क्या दूध से सोरायसिस बढ़ता है? - kya doodh se soraayasis badhata hai?

सोरायसिस एक स्किन संबंधी बीमारी है, जिसे स्किन का अस्थमा भी कहा जाता है। इसमें स्किन सेल्स काफी तेजी से बढ़ते हैं। इसमें स्किन की ऊपरी परत पर पपड़ी बन जाती है और वह छिल जाती है। इससे स्किन में शुष्कता आ जाती है और सफेद धब्बे पड़ जाते हैं। खुजलाहट के कारण त्वचा लाल हो जाती है और उसमें घाव बन जाते हैं।अक्सर सोरायसिस किसी भावनात्मक आघात या तनाव से होता है, हालांकि इसके और कारण भी हैं। प्राचीन विज्ञान आयुर्वेद के अनुसार, हवा और कफ के असंतुलन के कारण सोरायसिस होता है। यहां हम कुछ तरीके बता रहे हैं जिनसे सोरायिसस का इलाज किया जा सकता है:

1- छाछ

आयुर्वेद तक्रधारा के इलाज के अनुसार, सोरायसिस की बीमारी में शुद्ध किए हुए औषधीय छाछ का प्रयोग किया जाता है। इससे स्किन और बाल हेल्दी रहते हैं।

2- नीम
नीम के पत्ते सोरायसिस के इलाज में काफी कारगर होते हैं। नीम का तेल पोषक तत्वों से भरपूर है और उसका उपयोग कई प्रकार के लोशन, क्रीम, साबुन व प्रसाधन सामग्रियों में होता है। यह उन लोगों के लिए बहुत अच्छा है जिन्हें खुजली की बीमारी यानी एक्जिमा है। साथ ही इससे सोरायसिस और कील-मुंहासों के इलाज में भी मदद मिलती है। इसे खरोचों व छोटे घावों पर भी लगाया जा सकता है। शायद यही कारण है कि हर प्रकार की दवाई वाले लोशन में नीम का तेल रहता ही है। नीम का तेल त्वचा की शुष्कता और खुजलाहट दूर करता है।

क्या दूध से सोरायसिस बढ़ता है? - kya doodh se soraayasis badhata hai?


3- विरेचन
आयुर्वेद के विशेषज्ञ विरेचन (catharsis)की सलाह देते हैं जिससे शरीर से सारे विषैले तत्व बाहर निकल जाते हैं।

4- विषैले तत्व पैदा करने वाले खाने से बचाव
आयुर्वेद के अनुसार, कुछ ऐसी चीजें होती हैं जिनका खाने के दौरान गलत कॉम्बिनेशन शरीर में विषैले तत्व पैदा कर सकता है। जैसे कि मिल्कशेक और दही कभी एक साथ न खाएं।

5- सन के बीज
सन के बीज में ऐसे पदार्थ होते हैं जो शरीर में सूजन कम करते हैं जैसे ओमेगा 3 फैटी ऐसिड्स। साथ ही इनमें ऐंटीऑक्सिडेंट्स भी होते हैं, जो हॉर्मोन के सिक्रीशन ( स्राव) में बैलेंस बनाए रखते हैं। सन के कच्चे या भुने हुए बीज खाने से स्किन साफ रहती है।

क्या दूध से सोरायसिस बढ़ता है? - kya doodh se soraayasis badhata hai?


6- योग
चूंकि सोरायसिस भावनात्मक आघात के कारण होता है इसलिए प्राणायाम और आर्ट ऑफ लिविंग की सुदर्शन क्रिया, जोकि एक लयबद्ध सांस लेने की प्रक्रिया है, बहुत लाभदायक होती है। सुदर्शन क्रिया शरीर से भावनाओं के स्तर पर मौजूद विषैले तत्वों और नकारात्मक भावनाओं को निकाल देती है।

7- रम्य राजशेखर, आर्ट ऑफ लिविंग के श्री श्री योग के एक प्रशिक्षक, सोरायिसस से निपटने का एक तरीका बताते हैं

