Show ल्हादू कौन था? उसकी भूमिका क्या थी?ल्हादू पर्वतारोही दल का महत्त्वपूर्ण सहायक था। वह नाइलॉन की रस्सी लेकर साथ साथ चला। उसी ने रस्सी के सहारे चलने का प्रबन्ध किया। इसलिए लंबे समय तक बर्फ में रहने के कारण उस के पांव ठंडे पड़ जाते थे। फिर भी वह ऑक्सीजन लगाकर यात्रा नहीं करता था। वह दिन-ही-दिन में यात्रा करके वापस आना ठीक समझता था। वह कर्मठ और विश्वस्त पर्वतारोही था। 193 Views एवेरेस्ट : मेरी शिखर की यात्रा - बचेंद्री पालHope you found this question and answer to be good. Find many more questions on एवेरेस्ट : मेरी शिखर की यात्रा - बचेंद्री पाल with answers for your assignments and practice. स्पर्श भाग १Browse through more topics from स्पर्श भाग १ for questions and snapshot. ल्हादू कौन था? उसकी भूमिका क्या थी? ल्हादू पर्वतारोही दल का महत्त्वपूर्ण सहायक था। वह नाइलॉन की रस्सी लेकर साथ साथ चला। उसी ने रस्सी के सहारे चलने का प्रबन्ध किया। इसलिए लंबे समय तक बर्फ में रहने के कारण उस के पांव ठंडे पड़ जाते थे। फिर भी वह ऑक्सीजन लगाकर यात्रा नहीं करता था। वह दिन-ही-दिन में यात्रा करके वापस आना ठीक समझता था। वह कर्मठ और विश्वस्त पर्वतारोही था। 193 Views निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में लिखिए- अग्रिम दल का नेतृत्व उपनेता प्रेमचन्द कर रहे थे। 473 Views निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में लिखिए- सागरमाथा शब्द से तात्पर्य है ‘सागर के माथे के समान’ तथा एवरेस्ट को सागरमाथा के नाम से जाना जाता है। यह एक स्थानीय नाम था। इसलिए लेखिका को यह नाम पसंद आया। एवरेस्ट को नेपाली भाषा में सागरमाथा नाम से जाना जाता है। 368 Views इस पाठ में प्रयुक्त निम्नलिखित शब्दों की व्याख्या पाठ का सदंर्भ देकर कीजिए: निहारा है-प्रसन्नतापूर्वक देखा है। 205 Views (ख) निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए- एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए कुल सात कैंप लगाए गए थे। 329 Views निम्नलिखित
प्रशनों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में लिखिए- एवरेस्ट की तरफ गौर से देखते हुए लेखिका को एक भारी बर्फ़ का फूल दिखा जो पर्वत शिखर पर लहराता एक ध्वज-सा लग रहा था। 258 Views These Solutions are part of NCERT Solutions for Class 9 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 3 एवरेस्ट : मेरी शिखर यात्रा. प्रश्न-अभ्यास (पाठ्यपुस्तक से) मौखिक
लिखित 1. नजदीक से एवरेस्ट को देखकर लेखिका को इतना अच्छा लगा कि वह भौचक्की होकर देखती रही। उसने बेस-कैंप पहुँचने पर दूसरे दिन एवरेस्ट और उसकी अन्य श्रेणियों को देखा। वह इसके सौंदर्य को देखकर प्रभावित हुई। ल्होत्से और नुत्से की ऊँचाइयों से घिरी बर्फीली टेढ़ी-मेढ़ी नदी को निहारती रही। 2. डॉ. मीनू मेहता ने उन्हें निम्न जानकारियाँ दीं
3. तेनजिंग ने लेखिका की तारीफ में कहा कि वह एक पक्की पर्वतीय लड़की है। उसे तो शिखर पर पहले ही प्रयास में
