मुगल काल में तांबे के सिक्के को क्या कहते हैं? - mugal kaal mein taambe ke sikke ko kya kahate hain?

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मुगल काल में तांबे के सिक्के को क्या कहते हैं? - mugal kaal mein taambe ke sikke ko kya kahate hain?
IndiaOldDays .comअक्टूबर 6, 2018

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मुगल काल में तांबे के सिक्के को क्या कहते हैं? - mugal kaal mein taambe ke sikke ko kya kahate hain?

अन्य संबंधित महत्त्वपूर्ण तथ्य-

  • भारत में मनसबदारी व्यवस्था का प्रारंभ अकबर ने किया था
  • मुगल साम्राज्य में भूमिदान क्या थाः जागीर,मदद-ए-माश,ऐम्मा,वक्फ,खालसा,अलतमगा
  • मुगल भू-राजस्व दर क्या थी
  • मुगल भू-राजस्व अधिकारी
  • मुगलों की भू राजस्व प्रणाली
  • मुगल काल में जागीरदारी प्रथा कैसी थी

अकबर ने दिल्ली में एक शाही – टकसाल का निर्माण कराया और अब्दुस्समद को उसका प्रधान नियुक्त किया।

अबुल फजल  के अनुसार – मुगल काल में सोने के सिक्के बनाने की 4टकसालें,चाँदी के सिक्कों के लिए 14 टकसालें तथा ताँबे के सिक्कों के लिए 42 टकसालें थी।

  • मुगल काल में टकसाल के अधिकारी को दरोगा कहा जाता था।
  • जहाँगीर के कुछ सिक्कों पर उसे हाथ में शराब का प्याला लिए हुए दिखाया गया है।
  • अकबर के सिक्कों पर राम-सीता की आकृति तथा सूर्य चंद्रमा की महिमा में वर्णित कुछ पद्य भी मिलते हैं।
  • अकबर ने असीरगढ विजय की स्मृति में अपने सिक्कों पर बाज की आकृति अंकित करायी।
  • औरंगजेब ने सिक्कों पर कलमा खुदवाना बंद करा दिया उसके कुछ सिक्कों पर मीर-अब्दुल बाकी शाहबई द्वारा रचित पद्य अंकित करवाया।

मुहर-

यह एक सोने का सिक्का था जिसे अकबर ने अपने शासन काल के आरंभ में चलाया था।इसका मूल्य 9रु. (आइने-अकबरी के अनुसार) था। मुगल का सबसे अधिक प्रचलित सिक्का था।

शंसब-

अकबर द्वारा चलाया गया सबसे बङा सोने का सिक्का जो 101 तोले का होता था।जो बङे लेन-देन में प्रयुक्त होता था।

इलाही-

अकबर द्वारा चलाया गया सोने का गोलाकार सिक्का था। इसका मूल्य 10 रु. के बराबर था।

रुपया-

शुद्ध चाँदी का वर्गाकार या चौकोर सिक्का इसे (शेरशाह द्वारा प्रवर्तित) इसका वजन 175ग्रेन होता था।

जलाली-

चाँदी का वर्गाकार या चौकोर सिक्का। इसे अकबर ने चलाया।

दाम-

अकबर द्वारा चलाया गया ताँबे का सिक्का जो  रुपये के 40वें भाग के बराबर होता था।

जीतल-

ताँबे का सबसे छोटा सिक्का। यह दाम के 25वें भाग के बराबर होता था।इसे फुलूस या पैसा कहा जाता था।

निसार-

जहाँगीर द्वारा चलाया गया ताँबे का सिक्का जो रुपये के चौथाई मूल्य के बराबर होता था।

आना-

दाम और रुपये के बीच आना नामक सिक्के का प्रचलन  करवाया।

मुगलकालीन माप की इकाई-

सिकंदरी गज-

  • यह 39अंगुल या 32इंच (अंक) की होती थी।

इलाही गज-

  • यह 41अंगुल या 33इंच की होती थी।

कोवाङ-

  • दक्षिणी भारत में सूती-ऊनी वस्रों के नाम की इकाई।

बहार-

  • अरब व्यापारियों ने समुद्री तटों पर तोल की इस इकाई को लागू किया था।

कैण्डी-

  • गोवा में प्रचलित तोल की इकाई।

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इसे सुनेंरोकेंहुमायूँ के शासनकाल में उसने कुछ भारी चांदी के सिक्के भी जारी किए थे जिन्हें रुपया कहा जाता था। हुमायूँ ने आगरा से ‘शाहरुखी’ शैली के कुछ सोने के सिक्के और कुछ छोटे सोने के सिक्के भी जारी किए।

अकबर द्वारा चलाए गए सिक्कों के नाम?

