लक्ष्मी जी के व्रत में क्या खाना चाहिए? - lakshmee jee ke vrat mein kya khaana chaahie?

वैभव लक्ष्मी व्रत में क्या खाया जाता हैं | वैभव लक्ष्मी व्रत के लिए क्या नियम जरूरी हैं – दोस्तों हिंदू धर्म में माता लक्ष्मी को धन की देवी माना जाता हैं. और इनके अनेक रूप की पूजा की जाती हैं. जैसे की कोई माँ लक्ष्मी को वैभवलक्ष्मी से तो कोई इन्हें धनलक्ष्मी के रूप में पूजता हैं. धन की देवी माने जाने वाली माँ वैभवलक्ष्मी का व्रत कोई भी व्यक्ति कर सकता हैं.

आज के समय में माँ लक्ष्मी का साथ कौन नहीं चाहता है. अगर आप भी चाहते की माँ लक्ष्मी का आशीर्वाद आप पर बना रहे तो आप भी वैभव लक्ष्मी का व्रत कर सकते हैं. यह व्रत करने से सभी मनोकामना पूर्ण होती हैं. शुक्रवार को माँ लक्ष्मी जी का दिन माना जाता हैं तो आप भी यह व्रत का आरंभ करके अपने जीवन में माँ वैभव लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं.

दोस्तों आज हम आपको बताएगे की वैभव लक्ष्मी व्रत कैसे किया जाता हैं. और यह व्रत में क्या खाया जाता हैं एवं क्या पूजा सामग्री इस व्रत में लगती हैं यह संपूर्ण जानकारी हम आपको देंगे. तो आइये चलिए हम जानते है वैभव लक्ष्मी व्रत के बारे में थोड़ी विस्तृत पूर्वक जानकारी.

लक्ष्मी जी के व्रत में क्या खाना चाहिए? - lakshmee jee ke vrat mein kya khaana chaahie?

  • वैभव लक्ष्मी व्रत में क्या खाया जाता हैं
  • वैभव लक्ष्मी व्रत के लिए क्या नियम जरूरी हैं
  • वैभव लक्ष्मी व्रत के लिए लगनी वाली पूजा सामग्री
  • वैभव लक्ष्मी व्रत की पूजा विधि
  • हमारे कुछ शब्द

वैभव लक्ष्मी व्रत में क्या खाया जाता हैं

वैभव लक्ष्मी जी के व्रत में आप निचे लिखी हुई वस्तुए खा सकते है:

  • साबूदाने की खिचड़ी एवं पुलाव
  • कुटू की सब्जी
  • कुटू के पराठे
  • सिंघाड़े की नमकीन बर्फी
  • आलू, खीरे और मूंगफली का सलाद
  • कच्चे केले की टिकी

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वैभव लक्ष्मी व्रत के लिए क्या नियम जरूरी हैं

वैभव लक्ष्मी व्रत स्त्री और पुरुष दोनों कर सकते हैं. शुक्रवार का दिन वैभव लक्ष्मी का दिन माना जाता हैं इसलिए इसी दिन माँ वैभव लक्ष्मी का व्रत रखना चाहिए. शुक्रवार के दिन सुबह उठकर स्नान करने के पश्चात जय माँ लक्ष्मी के नाम का जाप पुरे श्रद्धा पूर्वक करते रहना चाहिए.

आप 11 या 21 शुक्रवार तक यह व्रत करेंगे यह संकल्प लेना होता हैं. संकल्प लेने के बाद जितने भी शुक्रवार आते हैं सभी शुक्रवार को विधि पूर्वक पूजा पाठ और उपवास करना होता हैं.

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व्रत की विधि शुरू करने से पहले लक्ष्मी स्तवन का एक बार पाठ ज़रूर करना चाहिए इससे लाभ मिलता हैं. घर के मंदिर में श्री यंत्र की स्थापना ज़रूर करनी चाहिए. क्योंकि माँ वैभव लक्ष्मी को श्री यंत्र अत्यंत प्रिय होता हैं.

व्रत के दिन पुरे दिन उपवास रहना चाहिए. और अगर पुरे दिन उपवास ना हो सके तो फलाहार या एक समय भोजन करके भी इस व्रत का पालन किया जा सकता हैं. कुछ चीजें हमने ऊपर भी बताई हैं उसका भी सेवन करके व्रत का पालन किया जा सकता हैं.

लक्ष्मी जी के व्रत में क्या खाना चाहिए? - lakshmee jee ke vrat mein kya khaana chaahie?

अगर आप किसी शुक्रवार कही यात्रा पर हो तो यह व्रत अगले शुक्रवार को करना चाहिए. क्योंकि यह व्रत घर पर रहकर ही करना चाहिए. शुक्रवार के दिन अगर कोई स्त्री सुतकी या रजस्वला हो तो अगले शुक्रवार व्रत करना चाहिए क्योंकि इस व्रत को शुद्ध होकर की करना जरूरी हैं.

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वैभव लक्ष्मी व्रत के लिए लगनी वाली पूजा सामग्री

माँ लक्ष्मी के अलग अलग स्वरूप जैसे की श्री अधिलक्ष्मी, श्री ऐश्वर्यलक्ष्मी, श्री गजलक्ष्मी, श्री धान्यलक्ष्मी, श्री वीरलक्ष्मी, श्री सन्तानलक्ष्मी और श्री यंत्र का चित्र सर्वप्रथम स्थापित करे. उसके बाद आपको बैठने के लिए एक साफ सुथरा आसन लेना हैं.

