हाथमलनामुहावरेकाअर्थ hath malna muhavare ka arth – पछताना। Show दोस्तो अगर कोई कुछ काम करता है और बाद मे उस काम के कारने के कारण पछताता है और सोचता है की मुझे वह काम नही करना चाहिए था । या फिर कुछ लोग ऐसे भी होते है जो पहले तो कुछ काम नही करते और जब उन्हे जरुरत होती है तो वह काम करना शुरु करता है । जब वे काम पहले न कर कर समय बित जाने पर करते है तो उनसे काम नही होता और वह पछताते है । इसी तरह के कार्य करने व न करने के कारण जो लोग पछताते है उनके लिए इस मुहावरे का प्रयोग किया जाता है । हाथ मलना मुहावरे का वाक्य मे प्रयोग Use in sentence
हाथमलनामुहावरे पर कहानी Idiom storyप्राचिन समय की बात है किसी नगर मे घनश्याम नाम का एक राजा रहता था । उसका एक पुत्र था जो बहुत ही आलसी था । राजा के पुत्र का नाम मुलचंद था । राजा को लगता था की अगर मै मर जाउगा तो मेरे पुत्र का क्या होगा । पर राजा की रानी कहती की यह तो अभी बच्चा है इसी कारण से ऐसे आलसी है । जब बडा होगा तब अपना काम सम्भाल लेगा तब अपने आप ही सम्भल जाएगा । इस तरह से कह कर रानी राजा को चुप करा देती थी । एक दिन राजा ने सोचा की अगर इसे शिक्षा लेने के लिए गुरुकुल मे भेज देगे तो यह अपना आलस छोड देगा और साथ ही इसे शिक्षा लेनी भी जरुरी है । ऐसा सोचकर राजा ने उसे गुरुकुल मे भेज दिया था । राजा के पुत्र को पसन्द नही था की वह महल को छोडकर एक कुटिया मे जाकर शिक्षा ले । इस कारण वह बहाने बनाने लगा पर राजा ने उसकी एक भी नही सुनी और उसे गुरुकुल भेज दिया था । मुलचंद शिक्षा लेने के लिए गुरुकुल मे चला तो गया था पर वहा पर वह अपने गुरु की एक भी बात नही मानता था । इस कारण मुलचंद का गुरु उसकी शिकायत लेकर राजा के पास आया । तब राजा ने गुरु को कहा की आप जो चाहे उसके साथ करे पर उसे शिक्षा दे और उसका आलस दूर करे । इस तरह से राजा ने गुरु को कह कर वहा से भेज दिया । दुसरे दिन जब मुलचंद ने गुरु की बात नही मानी तो गुरु ने उसे सजा के तोर पर खाना नही दिया । राजा का पुत्र होने के कारण वह कभी भी भुखा नही रहा था और गुरु ने उसे भुखा रहने की सजा दी तो उससे रहा नही गया और वह अगले दिन से गुरु की बात मानने लगा था । इस तरह से गुरु ने उसे शिक्षा तो देनी शुरु कर दी और वह शिक्षा लेता भी था पर पुरी तरह से नही लेता था । इस तरह से उसने कई वर्षो तक शिक्षा ली और जब शिक्षा पुरी हो गई तो वह अपने महल के लिए रवाना हो गया था । जब मुलचंद महल गया था तो लोगा ने व राजा ने उसका स्वागत फुलो से किया था । लोग भी उसे देख रहे थे क्योकी वह उनके राज्य का होने वाला राजा था । जब वह अपने राज्य आया तो उसकी उम्र भी बढ गई थी । राजा को खुशी थी की उसके बेटे ने शिक्षा तो घ्रहण कर ली है पर उसे यह नही पता था की शिक्षा पुरी नही ली क्योकी वह बिच बिच मे ध्यान नही लगाता था । कुछ दिनो के बाद राजा के राज्य मे दुसरे राज्य के राजा ने हमला बोल दिया । राजा बहुत ही बलवान था और उसकी सेना भी शक्तीशाली थी इस कारण उसने किसी तरह से उस राजा से अपने राज्य की हिफाजत कर ली थी । पर युद्ध मे राजा बहुत ही घायल हो गया था । इस कारण कुछ दिनो के बाद मे राजा की मृत्यु हो गई थी । राजा ने मरने से पहले अपने बेटे को राजा बनाने का ऐलान कर दिया था । इस कारण जैसे ही राजा मरा तो उसके कुछ दिनो के बाद ही राजा के बेटे मुलचंद को नया राजा बनाया गया । मुलचंद चहाता था की वह आराम करे इस कारण वह दिन भर आराम करता था और धिरे धिरे वह वापस आलसी बन गया था । वह तो लोगो की भी समस्या नही सुनता था उनकी समस्या को राजा का मंत्री ही सही करता