लेखक को भोजन बेस्वाद क्यों लग रहा था? - lekhak ko bhojan besvaad kyon lag raha tha?

विषयसूची

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  • 1 आदर्श स्थिति बनाए रखने के लिए बड़े भाई साहब का बचपना कैसे तिरोहित हो गया?
  • 2 बडे भाईसाहब नामक कहानी से आपको क्या प्रेरणा लमिती है?
  • 3 लेखक को भोजन बेस्वाद क्यों लगा?
  • 4 भाई साहब के ि डांटिे का लेखक पर क्या प्रभाव पड़ा?
  • 5 बड़ी कक्षा में होने के बाद भी लेखक क्या करता था?

आदर्श स्थिति बनाए रखने के लिए बड़े भाई साहब का बचपना कैसे तिरोहित हो गया?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर: छोटे भाई के मन में अपने बड़े भाई के अगले साल भी फेल हो जाने की कुटिल भावना उदित हुई क्योंकि उसके फेल हो जाने से वे दोनों एक ही कक्षा में हो जाएँगे जिससे बड़ा भाई बात-बात पर उसका अपमान नहीं कर पायेगा। प्रश्न 10. आदर्श स्थिति बनाए रखने के लिए बड़े भाई साहब का बचपन कैसे तिरोहित हो जाता है?

बडे भाईसाहब नामक कहानी से आपको क्या प्रेरणा लमिती है?

इसे सुनेंरोकें”बड़े भाई साहब” कहानी हमें यह प्रेरणा देती है कि हम अपनी स्थिति, शक्ति और सीमा को समझकर उसी के अनुरूप व्यवहार करें । यदि हम योग्य नहीं है तो किसी को उपदेश देने का भी हमें कोई अधिकार नहीं है। इसके साथ हमें यह भी प्रेरणा मिलती है कि सफल होने के लिए केवल किताबी ज्ञान की महत्वपूर्ण नहीं होता।

बड़े भाई साहब छोटे भाई से कितने दरजे आगे थे?

इसे सुनेंरोकेंबड़े भाई साहब छोटे भाई से उम्र में कितने बड़े थे और वे कौन-सी कक्षा में पढ़ते थे? बड़े भाई साहब लेखक से उम्र में 5 साल बड़े थे। वे नवीं कक्षा में पढ़ते थे। प्रश्न 5.

लेखक को भोजन बेस्वाद क्यों लगा?

इसे सुनेंरोकेंप्रिय छात्र छोटे भाई को भोजन निस्वाद लग रहा था क्योंकि पास होने पर भी तिरस्कार मिल रहा था। बड़े भाई उसे उपदेश दे रहे थे कि खेल कूद छोड़कर पढ़ाई करो । आगे की पढ़ाई बहुत कठिन है ।

भाई साहब के ि डांटिे का लेखक पर क्या प्रभाव पड़ा?

इसे सुनेंरोकेंAnswer. लेखक कह रहा है की भाई साहब बड़े थे और वह छोटा था। उसकी उम्र नौ साल की थी और भाई साहब चौदह साल के थे। बड़े होने के कारण उनके पास उसे डाँटने -फटकारने और उसकी देखभाल करने का अधिकार जन्म से ही प्राप्त था।

लेखक कमरे में आकर क्यों डर जाता था?

इसे सुनेंरोकेंकभी फाटक पर सवार,उसे आगे पीछे चलाते हुए मोटरकार का आनन्द उठा रहे हैं ,लेकिन कमरे में आते ही भाई साहब का वह रूद्र रूप देख कर प्राण सूख जाते। लेखक कहता है कि पढ़ाई में उसका मन बिलकुल भी नहीं लगता था। अगर एक घंटे भी किताब ले कर बैठना पड़ता तो यह उसके लिए किसी पहाड़ को चढ़ने जितना ही मुश्किल काम था।

बड़ी कक्षा में होने के बाद भी लेखक क्या करता था?

