खर दूषण रावण के क्या लगते थे? - khar dooshan raavan ke kya lagate the?

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रायपुर. छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले में एक ऐसी जगह है, जिसे भगवान राम से जोड़ा जाता है। कहते हैं कि वनवास के दौरान भगवान राम ने इसी जगह खर-दूषण नाम के राक्षसों का वध किया था। खर-दूषण, लंका के राजा रावण का भाई था। इसी जगह भगवान शिव का एक ऐसा अद्भुत मंदिर भी है, जहां उनकी पूजा 'दूल्हे' के रूप में होती है। जांजगीर-चांपा जिले में ये जगह खरोद के नाम से मशहूर है। ये एक छोटा कस्बा है।

अंग्रेज इतिहासकार कनिंघम ने भी किया है जिक्र
प्रसिद्ध इतिहासकार कनिंघम ने भी 1873-74 में इस जगह की यात्रा की थी। उन्होंने अपने लिखे में इस जगह के इतिहास की चर्चा की है। कनिंघम ने माना है कि इस जगह का 'खरोद' नाम संभवत: खर और दूषण से प्रेरित है। गौर हो कि स्थानीय परंपरा के मुताबिक़, रामायण काल में रावण के भाई खर और दूषण इसी क्षेत्र में रहते थे। यहां के तुरतुरिया में उनका एक और भाई, जबल रहता था। रामायण की कथा में राम और खर-दूषण के बीच के जिस लड़ाई का जिक्र हुआ है, वह इसी जगह पर लड़ी गई। खरोद में एक पुराना पेड़ भी है। इस पर ढेर सारे चमगादड़ रहते हैं। यहां के लोग मानते हैं कि इसी के नीचे भगवान राम ने दोनों राक्षस भाइयों का वध किया था। यहां के लोग शबरी माता, लखनेश्वर जैसे मंदिरों को भी रामायण काल से ही जोड़ते हैं। 7 वीं शताब्दी के कई ऐतिहासिक प्रमाण खरोद की प्राचीनता को तो सिद्ध करते ही हैं।

लेटराइट शिवलिंग
लखनेश्वर मंदिर में अद्भुत लेटराइट (एक तरह की मिट्टी) शिवलिंग है। कहते हैं कि इस लेटराइट शिवलिंग में 1.25 लाख छिद्र हैं। लंका से लौटने के दौरान भगवान लक्ष्मण ने यहां भगवान शिव की पूजा की थी। इस शिवलिंग पर चाहे जितना जल चढ़ाइए, जलस्तर हमेशा एकसमान बना रहता है।

दूल्हादेव के रूप में होती है शिव की पूजा
खरोद को शिवकाशी के रूप में भी जाना जाता है। यहां कई शिवमंदिर है। इन्हीं में भगवान शिव का एक ऐसा अद्भुत मंदिर भी है जहां, भगवान की पूजा 'दूल्हादेव' के रूप में होती है। मान्यता है कि इस मंदिर में अगर लड़कियां दूल्हादेव के रूप में भगवान की पूजा करेंगी तो उन्हें अच्छा वर (दूल्हा) मिलेगा।

खर दूषण रावण के सौतेले भाई थे जो समुंद्र के इस पार रावण की राक्षसी सेना का नेतृत्व करते थे (Khar Dushan In Ramayan)। उनका राज्य दंडकारण्य के वनों में फैला हुआ था जिसकी सीमा कौशल प्रदेश से लगती थी। इन्हीं वनों में भगवान श्रीराम अपने 14 वर्षों के वनवास के दौरान राक्षसों का वध कर रहे थे (Khar Dushan Vadh)। अंत में वे पंचवटी के वनों में आकर रहने लगे जो उनके प्रदेश की सीमा में आता था।

एक दिन इसी वन में सूर्पनखा ने उनको देखा था व दोनों भाइयों के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा था जिसे दोनों ने ठुकरा दिया था। इससे कुपित होकर उसने माता सीता पर आक्रमण कर दिया था जिससे क्रोधित होकर लक्ष्मण ने उसकी नाक काट दी थी (Khar Dushan Ravan Ke Kaun The)। इसके बाद वह रोती हुई अपने भाई खर व दूषण के पास गयी जिसके पश्चात खर दूषण का वध हुआ। आज हम उसी के बारे में जानेंगे।

खर दूषण का श्रीराम के द्वारा वध (Khar Dushan Vadh)

भगवान श्रीराम ने एक बाण से मारा 14 राक्षसों को (Khar Dushan Kaun The)

अपनी बहन का यह अपमान व स्वयं की सीमा में आये शत्रु का यह साहस देखकर खर ने अपने 14 बलवान राक्षसों को श्रीराम व लक्ष्मण का वध करने के लिए भेजा (Khar Dushan Rajya)। तब प्रभु श्रीराम ने अपने एक ही बाण से 14 के 14 राक्षसों का मस्तक धड़ से अलग कर दिया। इसके बाद सूर्पनखा वापस रोती व बिलखती हुई खर-दूषण के पास पहुंची।

श्रीराम ने किया मोहिनी अस्त्र का प्रयोग (Khar Dushan Ram Ki Ladai)

इसके बाद खर दूषण संपूर्ण सेना के साथ श्रीराम से युद्ध करने के लिए निकल पड़े। उनकी संपूर्ण राक्षसी सेना से श्रीराम अकेले युद्ध करने आये थे। अगस्त्य मुनि ने भगवान श्रीराम को उन पर मोहिनी अस्त्र चलाने का आदेश दिया जिससे राक्षसों को एक दूसरे में ही राम दिखने लगे तथा वे आपस में ही माया के जाल में फंसकर मर जाये।

