संघर्ष के मार्ग में कैसे चलना पड़ता है? - sangharsh ke maarg mein kaise chalana padata hai?

जीवन में हो बहुत ज्यादा हो संघर्ष तो आजमाएं ये सरल उपाय

जीवन में हो बहुत ज्यादा हो संघर्ष तो आजमाएं ये सरल उपाय

कहते हैं क‍ि जैसा करेंगे कर्म, वैसा म‍िलेगा फल. यानी क‍िसी लक्ष्य या काम के प्रत‍ि की गई मेहनत के अनुरूप ही हमें नतीजे प्राप्त होते हैं. लेकिन कभी-कभी कुछ लोगों के जीवन में हमें वैसा फल नहीं म‍िलता, ज‍ितना हम मेहनत करते हैं. ऐसे में क्या करना चाह‍िए. जो ज्योत‍िषी प्रवीण म‍िश्र बताने जा रहे हैं क‍ि यदि जीवन में संघर्ष बहुत ज्यादा हो तो क्या उपाय करें. प्रतिदिन भगवान शिव को जल अर्पित करें, शाम को भगवान विष्णु की आरती करें, हर शनिवार को चीटिंयों को आटा खिलाएं. शीघ्रत‍िशीघ्र आपको नतीजे म‍िलने शुरू हो जाएंगे.

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Question 1:

दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए -

संघर्ष के मार्ग में अकेला ही चलना पड़ता है। कोई बाहरी शक्ति आपकी सहायता नहीं करती है। परिश्रम, दृढ़ इच्छा शक्ति व लगन आदि मानवीय गुण व्यक्ति को संघर्ष करने और जीवन में सफलता प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करते हैं। दो महत्त्वपूर्ण तथ्य स्मरणीय हैं – प्रत्येक समस्या अपने साथ संघर्ष लेकर आती है। प्रत्येक संघर्ष के गर्भ में विजय निहित रहती है।

 एक अध्यापक ने  छोड़ने वाले अपने छात्रों को यह संदेश दिया था – तुम्हें जीवन में सफल होने के लिए समस्याओं से संघर्ष करने का अभ्यास करना होगा। हम कोई भी कार्य करें, सर्वोच्च शिखर पर पहुँचने का संकल्प लेकर चलें। सफलता हमें कभी निराश नहीं करेगी। समस्त ग्रंथों और महापुरुषों के अनुभवों का निष्कर्ष यह है कि संघर्ष से डरना अथवा उससे विमुख होना अहितकर है, मानव धर्म के प्रतिकूल है और अपने विकास को अनावश्यक रूप से बाधित करना है। आप जागिए, उठिए दृढ़-संकल्प और उत्साह एवं साहस के साथ संघर्ष रूपी विजय रथ पर चढ़िए और अपने जीवन के विकास की बाधा रूपी शत्रुओं पर विजय प्राप्त कीजिए।

संघर्ष रूपी विजय रथ पर चढ़ने के लिए आवश्यक है -

दृढ़ संकल्प, निडरता और धैर्य

दृढ़ संकल्प, उत्साह एवं साहस

दृढ़ संकल्प, आत्मविश्वास और साहस

दृढ़ संकल्प, उत्तम चरित्र एवं साहस

Question 2:

दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए -

संघर्ष के मार्ग में अकेला ही चलना पड़ता है। कोई बाहरी शक्ति आपकी सहायता नहीं करती है। परिश्रम, दृढ़ इच्छा शक्ति व लगन आदि मानवीय गुण व्यक्ति को संघर्ष करने और जीवन में सफलता प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करते हैं। दो महत्त्वपूर्ण तथ्य स्मरणीय हैं – प्रत्येक समस्या अपने साथ संघर्ष लेकर आती है। प्रत्येक संघर्ष के गर्भ में विजय निहित रहती है।

 एक अध्यापक ने  छोड़ने वाले अपने छात्रों को यह संदेश दिया था – तुम्हें जीवन में सफल होने के लिए समस्याओं से संघर्ष करने का अभ्यास करना होगा। हम कोई भी कार्य करें, सर्वोच्च शिखर पर पहुँचने का संकल्प लेकर चलें। सफलता हमें कभी निराश नहीं करेगी। समस्त ग्रंथों और महापुरुषों के अनुभवों का निष्कर्ष यह है कि संघर्ष से डरना अथवा उससे विमुख होना अहितकर है, मानव धर्म के प्रतिकूल है और अपने विकास को अनावश्यक रूप से बाधित करना है। आप जागिए, उठिए दृढ़-संकल्प और उत्साह एवं साहस के साथ संघर्ष रूपी विजय रथ पर चढ़िए और अपने जीवन के विकास की बाधा रूपी शत्रुओं पर विजय प्राप्त कीजिए।

