मात्रा कितने प्रकार की होती है - maatra kitane prakaar kee hotee hai

Matra in Hindi: किसी भी भाषा को समझने के लिए उनकी मात्रा का सही उपयोग समझना जरुरी है ताकि आप उस भाषा को अच्छे से बोल सके और लिख सके। हिंदी व्याकरण में मात्रा का उपयोग शब्द लिखने के लिए किया जाता है। इसलिए हिंदी में मात्रा का महत्व सबसे ज्यादा होता है।

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मात्रा कितने प्रकार की होती है - maatra kitane prakaar kee hotee hai
Image: Matra in Hindi

आज हम इस आर्टिकल में आपको हिंदी की मात्रा (hindi ki matra) के बारे में संपूर्ण जानकारी देंगे ताकि आप जब शब्द लिखे तब कोई भी भूल ना करें। इस आर्टिकल में हम मात्रा क्या है?, मात्रा के कितने प्रकार है?, हिंदी में मात्रा का प्रयोग कब और कहाँ करें?, आदि के बारे में जानकारी देंगे।

  • मात्रा की परिभाषा (Matra Ki Paribhasha)
    • हिंदी में कितनी मात्राएं होती है?
    • मात्रा के प्रकार
      • ह्रस्व
      • दीर्घ स्वर
      • प्लतु मात्रा
    • हिंदी की मात्राएँ
    • हिंदी मात्रा के उदाहरण
    • मात्रा का उच्चारण स्थान
    • हिंदी मात्रा के लिए ध्यान में रखने वाली बातें
    • हिंदी मात्रा का प्रयोग सभी व्यंजन के साथ
    • अ की मात्रा से बनने वाले शब्द
    • आ की मात्रा वाले शब्द
    • इ की मात्रा वाले शब्द
    • ई की मात्रा वाले शब्द
    • उ की मात्रा वाले शब्द
    • ऊ की मात्रा वाले शब्द
    • ऋ की मात्रा वाले शब्द
    • ए की मात्रा वाले शब्द
    • अं की मात्रा वाले शब्द
    • अः की मात्रा वाले शब्द
    • FAQ
    • निष्कर्ष

मात्रा की परिभाषा (Matra Ki Paribhasha)

जब स्वरों का प्रयोग व्यंजनों के साथ मिलाकर किया जाता हैं तब उनका स्वरूप बदल जाता हैं, उन्हे मात्रा कहते हैं। यानि कि किसी भी ध्वनि और वर्ण के उच्चारण को मात्रा कहते है।

मात्राएँ केवल स्वर की होती है। मात्रा के बिना व्यंजन को बोला भी नहीं जा सकता।

हिंदी में कितनी मात्राएं होती है?

वैसे तो हिंदी में मात्राओं की संख्या 11 है लेकिन सिर्फ 10 मात्रा का ही प्रयोग किया जाता है। क्योंकि ‘अ’ स्वर की कोई मात्रा नहीं होती। ‘अ’ को उदासीन स्वर कहा जाता है।

मात्रा के प्रकार

उच्चारण के आधार पर मात्राओं के तीन प्रकार हैं:

  1. ह्रस्व
  2. दिर्घ
  3. पल्तु

ह्रस्व

हस्व स्वर के मात्रा वाले वर्णो के उच्चारण में बहुत कम समय लगता है। इसमें केवल एक मात्रा का समय लगता है, इसीलिए इन्हें एक मात्रिक एवं मूल स्वर के नाम से भी जाना जाता है।

हिंदी व्याकरण में स्वर की कुल 4 संख्या है और इन्ही की मदद से बनने वाली मात्रा को हस्व मात्रा बोलते हैं। अ, इ, उ, ऋ यह ह्रस्व स्वर के उदाहरण है।

दीर्घ स्वर

दीर्घ स्वर का निर्माण एक स्वर में जब उसी तरह के दूसरे स्वर मिलते हैं तब इसका निर्माण होता है। जैसे अ + अ = आ, इ + इ = ई, उ+ उ = ऊ, अ+ इ = ए, अ + ओ = ओ, अ + ऊ = औ।

