माल-विक्रय तथा इसके मुख्य तत्वों को स्पष्ट कीजिए । - maal-vikray tatha isake mukhy tatvon ko spasht keejie .

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माल के विक्रय अनुबन्ध से आप क्या समझते है? वस्तु विक्रय अनुबन्ध के मुख्य लक्षण बताइए।

वस्तु या माल शब्द की परिभाषा दीजिए। वस्तु विक्रय अनुबन्ध के मुख्य लक्षण बताइए। What do you understand by contract sale of goods? State the main features of a commodity sales contract.

वस्तु या माल शब्द की परिभाषा – भारतीय वस्तु विक्रय अधिनियम की धारा 2 के अनुसार, “वस्तु से आशय प्रत्येक प्रकार की चल सम्पत्ति से होता है किन्तु इसमें वाद- योग्य दावे और मुद्रा सम्मिलित नहीं है। इसमें स्टाक एवं अंश, खड़ी फसले, घास और अन्य वस्तुएँ जो भूमि से जुड़ी हो तथा जिन्हें विक्रय से पूर्व भूमि से अलग कर लिया गया हो अथवा जिन्हें विक्रय अनुबन्ध के अन्तर्गत भूमि से अलग करने का ठहराव कर लिया गया हो, सम्मिलित है। इसी प्रकार, व्यापार की ख्याति, कॉपी राइट, पेटेन्ट अधिकार, ट्रेडमार्क, न्यायालय की डिक्री, पानी, बिजली आदि को भी माल में शामिल किया जाता है।”

वस्तु/माल के विक्रय अनुबन्ध- वस्तु विक्रय अधिनियम 1930 की धारा 4( 1 ) के अनुसार, “विक्रय में एक विक्रेता एक निश्चित मूल्य के प्रतिफल में वस्तु का स्वामित्व क्रेता को हस्तान्तरित करता है अथवा हस्तान्तरित करने के लिए सहमत होता है। यदि किसी विक्रय अनुबन्ध के अन्तर्गत किसी वस्तु का स्वामित्व विक्रेता से क्रेता को हस्तान्तरित हो जाता है तो उस अनुबन्ध को विक्रय अनुबन्ध कहते हैं, परन्तु यदि वस्तु के स्वामित्व का हस्तान्तरण भविष्य में होने वाले हो, अथवा भविष्य में किसी शर्त के पूरा करने पर आधारित हो तो इस प्रकार के अनुबन्ध को ‘ विक्रय के लिए अनुबन्ध’ कहते हैं।

उदाहरण- ‘अ’, ‘ब’ को 500 बोरे गेहूँ 500 की दर से विक्रय करता है तथा ‘ब’ को गेहूँ के बोर सुपुर्द कर देता है तो इसे विक्रय कहा जायेगा। परन्तु यदि ‘अ’, ‘ब’ को 500 बोरे गेहूँ 500 रुपये प्रति बोरे की दर पर किसी आगामी तिथि को विक्रय करने को सहमत होता है तो इसे विक्रय के लिए अनुबन्ध कहा जायेगा।

विक्रय अनुबन्ध के आवश्यक लक्षण निम्नलिखित हैं-

(1) दो पक्षकार- क्रेता तथा विक्रेता-विक्रय अनुबन्ध दो पक्षकारों के मध्य होता है। ये पक्षकार विक्रेता और क्रेता कहलाते हैं। विक्रेता माल को बेचता है अथवा माल को बेचने का समझौता करता है। जब क्रेता माल को क्रय करता है अथवा क्रय करने का समझौता करता है। इस प्रकार क्रेतां और विक्रेता दो भिन्न व्यक्ति होते हैं।

(2) वस्तु या माल- विक्रय अनुबन्ध की विषय सामग्री माल होता है। यहाँ माल से अभिप्राय चल सम्पत्ति से होता है। वस्तु विक्रय अधिनियम 1930 की धारा 21 (7) के अनुसार वाद योग्य दावे एवं मुद्रा को छोड़कर सभी प्रकार की चल सम्पत्ति को माल कहा जाता है, इसमें स्कन्ध, शेयर, खड़ी फसलें, घास तथा भूमि पर लगी हुई अथवा भूमि से सम्बद्ध अन्य ऐसी वस्तुएं, जिन्हें विक्रय से पहले या विक्रय के समझौते के अन्तर्गत मूल से अलग करने का वचन दिया गया है, सम्मिलित हैं। “

(3) मूल्य- मूल्य से तात्पर्य माल के हस्तान्तरण के मौद्रिक प्रतिफल से है। माल के विक्रय के लिए प्रतिफल का होना आवश्यक है और यह प्रतिफल मुद्रा के रूप में ही होना चाहिए।

(4) माल के स्वामित्व का हस्तान्तरण – विक्रय अनुबन्ध में वस्तु में निहित स्वामित्व का हस्तान्तण होना आवश्यक है, वास्तविक हस्तान्तरण किसी भविष्य की तिथि पर होना निश्चित किया जा सकता है।

(5) चल सम्पत्ति का ही विक्रय- वस्तु के विक्रय में सदैव चल सम्पत्ति का ही विक्रय होता है, अचल सम्पत्तियों का विक्रय इस नियम के अन्तर्गत नहीं होता है।

(6) पूर्ण एवं शर्त युक्त अनुबन्ध – जब कोई व्यक्ति किसी वस्तु को खरीद लेता है तो इसे पूर्ण विक्रय अनुबन्ध कहते हैं। यदि वह उसे पसन्द आने की शर्त पर लेता है तो इसे शर्त युक्त विक्रय अनुबन्ध कहा जाता है।

(7) वैध अनुबन्ध के लक्षण- विक्रय का अनुबन्ध एक अनुबन्ध है, अत: इसमें वे सभी लक्षण पाये जाते हैं जो कि भारतीय अनुबन्ध अधिनियम, 1872 की धारा 10 के अनुसार एक वैध अनुबन्ध में होने आवश्यक है।

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माल विक्रय अधिनियम की मुख्य विशेषताएं क्या है?

विक्रय और विक्रय करने का करार – (1) माल के विक्रय की संविदा ऐसी संविदा है जिसके द्वारा विक्रेता माल में की सम्पत्ति क्रेता को कीमत पर अन्तरित करता या अन्तरित करने का करार करता है । एक भागिक स्वामी और दूसरे भागिक स्वामी के बीच विक्रय की संविदा हो सकेगी। (2) विक्रय की संविदा आत्यन्तिक या सशर्त हो सकेगी ।

माल विक्रय अधिनियम कब लागू हुआ?

माल विक्रय अधिनियम 1930, 01 जुलाई 1930 को लागू किया गया ।

विक्रय अनुबंध से क्या समझते हैं?

उक्त अचल सम्पत्ति का विक्रय अनुबन्ध प्रथम पक्ष द्वारा व्दितीय पक्ष के हक में आगे वर्णित शर्तों के अधीन किया जाता है। . (स्थान) में निष्पादित किया गया है

1930 क्या है?

साइबर फ्रॉड होने पर अब पीड़ितों को 155260 की जगह 1930 हेल्प लाइन नंबर पर शिकायत दर्ज करानी होगी. इस नए नंबर को केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी किया गया है. Cyber Crime Helpline Number: अगर आप साइबर ठगों के शिकार बन गए हैं तो अब इसकी शिकायत दर्ज कराने के लिए आप 1930 हेल्प लाइन नंबर डायल कर सकते हैं.