Punjab State Board PSEB 8th Class Science Book Solutions Chapter 9 जंतुओं में जनन Textbook Exercise Questions and Answers. Show PSEB 8th Class Science Guide जंतुओं में जनन Textbook Questions and Answersअभ्यास प्रश्न 1. प्रश्न 2. जनन प्रक्रम का पहला चरण
शुक्राणु और अंडाणु का संलयन है। नर से लाखों शुक्राणु मादा शरीर में डाले जाते हैं। शुक्राणु पूंछ द्वारा अंडाणु तक पहुंचने के लिए अंडवाहिनी में तैरते हैं। जब ये अंडाणु के निकट आते हैं तो एक शुक्राणु अंडाणु से संलयन करता है। इसे निषेचन कहते हैं। निषेचन के परिणामस्वरूप युग्मनज (Zygote) का निर्माण होता है। युग्मनज नए जीव का निर्माण करता है। निषेचन प्रक्रम में नर से शुक्राणु और मादा से अंडाणु का युग्म होता है। इसलिए नयी संतति में कुछ लक्षण माता के और कुछ लक्षण पिता के होते हैं। प्रश्न 3. (ख) एक टैडपोल जिस प्रक्रम द्वारा वयस्क में विकसित होता है, वे हैं- (ग) एक युग्मनज में पाए जाने वाले केंद्रकों की संख्या होती है- प्रश्न 4. (क) अंडप्रजनक जंतु विकसित शिशु को जन्म देता है। (ख) प्रत्येक शुक्राणु एक एकल कोशिका है। (ग) मेंढक में बाह्य निषेचन होता है। (घ) वह
कोशिका, जो मनुष्य में नए जीवन का प्रारंभ है, युग्मक कहलाती है। (ङ) निषेचन के पश्चात् दिया गया अंडा एक एकल कोशिका है। (च) अमीबा मुकुलन द्वारा जनन करता है। (छ) अलैंगिक जनन में भी निषेचन आवश्यक है। (ज) द्विखंडन अलैंगिक जनन की एक विधि है। (झ) निषेचन के परिणामस्वरूप युग्मनज बनता है। (ज) भ्रूण एक एकल कोशिका का बना होता
है। प्रश्न 5.
प्रश्न 6. 2. मुकुलन (Budding) – मुकुलन एक प्रकार की अलैंगिक जनन क्रिया है जिसमें नया जीव जो अपेक्षाकृत छोटे पुंज की कोशिकाओं से निकलता है, आरंभ में जनक जीव में मुकुल बनाता है। मुकुल अलग होने से पहले जनक का रूप धारण कर लेता है
जैसे-बाह्य मुकुलन में या जनक से अलग होने के पश्चात् आंतरिक मुकुलन में। बाह्य मुकुलन स्पंज, सीलेंट्रेटा (जैसे हाइड्रा), चपटे कृमि और ट्यूनीकेट में मिलता है, लेकिन कुछ सीलेंट्रेट जैसे ओबलिया पोलिप की अपेक्षा मैड्रयूसी पैदा करते हैं। प्रश्न 7. प्रश्न 8. उपरोक्त चित्र में मेंढक के विकास के विभिन्न चरण हैं। तीन स्पष्ट चरण हैं-
मेंढक व टैडपोल वयस्क एक-दूसरे से बिल्कुल भिन्न होते हैं। मेंढक में एक विशेष परिवर्तन
है- प्रश्न 9.
प्रश्न 10. ऊपर से नीचे की ओर उत्तर- PSEB Solutions for Class 8 Science जंतुओं में जनन Important Questions and AnswersTYPE-I प्रश्न 1. (i) ……………………… प्रक्रम
जाति की निरंतरता बनाए रखता है। (ii) फूल में नर और मादा युग्मक, ……………………….. और …………………….. कहलाते हैं। (iii) ……………….. जनन में, एक जीव अपने शरीर के भागों से नए जीव उत्पन्न करता है (iv) ……………………… सारा जीवन काल वृद्धि करते हैं, परंतु …………………………… कुछ ही आयु तक वृद्धि करते हैं। (v) एक बहुकोशिक जंतु अपना जीवन प्रक्रम एक …………………….. से करता है, जो लैंगिक जनन द्वारा बनता है। प्रश्न 2. प्रश्न 3.
