Bal Ram Katha Class 6 Questions and Answers Summary Chapter 9 राम और सुग्रीवCBSE Class 6 / By Prasanna Show
These NCERT Solutions for Class 6 Hindi Vasant & Bal Ram Katha Class 6 Questions and Answers Summary Chapter 9 राम और सुग्रीव are prepared by our highly skilled subject experts. Class 6 Hindi Bal Ram Katha Chapter 9 Question Answers Summary राम और सुग्रीवBal Ram Katha Class 6 Question Answers Chapter 9 प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न 10. प्रश्न 11. Bal Ram Katha Class 6 Chapter 9 Summary राम और लक्ष्मण सुग्रीव से मिलने ऋष्यमूक पर्वत की ओर चल पड़े। सुग्रीव ऋष्यमूक में निर्वासित होकर दिन बिता रहा था। सुग्रीव किष्किंधा के वानरराज के छोटे पुत्र थे। पिता के न रहने पर बाली राजा बना। पहले बाली और सुग्रीव में बहुत प्यार था, परन्तु बाद में किसी बात को लेकर मन-मुटाव हो गया। बाली के डर के कारण ही सुग्रीव यहाँ रहने लगा था। एक दिन सुग्रीव ने राम-लक्ष्मण को ऋष्यमूक पर्वत की ओर आते देखा तो उसको लगा कि ये बाली के दूत हैं। हमें इस स्थान को छोड़ देना चाहिए। सुग्रीव के प्रमुख साथी हनुमान ने कहा कि मैं पता लगाता हूँ कि ये कौन हैं? हनुमान वेश बदलकर गए और उन्होंने पाया कि ये राम हैं जो सुग्रीव से मित्रता करना चाहते हैं। सुग्रीव से मिलवाने के लिए हनुमान राम और लक्ष्मण को कंधे पर बैठाकर ऋष्यमूक पर्वत पहुँच गए। अग्नि को साक्षी मानकर दोनों ने मित्रता निभाने की कसम खाई। राम ने सुग्रीव से कहा कि तुम बाली को युद्ध के लिए ललकारो। मैं तुम्हारी सहायता करूँगा। सुग्रीव के ललकारने पर दोनों भाइयों का युद्ध हुआ, परन्तु दोनों भाइयों को दूर से पहचानना मुश्किल था। सुग्रीव बाली से बुरी तरह पिटकर आए और राम पर कुपित होने लगे। राम ने कहा-“मित्र! आप पुनः बाली को युद्ध के लिए ललकारो। अबकी बार मुझसे भूल नहीं होगी। सुग्रीव ने बाली को एक बार फिर ललकारा। दोनों भाइयों का युद्ध हुआ। जैसे ही बाली ने सुग्रीव की ओर घूसा उठाया, राम ने उस पर बाण चला दिया। बाली की मृत्यु के बाद सुग्रीव का राज्याभिषेक किया गया तथा अंगद को युवराज बनाया गया। राम किष्किंधा से लौट आए। वर्षा के कारण आगे जाना कठिन था। सुग्रीव राजभवन में जाकर रंग-रलियों में लीन हो गए। लगता था कि सुग्रीव अपना वचन भूल गए हैं। राम सुग्रीव के इस व्यवहार से क्षुब्ध थे। राम के कहने से लक्ष्मण सुग्रीव को समझाने किष्किंधा की ओर चले। लक्ष्मण ने वहाँ पहुँचकर धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाई और डोरी को खींचा। धनुष की टँकार से सुग्रीव काँप गया और उसको अपना वचन याद आ गया। राम के पास जाने से पूर्व सुग्रीव ने हनुमान को वानर सेना एकत्र करने का निर्देश दिया। राम और सुग्रीव बात कर ही रहे थे कि वानर सेना भी वहाँ पहुँच गई। सीता की खोज के लिए चार दल बनाए गए। अंगद को दक्षिण दिशा की ओर जाने वाले दल का नेता बनाया गया। उस दल में हुनमान, नल और नील भी थे। राम और सुग्रीव की जय-जयकार करते हुए वानर निर्धारित दिशाओं की ओर चल पड़े। राम ने हनुमान को अपने पास बुलाकर एक अंगूठी देते हुए कहा कि जब तुम्हारी भेंट सीता से हो तो तुम यह अँगूठी उसे दे देना। सीता पहचान जाएगी कि तुम मेरे दूत हो। दक्षिण दिशा की ओर जाने वाली टोली समुद्र के