‘मानवीय’ शब्द में मूल शब्द और प्रत्यय है -

मानवी + य

मानव + ईय

मानव + नीय

मानव + इय

Question 3:

दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए -

संघर्ष के मार्ग में अकेला ही चलना पड़ता है। कोई बाहरी शक्ति आपकी सहायता नहीं करती है। परिश्रम, दृढ़ इच्छा शक्ति व लगन आदि मानवीय गुण व्यक्ति को संघर्ष करने और जीवन में सफलता प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करते हैं। दो महत्त्वपूर्ण तथ्य स्मरणीय हैं – प्रत्येक समस्या अपने साथ संघर्ष लेकर आती है। प्रत्येक संघर्ष के गर्भ में विजय निहित रहती है।

 एक अध्यापक ने  छोड़ने वाले अपने छात्रों को यह संदेश दिया था – तुम्हें जीवन में सफल होने के लिए समस्याओं से संघर्ष करने का अभ्यास करना होगा। हम कोई भी कार्य करें, सर्वोच्च शिखर पर पहुँचने का संकल्प लेकर चलें। सफलता हमें कभी निराश नहीं करेगी। समस्त ग्रंथों और महापुरुषों के अनुभवों का निष्कर्ष यह है कि संघर्ष से डरना अथवा उससे विमुख होना अहितकर है, मानव धर्म के प्रतिकूल है और अपने विकास को अनावश्यक रूप से बाधित करना है। आप जागिए, उठिए दृढ़-संकल्प और उत्साह एवं साहस के साथ संघर्ष रूपी विजय रथ पर चढ़िए और अपने जीवन के विकास की बाधा रूपी शत्रुओं पर विजय प्राप्त कीजिए।

समस्त ग्रंथों और अनुभवों का निष्कर्ष है -

संघर्ष से डरना या विमुख होना अहितकर है।

मानव-धर्म के प्रतिकूल है।

अपने विकास को बाधित करना है।

उपर्युक्त सभी

Question 4:

दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए -

संघर्ष के मार्ग में अकेला ही चलना पड़ता है। कोई बाहरी शक्ति आपकी सहायता नहीं करती है। परिश्रम, दृढ़ इच्छा शक्ति व लगन आदि मानवीय गुण व्यक्ति को संघर्ष करने और जीवन में सफलता प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करते हैं। दो महत्त्वपूर्ण तथ्य स्मरणीय हैं – प्रत्येक समस्या अपने साथ संघर्ष लेकर आती है। प्रत्येक संघर्ष के गर्भ में विजय निहित रहती है।

 एक अध्यापक ने  छोड़ने वाले अपने छात्रों को यह संदेश दिया था – तुम्हें जीवन में सफल होने के लिए समस्याओं से संघर्ष करने का अभ्यास करना होगा। हम कोई भी कार्य करें, सर्वोच्च शिखर पर पहुँचने का संकल्प लेकर चलें। सफलता हमें कभी निराश नहीं करेगी। समस्त ग्रंथों और महापुरुषों के अनुभवों का निष्कर्ष यह है कि संघर्ष से डरना अथवा उससे विमुख होना अहितकर है, मानव धर्म के प्रतिकूल है और अपने विकास को अनावश्यक रूप से बाधित करना है। आप जागिए, उठिए दृढ़-संकल्प और उत्साह एवं साहस के साथ संघर्ष रूपी विजय रथ पर चढ़िए और अपने जीवन के विकास की बाधा रूपी शत्रुओं पर विजय प्राप्त कीजिए।

प्रत्येक समस्या अपने साथ लेकर आती है -

संघर्ष

कठिनाइयाँ

चुनौतियाँ

सुखद परिणाम

Question 5:

दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए -

संघर्ष के मार्ग में अकेला ही चलना पड़ता है। कोई बाहरी शक्ति आपकी सहायता नहीं करती है। परिश्रम, दृढ़ इच्छा शक्ति व लगन आदि मानवीय गुण व्यक्ति को संघर्ष करने और जीवन में सफलता प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करते हैं। दो महत्त्वपूर्ण तथ्य स्मरणीय हैं – प्रत्येक समस्या अपने साथ संघर्ष लेकर आती है। प्रत्येक संघर्ष के गर्भ में विजय निहित रहती है।

