मिट्टी द्वारा अपना गुण-धर्म छोड़ने की स्थिति में क्या किसी भी प्रकार के जीवन की कल्पना की जा सकती है? Show मिट्टी के अपने स्वाभाविक गुण-धर्म को छोड़ देने से जीवन की सहज कल्पना नहीं की जा सकती। यदि मिट्टी फसल उगाने का गुण-धर्म त्याग दे तो हमारा जीवन असंभव-सा हो जाएगा क्योंकि सभी प्राणियों का जीवन फसल पर ही निर्भर करता है। मांसाहारियों के गुण-धर्म को पोषित करने में हमारी भूमिका अति महत्त्वपूर्ण हो सकता है। हमें इसे प्रदूषित होने से बचा सकते हैं। इस में मिलाए जाने वाले रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों, खरपतवार नाशियों के स्थान पर प्राकृतिक पदार्थों को उपयोग कर सकते हैं। इसमें मिलने वाले औद्योगिक अपशिष्ट पदार्थो की रोकथाम कर सकते हैं। 212 Views बच्चे की मुसकान और एक बड़े व्यक्ति की मुसकान में क्या अंतर है? बच्चे की मुसकान में बनावटीपन नहीं होता। वह सहज और स्वाभाविक होती है लेकिन किसी बड़े व्यक्ति की मुसकान बनावटी हो सकती है। वह समय और स्थिति के अनुसार बदलती रहती है, बच्चे की मुसकान में निश्छलता रहती है पर बड़े व्यक्ति की मुसकान में हर समय स्वाभाविकता नहीं होती। 556 Views कवि ने बच्चे की मुसकान के सौंदर्य को किन-किन बिंबों के माध्यम से व्यक्त किया है? कवि ने बच्चे की मुसकान से चाक्षुक और मानस बिंबों की सुंदर सृष्टि की है। छोटे-छोटे दाँतों से युक्त उसकी मुसकान किसी मृतक को भी पुन: जीवन देने की क्षमता रखती है। उसका धूल-धूसरित शरीर के अंग तो कमल के सुंदर फूल के समान प्रतीत होते हैं। पत्थर भी मानो उसके स्पर्श को पा कर जल के रूप को पा गए होंगे। चाहे कोई कितना भी कठोर क्यों न रहा हो, बाँस या बबूल के समान ही उसका रूप क्यों न हो पर वे सब उसे छू कर शेफालिका के फूलों के समान कोमल हो गया होगा। 381 Views भाव स्पष्ट कीजिए- उस छोटे दंतुरित बच्चे का ऐसा मनोरम रूप था कि चाहे कोई कितना भी कठोर क्यों न रहा हो पर उसे देख मन ही मन प्रसन्नता से भर उठता था। चाहें बाँस के समान हो या कांटों भरे कीकर के समान, पर उसकी सुदंरता से प्रभावित हो वह उसकी ओर देख मुस्कराने के लिए विवश हो जाता था। 332 Views भाव स्पष्ट कीजिए- कवि को ऐसा लगा कि उस छोटे बच्चे की अपार सुंदरता तो ईश्वरीय वरदान के समान थी। वह धूल--धूसरित अंग-प्रत्यंगों वाला तो जैसे तालाब में खिले कमल के समान मोहक और मनोरम था जो उसकी झोपड़ी में आकर बस गया था। 329 Views बच्चे की दंतुरित मुसकान का कवि के मन पर क्या प्रभाव पढ़ता है? बच्चे की दंतुरित मुसकान का कवि के मन पर गहरा प्रभाव पड़ा था। वह उसके सुंदर और मोहक मुख पर छाई मनोहारी मुसकान से प्रसन्नता में भर उठा था। उसे ऐसा लगा था कि वह धूल-धूसरित चेहरा किसी तालाब में खिले सुंदर कमल के फूल के समान था जो उसकी झोपड़ी में आ गया था। कवि उसे एकटक देखता ही रह गया था। उसकी मुसकान ने उसे अपनी पत्नी के प्रति कृतज्ञता प्रकट कर देने के लिए विवश-सा कर दिया था। 604 Views मिट्टी द्वारा अपना गुण धर्म छोड़ने की स्थिति में क्या किसी भी प्रकार के जीवन की कल्पना की जा सकती है?(ग) यदि मिट्टी अपना गुण-धर्म छोड़ दे तो मानव जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। अगर फसलों का उत्पाद नहीं होगा तो मनुष्य क्या खाकर रहेगा। अत: मिट्टी का उपजाऊ होना मानव जीवन के अस्तित्व के लिए आवश्यक तत्व है।
फसल को मिट्टी का गुणधर्म क्यों कहा गया है?धूप और हवा, नदियों का जल और परिश्रम के बाद भी बिना मिट्टी के फसल की कल्पना तक नहीं की जा सकती। साथ ही हर फसल के लिए अलग तरह की मिट्टी की आवश्यकता होती है। इसलिए फसल को मिट्टी का गुणधर्म कहा गया है।
फसल को हाथों की गरिमा और महिमा क्यों कहा गया है?फसल को 'हाथों के स्पर्श की गरिमा, और 'महिमा' कहकर कवि क्या व्यक्त करना चाहता है ? Solution : इसमें कवि कहना चाहता है कि किसानों के हाथों का प्यार भरा स्पर्श पाकर ही ये फसलें इतनी फलती-फूलती हैं। यह किसानों के श्रम की गरिमा और महिमा ही है जिसके कारण फसलें इतनी अधिक बढ़ती चली जाती हैं।
बच्चे की दंतुरित मुस्कान का कवि के मन पर क्या प्रभाव पड़ता है?प्रश्न 1: बच्चे की दंतुरित मुसकान का कवि के मन पर क्या प्रभाव पड़ता है? उत्तर: कवि उस बच्चे की दंतुरित मुसकान से अंदर तक आह्लादित हो जाता है। उसे लगता है उस मुसकान ने कवि में एक नए जीवन का संचार कर दिया है। उसे लगता है कि वह उस बच्चे की सुंदरता को देखकर धन्य हो गया है।
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