इसे सुनेंरोकेंबाद के वर्षों में टकसाल रहित सोने और चांदी के सिक्के जारी किए गए। अन्य सिक्के ‘निस्फी’ या ‘अधेला’ (आधा), ‘पौला’ या ‘रबी’ या ‘डमरा’ (चौथाई) और ‘दमरी’ (आठवां) थे। इन सिक्कों के बाद ‘टंका’ नामक एक नया सिक्का पेश किया गया।

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मुगल काल में तांबे का सिक्का क्या कहलाता है?

इसे सुनेंरोकेंमुगल काल में ताँबे का सिक्का ‘दाम’ कहलाता था। ‘रूपया’ चांदी का सिक्का था। अकबर के समय में निस्की (आधा दाम), दामड़ (चौथाई दाम) दमड़ी (आठवां दाम) नाम के सिक्के प्रचलित थे। अकबर कालीन मुहर तौल में 170 ग्रेन था।

मुगल काल में दिरहम क्या था?

इसे सुनेंरोकेंमहमूद गजनवी ने सोने के दीनार व चांदी के दिरहम नामक सिक्के चलाए । महमूद गजनवी ने सिक्कों पर संस्कृत भाषा में लेख उत्कीर्ण करवाए। मोहमद गौरी ने लक्ष्मी के चित्र अंकित सिक्के जारी किए । इल्तुतमिश दिल्ली सल्तनत का प्रथम शासक था जिसने मुद्रा व्यवस्था का पुनर्गठन किया व पहली बार शुद्ध अरबी ढंग के सिक्के चलाए ।

मुगल बादशाह के नाम के सिक्के भारत में कब तक चले?

इसे सुनेंरोकेंबाबर, हुमायूं और अकबर ने तैमूर बादशाह शाहरुख द्वारा प्रसारित चांदी के सिक्के शाहरुखी को मान्यता देते हुए चलाया जो 15वीं शताब्दी तक चला था।

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अकबर काल के सिक्के?

इसे सुनेंरोकेंअकबर के सिक्कों में सोने, चांदी और तांबे के सिक्के शामिल हैं। अकबर के समय में बनाए गए सोने के सिक्कों को ‘मुहर’ के नाम से जाना जाता है। अबुल फजल के अनुसार अकबर ने कई मूल्य के सोने के सिक्के जारी किए थे। इस काल में भारी वजन के सिक्के आम थे लेकिन समय के साथ हल्के वजन के सिक्के आम हो गए और भारी वजन के सिक्के दुर्लभ हो गए।

मुगल काल में तांबे के सिक्के को क्या कहा जाता था?

3. तांबे के सिक्के माषक/काकणी कहलाते थे। 4. मौर्यकाल का मुख्य चांदी का सिक्का पण कहलाता था

मुगल काल में चांदी के सिक्कों को क्या कहा जाता था?

बाबर ने चाँदी की 'शाहरुखी' जारी कीं। इन सिक्कों को वास्तव में पंद्रहवीं शताब्दी की शुरुआत में तैमूर शासक शाहरुख द्वारा पेश किया गया थासिक्के के पिछले हिस्से में राजा का नाम और हाशिये पर उसकी उपाधियों के साथ टकसाल का नाम और तारीख अंकित थी।

मुगल काल के दौरान कौन से सिक्के अधिक प्रचलित थे?

अकबर ने अपने शासन के प्रारंभ में 'मुहर' नामक एक सोने का सिक्का चलाया। जो मुगल काल का सबसे अधिक प्रचलित सिक्का था। 'आइने-अकबरी' के अनुसार 1 'मुहर' 'नौ रूपये' के बराबर होता था। अकबर द्वारा चलाया गया सबसे बड़ा सोने का सिक्का 'शंसब' था, जो 101 तोले का था।

तांबे के सिक्के कौन से सन में चलते थे?

ई. पूर्व. प्रथम शताब्दी में उज्जैन में दो ग्राम के तांबे के सिक्के चलते थे