 एक अध्यापक ने  छोड़ने वाले अपने छात्रों को यह संदेश दिया था – तुम्हें जीवन में सफल होने के लिए समस्याओं से संघर्ष करने का अभ्यास करना होगा। हम कोई भी कार्य करें, सर्वोच्च शिखर पर पहुँचने का संकल्प लेकर चलें। सफलता हमें कभी निराश नहीं करेगी। समस्त ग्रंथों और महापुरुषों के अनुभवों का निष्कर्ष यह है कि संघर्ष से डरना अथवा उससे विमुख होना अहितकर है, मानव धर्म के प्रतिकूल है और अपने विकास को अनावश्यक रूप से बाधित करना है। आप जागिए, उठिए, दृढ़-संकल्प और उत्साह एवं साहस के साथ संघर्ष रूपी विजय रथ पर चढ़िए और अपने जीवन के विकास की बाधा रूपी शत्रुओं पर विजय प्राप्त कीजिए।

मनुष्य को संघर्ष करने और जीवन में सफलता प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करते हैं-

निर्भीकता, साहस, परिश्रम

परिश्रम, लगन, आत्मविश्वास

साहस, दृढ़ इच्छाशक्ति, परिश्रम

परिश्रम, दृढ़ इच्छा शक्ति व लगन

Question 6:

गद्यांश को पढ़कर पूछे गये प्रश्नों के उत्तर लिखिए

एक साधु थे। भिक्षाटन से मजे से दिन गुजारते और आनंदपूर्वक भजन करते थे। एक दिन महत्त्वाकांक्षा सिर पर चढ़ी, झोपड़ी के चूहों से निपटने के लिए एक बिल्ली पाली। बिल्ली के लिए दूध की जरूरत पड़ी तो- गाय खरीद कर लाए। गाय की साज-संभाल के लिए महिला की आवश्यकता पड़ी। महिला से शादी कर ली। परिवार बना। संत बनकर लोक कल्याण करने का लक्ष्य कहीं से कहीं चला गया। भौतिक आकांक्षाओं का जाल- जंजाल इतना बढ़ गया कि परमार्थ का लक्ष्य पूरा करने के लिए कुछ भी नहीं बचता था। सारी क्षमता उसी में खत्म हो जाती थी। सपनों का जमघट ही शेष रह जाता है। कहने का तात्पर्य यह है कि हमें हमारे लक्ष्य की ओर ध्यान देना चाहिए।

'आवश्यकता' के स्थान पर उचित शब्द लिखिए।

अवश्य

जरूरत

अक्लमंद

परिश्रम

Question 7:

गद्यांश को पढ़कर पूछे गये प्रश्नों के उत्तर लिखिए

एक साधु थे। भिक्षाटन से मजे से दिन गुजारते और आनंदपूर्वक भजन करते थे। एक दिन महत्त्वाकांक्षा सिर पर चढ़ी, झोपड़ी के चूहों से निपटने के लिए एक बिल्ली पाली। बिल्ली के लिए दूध की जरूरत पड़ी तो- गाय खरीद कर लाए। गाय की साज-संभाल के लिए महिला की आवश्यकता पड़ी। महिला से शादी कर ली। परिवार बना। संत बनकर लोक कल्याण करने का लक्ष्य कहीं से कहीं चला गया। भौतिक आकांक्षाओं का जाल- जंजाल इतना बढ़ गया कि परमार्थ का लक्ष्य पूरा करने के लिए कुछ भी नहीं बचता था। सारी क्षमता उसी में खत्म हो जाती थी। सपनों का जमघट ही शेष रह जाता है। कहने का तात्पर्य यह है कि हमें हमारे लक्ष्य की ओर ध्यान देना चाहिए।

साधु अपना निर्वाह ____________ करके करता था। रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए।

खेती करके

बच्चों को पढ़ाकर

भिक्षाटन करके

नौकरी करके

Question 8:

गद्यांश को पढ़कर पूछे गये प्रश्नों के उत्तर लिखिए

एक साधु थे। भिक्षाटन से मजे से दिन गुजारते और आनंदपूर्वक भजन करते थे। एक दिन महत्त्वाकांक्षा सिर पर चढ़ी, झोपड़ी के चूहों से निपटने के लिए एक बिल्ली पाली। बिल्ली के लिए दूध की जरूरत पड़ी तो- गाय खरीद कर लाए। गाय की साज-संभाल के लिए महिला की आवश्यकता पड़ी। महिला से शादी कर ली। परिवार बना। संत बनकर लोक कल्याण करने का लक्ष्य कहीं से कहीं चला गया। भौतिक आकांक्षाओं का जाल- जंजाल इतना बढ़ गया कि परमार्थ का लक्ष्य पूरा करने के लिए कुछ भी नहीं बचता था। सारी क्षमता उसी में खत्म हो जाती थी। सपनों का जमघट ही शेष रह जाता है। कहने का तात्पर्य यह है कि हमें हमारे लक्ष्य की ओर ध्यान देना चाहिए।

