खानपान की मिश्रित संस्कृति से लेखक का क्या मतलब है 2? - khaanapaan kee mishrit sanskrti se lekhak ka kya matalab hai 2?

खानपान की मिश्रित संस्कृति से लेखक का क्या मतलब है? अपने घर के उदाहरण देकर इसकी व्याख्या करें?

यहाँ मिश्रित संस्कृति से लेखक का तात्पर्य विभिन्न प्रांतो व देशों के व्यंजनों के अलग-अलग प्रकारो का मिला जुला रूप है। उदाहरण के लिए आज एक ही घर में हमें दक्षिण भारतीय, उत्तर भारतीय व विदेशी व्यंजनों का मिश्रित रूप खाने में मिल जाता है। जैसे - कभी ब्रेड तो कभी पराठे, कभी सांभर-डोसा तो कभी राजमा जैसे व्यंजन।यह खान पान की मिश्रित संस्कृति का रूप है।

Concept: गद्य (Prose) (Class 7)

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खानपान की मिश्रित संस्कृति से लेखक का क्या मतलब है?

खानपान की मिश्रित या विविध संस्कृति हमें कुछ चीजें चुनने का अवसर देती है, हम उसका लाभ प्रायः नहीं उठा रहे हैं।

II खानपान की मिश्रित संस्कृति से लेखक का क्या मतलब है अपने घर केउदाहरण देकर इसकी व्याख्या करें?

अपने घर के उदाहरण देकर इसकी व्याख्या करें। उत्तर:- खानपान की मिश्रित संस्कृति से लेखक का तात्पर्य सभी प्रदेशों के खान-पान के मिश्रित रूप से है। यहाँ पर लेखक यह कहना चाहते हैं कि आज एक ही घर में हमें कई प्रान्तों के खाने देखने के लिए मिल जाते हैं।

खानपान के मामले में स्थानीयता का क्या अर्थ है 2 अंक?

Answer : खानपान के मामले में स्थानीयता का अर्थ है कि वे व्यंजन जो स्थानीय आधार पर बनते थे। जैसे मुम्बई की पाव-भाजी, दिल्ली के छोले-कुलचे, मथुरा के पेड़े व आगरे के पेठे-नमकीन तो कहीं किसी प्रदेश की जलेबियाँ, पूड़ी और कचौड़ी आदि स्थानीय व्यंजनों का अत्यधिक चलन था और अपना अलग महत्त्व भी था।

खानपान की मिश्रित संस्कृति से क्या फायदे हैं?

उत्तर : खानपान में बदलाव के कई फायदे हैं जैसे हमारी खाने में रूचि बनी रहती है, देश-विदेश के व्यंजन पता चलते हैं, इससे भारत की राष्ट्रीय एकता भी बनी रहती है। साथ ही इससे जल्दी बनने वाले खानों का उपलब्ध होने लगी हैं जिससे समय की भी बचत होती है। हम अपने स्वास्थ्य और स्वाद के अनुसार भी भोजन का चयन कर सकते हैं