सुदामा ने कृष्ण का स्वागत कैसे किया? Show
328 Views “पानी परात को हाथ छुयो नहिं, नैनन के जल सों पग धोए।” पंक्ति में वर्णित भाव का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए। जब सुदामा दीन-हीन अवस्था में कृष्ण के पास पहुँचे तो कृष्ण उन्हे देखकर व्यथित हो उठे। उनकी फटी हुई एड़ियाँ व काँटे चुभे पैरों की हालत उनसे देखी न गई। परात में जो जल सुदामा के चरण धोने हेतु मँगवाया गया था उसे कृष्ण ने हाथ न लगाया। अपने आँसुओं के जल से ही उनके पाँव धो डाले। कृष्ण के मैत्री भाव को देखकर सब चकित थे। 956 Views उच्च पद पर पहुँचकर या अधिक समृद्ध होकर व्यक्ति अपने निर्धन माता-पिता-भाई-बंधुओं से नजर फेरने लग जाता है, ऐसे लोगों के लिए सुदामा चरित कैसी चुनौती खड़ी करता है? लिखिए। यह सत्य है कि आजकल उच्च पद पर पहुँचकर या अधिक समृद्ध होकर व्यक्ति अपने निर्धन माता-पिता, भाई-बंधुओं से नजर फेर लेता है। ऐसे लोगों के लिए सुदामा चरित ऐसी चुनौती खड़ी करता है कि उन्हें अपनी सभ्यता व संस्कृति से सीख लेनी चाहिए कि युगों पूर्व ईश्वरीय स्वरूप कृष्ण ने भी अपने मित्र का साथ न छोड़ा जिस मित्र ने बचपन में उनके हिस्से के चने खाकर उन्हें धोखा भी दिया। लेकिन जब वह दीन अवस्था में कृष्ण के समक्ष आया तो उन्होंने गरीबी अमीरी का भेदभाव भुलाकर उसे अपने हदय से लगा लिया। लेकिन हम थोड़ा-सा संपन्न होते हैं तो अपनें माता-पिता जो कि हमें जन्म देने वाले व हमारे मार्ग दर्शक हैं, उन्हें कैसे भूल जाते हैं? भाई-बंधु जो पल-पल के दुख-सुख में हमारा साथ देते हैं उन्हें भुलाना या उनसे नजरें फेरना क्या उचित है? हमें चाहिए कि दुख के क्षण है या सुख की घड़ियाँ सभी के साथ मिल-जुल कर रहें। सामाजिक व पारिवारिक जिम्मेदारियों को पूर्णरूप से निभाएँ। 645 Views द्रुपद और द्रोणाचार्य भी सहपाठी थे, इनकी मित्रता और शत्रुता की कथा महाभारत से खोजकर सुदामा के कथानक से तुलना कीजिए। श्रीकृष्ण सुदामा की प्रत्यक्ष रूप में सहायता नहीं करना चाहते थे क्योंकि देने का भाव आते ही मित्रता बड़े-छोटे की भावना में बदल जाती है जबकि कृष्ण ऐसा नहीं करना चाहते थे। इसलिए उन्होंने सुदामा की सहायता प्रत्यक्ष रूप में न करके अप्रत्यक्ष रूप में की। 1447 Views कहि रहीम संपति सगे, बनत बहुत बहु रीति। इस दोहे में रहीम जी का कहना
है कि जब मनुष्य के पास धन-संपत्ति होती है ता बहुत से लोग उसके मित्र बन जाते हैं, लेकिन जो मुश्किल समय में साथ देते हैं वही सच्चे मित्र कहलाते हैं। 1626 Views सुदामा की दीनदशा देखकर श्रीकृष्ण की क्या मनोदशा हुई? अपने शब्दों में लिखिए। सुदामा की दीनदशा देखकर श्रीकृष्ण व्यथित हो गए और दूसरीं पर करुणा करने वाले दीनदयाल स्वयं रो पड़े। 1694 Views CBSE Worksheet 01 श्रीकृष्ण ने सुदामा के पैर किससे धोये? (सुदामा चरित) द्वारिका से खाली हाथ लौटते समय सुदामा स्वयं से किसे और क्या समझाने की बात करते हैं? सुदामा चरित पाठ के आधार पर
बताइए। कृष्ण ने सुदामा का स्वागत कैसे किया? सुदामा को द्वारिका किसने भेजा था और क्यों? सुदामा चरित पाठ के आधार पर बताइए। द्वारिका जाने के दौरान सुदामा ने कैसे वस्त्र पहने थे? सुदामा चरित पाठ के आधार पर बताइए। पानी परात को हाथ छुयो नहिं, नैनन के जल सों पग धोए पंक्ति में वर्णित भाव का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए। निर्धनता के बाद मिलनेवाली संपन्नता का चित्रण सुदामा चरित कविता की अंतिम पंक्तियों में वर्णित है। उसे अपने शब्दों में लिखिए। नीचे लिखे काव्यांशों को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:-
CBSE Worksheet 01 Solution
कृष्ण ने सुदामा का कैसे स्वागत किया?कृष्ण ने सुदामा को आसन पर बिठाया। उनके चरण धोने के लिए जल मँगवाया लेकिन वे इतने द्रवित हुए कि उन्होंने अपनी आँसुओं के जल से ही उनके चरण धो डाले व उनका राजसी स्वागत किया। सुदामा को द्वारिका उनकी पत्नी ने भेजा था क्योंकि उन्हें विश्वास था कि द्वारिकाधीश श्रीकृष्ण अपने बाल-सखा अर्थात् सुदामा की गरीबी अवश्य दूर करेंगे।
कृष्ण और सुदामा की दोस्ती कैसे हुई?कृष्ण सुदामा और सुदामा की दोस्ती एक मिसाल है। जब कृष्ण बालपन में ऋषि संदीपन के यहां शिक्षा ग्रहण कर रहे थे तो उनकी मित्रता सुदामा से हुई थी। कृष्ण एक राजपरिवार में और सुदामा ब्राह्मण परिवार में पैदा हुए थे। परंतु दोनों की मित्रता का गुणगान पूरी दुनिया करती है।
श्री कृष्ण ने सुदामा को क्या दिया?जब भगवान श्रीकृष्ण द्वारिका के राजा हुए एक दिन सुदामा की पत्नी सुशीला ने सुदामा से कहा कि आप बताते हैं कि कृष्ण हमारे मित्र हैं तो उनसे जाकर मिलो। सुदामा की पत्नी सुशीला पड़ोसी के यहां से ले जाने के लिए चावल मांग लाईं। जब सुदामा कन्हैया से मिले तो कृष्ण ने उन्हें दो मुठ्ठी चावल खाकर दो लोक का स्वामी बना दिया।
घ कृष्ण ने सुदामा को कैसे लौटाया?कृष्ण ने सुदामा को पहले तो खाली हाथ लौटाया। जब सुदामा कृष्ण के पास अपनी दीनहीन अवस्था से निजात पाने के लिए किसी मदद की आस में पहुंचे थे तो कृष्ण ने उनका खूब आदर सत्कार किया। यहाँ तक कि कृष्ण सुदामा के प्रति प्रेम में इतने भाव-विह्वल हो गए कि उनकी आँखों से निकले आँसूओं से ही सुदामा के चरण धो डालें।
|