क्या शनिदेव की शादी हुई थी? - kya shanidev kee shaadee huee thee?

जीवन में ग्रहों का प्रभाव बहुत प्रबल माना जाता है और उस पर भी शनि ग्रह अशांत हो जाएं तो जीवन में कष्टों का आगमन शुरू हो जाता है. शनि, भगवान सूर्य और छाया के पुत्र हैं. शनि को क्रूर दृष्टि का ग्रह माना जाता है जो किसी के भी जीवन में उथल-पुथल मचा सकते हैं. लेकिन ऐसा क्यों है इसके बारे में कम ही लोग जानते हैं.

आइए जानें, शनिदेव की क्रूर दृष्टि के पीछे का सच और कथा...

ब्रह्मपुराण के अनुसार, बचपन से ही शनिदेव भगवान श्रीकृष्ण के भक्त थे. बड़े होने पर इनका विवाह चित्ररथ की कन्या से किया गया. इनकी पत्नी परम तेजस्विनी थीं. एक बार पुत्र-प्राप्ति की इच्छा से वे इनके पास पहुंची पर शनि श्रीकृष्ण के ध्यान में मग्न थे. पत्नी प्रतीक्षा करते हुए थक गईं और क्रोध में आकर उन्होंने शनि को श्राप दे दिया कि आज से आप जिसे देखोगे वह नष्ट हो जाएगा.

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ध्यान टूटने पर जब शनिदेव ने अपनी पत्नी को समणया तो उन्हें अपनी भूल पर पश्चाताप हुआ. लेकिन बोले गए वचन तो वापस नहीं लिए जा सकते थे. उस दिन से शनिदेव अपना सिर नीचा रखने लगे क्योंकि वे नहीं चाहते थे कि उनके द्वारा किसी का अनिष्ट हो.

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, अगर शनि रोहिणी-शकट भेदन कर दें तो पृथ्वी पर 12 वर्ष का अकाल पड़ सकता है. अगर ऐसा हुआ तो किसी भी प्राणी का बचना मुश्किल है.

शनिदेव को पत्नी से मिला था ये भयंकर श्राप, माफी के बाद भी नहीं हो सका था निष्फल

क्या शनिदेव की शादी हुई थी? - kya shanidev kee shaadee huee thee?

शनिदेव को अतिक्रोधी देवता माना जाता है.

Shanidev Katha: शनिदेव ऐसे देवता हैं जो कि बहुत जल्दी क्रोधित हो जाते हैं. अगर किसी पर कृपा कर दें तो उसके वारे न्यारे हो जाते हैं. वे भी अपनी पत्नी के श्राप से नहीं बच सके थे.

  • News18Hindi
  • Last Updated : September 25, 2021, 07:15 IST

    Shanidev Katha: हिंदू धर्म में सप्ताह का हर एक दिन किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित माना जाता है. शनिवार का दिन शनिदेव (Shani Dev) का दिन माना गया है. इस दिन विधि-विधान से शनिदेव की पूजा (Shanidev Puja) करने पर शनिदेव प्रसन्न होने की मान्यता है. कहते हैं कि शनिदेव अतिक्रोधी देवताओं में से एक हैं. वे अगर किसी पर क्रोधित हो जाएं तो उसे राजा से रंक बना देते हैं और अगर किसी पर प्रसन्न हो जाएं तो उसे बेहद समृद्ध कर देते हैं. ज्योतिषशास्त्र के अनुसार शनिदेव को मकर और कुंभ राशि का स्वामी माना गया है. शनिदेव की दृष्टि अगर किसी पर पड़ जाते तो वह नष्ट हो जाता है, ये बात तो आपने कथाओं में सुनी होगी लेकिन इसकी क्या वजह है इस पर गौर नहीं किया होगा. आज हम आपको बताते हैं कि आखिर किस वजह से शनिदेव अपना शीश झुकाकर चलते हैं और किसी पर बेवजह दृष्टि नहीं डालते हैं. दरअसल ये सबकुछ उनकी पत्नी द्वारा दिए गए एक श्राप की वजह से हुआ था.

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    शनिदेव की पत्नी ने दिया था ये श्राप
    ब्रह्मपुराण की कथा के अनुसार, शनिदेव भगवान श्रीकृष्ण के अन्नय भक्त थे. वे हर वक्त भगवान की पूजा और सेवा में व्यस्त रहते थे. हमेशा वे श्रीकृष्ण का ध्यान किया करते थे. युवावस्था में शनिदेव का विवाह चित्ररथ से कर दिया गया. शनिदेव की पत्नी भी तेजस्वी, ज्ञानवान एवं पतिव्रता स्त्री थीं. विवाह के बाद भी शनिदेव हमेशा कृष्ण भक्ति में ही तल्लीन रहते थे. एक रात्रि चित्ररथ ने ऋतुकाल का स्नान किया और पुत्र प्राप्ति हेतु शनिदेव के पास पहुंची. इस समय भी शनिदेव भगवान श्रीकृष्ण का ही ध्यान कर रहे थे. उन्होंने अपनी पत्नी की ओर देखा तक नहीं. चित्ररथ ने इसे अपना अपना समझा और शनिदेव को श्राप दे दिया.

