सूर्य जब एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं तो ज्योतिष में इस घटना को संक्रांति कहते हैं। मकर संक्रांति (Makar Sankranti) के अवसर पर सूर्य का मकर राशि में प्रवेश होता है। एक संक्रांति से दूसरी संक्रांति के बीच का समय ही सौर मास कहलाता है। पौष मास में सूर्य उत्तरायण होकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो
इस अवसर को देश के अलग-अलग प्रांतों में अलग-अलग त्योहार के रूप में मनाते हैं। मकर संक्रांति का त्योहार उत्तर भारत में हर साल 14 जनवरी को मनाया जाता है। हाथ के ये लकी निशान बिजनस
में दिलाते हैं अपार सफलता, करोड़ों में खेलते हैं ऐसे लोग मकर संक्रांति को खुलता है स्वर्ग का द्वार भीष्म पितामाह ने
चुना था आज का दिन मकर संक्रांति का आगमन ध्वज योग में, देखें किन-किन राशियों के लिए शुभ फलदायी पुराणों में मकर संक्रांति की कथा मकर संक्रांति से जुड़ा है सूर्य शनि का वरदान मकर संक्रांति का व्यवहारिक और वैज्ञानिक कारण मकर संक्रांति का वैज्ञानिक कारण यह है कि इस दिन से सूर्य के उत्तरायण हो जाने से प्रकृति में बदलाव शुरू हो जाता है। ठंड की वजह से सिकुरते लोगों को सूर्य के उत्तरायण होने से शीत ऋतु से राहत मिलना आरंभ होता है। भारत एक कृषि प्रधान देश है जहां के पर्व त्योहार का संबंध काफी कुछ कृषि पर निर्भर करता है। मकर संक्रांति ऐसे समय में आता है जब किसान रबी की फसल लगाकर खरीफ की फसल, धन, मक्का, गन्ना, मूंगफली, उड़द घर ले आते हैं। किसानों का घर अन्न से भर जाता है। इसलिए मकर संक्रांति पर खरीफ की फसलों से पर्व का आनंद मनाया जाता है। Navbharat Times News App: देश-दुनिया की खबरें, आपके शहर का हाल, एजुकेशन और बिज़नेस अपडेट्स, फिल्म और खेल की दुनिया की हलचल, वायरल न्यूज़ और धर्म-कर्म... पाएँ हिंदी की ताज़ा खबरें डाउनलोड करें NBT ऐप लेटेस्ट न्यूज़ से अपडेट रहने के लिए NBT फेसबुकपेज लाइक करें भीष्म पितामाह ने चुना था आज का दिन पुराणों
में मकर संक्रांति की कथा मकर संक्रांति से जुड़ा है सूर्य शनि का वरदान मकर संक्रांति का व्यवहारिक और वैज्ञानिक कारण मकर संक्रांति का वैज्ञानिक कारण यह है कि इस दिन से सूर्य के उत्तरायण हो जाने से प्रकृति में बदलाव शुरू हो जाता है। ठंड की वजह से सिकुरते लोगों को सूर्य के उत्तरायण होने से शीत ऋतु से राहत मिलना आरंभ होता है। भारत एक कृषि प्रधान देश है जहां के पर्व त्योहार का संबंध काफी कुछ कृषि पर निर्भर करता है। मकर संक्रांति ऐसे समय में आता है जब किसान रबी की फसल लगाकर खरीफ की फसल, धन, मक्क, गन्ना, मूंगफली, उड़द घर ले आते हैं। किसानों का घर अन्न से भर जाता है। इसलिए मकर संक्रांति पर खरीफ की फसलों से पर्व का आनंद मनाया जाता है। मकर संक्रांति : पतंग महोत्सव पर्व मकर संक्रांति पर्व को 'पतंग महोत्सव' के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन लोग छतों पर खड़े होकर पतंग उड़ाते हैं। हालांकि पतंग उड़ाने के पीछे कुछ घंटे सूर्य के प्रकाश में बिताना मुख्य वजह बताई जाती है। सर्दी के इस मौसम में सूर्य का प्रकाश शरीर के लिए स्वास्थवद्र्धक और त्वचा तथा हड्डियों के लिए बेहद लाभदायक होता है। पतंग है शुभ संदेश की वाहक नई सोच और
शक्ति मकर संक्रांति मनाने का वैज्ञानिक कारण क्या है?प्रकाश में वृद्धि के कारण मनुष्य की शक्ति में वृद्धि होती है। - इस दिन से रात छोटी और दिन बड़े होने लगते हैं। दिन बड़ा होने से सूर्य की रोशनी अधिक होगी और रात छोटी होने से अंधकार कम होगा। इसलिए मकर संक्रांति पर सूर्य की राशि में हुए परिवर्तन को अंधकार से प्रकाश की ओर अग्रसर होना माना जाता है।
मकर संक्रांति 14 जनवरी को ही क्यों होती है?मकर संक्रांति, सूरज से जुड़ा पर्व है,जो १४/१५ जनवरी को मनाया जाता है,हर साल । ज्योतिष के अनुसार इस दिन सूरज धनु राशि को छोड़ कर मकर राशि में प्रवेश करता है। सूर्य जब एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है,तो इस घटना को संक्रांति कहते हैं। जब सूरज मकर राशि में प्रवेश करता है ,तो दिन बड़े और रात छोटी होने लगती हैं।
मकर संक्रांति के दिन लोग खुश क्यों हो जाते हैं?क्यों मनाई जाती है मकर संक्रांति ? दरअसल, इस दिन भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि देव के घर में प्रवेश करते हैं, यानि कि मकर राशि में प्रवेश करते हैं, और एक महीने तक रहते हैं, इस दौरान सूर्य देव की गति उत्तरायण होती है। जिसे दान और स्नान के लिए शुभ माना जाता है।
मकर संक्रांति की क्या विशेषता है?मकर संक्रांति (संक्रान्ति) पूरे भारत और नेपाल में किसी न किसी रूप में मनाया जाता है। पौष मास में जब सूर्य मकर राशि पर आता है तभी इस पर्व को मनाया जाता है। वर्तमान शताब्दी में यह त्योहार जनवरी माह के चौदहवें या पन्द्रहवें दिन ही पड़ता है, इस दिन सूर्य धनु राशि को छोड़ मकर राशि में प्रवेश करता है।
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