही सरल है। इसे कम पूंजी से ही शुरू किया जा सकता है। किसी भी देश में MSME सेक्टर गाड़ी के इंजन की तरह होता है। इसलिए आर्थिक विकास के लिए इस सेक्टर की ग्रोथ बहुत जरूरी है। तकनीकी स्तर पर जिस तरह से दुनिया आगे बढ़ रही है। ऐसे में MSME भी तकनीक की अनदेखी नहीं कर सकता है। इसलिए जरूरी है कि छोटे व्यापारी अपने बिजनेस को तकनीक से जोड़ें और लगात व समय बचाकर देश के विकास में भागीदार बनें। लेखक - शक्ति सिंह ये आर्टिकल DELL के साथ पार्टनर कॉन्टेंट का हिस्सा है और ये जागरण न्यू मीडिया के संपादकीय विचारों को नहीं दर्शाता इसे सुनेंरोकेंउत्तर – कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी है । इसलिए नहीं कि इससे देश के अधिकांश जनसंख्या को खाद्य की आपूर्ति होती है , बल्कि इसलिए भी कि भारत की आधे से भी अधिक आबादी प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से जीविका के लिए कृषि पर निर्भर है । विभिन्न उपाय के द्वारा कृषि उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि हुई है । भारतीय अर्थव्यवस्था की रीड कौन सा क्षेत्र है? इसे सुनेंरोकेंकृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है जो न केवल इसलिए कि इससे देश की अधिकांश जनसंख्या को खाद्य की आपूर्ति होती है बल्कि इसलिए भी भारत की आधी से भी अधिक आबादी प्रत्यक्ष रूप से जीविका के लिए कृषि पर निर्भर है । भारतीय अर्थव्यवस्था को कितने क्षेत्रों में बांटा गया है? इसे सुनेंरोकेंअर्थव्यवस्था में तीन क्षेत्रक होते हैं जिनके नाम हैं, प्राथमिक (कृषि तथा सम्बन्धित गतिविधयाँ), द्वितीयक (विनिर्माण आदि) तथा तृतीयक (सेवाएं)। ये सभी क्षेत्रक राष्ट्रीय आय के सृजन तथा वृद्धि में रोजगार के अवसरों के सृजन में, वस्तु ___ और सेवाओं की आपूर्ति करने में तथा आधारिक संरचना के सृजन में योगदान देते हैं। पढ़ना: रोकड प्रवाह विवरण क्या है इसे कैसे तैयार किया जाता है? विनिर्माण उद्योग को भारत के आर्थिक विकास की रीड की हड्डी क्यों कहा जाता है?इसे सुनेंरोकेंविनिर्माण उद्योग को भारत के आर्थिक विकास की रीढ़ की हड्डी क्यों माना जाता है? उत्तर- जिस प्रकार शरीर को आकार रीढ़ की हड्डी से मिलता है उसी प्रकार एक देश की अर्थव्यवस्था के आर्थिक विकास का मुख्य आधार विनिर्माण उद्योग है। कृषि के आधुनिकीकरण में सहायक हैं। द्वितीयक तथा तृतीयक सेवाओं में रोजगार उपलब्ध करवाते हैं। सकल कृषि क्षेत्र क्या है? इसे सुनेंरोकेंसकल बोया गया क्षेत्र : कृषि भूमि के कुछ भाग पर वर्ष में एक से अधिक बार फसलें बोई व काटी जाती हैं। जितने भू-भाग पर एक से अधिक बार फसलें बोई जाती हैं, उसे उतनी ही बार कुल बोए गए क्षेत्र में जोड़ा जाता है। निवल बोया गया क्षेत्र : सकल बोया गया क्षेत्र शुद्ध अथवा निवल बोए गए क्षेत्र से अधिक होता है। भारतीय अर्थव्यवस्था की जनसंख्या संबंधी विशेषता कौन सी है? पढ़ना: कबीर की शिक्षा कहाँ तक हुई थी? इसे सुनेंरोकेंभारत के 1% जनसंख्या के पास देश का 53% धन है। इससे समाज में गरीबी के स्तर में वृद्धि हुई है और अधिकतम प्रतिशत व्यक्ति इस प्रकार से गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) के नीचे रह रहे हैं। आय के इस असमान वितरण ने भारतीय अर्थव्यवस्था में लोगों की विभिन्न श्रेणियों के बीच भारी अंतर और आर्थिक असमानता पैदा की है। भारतीय अर्थव्यवस्था का क्या महत्व है?इसे सुनेंरोकेंकृषि के माध्यम से खाद्यान्न तो उपलब्ध होता ही है, साथ ही अनेक प्रमुख उद्योगों के लिए कच्चा माल भी उपलब्ध होता है (सूती वस्त्र उद्योग, जूट उद्योग, चीनी उद्योग, चाय उद्योग, सिगरेट उद्योग और तम्बाकू उद्योग, आदि)। कृषि राष्ट्रीय आय का एक प्रधान स्रोत है। कृषि देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है कैसे?कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है जो न केवल इसलिए कि इससे देश की अधिकांश जनसंख्या को खाद्य की आपूर्ति होती है बल्कि इसलिए भी भारत की आधी से भी अधिक आबादी प्रत्यक्ष रूप से जीविका के लिए कृषि पर निर्भर है ।
कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी कैसे?उत्तर - कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी है । इसलिए नहीं कि इससे देश के अधिकांश जनसंख्या को खाद्य की आपूर्ति होती है , बल्कि इसलिए भी कि भारत की आधे से भी अधिक आबादी प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से जीविका के लिए कृषि पर निर्भर है । विभिन्न उपाय के द्वारा कृषि उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि हुई है ।
भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ कौन सा क्षेत्र?कृषि क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। कृषि क्षेत्र प्राथमिक क्षेत्र के अंतर्गत आता है। कृषि क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है क्योंकि यह GDP, रोजगार और निर्यात में योगदान देता है। यह विनिर्माण और सेवा क्षेत्र जैसे अन्य आर्थिक क्षेत्रों में भी मदद करता है।
कौन से चित्र को भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी माना जाता है?'कृषि' को भारतीय अर्थव्यवस्था की 'रीढ़ की हड्डी' माना जाता है।
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