विषयसूची मलद्वार में चुभन क्यों होता है?इसे सुनेंरोकेंइस बीमारी में गुदा और मलाशय की नसों में सूजन हो जाती है। हैवी वेट लिफ्टिंग, मोटापे, लम्बे समय तक खड़े या बैठे रहने से, दूषित और कम फाइबर युक्त भोजन की वजह से पाइल्स की बीमारी हो जाती है। पाइल्स इंटरनल और एक्सटरनल दो प्रकार की होती है। इसकी वजह से एनस के अंदर और बाहर मस्से जैसे बन जाते हैं और सूजन रहती है। लैट्रिन की जगह में जलन क्यों होती है? इसे सुनेंरोकेंपाइल्स में एनल या रेक्टल एरिया की ब्लड वेसल्स बड़ी हो जाती है जिसकी वजह से जलन के साथ दर्द होता है. पाइल्स होने के कई कारण हो सकते हैं. कई बार कब्ज, पाचन क्रिया के सही नहीं होने पर, बहुत भारी चीजें उठाने पर, गैस की समस्या होने पर, तनाव लेने पर, मोटापा होने पर और एनल सेक्स की वजह से भी ये बीमारी हो जाती है. बवासीर की गांठ कैसे होती है?इसे सुनेंरोकेंचिकित्सकों का मानना है कि यह बीमारी अधिक मात्रा में मीठा, मिर्च व मसालेदार भोजन तथा मदिरापान आदि से होता है। वहीं जिनको अत्यधिक कब्ज होती है, ऐसे व्यक्ति भी इस रोग की चपेट में आ जाते हैं। पहचान की दृष्टि से देखा जाए तो गुदा के भीतर तथा बाहर एक छोटी सी गांठ या मस्से बने रहते हैं, जिसे आमतौर पर पाइल्स कहा जाता है। इसे सुनेंरोकेंएनस के आसपास खून के थक्के, गांठ, मल त्याग करते वक्त खून आना और जलन होना पाइल्स के कुछ सामान्य लक्षण हैं। इस बीमारी में गुदा और मलाशय की नसों में सूजन हो जाती है। हैवी वेट लिफ्टिंग, मोटापे, लम्बे समय तक खड़े या बैठे रहने से, दूषित और कम फाइबर युक्त भोजन की वजह से पाइल्स की बीमारी हो जाती है। भगंदर से क्या होता है? इसे सुनेंरोकेंभगन्दर [Fistula] यह एक रोग है। गुदा द्वार [Rectum] पर एक प्रकार की फोड़ा से पैदा होकर यह गुदा द्वार के अन्दर तथा बाहर नली के रूप में घाव [Blind and open ulcers] पैदा करता है। अंग्रेजी भाषा में इसे फिस्टुला[Fistula] कहते हैं। यह फोड़ा कुछ दिनों में फूट जाता है और उसमें से मवाद तथा दूषित रक्त निकलने लगता है। फिस्टुला क्यों होता है?इसे सुनेंरोकेंफिस्टुला आमतौर पर क्रोहन रोग, मोटापे और लंबे समय तक एक स्थान पर बैठे रहने से होता है। आहार में उच्च फाइबर और तरल पदार्थ के अधिक सेवन से तीनों को रोका जा सकता है। इसके अलावा फिस्टुला को शौच के बेहतर और स्वच्छ आदतों का अभ्यास करके रोका जा सकता है। पाइल्स का इलाज काउंटर दवा और घरेलू उपचार द्वारा आसानी से किया जा सकता है। फोड़ा होने पर क्या लगाएं? इसे सुनेंरोकेंबेकिंग सोडा एंटीसेप्टिक और एंटीबैक्टीरियल गुणों के कारण संक्रमण से बचाता है। तुलसी : एंटीबैक्टीरियल गुण वाली तुलसी फोड़े-फुंसी से छुटकारा दिला सकती है। तुलसी की पत्तियों को पीसकर लेप तैयार कर लें और इसे फोड़े-फुंसी पर लगाएं। नीम : नीम का एंटी वायरल और एंटी फंगल गुण फोड़े-फुंसी सही करने में मदद करता है। लैट्रिन के रास्ते दर्द हो तो क्या करें?इसे सुनेंरोकेंगुदा की दरार बहुत दर्दनाक हो सकती है, लेकिन कई कुछ हफ्तों में अपने आप ठीक हो जाती हैं। अपने आहार में फाइबर की मात्रा बढ़ाने से, बहुत सारे तरल पदार्थ, लैक्सेटिव (laxatives) और कुछ दर्द निवारक दवाएं लेने से, मदद मिल सकती हैं। बवासीर की जांच कैसे होती है? हमे कैसे पता चलता है की हमे पाइल्स या बवासीर है?