किनारे पहुँच गई। समुद्र को देखकर सभी चिंता में पड़ गए कि अब आगे कैसे जाया जाए। तभी उनको संपाति मिला जिसने बताया कि सीता लंका में है। समुद्र पार करना कोई आसान काम न था। तभी उनमें सबसे बुद्धिमान जामवंत ने सुझाव दिया कि हनुमान यह कार्य कर सकते हैं। जामवंत ने हनुमान की सोई हुई शक्ति को जगा दिया। हनुमान लंका जाने को तैयार हो गए। Bal Ram Katha Class 6 Questions and Answers Summary Chapter 8 सीता की खोजCBSE Class 6 / By Prasanna These NCERT Solutions for Class 6 Hindi Vasant & Bal Ram Katha Class 6 Questions and Answers Summary Chapter 8 सीता की खोज are prepared by our highly skilled subject experts. Class 6 Hindi Bal Ram Katha Chapter 8 Question Answers Summary सीता की खोजBal Ram Katha Class 6 Question Answers Chapter 8 प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. जटायु ने राम से कहा, “सीता को रावण उठा ले गया है। वह उसे दक्षिण-पश्चिम दिशा की ओर ले गया है।” प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न 10. प्रश्न 11. Bal Ram Katha Class 6 Chapter 8 Summary मारीच का वध करने के बाद आशंका से घिरे राम शीघ्रतापूर्वक कुटिया की ओर आ रहे थे। मार्ग में उनको लक्ष्मण आते दिखाई दिए। राम और अधिक आशंकित हो गए। राम ने लक्ष्मण का बायाँ हाथ जोर से पकड़ लिया। दोनों भाइयों को डर ने घेर लिया था। राम ने लक्ष्मण से कहा कि तुमने मेरी आज्ञा का उल्लंघन क्यों किया? तो लक्ष्मण ने कहा कि सीता ने मुझे विवश कर दिया। मैं उनके कटाक्ष और उलाहने नहीं सुन सका। राम ने चलने की गति और बढ़ा दी। राम ने कुटिया के समीप जाकर सीता को पुकारा, परन्तु उधर से कोई उत्तर नहीं आया। राम भागते हुए आश्रम पहुँचे। वे सीते! सीते! पुकारते रहे। उन्होंने सीता को हर जगह देखा। विरह में वे गोदावरी के किनारे गए। राम ने एक-एक चट्टान, पत्थरों से, पेड़-पक्षियों से प्रश्न किया। राम की मानसिक स्थिति विक्षिप्तों जैसी हो गई। राम लक्ष्मण से अयोध्या जाने को कह रहे थे। लक्ष्मण ने उनको समझाते हुए कहा-आप आदर्श पुरुष हैं” आपको धैर्य रखना चाहिए। हम सीता की खोज करेंगे। सीता जहाँ भी होगी उसे ढूँढ़ निकालेंगे। वन में सीता की खोज करते हुए राम ने एक टूटा हुआ रथ, मरा हुआ सारथी व घोड़े देखे। वहाँ पड़ी पुष्पमाला भी वही थी जो सीता के गले में थी। वहीं से थोड़ी दूर पक्षिराज जटायु दिखाई दिए जो लहूलुहान थे। जटायु ने राम को बताया कि सीता को रावण उठाकर ले गया है और उसने ही मेरी यह दशा की है। रावण उन्हें लेकर दक्षिण-पश्चिम दिशा की ओर गया है। यह कहते ही जटायु ने प्राण त्याग दिए। जटायु ने सीता के बारे में महत्त्वपूर्ण सूचना दे दी थी। वे दक्षिण-पश्चिम दिशा की ओर चल पड़े। रास्ते में अनेक प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। रास्ते में उनको कबंध नाम का राक्षस मिला जिसकी गर्दन गिरी हुई थी। राक्षस कबंध ने राम की शक्ति के बारे में सुन रखा था। कबंध ने राम से कहा कि वे उसका अंतिम संस्कार कर दें। कबंध ने राम से कहा-“आप दोनों पंपा सरोवर के निकट ऋष्यमूक पर्वत पर जाएँ और सुग्रीव से मिलें। वह अवश्य सीता को खोज निकालेंगे। कबंध की साँस टूटने लगी थी। उसका अंत निकट था। राम-लक्ष्मण को अपने निकट बुलाते हुए उसने कहा-“पंपा सरोवर के पास