दीर्घ मात्रा वाले वर्णों के उच्चारण में 2 मात्राओं का समय लगने के कारण इसे द्वि-मात्रिक वर्ण भी कहा जाता है। यह हृस्व मात्रा से भी ज्यादा उच्चारण करने में समय लेता है।

आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ, यह हिंदी व्याकरण के दीर्घ स्वर है।

प्लतु मात्रा

प्लतु मात्रा वाले वर्ण का उच्चारण काफी ज्यादा लंबा होता है। यह दिर्घ से भी लंबा उच्चारित होता है। पल्तु मात्रा का कोई भी चिन्ह नहीं होता, इसे ३ से दर्शाया जाता है। उदाहरण के लिए ‘ओ३म्’। लेकिन पल्तु मात्रा का प्रयोग हिंदी में नहीं होता, इसका प्रयोग केवल संस्कृत में होता है। हिंदी में केवल ह्रस्व और दीर्घ मात्रा के उपयोग से शब्द बनाए जाते हैं।

हिंदी की मात्राएँ

स्वर मात्रा व्यंजन के साथ मात्राएँ
अ  उदासीन स्वर
 ा  का
ि कि
की
कु
कू
कृ
के
कै
को
अं ां कं
अ: ाः कः
hindi matra chart
मात्रा कितने प्रकार की होती है - maatra kitane prakaar kee hotee hai

हिंदी मात्रा के उदाहरण

स्वर मात्रा उदाहरण
अ  उदासीन स्वर बस, घर, कब, छत, जल, कल
 ा  काम, राजमा, कारखाना, राजा, धनवान, नाम
ि निगम, तिथि, किस्मत, किताब, चिंता, किसान
पीला, खाली, जीवन, ताली, शहीद
पुल, जुलाब, गुस्सा, झुमका, बुलबुल
तराजू, जादूगर, झूला, कबूतर, कूड़ादान
कृपालु, तृतीय, कृष्णकांत, वृष्टि, कृति, अमृत
बेसन, चमेली, केंद्र, विवेक, खेत, रेल
बैजनाथ, हैरान, सैनिक, पैदल, पैर, मैच
मोदी, मनोहर, भोजन, दोपहर, सोना, घोड़ा, बोतल
अं ां संतरा, जंगल, अंडा, सरपंच, गंगाधर
अ: ाः प्रातः, नमः, अतः, नि:संकोच, क्रमशः

मात्रा का उच्चारण स्थान

क्रमवर्णउच्चारणश्रेणी
1. अ, आ कंठ और जीभ का निचला भाग कंठ्य
2. इ, ई तालु और जीभ तालव्य
3. मूर्धा और जीभ मूर्धन्य
4. त्, थ्, द्, ध्, न्, ल्, स् दाँत और जीभ दंत्य
5. उ ऊ दोनों होंठ ओष्ठ्य
6. अं नासिका अनुनासिक
7. ए, ऐ कंठ तालु और जीभ कंठतालव्य
8. ओ, औ कंठ जीभ और होंठ कंठोष्ठ्य
9. व् दाँत जीभ और होंठ दंतोष्ठ्य

वर्णों के उच्चारण स्थान के बारे में विस्तार से पढ़ने लिए यहाँ क्लिक करें।

हिंदी मात्रा के लिए ध्यान में रखने वाली बातें

हिंदी एक ऐसी भाषा है, जिसमें किसी भी अक्षर या वर्ण के चारों तरफ मात्राएं लगती है। लेकिन सभी मात्राओं को लगाने का तरीका अलग है।

  • किसी अक्षर के पहले मात्रा लगती है, जिसे छोटी मात्रा कहा जाता है।
  • किसी अक्षर के पीछे मात्रा लगती है, जिसे बड़ी मात्रा कहा जाता है।
  • किसी अक्षर के ऊपर जो मात्रा लगती है तो ऐसी मात्राओं को उपली मात्रा कहा जाता है।
  • किसी अक्षर के नीचे जो मात्रा लगती हैं तो ऐसी मात्राओं को निचली मात्रा कहा जाता है।
  • कुछ मात्राएं ऐसी होती हैं, जो वर्ण के बीच में लगती हैं जैसे कि – क्रिया, रूपक।