महत्वकांक्षा का रेखांकित शब्द का उचित अर्थ लिखिए।

बलवान होना

उन्नति को प्राप्त करने की इच्छा

दयालु

लायक न होना

Question 9:

गद्यांश को पढ़कर पूछे गये प्रश्नों के उत्तर लिखिए

एक साधु थे। भिक्षाटन से मजे से दिन गुजारते और आनंदपूर्वक भजन करते थे। एक दिन महत्त्वाकांक्षा सिर पर चढ़ी, झोपड़ी के चूहों से निपटने के लिए एक बिल्ली पाली। बिल्ली के लिए दूध की जरूरत पड़ी तो- गाय खरीद कर लाए। गाय की साज-संभाल के लिए महिला की आवश्यकता पड़ी। महिला से शादी कर ली। परिवार बना। संत बनकर लोक कल्याण करने का लक्ष्य कहीं से कहीं चला गया। भौतिक आकांक्षाओं का जाल- जंजाल इतना बढ़ गया कि परमार्थ का लक्ष्य पूरा करने के लिए कुछ भी नहीं बचता था। सारी क्षमता उसी में खत्म हो जाती थी। सपनों का जमघट ही शेष रह जाता है। कहने का तात्पर्य यह है कि हमें हमारे लक्ष्य की ओर ध्यान देना चाहिए।

परमार्थ- रेखांकित शब्द का विलोम बताइए

लालची

दुष्ट

स्वार्थ

क्रोधी

Question 10:

गद्यांश को पढ़कर पूछे गये प्रश्नों के उत्तर लिखिए

एक साधु थे। भिक्षाटन से मजे से दिन गुजारते और आनंदपूर्वक भजन करते थे। एक दिन महत्त्वाकांक्षा सिर पर चढ़ी, झोपड़ी के चूहों से निपटने के लिए एक बिल्ली पाली। बिल्ली के लिए दूध की जरूरत पड़ी तो- गाय खरीद कर लाए। गाय की साज-संभाल के लिए महिला की आवश्यकता पड़ी। महिला से शादी कर ली। परिवार बना। संत बनकर लोक कल्याण करने का लक्ष्य कहीं से कहीं चला गया। भौतिक आकांक्षाओं का जाल- जंजाल इतना बढ़ गया कि परमार्थ का लक्ष्य पूरा करने के लिए कुछ भी नहीं बचता था। सारी क्षमता उसी में खत्म हो जाती थी। सपनों का जमघट ही शेष रह जाता है। कहने का तात्पर्य यह है कि हमें हमारे लक्ष्य की ओर ध्यान देना चाहिए।

झोपड़ी के चूहों से निपटने के लिए साधु ने क्या किया?

बिल्ली पाली

कुछ भी नहीं किया

दवा डालकर चूहों को मार दिया।

कुत्ते को पाला

संघर्ष के मार्ग में कैसे चलना पड़ता है? - sangharsh ke maarg mein kaise chalana padata hai?

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संघर्ष के मार्ग पर किसकी सहायता मिलती है?

[1 X 5 = 05]संघर्ष के मार्ग में अकेला ही चलना पड़ता है। कोई बाहरी शक्ति आपकी सहायता नहीं करती है। परिश्रम, दृढ़ इच्छा शक्ति व लगन आदि मानवीय गुण व्यक्ति को संघर्ष करने और जीवन में सफलता प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करते हैं।

Iv जीवन में बाधाएं आने पर मनुष्य परिश्रम न करें तो क्या होगा?

गति के अभाव में जीवन की स्थिति घाट के पत्थर जैसी होती है . जबकि मनुष्य के जीवन में पग -पग पर बाधाएं अपना जाल बिछा बैठी होती है . उसी समय यदि मनुष्य परिश्रम न करें तो वह कभी भी आगे नहीं बढ़ सकेगा .

जीवन में समय का महत्व क्यों है class 8?

(क) जीवन में समय का महत्त्व क्यों है? (i) समय काम के लिए प्रेरणा देता है। (ii) समय की परवाह लोग नहीं करते। (iii) समय पर किया गया काम सफल होता है।

हम कोई भी कार्य करें सर्वोच्च शिखर पर पहुँचने के लिए क्या लेकर चलें?

हम कोई भी कार्य करें, सर्वोच्च शिखर पर पहुँचने का संकल्प लेकर चलें। सफलता हमें कभी निराश नहीं करेगी। समस्त ग्रंथों और महापुरुषों के अनुभवों का निष्कर्ष यह है कि संघर्ष से डरना अथवा उससे विमुख होना अहितकर है, मानव धर्म के प्रतिकूल है और अपने विकास को अनावश्यक रूप से बाधित करना है।