मतंग ऋषि का आश्रम है। वहीं उनकी शिष्या शबरी रहती है। आगे जाने से पूर्व शबरी से अवश्य मिल लेना।” यह कहते-कहते कबंध ने अपने प्राण त्याग दिए। राम ने कबंध का अंतिम संस्कार किया और पंपासर की ओर चल पड़े। कबंध की बातों से राम का बहुत ढाढ़स बढ़ा। राम को सुग्रीव की क्षमता और उनकी वानर सेना की शक्ति का पता था। वे जल्दी सुग्रीव तक पहुँचना चाहते थे। ऋष्यमूक पर्वत का रास्ता पंपा सरोवर होकर जाता था। पंपा सरोवर का प्राकृतिक सौंदर्य अद्भुत था। मतंग ऋषि का आश्रम उसी सरोवर के किनारे था। शबरी की कुटिया आश्रम में ही थी। वह बहुत जर्जर शरीर वाली व अधिक आयु वाली थी। वह रोज राम की प्रतीक्षा किया करती थी, क्योंकि ऋषि ने बताया था कि राम एक दिन आश्रम में आयेंगे। राम को आश्रम में देखकर शबरी की खुशी का ठिकाना न रहा। उसने राम की बहत आव-भगत की तथा खाने के लिए मीठे फल दिए। राम ने उससे सीता के संबंध में पूछा तो उसने कहा कि आप सुग्रीव से मित्रता कीजिए, वह आपकी सहायता अवश्य करेगा। अगले दिन राम ऋष्यमूक पर्वत चले गए। अब उनका मन शांत था। Bal Ram Katha Class 6 Questions and Answers Summary Chapter 7 सोने का हिरणCBSE Class 6 / By Prasanna These NCERT Solutions for Class 6 Hindi Vasant & Bal Ram Katha Class 6 Questions and Answers Summary Chapter 7 सोने का हिरण are prepared by our highly skilled subject experts. Class 6 Hindi Bal Ram Katha Chapter 7 Question Answers Summary सोने का हिरणBal Ram Katha Class 6 Question Answers Chapter 7 प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न 10. प्रश्न 11. Bal Ram Katha Class 6 Chapter 7 Summary राम को कुटी से निकलते देखकर मायावी हिरण कुलाचें भरने लगा। वह लुकता-छिपता भागता रहा। इस प्रकार राम को बहुत दूर ले गया। राम ने उसको जिंदा पकड़ना असंभव जान उस पर बाण चलाया। बाण लगते ही वह गिर पड़ा और अपने असली रूप में आ गया। धरती पर पड़े वह करुण आवाज में “हा सीते! हा लक्ष्मण।” कहकर चिल्लाया। बाण का प्रहार गहरा था, अतः जल्दी ही उसके प्राण-पखेरू उड़ गए। रावण एक वृक्ष के पीछे खड़ा होकर अपनी चाल सफल होते देख रहा था। मारीच की पुकार राम ने सुनी तो उन्हें समझते देर नहीं लगी। वे षड्यंत्र का अगला चरण विफल करना चाहते थे। वे जल्दी से कुटिया पर पहुँच जाना चाहते थे। यह मायावी पुकार सीता और लक्ष्मण ने भी सुनी थी। लक्ष्मण तत्काल रहस्य को समझ गए। वे राक्षसों की अगली चाल का सामना करने के लिए तैयार हो गए। सीता वह आवाज सुनकर विचलित हो गई थी। उसने लक्ष्मण को पुकारा कि जल्दी आओ, तुम्हारे भाई किसी भारी संकट में फँस गए हैं। लक्ष्मण ने सीता को समझाते हुए कहा कि राम संकट में नहीं हैं। यह मायावी राक्षसों की चाल है। लक्ष्मण को इस प्रकार शांत देखकर सीता क्रोध से उबल पड़ी। उसे लगा कि लक्ष्मण जानबूझकर राम को अपने रास्ते से हटाना चाहते हैं। उन्होंने लक्ष्मण से कहा कि तुम्हारा मन पवित्र नहीं है। तुम भरत के गुप्तचर हो। सीता की इन बातों का लक्ष्मण को गहरा आघात लगा। लक्ष्मण ने सीता को तरह-तरह से समझाना चाहा, परन्तु वह नहीं मानी। लक्ष्मण राम की खोज में निकल पड़े, तभी वहाँ रावण आ पहुँचा। सीता ने साधु समझकर उसका स्वागत किया। रावण ने अपना परिचय देते हुए कहा कि तुम्हारे लिए मैं स्वयं चलकर आया