उत्तर-
प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8.
प्रश्न 9. प्रश्न 10. प्रश्न 11. प्रश्न 12.
प्रश्न 13. प्रश्न 14.
प्रश्न 15. प्रश्न 16. प्रश्न 17. प्रश्न 18. प्रश्न 19. प्रश्न 20. प्रश्न 21. प्रश्न 22. प्रश्न 23. प्रश्न 24. प्रश्न 25. प्रश्न 26. प्रश्न 27. प्रश्न 28. प्रश्न 29. प्रश्न 30. प्रश्न 31. प्रश्न 32. प्रश्न 33. प्रश्न 34. प्रश्न 35. प्रश्न 36. प्रश्न
37. TYPE-II प्रश्न 1.
प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न
5. एक-लिंगी जीव – वे जीव जिनमें एक ही प्रकार के जननांग हों; नर अथवा मादा। प्रश्न 6.
प्रश्न 7.
प्रश्न 8.
प्रश्न 9.
प्रश्न 10. प्रश्न 11.
प्रश्न 12.
प्रश्न 13.
प्रश्न
14.
(ii) शुक्रवाहिनी और फैलोपियन नलिका में अंतर-
(iii) नर मूत्रवाहिनी और मादा मूत्रवाहिनी में अंतर-
(iv) भ्रूण एवं गर्भ में अंतर-
प्रश्न 15. प्रश्न 16. प्रश्न 17. प्रश्न 18. TYPE-III प्रश्न 1. मानव के नर प्रजनन अंग- 2. शुक्र वाहिनी (Vas Deferens) – प्रत्येक वृषण में से एक वाहिनी निकलती है जिसे शुक्र वाहिनी कहते हैं। ये वाहिनियां वृषण में से वीर्य को लाती हैं जिनमें शुक्राणु होते हैं। 3. मूत्रवाहिनी (Urethra) – शुक्र वाहिनी मूत्र मार्ग या मूत्र वाहिनी में खुलती है। चिपचिपा पदार्थ (वीर्य) के साथ शुक्राणु एक संकरी नली द्वारा मूत्र वाहिनी में पहुँचते हैं, जहां से शिश्न की सहायता से मादा की योनि में छोड़ दिए जाते हैं। शिश्न मूत्र एवं शुक्राणु युक्त वीर्य दोनों को बाहर निकालता है। 4. उपग्रंथियां (Accessory Glands) – ये ग्रंथियां शुक्राणुओं के आहार के लिए विभिन्न घटकों का रिसाव करती हैं। ये ग्रंथियां हैं-प्रोस्ट्रेट, काऊपर्स ग्रंथियाँ तथा वीर्य थैली। प्रश्न 2. 1. अंडाशय (Ovary) – श्रोणिय गुहिका में दो अंडाशय होते
हैं जो बहुत छोटे आकार के होते हैं। अंडाशय में अंडे बनते हैं। अंडाशय की अंदर की सतह पर एपीथीलियम कोशिकाओं की पतली परत होती है जिसे जनन एपीथीलियम कहते हैं। इसकी कोशिकायें विभाजित होकर फोलिकल तथा अंडा बनाती हैं। अंडाशय की गुहा में संयोजी ऊतक होते हैं जिन्हें स्ट्रोमा कहते हैं। प्रत्येक फोलिकल में एक जनन कोशिका होती है जिसके चारों ओर स्ट्रोमा की कोशिकाएँ रहती हैं। अर्ध सूत्री विभाजन के फलस्वरूप जनन कोशिकाएँ अंडे का निर्माण करती हैं। 2. फैलोपियन नलिका (Fallopian Tube) – यह रचना में नलिका समान होती है। इसका एक सिरा गर्भाशय से जुड़ा रहता है और दूसरा सिरा अंडाशय के पास खुला रहता है। इसके सिरे पर झालदार रचना होती है जिसे फिंब्री कहते हैं। अंडाशय से जब अंडा निकलता है तो फिंब्री की संकुचन क्रिया के कारण फैलोपियन नलिका में आ जाता है। यहाँ से गर्भाशय की ओर बढ़ता है। अंड निषेचन फैलोपियन नलिका में ही होता है। यदि अंडे का निषेचन नहीं होता तो यह गर्भाशय