इसे सुनेंरोकेंमित्र बड़ी कक्षा में होने के बाद भी लेखक का ध्यान खेल कूद और मौज-मस्ती पर था। बड़े भाई ने छोटे भाई को डाँटना कम कर दिया और सहिष्णुता का रवैया अपना लिया जिससे छोटा भाई आज़ाद हो गया और ज़्यादा पंतग बाजी और मौज मस्ती में समय बिताने लगा।

विषयसूची

  • 1 कौन शुद्ध अंग्रेजी नहीं लिख सकते बोलना तो दूर की बात है?
  • 2 चक्रवर्ती कैसे राजा को कहते हैं Class 10?
  • 3 किसका जी पढ़ने में नहीं लगता था?
  • 4 चक्रवर्ती कैसे राजा को कहते है *?
  • 5 भाई साहब को नसीहत और फजीहत का अवसर क्यों मिल जाता?
  • 6 कथा नायक को स्कूल छोड़कर घर भागने की इच्छा क्यों हुई?
  • 7 लेखक द्वारा आँसू बहाने का क्या कारण था?
  • 8 लेखक निराशा में क्या सोचने लगता था?
  • 9 बड़े भाई साहब को लेखक की फजीहत और नसीहत करने का अवसर कब मिल जाता?
  • 10 बड़ा भाई छोटे भाई पर शासन करने के लिए कौन कौन सी युक्तियाँ अपनाता है?
  • 11 लेखक को भोजन बेस्वाद क्यों लगने लगा?
  • 12 लेखक स्वयं को किस बंधन में जकड़ा पाता है और क्यों?

कौन शुद्ध अंग्रेजी नहीं लिख सकते बोलना तो दूर की बात है?

इसे सुनेंरोकेंबड़े-बड़े विद्वान भी शुद्ध अंग्रेजी नहीं लिख सकते, बोलना तो दूर रहा. और मैं कहता हूँ, तुम कितने घोंघा हो कि मुझे देखकर भी सबक नहीं लेते. मैं कितनी मेहनत करता हूँ, तुम अपनी आँखों देखते हो, अगर नहीं देखते, जो यह तुम्हारी आँखों का कसूर है, तुम्हारी बुद्धि का कसूर है.

चक्रवर्ती कैसे राजा को कहते हैं Class 10?

इसे सुनेंरोकेंचक्रवर्ती कैसे राजा को कहते हैं? Ans: जो पूरे भूमंडल का स्वामी हों।

लेखक अपने भाई की बराबरी चाह कर भी नहीं कर सकता था क्यों?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: छोटे भाई बड़े भाई की नरमी का अनुचित लाभ उठाने लगे। इस पर छोटा भाई पास हो गया तो उसका आत्मसम्मान और भी बढ़ गया। बड़े भाई का रौब नहीं रहा, वह आज़ादी से खेलकूद में जाने लगा, वह स्वच्छंद हो गया।

किसका जी पढ़ने में नहीं लगता था?

इसे सुनेंरोकेंमेरा जी पढ़ने में बिल्कुल न लगता था। एक घंटा भी किताब लेकर बैठना पहाड़ था। भाई सहाब उपदेश की कला में निपुण थे। ऐसी-ऐसी लगती बातें कहते, ऐसे-ऐसे सूक्ति बाण चलाते कि मेरे जिगर के टुकड़े-टुकड़े हो जाते और हिम्मत टूट जाती।

चक्रवर्ती कैसे राजा को कहते है *?

इसे सुनेंरोकेंचक्रवर्ती राजा का अर्थ है ऐसा राजा जो सारे भूभाग पर राज करता हो। ब्रिटिश को इसलिए चक्रवर्ती राजा नहीं माना जाएगा क्योंकि विश्व में अनेक देश उसका आधिपत्य स्वीकार नहीं करते हैं।

चक्रवर्ती कैसे राजा को कहते हैं?