हूँ। मेरे साथ चलो और सोने की लंका में रहो। सीता क्रोधित होकर बोली-मैं तुम्हारे साथ नहीं जाऊँगी। मैं राम की पत्नी हूँ। शायद तुमको उनकी शक्ति का अनुमान नहीं है। तुम चले जाओ, नहीं तो तुम्हारा सर्वनाश हो जाएगा। रावण ने सीता की बात को अनसुना करके उसे खींचकर रथ में बैठा लिया। सीता रावण से स्वयं को छुड़ाने का प्रयास करती रही। वह स्वयं को असहाय पाकर विलाप करने लगी। मार्ग में वह नदी, पर्वत, पशु-पक्षियों से बताती जा रही थी कि राम को बता दें कि रावण ने उसका हरण कर लिया है। गिद्धराज जटायु ने जब सीता का विलाप सुना तो वह ऊँची उड़ान भरकर रावण के रथ पर झपटा। रावण ने जटायु के पंख काट दिए। जटायु ने रावण का स्थ तोड़ दिया। रावण सीता को अपनी बगल में दबाकर दक्षिण दिशा की ओर उड़ने लगा। सीता को अब अपने बचाव की कोई आशा नहीं थी। उसने अपने आभूषण उतारकर फेंकने शुरू कर दिये ताकि राम को पता चल सके कि सीता किस मार्ग से गई है। रावण ने लंका पहुँचकर सीता को धन-वैभव से प्रभावित करना चाहा। सीता के किसी भी प्रकार न मानने पर रावण ने उस पर राक्षसियों का पहरा बैठा दिया। उसने सीता से कहा कि मैं तुम्हें एक वर्ष का समय देता हूँ। निर्णय तुम्हें करना है। मेरी रानी बनकर लंका में राज करोगी या विलाप करते हुए जीवन बिताओगी। सीता रावण को राम की शक्ति के बारे में बताती रही व तरह-तरह से रावण को धिक्कारती रही। रावण भी सोचने लगा कि खर-दूषण को मारने वाला अवश्य ही शक्तिशाली होगा। रावण ने राम-लक्ष्मण को मारने के लिए अपने सबसे बलशाली राक्षसों को पंचवटी भेजा। रावण ने सीता को अशोक वाटिका में बंदी बना दिया। पहरा कड़ा कर दिया। राक्षसियों को आदेश दिया कि सीता को किसी भी तरह का शारीरिक कष्ट नहीं होना चाहिए। केवल इसके मन को दुख पहुँचाओ और अपमानित करो। रावण के सभी प्रयास विफल गए। वह रो-रोकर दिन काट रही थी। सोने के हिरण ने उन्हें सोने की लंका में पहुँचा दिया था। Bal Ram Katha Class 6 Questions and Answers Summary Chapter 6 दण्डक वन में दस वर्षCBSE Class 6 / By Prasanna These NCERT Solutions for Class 6 Hindi Vasant & Bal Ram Katha Class 6 Questions and Answers Summary Chapter 6 दण्डक वन में दस वर्ष are prepared by our highly skilled subject experts. Class 6 Hindi Bal Ram Katha Chapter 6 Question Answers Summary दण्डक वन में दस वर्षBal Ram Katha Class 6 Question Answers Chapter 6 प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न 10. प्रश्न 11. Bal Ram Katha Class 6 Chapter 6 Summary भरत चित्रकूट से राम की खड़ाऊँ लेकर अयोध्या लौट चुके थे। राम पर्णकुटी के बाहर एक शिलाखंड पर बैठे सोच रहे थे कि अयोध्या यहाँ से चार दिन की दूरी पर है। अतः लोगों का आना-जाना यहाँ लगा ही रहेगा। वे राय माँगेंगे। यह राज-काज में हस्तक्षेप की तरह होगा। राम ने वहाँ से कहीं दूर चले जाने की सोची। तीनों मुनि अत्रि से विदा लेकर दण्डक वन की ओर चल पड़े। यह वन बहुत धना था। इसमें अनेक तपस्वियों के आश्रम थे। राक्षस भी कम नहीं थे। मुनियों ने राम से कहा कि आप राक्षसों से हमारी रक्षा करें। स्थान और आश्रम बदलते हए राम और लक्ष्मण दण्डकारण्य में दस वर्ष तक रहे। राम ने क्षरभंग मुनि के आश्रम में पहुँचकर उनकी राक्षसों से रक्षा की। सुतीक्ष्ण मुनि ने राम को अगस्त्य