पहुँच जाना चाहिए। कठिन रोमांचक कार्य करना उनका शौक था। ऐसा लगता था कि जैसे पर्वतीय स्थानों की जानकारी उन्हें पहले से ही हो। यद्यपि एवरेस्ट का उनका पहला अभियान था। तेनजिंग का उनके कंधे पर हाथ रखकर प्रोत्साहन 4. लेखिका को लोपसांग, तशारिंग, एन.डी. शेरपा और आठ अन्य शरीर से मजबूत और ऊँचाइयों में रहनेवाले शेरपाओं के साथ चढ़ाई करनी थी। जय और मीनू उससे बहुत पीछे रह गए थे जबकि वह साउथ कोल कैंप पहुँच गई थी। बाद में वे भी आ गए थे। अगले दिन सुबह 6.20 पर वह अंगदोरजी के साथ चढ़ाई के लिए निकल पड़ी जबकि अन्य कोई भी व्यक्ति उस समय उसके साथ चलने के लिए तैयार नहीं था। अन्य पर्वतारोहियों के साथ चढ़ते हुए खतरों से जूझना उनकी आदत हो गई थी। 5. जब लेखिको गहरी नींद में सो रही थी तभी सिर के पिछले हिस्से से कोई चीज़ टकराई और उसकी नींद खुल गई। कैंप के ठीक ऊपर ल्होत्से ग्लेशियर से बर्फ का पिंड गिरा था जिसने कैंप को तहस-नहस कर दिया था। लोपसांग ने अपनी स्विस छुरी से तंबू का रास्ता साफ किया और लेखिका के पास से बड़े-बड़े हिमखंडों को हटाया और चारों तरफ फैली हुई कठोर बर्फ की खुदाई की। तब जाकर बाहर निकलने का रास्ता साफ हो सका। यदि थोड़ी-सी भी देर हो जाती तो उसका सीधा अर्थ था-मृत्यु। 6. साउथ कोल कैंप पहुँचकर लेखिका ने अगले दिन की महत्त्वपूर्ण चढ़ाई की तैयारी के लिए खाना, कुकिंग गैस तथा कुछ ऑक्सीजन सिलिण्डर इकट्ठे किए। इसके बाद लेखिका अपने दल के दूसरे साथियों की सहायता के लिए एक थरमस में जूस और दूसरे में चाय भरने के लिए नीचे उतर गई। प्रश्न (ख) 2. बर्फ के खंडों का अव्यवस्थित ढंग से गिरना ही हिमपात बनाता है। हिमपात अनियमित और अनिश्चित होता है। इससे अनेक प्रकार के परिवर्तन आते रहते हैं। ग्लेशियर के ढहने से अकसर बर्फ में हलचल हो जाती है। इससे बड़ी-बड़ी बर्फ की चट्टानें तुरंत गिर जाती हैं और खतरनाक स्थिति उत्पन्न हो जाती है। धरातल पर दरारें पड़ जाती हैं। ये दरारें अकसर गहरी-गहरी चौड़ी दरारों का रूप धारण कर लेती हैं। इस प्रकार पर्वतारोहियों की कठिनाइयाँ बहुत अधिक बढ़ जाती हैं। 3. लेखिका गहरी नींद में सोई थी कि रात में 12.30 बजे के लगभग सिर के पिछले हिस्से से किसी सख्त चीज के टकराने से नींद खुल गई। साथ ही एक जोरदार धमाका भी हुआ। साँसें लेने में कठिनाई होने लगी। एक लंबा बर्फ का पिंड कैंप के ठीक ऊपर ल्होत्से ग्लेशियर से टूटकर नीचे आ गिरा था। उसका विशाल हिमपुंज बन गया था। हिमखंडों, बर्फ के टुकड़ों तथा जमी हुई बर्फ के इस विशालकाय पुंज ने, एक एक्सप्रेस रेलगाड़ी की तेज गति और भीषण गर्जना को भी पीछे छोड़ दिया। कैप नष्ट हो गया था। वास्तव में हर व्यक्ति को चोट लगी। यह एक आश्चर्य था कि किसी की मृत्यु नहीं हुई थी। 4. जय लेखिका का पर्वतारोही साथी था। उसको भी लेखिका के साथ पर्वत शिखर पर जाना था। शिखर कैंप पर पहुँचने में उसे देरी हो गई थी। वह सामान ढोने के कारण पीछे रह गया था। इसलिए बचेंद्री उसके लिए चाय-जूस आदि लेकर उसे रास्ते में लिवाने पहुँची। बर्फीली हवाएँ चल रहीं थीं और नीचे जाना खतरनाक था। लेखिका को जय जेनेवा स्पर की चोटी के ठीक नीचे मिला। उसने कृतज्ञतापूर्वक चाय वगैरह पी और लेखिका को आगे जाने से रोका। लेखिका को ‘की’ से मिलना था। थोड़ा सा आगे नीचे उतरने पर लेखिका ने ‘की’ को देखा। वह लेखिका को देखकर हक्का-बक्का रह गया। 5. एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए कुल सात कैंप लगाए गए थे