इसे सुनेंरोकें’चक्रवर्ती’ शब्द संस्कृत के ‘चक्र’ अर्थात पहिया और ‘वर्ती’ अर्थात घूमता हुआ से उत्पन्न हुआ है। इस प्रकार ‘चक्रवर्ती’ एक ऐसे शासक को माना जाता है जिसके रथ का पहिया हर समय घूमता रहता हो और जिसके रथ को रोकने का कोई साहस न कर पाता है।

भाई साहब को नसीहत और फजीहत का अवसर क्यों मिल जाता?

इसे सुनेंरोकेंछोटा भाई टाइम टेबल तो बना लेता था, लेकिन उस पर अमल ढंग से नहीं कर पाता और उसकी अवहेलना बहुत जल्दी ही शुरू हो जाती थी। छोटा भाई घूमने-खेलने-कूदने में इतना मस्त हो जाता कि उसे टाइम-टेबल की याद ही नहीं रहती और इस तरह बड़े भाई साहब जब ये पता चलता तो नसीहत और फजीहत करने का अवसर मिल जाता।

कथा नायक को स्कूल छोड़कर घर भागने की इच्छा क्यों हुई?

इसे सुनेंरोकेंउसे देखते ही बड़े भाई साहब उसे समझाने लगते हैं कि एक बार कक्षा में अव्वल आने का तात्पर्य यह नहीं कि वह अपने पर घमंड करने लगे क्योंकि घमंड तो रावण जैसे शक्तिशाली को भी ले डूबा इसलिए उसे इसी तरह समय बर्बाद करना है तो उसे घर चले जाना चाहिए।

जब लेखक सुबह के समय खेलकर आया तो भाई साहब ने उसे कैसे आड़े हाथों लिया?

इसे सुनेंरोकेंवह हर समय खेलता रहता था। बड़े भाई साहब इस बात पर उसे बहुत डांटते रहते थे। उनके डर के कारण वह थोड़ा बहुत पढ़ लेता था। परन्तु जब बहुत खेलने के बाद भी उसने अपनी कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया, तो उसे स्वयं पर अभिमान हो गया।

लेखक द्वारा आँसू बहाने का क्या कारण था?

Answer: (d) आँसू बहाने लगता था।…

  • लेखक की स्वच्छंदता बढ़ गई।
  • लेखक भाई साहब की सहिष्णुता का अनुचित लाभ उठाने लगे।
  • वे सोचने लगे कि मैं पहूँ या न पढूँ, मेरी तकदीर बलवान है, मैं तो पास हो ही जाऊँगा।

लेखक निराशा में क्या सोचने लगता था?

इसे सुनेंरोकेंनिराश होने पर कवि सोचता है कि वह पढ़ाई में मन लगाएगा और भाई साहब को शिकायत का मौका नहीं देगा।

भाई साहब को नसीहत का अवसर कब मिल जाता था?

इसे सुनेंरोकेंभाई साहब उपदेश की कला में निपुण थे। ऐसी-ऐसी लगती बातें कहते, ऐसे-ऐसे सूक्ति बाण चलाते कि मेरे जिगर के टुकड़े-टुकड़े हो जाते और हिम्मत टूट जाती। वह जानलेवा टाइम-टेबिल, वह आँखफोड़ पुस्तकें, किसी की याद न रहती और भाई साहब को नसीहत और फ़जीहत का अवसर मिल जाता।

बड़े भाई साहब को लेखक की फजीहत और नसीहत करने का अवसर कब मिल जाता?

इसे सुनेंरोकेंवह जानलेवा टाइम टेबिल, वह आँखफोड़ पुस्तकें, किसी की याद ना रहती और भाई साहब को नसीहत और फ़जीहत का अवसर मिल जाता। लेखक ने टाइम टेबिल तो बना दिया था परन्तु समय सारणी बनाना अलग बात होती है और उसका पालन करना अलग बात होती है।

बड़ा भाई छोटे भाई पर शासन करने के लिए कौन कौन सी युक्तियाँ अपनाता है?