ऋषि से भेंट करने की सलाह दी। अगस्त्य विंध्याचल पार करने वाले पहले ऋषि थे। पंचवटी के मार्ग में राम को जटायु नाम का एक विशालकाय पक्षी मिला। उसने कहा-मैं तुम्हारे पिता का मित्र हूँ। वन में तुम्हारी सहायता करूँगा। पंचवटी में लक्ष्मण ने बहुत ही सुंदर कुटिया बनाई। राम निरंतर राक्षसों का संहार करते रहे। एक दिन राम-लक्ष्मण और सीता कुटिया के बाहर बैठे वहाँ के प्राकृतिक सौंदर्य को निहार रहे थे, तभी रावण की बहिन शूर्पणखा वहाँ आई। राम को देखकर वह उन पर आसक्त हो गई। एक सुंदर स्त्री का रूप धारण करके वह राम के पास आकर बोली कि मैं तुमसे विवाह करना चाहती हूँ। राम ने बता दिया कि उनका विवाह हो चुका है। इसके बाद वह लक्ष्मण के पास गई। लक्ष्मण ने उसको पुनः राम के पास भेज दिया। यह खेल कई बार हुआ तो क्रोध में आकर शूर्पणखा ने सीता पर झपट्टा मारा। लक्ष्मण ने तत्काल उठकर शूर्पणखा के नाक कान काट लिए। शूर्पणखा अपने कटे नाक-कान लेकर अपने चचेरे भाइयों खर, दूषण के पास गई, जो उसी वन में रहते थे। वे बदला लेने के लिए पंचवटी में राक्षसी सेना के साथ आए। राम ने उन सबका संहार कर दिया। कुछ राक्षस भाग गए। भागने वालों में एक राक्षस का नाम था-अकंपन। उसने सीधे रावण के पास जाकर पूरा वृत्तांत सुनाया। उसने कहा-राम को युद्ध में पराजित करना असंभव है। उससे बदला लेने का एक ही उपाय है सीता का अपहरण कर लिया जाए। वह स्वयं ही मर जाएगा। सीता के हरण के लिए रावण ने अपने मामा मारीच से भेंट की। मारीच ने ऐसा करने से मना किया, क्योंकि ऐसा करना विनाश को निमंत्रण देने के समान था। थोड़ी देर बाद विलाप करती हुई शूर्पणखा लंका पहुँची। वह रावण को धिक्कार रही थी। उसने कहा कि सीता अतीव सुंदरी है। मैं तो उसे तुम्हारे लिए लाना चाहती थी। क्रोध में लक्ष्मण ने मेरे नाक-कान काट लिए। इस बार रावण पुनः मारीच के पास गया और डाँट-डपटकर सीता-हरण के लिए राजी कर लिया। मारीच जानता था कि यदि वह दोबारा राम के पास गया तो अवश्य ही मारा जाएगा। रावण ने मारीच के मन की बात भाँपते हुए कहा कि वहाँ जाने पर हो सकता है राम तुम्हें मार दे, परन्तु यदि तू न गया तो मेरे हाथों मारा जाएगा। मारीच को रावण का आदेश मानना ही पड़ा। रथ में बैठकर रावण और मारीच पंचवटी पहुँचे। मारीच सोने का हिरण बनकर कुटिया के आसपास घूमने लगा। रावण तपस्वी का वेश धारण कर एक पेड़ के पीछे छिप गया। सीता ने जब हिरण को देखा तो वह उस पर मुग्ध हो गई। राम को इस वन में सोने का हिरण होने पर संदेह था। सीता उनके सामने उस हिरण को मारकर लाने का आग्रह करने लगी। सीता की प्रसन्नता के लिए राम हिरण के पीछे चले गए। कुटी से निकलते समय राम ने लक्ष्मण को बुलाकर सीता की रक्षा का आदेश दिया। लक्ष्मण सीता की रक्षा के लिए धनुष लेकर कुटिया के बाहर खड़े हो गए। Bal Ram Katha Class 6 Questions and Answers Summary Chapter 5 चित्रकूट में भरतCBSE Class 6 / By Prasanna These NCERT Solutions for Class 6 Hindi Vasant & Bal Ram Katha Class 6 Questions and Answers Summary Chapter 5 चित्रकूट में भरत are prepared by our highly skilled subject experts. Class 6 Hindi Bal Ram Katha Chapter 5 Question Answers Summary चित्रकूट में भरतBal Ram Katha Class 6 Question Answers Chapter 5 प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न 