1. 3 बार ॐ का उच्चारण करें
2. कपालभाति - 20 बार, चक्र ( यदि आपका ब्लड प्रैशर बढ़ा रहता है, हृदय संबंधित रोग हैं या फिर चक्कर आते हैं तो धीमी गति से ही करें)
3. भस्त्रिका - 20 बार, 3 चक्र ( यदि आपका ब्लड प्रैशर बढ़ा रहता है, हृदय संबंधित रोग हैं या फिर चक्कर आते हैं तो धीमी गति से ही करें)
4. नाड़ी शोधन - 9 से 12 चक्र, धीमी और गहरी सांसें लें
5. भ्रामरी - 5 बार
6. इसके साथ साथ, अधिक मात्रा में पानी पिएं, योग निद्रा करें, चुस्त रहें और संतुलित आहार लें।
7. अपनी पसंद का कम से कम एक ध्यान प्रतिदिन करें।

(आर्ट ऑफ लिविंग के श्री श्री तत्व के उत्कृष्ट आयुर्वेद और योग विशेषज्ञों द्वारा)

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सोरायसिस से जूझ रही हैं उतरन की रश्मि देसाई

13 मई 2019

क्या दूध से सोरायसिस बढ़ता है? - kya doodh se soraayasis badhata hai?

इमेज स्रोत, imrashamidesai

रश्मि देसाई याद हैं आपको?

अगर ये सवाल आपसे कुछ साल पहले कोई पूछता तो शायद आप कहते, 'उतरन' सीरियल की तपस्या-तप्पू वाली रश्मि देसाई...?

कई बार धारावाहिकों के कुछ किरदार इस क़दर मशहूर हो जाते हैं कि वही उन कलाकारों की असली पहचान बन जाती है.

रश्मि देसाई के लिए 'उतरन' वही सीरियल था. उसके मुख्य किरदार के तौर पर लोग आज भी उन्हें जानते और पहचानते हैं. इसके बाद रश्मि कुछ एक और धारावाहिकों में नज़र आईं, कुछ रिएलिटी शो भी किए लेकिन वो जादू दोबारा नहीं चल सका.

और अब रश्मि एक लंबे समय से पर्दे से ग़ायब भी हैं...हालांकि टीवी जगत में जहां हर रोज़ कुछ नए धारावाहिकों के साथ दर्जन भर नए चेहरे आते हों वहां कोई एक कलाकार लंबे समय से नज़र नहीं आए तो पता भी नहीं चलता.

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लेकिन बीते कुछ दिनों से रश्मि एक बार फिर चर्चा में है पर वजह कोई सीरियल या कंट्रोवर्सी नहीं बल्कि उनकी बीमारी है.

रश्मि देसाई सोरायसिस नाम की बीमारी से जूझ रही हैं.

बहुत हद तक संभव है कि आपने इस बीमारी के बारे में सुना भी न हो, लेकिन रश्मि ने बताया कि वो पिछले एक साल से इस बीमारी से पीड़ित हैं.

सोरायसिस त्वचा से जुड़ी एक बीमारी है. जो अमूमन किसी भी उम्र में सकती है.

क्या है सोरॉसिस?

अमरीका के नेशनल सोरायसिस फ़ाउंडेशन के मुताबिक, इसमें त्वचा पर लाल चकत्ते पड़ने शुरू हो जाते हैं. आमतौर पर इसका असर सबसे ज्यादा कोहनी के बाहरी हिस्से और घुटने पर देखने को मिलता है.

वैसे इसका असर शरीर के किसी भी हिस्से पर हो सकता है. कुछ पीड़ितों का कहना है कि सोरायसिस में जलन भी होती है और खुजली भी. सोरायसिस का संबंध कई ख़तरनाक बीमारियों मसलन, डायबिटीज़, दिल से जुड़ी बीमारियों और अवसाद से भी है.