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    उन्होंने श्राप देते हुए कहा कि शनिदेव जिस किसी को भी नजर उठाकर देखेंगे वो नष्ट हो जाएगा. इस बीच शनिदेव का ध्यान टूटा और उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ. इस पर शनिदेव ने अपनी पत्नी को मनाया और उनसे माफी मांगी. किंतु शनिदेव की पत्नी के पास अपने दिए हुए श्राप को निष्फल करने की शक्ति नहीं थी. यही वजह है कि उस श्राप के चलते शनिदेव सिर नीचा कर चलते हैं. (Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)

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    Tags: Religion, Shanidev

    FIRST PUBLISHED : September 25, 2021, 06:52 IST

    Shanidev Pauranik Katha सूर्य पुत्र शनिदेव को देवताओं का दण्डाधिकारी माना जाता है। शनिदेव के इसी गुण के कारण मनुष्य क्या देवता भी उनसे डरते हैं। लेकिन एक बार शनिदेव को भी अपनी गलती के लिए श्राप का भागी होना पड़ा था। आइए जानते हैं इस पौराणिक कथा को..

    Shanidev Pauranik Katha: सूर्य पुत्र शनिदेव को देवताओं का दण्डाधिकारी माना जाता है। मान्यता है कि भगवान शिव ने शनि देव की तपस्या से प्रमन्न होकर शवि देव को यह पद प्रदान किया था । इसी कारण ही शनि देव प्रत्येक व्यक्ति को उसके किए गए अच्छे और बुरे कर्मों के हिसाब से फल प्रदान करते हैं। व्यक्ति के भूलवश किए हुए गलत कार्य भी शनि देव के दण्ड विधान से बच महीं पाते। शनिदेव के इसी गुण के कारण मनुष्य क्या देवता भी उनसे डरते हैं। पर क्या आपको मालूम है कि शनिदेव को भी अपनी गलती के लिए श्राप का भागी होना पड़ा था। आइए जानते हैं इस पौराणिक कथा को..

    शनिदेव को उनकी पत्नी ने क्यों दिया श्राप

    ब्रह्मपुराण की कथा के अनुसार शनिदेव बचपन से भगवान कृष्ण के अन्नय भक्त थे। वो अपनी दिनचर्या का अधिकांश समय कृष्ण भगवान की पूजा में ही बिताते थे। युवा आवस्था में उनका विवाह चित्ररथ की कन्या से कर दिया गया। शनिदेव की पत्नी परम् पतीव्रता और तेजस्वी थी। परंतु शनिदेव विवाह के बाद भी सारा दिन भगवान कृष्ण की आराधना में ही मग्न रहने थे। एक रात्रि शनिदेव की पत्नी ऋतुस्नान करके शनिदेव के पास पुत्र प्राप्ति की इच्छा से गईं। लेकिन ध्यान में मग्न शनि देव ने उनकी ओर देखा भी नहीं। इसे अपना अपमान समझकर उनकी पत्नी से शनिदेव को श्राप दे दिया।

    जानें, सिर नीचा करके क्यों चलते हैं शनिदेव

    शनिदेव को उनकी पत्नी ने श्राप देते हुए कहा कि वो जिसे भी नज़र उठा कर देखेंगे वो नष्ट हो जाएगा। ध्यान टूटने पर शनिदेव ने अपनी पत्नी को मनाया और अपनी गलती की क्षमा मांगी। शनिदेव की पत्नी को भी अपनी गलती का एहसास हुआ। लेकिन अपने श्राप को निष्फल करने की शक्ति उनके पास नहीं थी। इस कारण शनिदेव सिर नीचा करके चलते हैं ताकि अकारण ही किसी का कोई अनिष्ट न हो।

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    Edited By: Jeetesh Kumar

    शनि देव की कितनी पत्नियां थीं?

    धार्मिक मान्यता के अनुसार शनिदेव की 8 पत्नियां हैं और उनका नाम जपने से भी जीवन के बड़े से बड़े संकट कट जाते हैं.

    शनिदेव की औरत का क्या नाम है?

    ज्योतिष शास्त्र में शनि के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए शनि देव की पत्नियों के नाम के जप की सलाह दी जाती हैं। ध्वजिनी धामिनी चैव कंकाली कलहप्रिया। कंटकी कलही चाऽथ तुरंगी महिषी अजा।। शनेर्नामानि पत्नीनामेतानि संजपन‍् पुमान्।

    शनिदेव की शादी कब हुई थी?

    शनि (ज्योतिष).

    शनि देव का विवाह कैसे हुआ?

    युवावस्था में शनिदेव का विवाह चित्ररथ से कर दिया गया. शनिदेव की पत्नी भी तेजस्वी, ज्ञानवान एवं पतिव्रता स्त्री थीं. विवाह के बाद भी शनिदेव हमेशा कृष्ण भक्ति में ही तल्लीन रहते थे. एक रात्रि चित्ररथ ने ऋतुकाल का स्नान किया और पुत्र प्राप्ति हेतु शनिदेव के पास पहुंची.