इसे सुनेंरोकें►बड़े भाई साहब छोटे भाई पर अपना दबदबा बनाए रखने के लिए तरह-तरह की युक्तियां अपनाते थे। वे अपने बड़े भाई का बड़प्पन दिखाते थे। वह छोटे भाई को तरह-तरह के उदाहरण देकर परिश्रम करने की सीख दिया करते थे। वह अनेक तरह के उदाहरणों द्वारा छोटे भाई को को जीवन की व्यवहारिकता समझाया करते थे।

मैं तो खेलते कूदते दरजे में अव्वल आ गया यह कथन किसका है?

इसे सुनेंरोकेंदिल मज़बूत था। अगर उन्होंने फिर मेरी फजीहत की, तो साफ़ कह दूंगा-‘आपने अपना खून जलाकर कौन-सा तीर मार लिया। मैं तो खेलते-कूदते दरजे में अव्वल आ गया। ‘ ज़बान से यह हेकड़ी जताने का साहस न होने पर भी मेरे रंग-ढंग से साफ़ ज़ाहिर होता था कि भाई साहब का वह आतंक मुझ पर नहीं था।

लेखक को भोजन बेस्वाद क्यों लगने लगा?

इसे सुनेंरोकेंप्रिय छात्र छोटे भाई को भोजन निस्वाद लग रहा था क्योंकि पास होने पर भी तिरस्कार मिल रहा था। बड़े भाई उसे उपदेश दे रहे थे कि खेल कूद छोड़कर पढ़ाई करो । आगे की पढ़ाई बहुत कठिन है ।

लेखक स्वयं को किस बंधन में जकड़ा पाता है और क्यों?

इसे सुनेंरोकेंफिर भी जैसे मौत और विपत्ति के बीच भी आदमी मोह और माया के बंधन में जकड़ा रहता है, मैं फटकार घुड़कियाँ खाकर भी खेलकूद का तिरस्कार न कर सकता था। लेखक खेल-कूद, सैर-सपाटे और मटरगश्ती का बड़ा प्रेमी था। उसका बड़ा भाई इन सब बातों के लिए उसे खूब डाँटता-डपटता था। उसे घुड़कियाँ देता था, तिरस्कार करता था।

लेखक को भोजन स्वादहीन क्यों लग रहा था?

लेखक को जलपान गृह में भोजन स्वादहीन इसलिए लगा क्योंकि लेखक को स्वादिष्ट भोजन खाने की आदत हो गई थी इसलिए लेखक को भोजन स्वादहीन लगा।

लेखक की हिम्मत टूटने के क्या कारण थे?

एक घंटा भी किताब लेकर बैठना पहाड़ था। भाई सहाब उपदेश की कला में निपुण थे। ऐसी-ऐसी लगती बातें कहते, ऐसे-ऐसे सूक्ति बाण चलाते कि मेरे जिगर के टुकड़े-टुकड़े हो जाते और हिम्मत टूट जाती। वह जानलेवा टाइम-टेबिल, वह आँखफोड़ पुस्तकें, किसी की याद न रहती और भाई साहब को नसीहत और फ़जीहत का अवसर मिल जाता।

लेखक को मूर्ख रहना क्यों पसंद है?

Q18- भाई सहिब किस कला मे निपुण थे ? Q19- लेखक को मूर्ख रहना क्यो पसंद है ? Q20- लेखक के दिल के टुकडे किस बात पर हो जाते थे ?

अब भाई साहब क्यों बहुत कुछ नरम पड़ गए थे?

अब भाई साहब बहुत कुछ नरम पड़ गए थे। कई बार मुझे डाँटने का अवसर पाकर भी उन्होंने धीरज से काम लिया। शायद अब वह खुद समझने लगे थे कि मुझे डाँटने का अधिकार उन्हें नहीं रहा, या रहा भी, तो बहुत कम | मेरी स्वच्छंदता भी बढ़ी। मैं उनकी सहिष्णुता का अनुचित लाभ उठाने लगा।