नेशनल सोरायसिस फ़ाउंडेशन के मुताबिक़, अगर शरीर में कहीं भी लाल चकत्ते नज़र आ रहे हैं तो बिना पूछे-जांचे, दवा लेना ख़तरनाक हो सकता है. डॉक्टर को दिखाना ज़रूरी है क्योंकि ये सोरायसिस की शुरुआत हो सकती है.

अमरिकन अकेडमी ऑफ़ डर्मेटोलॉजी के अनुसार, यह बीमारी ज़्यादातर गोरे लोगों में होती है. लेकिन इसका ये मतलब बिल्कुल भी नहीं कि ये सांवले लोगों को नहीं हो सकती.

नेशनल सोरायसिस फ़ाउंडेशन के अनुसार, वैज्ञानिकों को अभी भी इसकी असल वजह के बारे में पता नहीं है लेकिन जो पता है उसके मुताबिक़ इम्यून सिस्टम और आनुवांशिक कारणों के चलते ये बीमारी किसी को भी हो सकती है.

लेकिन ये संक्रामक बीमारी नहीं है.

अमेरिकन अकेडमी ऑफ़ डर्मेटोलॉजी के अनुसार इसके अलावा स्वीमिंग पूल में नहाने, किसी सोरायसिस पीड़ित के साथ संपर्क से और किसी सोरायसिस पीड़ित के साथ शारीरिक संबंध बनाने से भी यह नहीं फैलता है.

लेकिन इम्यून सिस्टम कैसे?

WBC यानी श्वेत रुधिर कणिकाएं शरीर को बीमारियों से बचाने का काम करती है. बीमारियों को रोकने की क्षमता को इम्यूनिटी कहा जाता है. लेकिन अगर किसी शख़्स को सोरायसिस है तो इसका मतलब ये भी हुआ कि उसके इम्यून सिस्टम में कोई न कोई कमी आ गई है.

ये WBC त्वचा की कोशिकाओं यानी स्किन सेल्स पर हमला कर देती हैं. जिसकी वजह से स्किन सेल्स शरीर में बहुत तेज़ी से और जल्दी से बनने लगते हैं.

यही स्किन सेल्स अतिरिक्त त्वचा गांठ/मोटी चमड़ी या चकत्ते के तौर पर जमा हो जाती है जिसे हम सोरायसिस कहते हैं .

पर सबसे बड़ा ख़तरा यह है कि अगर एकबार यह प्रक्रिया शुरू हो गई तो आजीवन चलती रहती है. हालांकि कुछ मामलों में अपवाद भी हैं.

जीन्स

कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि कई बार इसके लिए जीन्स भी ज़िम्मेदार होते हैं जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक इस बीमारी को लेकर जाते हैं.

लेकिन ख़तरा कब बढ़जाता है

- तनाव

- शरीर के किसी हिस्से में लगी चोट, जिससे त्वचा कट गई हो

- संक्रमण - कुछ दवाइयों की एलर्जी से

- मौसम (बहुत ठंडा)

- तंबाकू

- शराब

हर रोज़ अगर इन सबसे आप दो चार हो रहे हों तो इस बीमारी के होने की आशंका बढ़ जाती है.

कैसे जानें की सोरायसिस हो गया है

आमतौर पर हम शरीर में खुजली और चकत्ते देखकर अनदेखा कर देते हैं. सोचते हैं कोई इंफ़ेक्शन हो गया है. तो पहले तो ऐसा करना छोड़ना होगा. इसके लिए कोई अलग से ब्लड टेस्ट नहीं होता है लेकिन किसी विशेषज्ञ को संपर्क कर सकते हैं.

कई बार विशेषज्ञ उस हिस्से का स्किन सैंपल ले लेते हैं और माइक्रोस्कोप से जांच करते हैं.

इसके अलावा अगर आपके घर में किसी को सोरायसिस की शिकायत रह चुकी है तो पहले से ही सतर्क रहें और अगर ऐसा कोई भी निशान नज़र आए या चमड़ी खुरदुरी और मोटी लगे जो जांच करा लें.