6. चढ़ाई के समय ऐवरेस्ट पर जमी बर्फ सीधी और ढलाऊ थी। चट्टानें इतनी भुरभुरी थीं मानो शीशे की चादरें बिछी हों। बर्फ़ काटने के लिए फावड़े का प्रयोग करना पड़ा। दक्षिण शिखर के ऊपर हवा की गति बढ़ गई थी। उस ऊँचाई पर तेज हवा के झोंके झुरझुरी बर्फ के कणों को चारों ओर उड़ा रहे थे। बर्फ़ इतनी अधिक थी कि सामने कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। पर्वत की शंकु चोटी इतनी तंग थी कि दो आदमी वहाँ खड़े नहीं हो सकते थे। ढलान सुरक्षा की दृष्टि से खतरनाक थी। वहाँ अपने-आप को स्थिर खड़ा करना बहुत कठिन है इसलिए उन्होंने फावड़े से बर्फ़ को तोड़कर अपने टिकने योग्य स्थान बनाया। 7. लेखिका के व्यवहार से सहयोग और सहायता का परिचय तब मिलता है जब उसने अपने दल के दूसरे सदस्यों की मदद करने का निश्चय किया। इसके लिए उसने एक थरमस को जूस से तथा दूसरे को गरम चाय से भरकर बर्फीली हवा में तंबू से बाहर निकली और नीचे उतरने लगी। जय ने उसके इस प्रयास को खतरनाक बताया तो बचेंद्री ने जवाब दिया “मैं भी औरों की तरह पर्वतारोही हूँ, इसलिए इस दल में आई हूँ। शारीरिक रूप से ठीक हूँ। इसलिए मुझे अपने दल के सदस्यों की मदद क्यों नहीं करनी चाहिए?” यह भावना उसकी सहयोगी प्रवृत्ति को दर्शाती है। प्रश्न (ग) 2. आशय-हिमपात का अव्यवस्थित ढंग से गिरना स्वयं में डरावना था। धरातल में दरार पड़ने का विचार और हिमपात तथा ग्लेशियर के बहने से बड़ी-बड़ी बर्फ की चट्टानों के गिरने की बात सुनकर लेखिका का भयभीत होना स्वाभाविक था। बड़ी-बड़ी बर्फ की चट्टानों के गिरने से कई बार धरातल पर ये दरारें बहुत गहरी और चौड़ी बर्फ से ढकी हुई गुफाओं में बदल जाती थीं, जिनमें धंसकर मनुष्य का जीवित रहना संभव नहीं था। इससे भी ज्यादा भयानक इस बात की जानकारी थी कि इनके सारे अभियान में यह हिमपात लगभग एक दर्जन पर्वतारोहियों और कुलियों का प्रतिदिन प्रभावित करता रहेगा। उन्हें इसका सामना करना पड़ेगा। 3. आशय-लेखिका एवरेस्ट शंकुनुमा चोटी पर पहुँचनेवाली प्रथम महिला थी। वह अपने साहस और हिम्मत से अपनी निर्धारित मंजिल तक पहुँच गई थी। वहाँ दो व्यक्तियों का इकट्ठे खड़े होना असंभव था। बर्फ़ के फावड़े से खुदाई करके उन्होंने अपने आपको सुरक्षित कर लिया और घुटनों के बल बैठकर सागरमाथा के ताज को चूम लिया। पूजा-अर्चना करते हुए लेखिका ने लाल कपड़े में दुर्गा माँ का चित्र और हनुमान चालीसा लपेटी। बर्फ में उसे दबाया व माता-पिता का स्मरण करने लगी। यह लेखिका के लिए अत्यंत गौरव का क्षण था। उन्हें आज भी एवरेस्ट पर चढ़नेवाली प्रथम भारतीय महिला के रूप में पहचाना जाता है। भाषा-अध्ययन प्रश्न 1. प्रश्न 2.
प्रश्न 3. प्रश्न 4. उत्तर प्रश्न 5. प्रश्न 6. योग्यता-विस्तार प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. Hope given NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 3 are helpful to complete your homework. If you have any doubts, please comment below. NCERT-Solutions.com try to provide online tutoring for you. ल्हाटू कौन था और उसने लेखिका की सहायता किस प्रकार की?ल्हादू पर्वतारोही दल का महत्त्वपूर्ण सहायक था। वह नाइलॉन की रस्सी लेकर साथ साथ चला। उसी ने रस्सी के सहारे चलने का प्रबन्ध किया। लोपसांग ने तंबू का रास्ता साफ करने के लिए स्विस नाइफ से काटना शुरु किया।
ल्हाटू ने रस्सी क्यों पकड़ी हुई थी?उसने रस्सी अपनी सुरक्षा की बजाय हमारे संतुलन के लिए पकड़ी हुई थी । ल्हाटू ने ध्यान दिया कि मैं इन ऊँचाइयों के लिए सामान्यतः आवश्यक, चार लीटर ऑक्सीजन की अपेक्षा, लगभग ढाई लीटर ऑक्सीजन प्रति मिनट की दर से लेकर चढ़ रही थी।
एवरेस्ट की चोटी पर पहुँच कर बछेंद्री पाल ने क्या किया?NCERT Solutions for Class Hindi CBSE Chapter 3: Bachendri Pal | TopperLearning.
रज्जु नेता का क्या आशय है?अर्थात राजू हमारा नेता था या राजू हमारा प्रमुख था।
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