10. प्रश्न 11. प्रश्न 12. Bal Ram Katha Class 6 Chapter 5 Summary भरत अपनी ननिहाल में थे। उन्होंने एक विचित्र स्वप्न देखा कि समुद्र सूख गया है। चंद्रमा धरती पर गिर पड़ा है। वृक्ष भी सूख गए हैं। वे रथ पर बैठे हैं, जिसे गधे खींच रहे हैं। भरत अपने मित्रों से स्वप्न का वर्णन कर ही रहे थे, तभी अयोध्या से एक घुड़सवार वहाँ पहुँचा। भरत को तुरन्त अयोध्या बुलाया गया था। भरत को कैकेयराज ने विशाल सेना के साथ विदा किया। वे आठ दिन बाद अयोध्या पहुँचे। अयोध्या को देखकर उनका मन शंकित हो गया। सब कुछ सूना-सूना लग रहा था। भरत राजभवन पहुंचे तो कैकेयी ने उन्हें गले लगाते हुए महाराज के निधन का संदेश दिया। भरत यह सुनकर शोक में डूब गए। भरत तुरंत राम के पास जाना चाहते थे। कैकेयी ने बताया कि राम को महाराज ने चौदह वर्ष का वनवास दे दिया है। लक्ष्मण और सीता भी उनके साथ गए हैं। कैकेयी ने दोनों वरदान की पूरी कथा भरत को सुनाई और कहा-अयोध्या का निष्कंटक राज्य अब तुम्हारा है। भरत ने चीखते हुए कहा-तुमने घोर अपराध किया है। वन राम को नहीं, तुम्हें जाना चाहिए था। मुझको यह राज्य नहीं चाहिए, तभी सभासद भी वहाँ आ गए। भरत ने कहा कि माँ के अपराध में मेरा कोई हाथ नहीं है। मैं राम के पास जाऊँगा और उनको मनाकर लाऊँगा। भरत स्वयं पर नियंत्रण नहीं रख सके। वे मूर्छित होकर गिर पड़े। वे कौशल्या के पैरों पर गिरकर रोने लगे। कौशल्या ने भरत से कहा-पुत्र! तुम राज करो, पर मुझ पर एक दया करो कि मुझे राम के पास भिजवा दो। भरत ने कहा-माता! मैं राम का अहित कभी नहीं सोच सकता। कौशल्या ने भरत को क्षमा कर दिया। सुबह तक शत्रुघ्न को पता चल गया कि कैकेयी के कान किसने भरे हैं। वे मंथरा को बालों से पकड़कर खींचते हुए भरत के पास लाए। भरत ने बीच-बचाव करके मंथरा को छुड़वा दिया। मुनि वशिष्ठ अयोध्या की गद्दी को खाली नहीं रहने देना चाहते थे। उन्होंने भरत से गद्दी संभालने के लिए कहा। भरत ने वशिष्ठ के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। उसने कहा-हम वन जायेंगे और राम को वापिस लायेंगे। भरत गुरु वशिष्ठ और अन्य नगरवासियों के साथ वन की ओर चल पड़े। भरत के साथ विशाल सेना भी थी। भरत को राम के चित्रकूट आने की सूचना मिल गई थी। निषादराज विशाल सेना को देखकर कुछ शंकित से हुए। सही स्थिति का पता चलने पर उन्होंने भरत की अगवानी की। आगे घने जंगल में राम पर्णकुटी बनाकर लक्ष्मण और सीता के साथ रह रहे थे। लक्ष्मण ने देखा कि विशाल सेना चली आ रही है। सेना का ध्वज पहचानकर लक्ष्मण ने राम से कहा कि भरत हमें मारने के लिए आ रहा है। राम ने लक्ष्मण को समझाया कि वह हमसे मिलने आया होगा। लक्ष्मण राम की बात मान गए। भरत अपनी सेना को पहाड़ी से नीचे रोककर शत्रुघ्न को साथ लेकर नंगे पाँव ऊपर चढ़े। राम एक शिला पर बैठे हुए थे। भरत दौड़कर राम के चरणों में गिर पड़े। भरत पिता की मृत्यु का समाचार देने का साहस नहीं जुटा पा रहे थे। बड़ी कठिनाई से उन्होंने यह समाचार राम को दिया। राम शोक में डूब गए। राम पहाड़ी से उतरकर गुरुजनों व माताओं से मिलने नीचे उतरे। राम ने सहज भाव से कैकेयी को प्रणाम किया। कैकेयी मन ही मन पश्चाताप कर रही थी। अगले दिन भरत ने राम से अयोध्या लौटने का आग्रह किया। राम ने कहा-पिता की आज्ञा का पालन अनिवार्य है। पिता की मृत्यु के बाद मैं उनका वचन