था । इस तरह से राज्य होने के कारण राजा के मंत्री को लालच आ गया और उसने सोचा की क्यो न इसे मार कर मै इस राज्य का नया राजा बन जाउ । मंत्री ने यह भी सोचा की यह अपने राज्य के लोगो की समस्या तो वैसे ही हल नही करता है और न ही उनके बिच मे जाकर उनसे बाते करता है । अगर इसे मार दुगा तो मै भी कुछ बुरा नही करुगा । ऐसा सोचकर राजा के मंत्री ने मुलचंद पर वार कर दिया था । मुलचंद ने बहुत दिनो तक अपने युद्ध का अभ्यास नही किया था इस कारण उसने जो भी शिक्षा ली थी वह सब भुल गया था । इस कारण कुछ ही समय मे वह हार गया और अपने आप को मंत्री के हवाले कर दिया । मंत्री ने उसे पकड कर बंदी बना लिया । जब उसके हाथो से राजा का सभी सुख चला गया तो वह पछताने लगा । राजा बंदी बन जाने के कारण उसी मां भी बंदी हो गई थी और दोनो एक साथ एक तहखाने मे बंद रहते थे । अपना राज्य हाथ से चले जाने और मुलचंद के पछताने के कारण उसकी मां ने उससे कहा की तुमने पहले तो अपने राज्य को सही तरह से चलाया नही और अब हाथ मलते रहने से कुछ भी नही हो सकता । इसी तरह से मंत्री के राजा बन जाने के कारण राज्य के लोग भी खुश थे क्योकी मंत्री ही उनकी सहायता करता था । लोग कहते की राजा तो बेचारा अच्छा था पर उसका बेटा सही तरह से अपने राज्य को नही सम्भाल सका था और बंदी बन गया । गाव के लोग आपस मे बात करते थे की अब उनके साथ होना था वह तो हो गया अब अगर वे हाथ मल भी रहे है तो कोई फायदा नही होगा । इस तरह मुलचंद और उसकी मां दोनो ही तहखाने मे बंदी होकर हाथ मल रहे थे । इस तरह से आप इस कहानी से मुहावरे का अर्थ समझ गए होगे । हाथ मलना मुहावरे पर निबंध Essay on idiomसाथियो इस दुनिया मे अनेक लोग ऐसे है जो पहले तो कुछ करते नही है और जब उन्हे किसी काम की जरुरत होती है तो उनसे कुछ होता नही है । और अपने आप से कहते है की अगर पहले ही मैने यह काम किया होता तो आज यह दिन नही आता । हवा से बातें करना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग हवाई किले बनाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग चोर की दाढ़ी में तिनका मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग गाल बजाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग गूलर का फूल होना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग इसी तरह से कुछ लोगो के पास जो कुछ होता है वह भी नष्ट हो जाता है क्योकी उन्होने उसे सही तरह से सम्भाला नही था । इस कारण वह धीरे धीरे नष्ट हो जाता है । जिस तरह से राजा के बेटे ने अपना राज्य गवाया था और फिर हाथ मलने लगा था । उसी तरह से जब उन्हे पता चलता है की हमारे लिए वह कितना जरुरी था तो वे भी हाथ मलने लगते है । इस तरह से आप इस मुहावरे का अर्थ समझ गए हेागे । हाथ मलना मुहावरे का अर्थ क्या होता है?हाथ मलना मुहावरे का मतलब होता है कि समय निकल जाने के बाद पछताना।
हाथ डालना मुहावरे का क्या अर्थ है?काम में हाथ डालना एक प्रचलित लोकोक्ति अथवा हिन्दी मुहावरा है। अर्थ- कार्य या व्यापार आरंभ करना। प्रयोग- जिस काम में उन्होंने हाथ डाला दो चार हज़ार गँवाया ही।
हाथ साफ करने का मुहावरे का अर्थ क्या है?हाथ साफ करना मुहावरे का अर्थ haath saaph karana muhaavare ka arth – ठगना या चोरी करना।
कुछ हाथ ना लगाना मुहावरे का अर्थ क्या है?अर्थ : कुछ प्राप्त न होना, सफलता प्राप्त न होना, कुछ नही मिलना। वाक्य प्रयोग : चोर जब चोरी करने एक घर में गया तो बहुत देर तक सब कुछ खोजने के बाद भी कुछ भी उसके हाथ न लगा।
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