इसके बाद भगवान श्रीराम ने खर दूषण की सेना पर मोहिनी अस्त्र का वार किया (Khar Dushan Ram Yudh Ramayan) जिसके बाद उनकी सेना पागलों की भांति आपस में ही लड़ने लगी। सभी को एक दूसरे में राम ही राम दिखाई दे रहे थे जिस कारण एक-एक करके उनके सभी सैनिक मारे गए।

खर दूषण का वध (Khar Dushan Vadh Ramayan)

जब खर दूषण की पूरी सेना आपस में लड़ कर मर गयी तब उनका भगवान श्रीराम से भीषण युद्ध हुआ। भगवान श्रीराम ने उनके सभी अस्त्रों को विफल कर उनकी माया का अंत किया व दोनों का वध कर डाला। उस युद्ध में खर दूषण का एकमात्र सैनिक अकम्पन बच पाया था जो भागकर रावण की नगरी लंका पहुंचा। उसके व सूर्पनखा के द्वारा ही रावण को सब सूचना दी गयी व खर दूषण के वध (Khar Dushan Rakshas) के बारें में बताया गया।

खर और दूषण, लंका के राजा रावण के सौतेले भाई थे। खर, पुष्पोत्कटा से और दूषण, वाका से ऋषि विश्रवा के पुत्र थे। जबकि रावण की माता का नाम कैकसी था। छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले में एक ऐसी जगह है जो खरौद नाम से प्रसिद्ध है। कहते हैं कि यहीं पर श्रीराम ने खर दूषण का वध किया था। खरौद सबरी तीर्थ शिवरीनारायण से 3 किमी एवं राजधानी रायपुर से लगभग 120 किमी की दूरी पर स्थित है। खरौद नगर में प्राचीन कालीन अनेक मंदिरों की उपस्थिति के कारण इसे छत्तीसगढ़ की काशी भी कहा जाता है। यहां के लक्ष्मणेश्वर महादेव मंदिर की स्थापना भगवान राम ने खर और दूषण के वध के पश्चात भ्राता लक्ष्मण के कहने पर की थी। इसलिए इसे लक्ष्मणेश्वर मंदिर कहा जाता है। 

वायु पुराण के अलावा रामचरित मानस के अरण्यकाण्ड में खर और दूषण के वध की कथा मिलती है। जब लक्ष्मण द्वारा शूर्पणखा की नाक काट दी जाती है तो उसका बदला लेने के लिए पहले खर और फिर बाद में दूषण आता है। दोनों से श्रीराम का भयंकर युद्ध होता है और अंतत: दोनों मारे जाते हैं। खर की सेना की दुर्दशा के विषय में ज्ञात होने पर दूषण भी अपनी अपार सेना को साथ ले कर समर भूमि में कूद पड़ता है किन्तु श्रीराम ने अपने बाणों से उसकी सेना की भी वैसी ही दशा कर दी थी जैसा कि खर की सेना की की थी।

खर-दूषण का वध हो जाने पर खर के एक अकम्पन नामक सैनिक ने, जिसने किसी प्रकार से भागकर अपने प्राण बचा लिये थे, लंका में जाकर रावण को खर की सेना के नष्ट हो जाने की सूचना दी। रावण के समक्ष जाकर वह हाथ जोड़ कर बोला, 'हे लंकेश! दण्डकारण्य स्थित आपके जनस्थान में रहने वाले आपके भाई खर और दूषण तथा उनके चौदह सहस्त्र सैनिकों का वध हो चुका है। किसी प्रकार से अपने प्राण बचाकर मैं आपको सूचना देने के लिए आया हूं।'

यह सुन कर रावण ने कहा, 'कौन है जिसने मेरे भाइयों का सेना सहित वध किया है? मैं अभी उसे नष्ट कर दूंगा। तुम मुझे पूरा वृत्तान्त बताओ।' अकम्पन ने कहा, 'हे लंकापति! अयोध्या के राजकुमार राम ने अपने पराक्रम से अकेले ही सभी राक्षस वीरों को मृत्यु के घाट उतार दिया।' इस समाचार को सुनकर रावण को आश्चर्य हुआ और उसने पूछा, 'खर को मारने के लिए क्या देवताओं ने राम की सहायता की है?'

अकम्पन ने उत्तर दिया, 'नहीं प्रभो! देवताओं से राम को किसी प्रकार की सहायता नहीं मिली है, ऐसा उसने अकेले ही किया है।' यह सुनकर रावण घोर आश्चर्य और चिंता में मग्न हो गया।

खर दूषण किसका भाई था?

खर-दूषण, लंका के राजा रावण का भाई था। इसी जगह भगवान शिव का एक ऐसा अद्भुत मंदिर भी है, जहां उनकी पूजा 'दूल्हे' के रूप में होती है।

खर और दूषण कौन थे उनका वध कैसे हुआ?

खर-दूषण महाबलशाली राक्षस थे जो दण्डक वन में निवास करते थे। ये दोनों रावण के सौतेले भाई भी थे। महाकाव्य रामायण के अनुसार श्रीराम ने अपने वनवास काल के दौरान इन दोनों का सेना सहित वध किया था।

खर की माता का क्या नाम था?

खर और दूषण, लंका के राजा रावण के सौतेले भाई थे। खर, पुष्पोत्कटा से और दूषण, वाका से ऋषि विश्रवा के पुत्र थे। जबकि रावण की माता का नाम कैकसी था। छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले में एक ऐसी जगह है जो खरौद नाम से प्रसिद्ध है।

खर दूषण के कितने पुत्र थे?

रावण के भानजे तथा खरदूषण के बेटों के नाम 'शंबूक' तथा 'सुंद' थे