नहीं तोड़ सकता। इस समय यही उचित है कि तुम राज-काज संभालो, यह पिता की आज्ञा है। मुनि वशिष्ठ भी बार-बार राम से लौटने का अनुरोध कह रहे थे। वे कह रहे थे-रघुकुल की परंपरा में राजा ज्येष्ठ पुत्र ही होता है। राम ने दृढ़ता पूर्वक उनके अनुरोध को अस्वीकार कर दिया। राम जब किसी भी तरह लौटने को तैयार नहीं हुए तो भरत ने कहा कि मैं भी खाली हाथ नहीं जाऊँगा। आप मुझे अपनी खड़ाऊँ दे दें। चौदह वर्ष उन्हीं की आज्ञा से राज-काज चलाऊँगा। भरत का यह आग्रह राम ने स्वीकार कर लिया। भरत राम की चरण-पादुकाएँ लेकर अयोध्या लौटे। उन पादुकाओं का पूजन किया गया और उनको गद्दी पर स्थापित कर दिया। Bal Ram Katha Class 6 Questions and Answers Summary Chapter 4 राम का वन-गमनCBSE Class 6 / By Prasanna These NCERT Solutions for Class 6 Hindi Vasant & Bal Ram Katha Class 6 Questions and Answers Summary Chapter 4 राम का वन-गमन are prepared by our highly skilled subject experts. Class 6 Hindi Bal Ram Katha Chapter 4 Question Answers Summary राम का वन-गमनBal Ram Katha Class 6 Question Answers Chapter 4 प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न 10. प्रश्न 11. Bal Ram Katha Class 6 Chapter 4 Summary कोप-भवन के घटनाक्रम की किसी को जानकारी नहीं थी। सब लोग राम के राज्याभिषेक की तैयारी में लगे थे। महामंत्री सुमंत्र कुछ असहज थे। वे महर्षि वशिष्ठ के पास आए और महाराज के बारे में पूछा । महाराज को पिछली शाम से किसी ने नहीं देखा था। वे इसको आयोजन की व्यस्तता समझ रहे थे। सुमंत्र तत्काल राजभवन पहुंचे। कैकेयी के महल की सीढ़ियाँ चढ़ते हुए उनको एक अनजान-सा भय लग रहा था। सुमंत्र ने देखा कि महाराज कैकेयी के महल में दीन-हीन दशा में पड़े हुए हैं।.सुमंत्र का मन भाँपते हुए कैकेयी ने कहा- “महाराज राज्याभिषेक के उत्साह में रात भर जागे हैं”। महल से बाहर निकलने से पूर्व वे राम से बात करना चाहते हैं। सुमंत्र राम को लेने राम के भवन गए और अपने साथ ही उनको लेकर महाराज के पास आ गए। राम को देखकर महाराज फिर मूर्छित हो गए। कोई कुछ बोलता ही न था। राम ने कैकेयी से पूछा कि माता तुम्हीं बताओ क्या बात है? कैकेयी ने राम को दो वर माँगने वाली बात बताई और कहा कि महाराज अपने दिए वचन से पीछे हट रहे हैं, जो शास्त्रसम्मत नहीं है। मैं चाहती हूँ कि राज्याभिषेक भरत का हो और तुम चौदह वर्ष तक वन में रहो। राम ने संयत रहकर दृढ़ता पूर्वक कहा-पिता का वचन अवश्य पूरा होगा। भरत.को राजगद्दी मिलेगी और मैं आज ही वन को चला जाऊँगा। कैकेयी के महल से निकलकर राम ने अपनी माता कौशल्या को यह जानकारी दी। कौशल्या यह सुनकर अपनी सुध-बुध खो बैठी। कौशल्या ने इसे राजा का एक गलत निर्णय बताते हुए राम को रोकना चाहा, परन्तु राम ने कहा-यह पिता की आज्ञा है, इसका पालन अवश्य होगा। लक्ष्मण ने राम के इस प्रकार वन जाने को कायरों का कार्य बताया। वे राम से कह रहे थे कि अपने बाहुबल से अयोध्या की गद्दी प्राप्त करो। राम ने लक्ष्मण से कहा कि मुझे अधर्म का सिंहासन नहीं चाहिए। कौशल्या ने अपने आपको संभालते हुए राम को गले लगाया। वह भी राम के साथ वन को जाना चाहती थीं। राम ने अपनी माता से कहा कि इस समय पिता जी को आपकी सेवा की आवश्यकता है, अतः आप यहीं रहें। इसके बाद राम सीता के पास गए