भगंदर की शुरुआत कैसे होती है?भगंदर के लक्षण:
फिस्टुला कैसे ठीक होता है? इसे सुनेंरोकेंलेजर सर्जरी (laser surgery) – फिस्टुला का इलाज करने के लिए लेजर सर्जरी सबसे अच्छी मानी जाती है। इसमें लेजर की मदद से फिस्टुला को सुखा दिया जाता है। इससे न तो मल के लीक होने की समस्या होती है और न ही रिकवरी में ज्यादा समय लगता है। दो से तीन दिनों के भीतर रोगी अपने सामान्य जीवन में वापिस आ जाता है। मलद्वार में दर्द और जलन अक्सर मसल्स में ऐंठन या कब्ज की वजह से हो सकता है. कई बार ये दर्द और जलन मलद्वार में इन्फेक्शन या कैंसर के कारण भी हो सकता है. आइए, विस्तार से जानें, मलद्वार में दर्द और जलन के कारणों के बारे में- एनल फिशरएनल के टिशू में एक छोटा-सा टियर, एनल फिशर के रूप में जाना जाता है. रेक्टम में जलन या दर्द का कारण फिशर हो सकता है. ज्यादातर समय रक्तस्राव भी हो सकता है, खासकर मल त्याग करते समय. एनल फिशर जिसे एनल में दरार भी कहते हैं, इसके लक्षण निम्न प्रकार से हैं-
(और पढ़ें - फिशर की आयुर्वेदिक दवा) प्रोक्टैल्जिया फुगैक्सप्रोक्टैल्जिया फुगैक्स के दौरान मलाशय की मांसपेशियों में ऐंठन होती है, जोकि मलाशय में जलन और दर्द का कारण बनता है. यह स्थिति पुरुषों की तुलना में महिलाओं को दोगुना अधिक प्रभावित करती है. आमतौर पर 30 से 60 वर्ष के बीच के लोगों में यह समस्या देखी जा सकती है. एक रिसर्च का अनुमान है कि 8 से 18 प्रतिशत लोग इसका अनुभव करते हैं. प्रोक्टैल्जिया फुगैक्स के दौरान रेक्टम में दर्द के अलावा अचानक गंभीर ऐंठन हो सकती है. ये ऐंठन कुछ सेकंड या मिनट या उससे भी अधिक समय तक चल सकती है. (और पढ़ें - बवासीर का होम्योपैथिक इलाज) एनल फिस्टुलाएनल फिस्टुला रेक्टम छोटी ग्रंथियों से घिरा होता है, जो रेक्टम की त्वचा को चिकना और स्वस्थ रखने के लिए ऑयल का स्राव करता है. यदि इनमें से एक ग्रंथि अवरुद्ध हो जाती है, तो एक संक्रमित घाव बन सकता है. रेक्टम के आसपास के कुछ घाव फिस्टुलस या छोटी टनेल में विकसित हो जाते हैं, जो इन्फेक्शन वाली ग्रंथि को रेक्टम त्वचा में एक छिद्र से जोड़ते हैं. यदि घाव का इलाज नहीं किया जाता है, तो फिस्टुला विकसित होने की अधिक संभावना होती है. इसके कई लक्षण हैं, जैसे -
(और पढ़ें - बवासीर की आयुर्वेदिक दवा) बवासीरमलद्वार में नसों की सूजन या दर्द को बवासीर के रूप में जाना जाता है. आंतरिक बवासीर को नोटिस करना मुश्किल होता है, जबकि बाहरी बवासीर आसानी से ध्यान देने योग्य और सबसे अधिक परेशानी वाली होती है. पाइल्स सूजी हुई रक्त वाहिकाएं होती हैं, जो रेक्टम के अंदर या आसपास देखी जा सकती हैं. ये वाहिकाएं अक्सर कब्ज के दौरान अधिक दबाव डालने के कारण सूज जाती हैं. कभी-कभी पाइल्स बिना दर्द के भी मलाशय में हो सकता है. बवासीर के लक्षण नीचे बताए गए हैं -
(और पढ़ें - बवासीर के घरेलू उपाय) टेनेस्मसयह ऐंठन के कारण होने वाला मलाशय का दर्द है. यह सूजन अक्सर आंत्र रोगों से जुड़ा होती है, जैसे क्रोहन रोग और अल्सरेटिव कोलाइटिस. ये समस्या अधिक कब्ज और दस्त रहने वाले लोगों को हो सकती है. टेनेस्मस के कुछ लक्षण हो सकते हैं, जैसे -
मलद्वार में दर्द और जलन के कुछ अन्य कारण भी हो सकते हैं, जो निम्न प्रकार से हैं-
(और पढ़ें - खूनी बवासीर का इलाज) मलद्वार में चुभन क्यों होता है?बवासीर या पाइल्स एक ऐसी बीमारी है जिसमें एनस के अंदर और बाहरी हिस्से की शिराओं में सूजन आ जाती है। इसकी वजह से गुदा के अंदरूनी हिस्से में या बाहर के हिस्से में कुछ मस्से जैसे बन जाते हैं, जिनमें से कई बार खून निकलता है और दर्द भी होता है। कभी-कभी जोर लगाने पर ये मस्से बाहर की ओर आ जाते है।
लैट्रिन के रास्ते में दर्द हो तो क्या करें?खुजली, जलन और बवासीर के दर्द में : खुजली, जलन और बवासीर के दर्द से बचने के लिए गर्म पानी की सिकाई बेहतर उपाय है। गर्म पानी में थोड़ी फिटकरी डालकर सिकाई करें। इससे गुदा क्षेत्र में जलन, सूजन और दर्द कम करने में मदद मिलती है और गुदा परिसंचरण में सुधार होता है। इसके लिए मेडिकल स्टोर पर सिज बाथ टब भी मिल जाता है।
लैट्रिन की जगह पर जलन क्यों पड़ती है?पेशाब या टॉयलेट (Toilet) के दौरान हल्की जलन होना आम समस्या है, लेकिन यदि जलन अधिक हो रही है, तो यह चिंता का विषय हो सकता है क्योंकि यह किडनी पर बुरा असर डाल सकता है. इस समस्या को डिस्यूरिया (Dysuria) कहते हैं. इसमें जलन के साथ दर्द (Pain) भी हो सकता है.
मलद्वार में सूजन होने पर क्या करें?नारियल का तेल लगाने से जलन और सूजन कम हो जाती है. एक गिलास मट्ठा में एक चौथाई अजवायन पाउडर को डालकर दोपहर के खाने के बाद पीएं. बर्फ के कुछ टुकड़ों को एक कपड़े में लपेट कर मलद्वार पर 10 मिनट के लिए रोज लगाएं, इससे आपको कुछ ही दिनों में राहत मिल जाएगी.
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