‘र’ के साथ ‘उ’ या ‘ऊ’ की मात्रा उसके आगे-पीछे या ऊपर-नीचे न लगकर ‘र’ के पेट में  लगती है-

र् + उ = रु – रुपया, रुई
र् + ऊ = रू – रूप, अमरूद

‘ऋ’ की मात्रा हमेशा व्यंजन के नीचे लगती है।

व् + ऋ = वृ – वृक्ष
प् + ऋ = पृ – पृथ्वी

हिंदी मात्रा का प्रयोग सभी व्यंजन के साथ

X ि
का कि की कु कू के कै को कौ
खा खि खी खु खू खे खै खो खौ
गा गि गी गु गू गे गै गो गौ
घा घि घी घु घू घे घै घो घौ
चा चि ची चु चू चे चै चो चौ
छा छि छी छु छू छे छै छो छौ
जा जि जी जु जू जे जै जो जौ
झा झि झी झु झू झे झै झो झौ
टा टि टी टु टू टे टै टो टौ
ठा ठि ठी ठु ठू ठे ठै ठो ठौ
डा डि डी डु डू डे डै डो डौ
ढा ढि ढी ढु ढू ढे ढै ढो ढौ
णा णि णी णु णू णे णै णो णौ
ता ति ती तु तू ते तै तो तौ
था थि थी थु थू थे थै थो थौ
दा दि दी दु दू दे दै दो दौ
धा धि धी धु धू धे धै धो धौ
ना नि नी नु नू ने नै नो नौ
पा पि पी पु पू पे पै पो पौ
फा फि फी फु फू फे फै फ़ो फौ
बा बि बी बु बू बे बै बो बौ
भा भि भी भु भू भे भै भो भौ
मा मि मी मु मू में मै मो मौ
या यि यी यु यू ये यै यो यौ
रा रि री रु रू रे रै रो रौ
ला लि ली लु लू ले लै लो लौ
वा वि वी वु वू वे वै वो वौ
शा शि शी शु शू शे शै शो शौ
सा सि सी सु सू से सै सो सौ
षा षि षी षु षू षे षै षो षौ
हा हि ही हु हू हे है हो हौ
क्ष क्षा क्षि क्षी क्षु क्षू क्षे क्षै क्षो क्षौ
त्र त्रा त्रि त्री त्रु त्रू त्रे त्रै त्रो त्रौ
ज्ञ ज्ञा ज्ञि ज्ञी ज्ञु ज्ञू ज्ञे ज्ञै ज्ञो ज्ञौ

अ की मात्रा से बनने वाले शब्द

जल तक छत हक़
मल खत मन पट
सच रन अब रण
जर कक्ष बस धन
तन फल नथ नर

आ की मात्रा वाले शब्द

राजा हाथ कान दादा
चाचा पापा काला नाक
हाथ घास दात बात
दाना नारा रात बाबा
चादर रजाई दवाखाना दरवाजा

701+ आ की मात्रा वाले शब्द व वाक्य

इ की मात्रा वाले शब्द

रात्रि दिन थेलियम निर्माण
अतिथि विभिन्न काफिला बिलकुल
बिटिया खिल दिलाना छिला
मिजाज चिंतन बल्कि परिचित
मंत्रि अत्यधिक बिसात आमंत्रित

501+ छोटी इ की मात्रा वाले शब्द व वाक्य

ई की मात्रा वाले शब्द

साथी खीरा बली रंजीत
नीली चीनी नानी दुखी
चाची मामी लालची कमीज
भारी डाली असली जमीन
मछली बिजली बड़ी बीमारी

401+ ई की मात्रा वाले शब्द व वाक्य

उ की मात्रा वाले शब्द

चुप दुम खुल झुक
पुल मधु रघु कुछ
चुक लघु मुर्गा दुःख
तुम सुई रुप सुधा
घुस कुर्ता खुश पशु

351+ उ की मात्रा वाले शब्द एवं वाक्य

ऊ की मात्रा वाले शब्द

रूप नाखून पूर्व खुशबू
कूलर रूठना दूध बिरजू
झूम टूटा झाड़ू पतलू
अंगूर ऊंट लड्डू सूरज 
सूचना चबूतरा पूरा पूर्णिमा