और सारी बात बताई। सीता ने कहा कि मैं भी आपके साथ चलूँगी। राम ने सीता को वन में होने वाली कठिनाइयों के बारे में बताया, परन्तु सीता नहीं मानी। तभी लक्ष्मण भी वहाँ आ गए। वे राम के साथ जाना चाहते थे। राम ने उनको चलने की स्वीकृति दे दी। राम के वन जाने का समाचार पूरी अयोध्या में फैल चुका था। प्रजा बहुत दुखी थी। वे उनको रोकना चाहते थे। राम अपने पिता की आज्ञा लेने के लिए उनके पास गए। राम को देखकर उनमें प्राणों का संचार हुआ। मंत्रीगण कैकेयी को समझा रहे थे, परन्तु वह अपनी ज़िद पर अड़ी हुई थी। दशरथ राम से कह रहे थे–“पुत्र! मेरी मति मारी गई जो मैंने कैकेयी को दो वर दिए। तुम तो स्वतंत्र हो। तुम मुझे बंदी बनाकर कारागार में डाल दो और राज्य पर अधिकार कर लो।” राम ने कहा-“मुझे राज्य का लोभ नहीं है। आप हमें आशीर्वाद देकर विदा करें।” इसी बीच रानी कैकेयी ने राम-लक्ष्मण और सीता के लिए वल्कल वस्त्र दिए। वे वल्कल वस्त्र पहनकर वन जाने को तैयार हो गए। तभी वशिष्ठ क्रोधित होकर बोले-“सीता वन जाएगी तो समस्त अयोध्यावासी भी वन जायेंगे। भरत सूनी अयोध्या पर राज करेंगे।” राम ने रथ पर चढ़कर सुमंत्र से कहा कि महामंत्री, आप रथ तेजी से चलाएँ। नगरवासी रथ के पीछे दौड़े। राजा दशरथ और नगरवासी भी रथ के पीछे-पीछे चल दिए। उनकी आँखों में आँसू देखकर राम विचलित हो गए। राजा दशरथ लगातार रथ की दिशा में आँखें गड़ाए देखते रहे। जब तक रथ आँखों से ओझल नहीं हो गया। वन अभी भी दूर था। वे तमसा नदी के किनारे पहुँचे। नगरवासी भी साथ-साथ आ रहे थे। उन्होंने भी नदी-किनारे ही रात बिताई। वे नगरवासियों को वहीं छोड़कर चुपचाप वहाँ से आगे चले गए। शाम होते ही वे गंगा नदी के किनारे पहुँचे। निषादराज ने उनका स्वागत किया। अगली सुबह राम ने महामंत्री सुमंत्र को समझा-बुझाकर वापिस भेज दिया। सुमंत्र खाली रथ लेकर अयोध्या लौटे तो लोगों ने उनको घेर लिया और राम के बारे में पूछा। सुमंत्र बिना कुछ बोले राजभवन गए। दशरथ ने सुमंत्र से राम-लक्ष्मण और सीता के बारे में पूछा। सुमंत्र ने एक-एक कर महाराज के प्रश्नों के उत्तर दिए। राम-गमन के छठे दिन दशरथ ने प्राण त्याग दिए। अगले दिन वशिष्ठ ने मंत्री-परिषद्.से चर्चा की। सबकी एक राय थी कि राजगद्दी खाली नहीं रहनी चाहिए। तय हुआ कि भरत को तत्काल अयोध्या बुलाया जाए। लंका रोहण के लिए वानरों के कितने दल बनाएं गए?Answer: लंकारोहण के लिए चार वानरों के दल बनाए गए। Question 85. जामवंत किस बात में सफल हुए? Answer: जामवंत रावण तक पहुँचने में सफल हुए।
लंकारोहन के लिए किसने और कितने दिनों में पुल तैयार किया था?प्रश्न-1 लंकारोहण के लिए किसने और कितने दिनों में पुल तैयार किया? उत्तर- लंकारोहण के लिए नल ने पाँच दिनों में पुल तैयार किया ।
लंका जाते समय हनुमान के रास्ते में कौन कौन सी बाधाएं आई?समुद्र की आज्ञा पाकर मैनाक पर्वत आकाश की ओर ऊंचा उठ गया और तीव्र गति से जाते हुए हनुमान जी के मार्ग में आ गया । हनुमान जी ने समझा कि यह पर्वत उनके मार्ग में बाधा बन रहा है । इसलिए उन्होंने उस पर पद प्रहार करना चाहा ।
विभीषण ने वानरों को क्या दिया?उत्तर: विभीषण ने रावण को यह समझाने का प्रयास किया कि आप सीता को वापस लौटा दें। राम से युद्ध न करना ही ठीक हैं। इसी में सबकी भलाई है।
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