अगर आपके  पास सोना हैं तो सोना ले नहीं तो चांदी भी ले सकते हैं और चांदी भी नहीं हैं तो रूपये का सिक्का भी ले सकते हैं. इसका बाद आपको जरूरत पड़ेगी धुप, लाल रंग का फुल, दीप, लाल कपडा, ताम्र पत्र (कलश) और कलश पर रखने के लिए एक कटोरी तथा घी, नैवेद, हल्दी, फल, और कुमकुम यह सारी सामग्री की जरूरत आपको पड़ेगी.

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वैभव लक्ष्मी व्रत की पूजा विधि

सबसे पहले सुबह स्नान करके स्वच्छ कपडे पहन ले और पुरा दिन माता के अलग अलग स्वरूप को याद करते रहें. संध्या के समय साफ सुतरा आसन ले और व्रत का आरंभ करने वाला व्यक्ति पूर्व दिशा की और मुँह करके बैठ जाए.

मीठी चीज़ से बना प्रसाद भी आपके पास रख सकते हैं. आपके सामने एक पाट रखे उस पर कपडा बिछा ले और चावल का एक छोटा सा ढेर बना ले. उस ढेर पर पानी से भरा हुआ कलश रखे और उस कलश पर एक कटोरी रख ले जिसमें सोने, चांदी या रूपये का सिक्का रख दे.

लक्ष्मी जी के व्रत में क्या खाना चाहिए? - lakshmee jee ke vrat mein kya khaana chaahie?

माँ लक्ष्मी के सभी रूपों का चित्र और श्री यंत्र भी पाट पर रखे. सबसे पहले माँ लक्ष्मी रूपों का एवं श्री यंत्र का श्रद्धा पूर्वक दर्शन करे उसके पश्चात लक्ष्मी स्तवन का पाठ शुरू करे.

कलश के ऊपर रखी हुई कटोरी में रखे हुए गहने या रूपये को हल्दी, कुमकुम और चावल चढ़ाकर पूजा आराधन करे. लाल रंग का पुष्प माता को चढ़ाए और कथा करने के पश्चात विधिवत माता की आरती करे.

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हमारे कुछ शब्द

दोस्तों माँ लक्ष्मी को धन की देवी माना जाता हैं. हमने आपको बताया की माँ लक्ष्मी के वैभव लक्ष्मी रूप का व्रत करने से माँ लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं. तथा आप यह व्रत कैसे और कब कर सकते हैं एवं व्रत करने में क्या नियम पालन और पूजा सामग्री लगती हैं. और व्रत में आप क्या खा सकते इस बारे में आपको इस आर्टिकल के माध्यम से बताया.

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आप पर भी माँ वैभव लक्ष्मी की कृपा और आशीर्वाद बने रहे यह हम दिल से चाहते है. आशा करते हैं की आपको हमारे द्वारा दी गई जानकरी अच्छी लगी होगी.

इस जानकारी (वैभव लक्ष्मी व्रत में क्या खाया जाता हैं | वैभव लक्ष्मी व्रत के लिए क्या नियम जरूरी हैं) को फेसबुक और व्हाट्स अप्प के जरिये ज्यादा ज्यादा लोगो तक पहुचाए. और सबको वैभव लक्ष्मी का गुणगान करे. माँ का आर्शीवाद सब पर बना रहे ऐसी कामनाए करे. धन्यवाद.

लक्ष्मी माता के व्रत में क्या खाया जाता है?

वैभव लक्ष्‍मी माता के भोग में खीर का होना सबसे जरूरी होता है। घर में ही स्‍नान करके साफ-सफाई के साथ अपने हाथों से मां लक्ष्‍मी के लिए चावल की खीर बनाएं। खीर में गाय के दूध का प्रयोग करें। खीर में अक्षत के प्रयोग से आपको अक्षय फल की प्राप्ति भी होती है।

लक्ष्मी के व्रत में क्या नहीं खाना चाहिए?

Mahalaxmi Vrat 2022: महालक्ष्मी व्रत के दौरान 16 दिनों तक घर में शुद्ध भोजन का सेवन ही करना चाहिए. इसके अलावा शराब,मांस का सेवन भूलकर भी नहीं करना चाहिए. इससे मां लक्ष्मी नाराज हो जाती हैं.

वैभव Laxmi पूजा कितने बजे करनी चाहिए?

Vaibhav Lakshmi Vrat: वैसे तो वैभव लक्ष्मी व्रत की पूजा शाम को की जाती है लेकिन व्रत रखने के लिए सुबह से ही महिला या पुरुष को स्नान करके व्रत का पालन करना चाहिए. व्रत वाले दिन सुबह के समय फलाहार कर सकते है. इसके बाद शाम को दोबारा स्नान करके पूर्व दिशा में माता की चौकी लगाएं और इस पर लाल स्वच्छ कपड़ा बिछाएं.

माता लक्ष्मी को खाने में क्या पसंद है?

1 . देवी लक्ष्मी को पुष्प में कमल व गुलाब प्रिय है। 2 . फल में श्रीफल, सीताफल, बेर, अनार व सिंघाड़े प्रिय हैं।