301+ ऊ की मात्रा वाले शब्द एवं वाक्य

ऋ की मात्रा वाले शब्द

तृण मृदा दृश्य कृपा
भृगु कृमि कृषि तृषा
मृत्यु वृत्त भृत दृढ
कृत वृक्ष गृह घृणा
घृत मृग तृप्त ऋण

201+ ऋ की मात्रा वाले शब्द एवं वाक्य

ए की मात्रा वाले शब्द

आगे परफेक्ट श्वेत चेहरा
खाते बेसन बेसन चहकते
गहने गहने मेहमान फिसले
मेकअप टेंट वेतन देर
अकेले नाते पीछे शेर

301+ ए की मात्रा वाले शब्द एवं वाक्य

अं की मात्रा वाले शब्द

संदेश गंदा संज्ञा प्रचंड
पंच गंगाराम पतंग बंगाल
पलंग अंग पंथी खूंखार
अंगूर अंधकार अंत बंधन
सुरंग संबंध पंथ चंदन

अं की मात्रा वाले शब्द एवं वाक्य

अः की मात्रा वाले शब्द

प्राय: निःशुल्क शनै:
मूलत: भूर्भुवः क्रमशः
इश्वरः फलत: स्वतःला
फलतः तपः दुःशासन
शुभेच्छा: स्वः दुःसाहस

151+ अः की मात्रा वाले शब्द व वाक्य

FAQ

हिंदी में मात्रा कितनी होती है?

हिंदी में मात्राएं ग्यारह होती है।

मात्राएँ कितने प्रकार के होते है?

मात्राएं तीन प्रकार की होती है। ह्रस्व, दीर्घ और प्लुत।

र’ के साथ ‘उ’ या ‘ऊ’ की मात्रा कहाँ लगती है?

‘र’ के साथ ‘उ’ या ‘ऊ’ की मात्रा उसके आगे-पीछे या ऊपर-नीचे न लगकर ‘र’ के पेट में लगती है।

निष्कर्ष

इस आर्टिकल में हमने हिंदी की सभी मात्राएँ (Matra in Hindi) के बारे में आपसे जानकारी शेयर की है। जिसमें हमने मात्रा किसे कहते है, मात्रा की परिभाषा और प्रकार क्या है? उसके बारे में विस्तार से बताया है। मात्रा के सम्बंधित आपको माहिति पसंद आई हो तो उसे आगे शेयर जरुर करें। आर्टिकल के प्रति कोई भी सुझाव हो तो हमें नीचे कमेंट बॉक्स में जरुर बताएं।

यह भी पढ़े

संज्ञा सर्वनाम वाक्य लिंग
कारक वर्ण वचन पुरुष
स्वर व्यंजन वर्ण विभाग समास
क्रिया सयुंक्त क्रिया प्रत्यय उपसर्ग
विशेषण क्रिया विशेषण रस अव्यय
अलंकार विराम चिन्ह छंद शब्द शक्ति
युग्म शब्द स्‍वराघात विस्मयादिबोधक संबंध सूचक
वर्णों का उच्चारण स्थान संस्कृत में व्यंजन संधि संस्कृत में संधि संधि

मात्रा कितने प्रकार?

Ans. मात्राएं तीन प्रकार की होती है। ह्रस्व, दीर्घ, और प्लुत।

हिंदी में मात्राएँ कितनी होती है?

हिन्दी में 11 मात्राएँ होती हैं। अ ,आ ,इ ,ई उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ ,ओ और औ।

मात्रा की परिभाषा क्या है?

मात्रा- किसी वर्ण या ध्वनि के उच्चारण काल को मात्रा कहते हैं। या किसी स्वर के उच्चारण में जितना समय लगता है। उसे मात्रा कहते हैं। मात्राएं केवल स्वरों की होती है।

मात्रा स्वर को क्या कहते हैं?

व्यन्जन के साथ स्वर का मेल होने पर स्वर का जो रूप होता है, उसे मात्रा कहा जाता है। दूसरे शब्दों में स्वर के उच्चारण में लगने वाले समय को मात्रा कहते हैंस्वरों के मात्रा चिह्न व्यन्जन वर्णों में मिलते हैं