से होकर योनि में और ऋतु स्राव के समय योनि से बाहर निकल जाता है। 3. गर्भाशय (Uterus) – यह मूत्राशय तथा मलाशय के बीच स्थित एक मांसल रचना है। फैलोपियन नलिकाएँ इसके दोनों ओर ऊपर के भागों में खुलती हैं। गर्भाशय का निचला सिरा कम चौड़ा होता है और योनि में खुलता है। गर्भाशय के अंदर की दीवार एंड्रोमीट्रियम की बनी होती है। गर्भाशय का मुख्य कार्य निषेचित अंडे को परिवर्धन काल में जब तक कि गर्भ विकसित होकर शिशु के रूप में जन्म न ले ले, आश्रय तथा भोजन प्रदान करना है। 4. योनि (Vagina) – यह मांसल नलिका समान रचना है। इसका पिछला भाग गर्भाशय की ग्रीवा में खुलता है। मादा में मूत्र निष्कासन के लिए अलग छिद्र होता है जो योनि में खुलता है। 5. भग (Vulva) – योनि बाहर की ओर एक सुराख से खुलती है जिसे भग कहते हैं। प्रश्न 3. फिन डारसेट नामक मादा भेड़ की स्तन ग्रंथि से एक कोशिका एकत्र की गई। उसी समय स्काटिश ब्लैक फेस ईव से एक अंडकोशिका एकत्र की गई। अंडकोशिका का केंद्रक हटा दिया गया। तत्पश्चात् फिनडारसेट से एकत्र कोशिका का केंद्रक, दूसरी केंद्रक
विनि कोशिका में स्थापित किया गया। इस प्रकार उत्पन्न अंड कोशिका को स्काटिश ब्लैक फेस ईव में रोपित किया गया। अंड कोशिका का विकास एवं परिवर्धन सामान्य रूप से हुआ और अंततः डॉली का जन्म हुआ। यद्यपि स्काटिश ब्लैकफेस ईव ने डॉली को जन्म दिया परंतु डॉली फिन डारसेट भेड़ के समरूप थी, जिससे केंद्रक लिया गया था। डॉली में स्काटिश ईव के कोई लक्षण परिलक्षित नहीं हुए क्योंकि इसका केंद्रक हटा दिया गया | था। दुर्भाग्य से फेफड़ों के रोग के कारण डॉली की 14 फरवरी, 2003 में मृत्यु हो गई। फैलोपियन नलिका क्या है?ये नलिकाएँ अण्डाशय से निकले अण्डाणु को फिम्ब्री द्वारा ग्रहण करके गर्भाशय में पहुँचती हैं । अण्डाणुओं का निषेचन इन्हीं नालियों में होता है । इनकी दीवार पेशीय होती है तथा इनकी आन्तरिक सतह पर सिलिया पाये जाते हैं , जिनकी गति के कारण ही अण्डाणु फिम्ब्री में आता है । इन नलिकाओं को फैलोपियन नलिका या अण्डवाहिनी कहते हैं ।
फैलोपियन ट्यूब किसका भाग है?चिकित्सा विज्ञान में प्रगति के साथ अब उन महिलाओं के लिए कई उपचार विकल्प उपलब्ध हैं जिनकी समस्या जटिल है। -गर्भाशय और अंडाशय के बीच पेट में स्थित फैलोपियन ट्यूबों को गर्भाशय ट्यूब भी कहा जाता है। गर्भाशय के दोनों तरफ दो फैलोपियन ट्यूब हैं।
फैलोपियन ट्यूब के अंतिम भाग को क्या कहते हैं?अम्पुल्ला डिंबवाहिनी के अंतिम भाग तक फैला हुआ है जिसे संकीर्णभाग (इस्तमस) कहा जाता है।
फैलोपियन ट्यूब कितनी होती है?महिला के शरीर में दो फैलोपियन ट्यूब होती हैं।
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