कितने तरह का होता है सोरायसिस

सोरायसिस पांच तरह के होते हैं...

- प्लाक सोरायसिस : यह सबसे सामान्य प्रकार है. इसमें शरीर पर लाल चकत्ते पड़ जाते हैं.

- ग्यूटेट सोरायसिस : ये शरीर पर दानों के रूप में नज़र आता है.

- इन्वर्स सोरायसिस : शरीर के जो हिस्से मुड़ते हैं , वहां पर इसका सबसे ज़्यादा असर देखने को मिलता है.

- पस्ट्युलर सोरायसिस : इसमें लाल चकत्तों के इर्द-गिर्द सफेद चमड़ी जमा होने लगती है.

- एरिथ्रोडर्मिक सोरायसिस : यह सोरॉसिस का सबसे ख़तरनाक रूप है जिसमें खुजली के साथ तेज़ दर्द भी होता है.

क्या है इलाज?

सोरायसिस का इलाज आमतौर पर इस बीमारी को बढ़ने से रोकता है और इससे सोरायसिस नियंत्रण में रहता है. इसका इलाज तीन चरणों में होता है...

- टॉपिकल: इसमें प्रभावित जगह पर क्रीम और तेल लगाना शामिल हैं

- फ़ोटोथेरेपी: अल्ट्रावायलेट किरणों से इलाज

- सिस्टेमिक: दवा या इंजेक्शन

क्या हैं बचाव के उपाय ?

- शरीर को साफ़-सुथरा रखना और ख़ुद का ध्यान रखना

- स्वस्थ भोजन और दिनचर्या

- तनाव से दूर रहना

- पूरी जानकारी

रश्मि भी कहती हैं कि लाइफ़स्टाइल की वजह से वो शुरुआती वक़्त में उतना ध्यान नहीं दे सकीं जितना ज़रूरी था. इसका एक असर ये भी हुआ कि वज़न भी बढ़ गया.

डॉक्टर भी मानते हैं कि सोरायसिस के लिहाज़ से सबसे ज़रूरी है कि हम अपना ख्याल रखें. शुरुआती ध्यान से इसे बढ़ने से रोका जा सकता है.

क्या दूध पीने से सोरायसिस होता है?

आयुर्वेद के अनुसार दूध के साथ नमक और मछली का सेवन नहीं करना चाहिए। यह सभी विरुद्ध आहार है। इन दोनों चीजों का सेवन साथ में करने से स्किन एलर्जी की समस्या हो जाती है, साथ ही सोरायसिस की समस्या बढ़ जाती है।

स्किन सोरायसिस में क्या नहीं खाना चाहिए?

ज्यादा शुगर, नमक और फैट वाले फूड्स नहीं खाने चाहिए. सोरायसिस को बढ़ाने में नाइटशेड की भूमिका होती है. नाइटशेड पौधों में सोलनिन होता है, जो पाचन को प्रभावित करने के लिए जाना जाता है और यह सूजन का कारण हो सकता है. इससे बचने के लिए टमाटर, आलू, बैंगन और काली मिर्च का सेवन कम से कम करना चाहिए.

सिरोसिस किसकी कमी से होता है?

दरअसल, सोराइसिस रोग तभी होता है जब रोग प्रतिरोधक तंत्र स्वस्थ कोशिकाओं पर हमला करता है. इससे त्वचा की कई कोशिकाएं बढ़ जाती है, जिससे त्वचा पर सूखे और कड़े चकत्ते बन जाते हैं, क्योंकि त्वचा की कोशिकाएं त्वचा की सतह पर बन जाती हैं.

क्या सोरायसिस जड़ से खत्म हो सकता है?

पूरक आहार सोरायसिस के लक्षणों को कम करने में आपकी मदद कर सकते हैं। नेशनल सोरायसिस फाउंडेशन के अनुसार मछली का तेल, विटामिन डी, दूध, एलोवेरा, अंगूर जैसे पूरक आहार लेने से सोरायसिस को जड़ से खत्म किया जा सकता है।