मृदा जल कितने प्रकार के होते हैं - mrda jal kitane prakaar ke hote hain

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  7. मृदा जल क्या है व मृदा जल के प्रकार (12th, Biology, Lesson-1)

मृदा जल के बारे में

मृदा में उपस्थित जल को मृदा जल (soil water) कहते हैं। यह पानी ही पौधों के लिए पानी का मुख्य स्त्रोत है। मिट्टी पानी का मुख्य स्त्रोत वर्षा है। वर्षा का संपूर्ण पानी में प्रवेश नहीं कर पाता तथा इसका कुछ भाग बहकर जलाशयों में चला जाता है, इसे अपवाहित पानी (runaway or runoff water) कहते हैं। यह पानी पौधों को प्राप्त नहीं होता। शेष जल मृदा (soil) में निम्न रूप में पाया जाता है।

गुरूत्वीय जल

यह गुरूत्वीय जल गुरुत्वाकर्षण (gravitation) के कारण मिट्टी में काफी गहराई तक पहुंच जाता है, जहां से पौधे अपनी जड़ों (root) द्वारा इसे प्राप्त नहीं कर पाते हैं। इस जल को भोम जल (ground water) कहते हैं।

Table of Contents

  • मृदा जल के बारे में
  • गुरूत्वीय जल
  • केशिका जल
  • अधिशोषित जल अथवा आर्द्रताग्राही
  • रासायनिक-बध्द जल
  • वाष्पीकृत जल

केशिका जल

केशिका जल मृदा के कणों के बीच की कोशिकाओं (capillaries) में पाया जाता है। यह जल संपूर्ण मिट्टी में कोशिकाओं के जाल के रूप में फैला होता है। इस पानी को पौधे अपनी जड़ों द्वारा आसानीपूर्वक अवशोषित करते हैं अर्थात यही जल पौधों को उपलब्ध होता है। इसे प्राप्य जल (Available water) भी कहते हैं।

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अधिशोषित जल अथवा आर्द्रताग्राही

अधिशोषित जल मृदा कणों पर एक पतली पर्त के रूप में अधिशोषित होता है। पौधे इस पानी को प्रयोग में नहीं ला पाते क्योंकि यह पानी अत्यधिक बल के साथ मिट्टी कणों से चिपका होता है।

रासायनिक-बध्द जल

रासायनिक-बध्द जल मृदा के खनिज पदार्थों के साथ पाया जाने वाला पानी है जो रवे (crystal) के पानी का संयोजित पानी के रूप में रहता है। यह पानी भी पौधों के अवशोषण के योग्य नहीं होता है।

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वाष्पीकृत जल

वाष्पीकृत जल (vaporated water) की वाष्प भी कुछ मात्रा में मिट्टी वायु के साथ मिली हुई रहती है। यह जल-वाष्प भी पौधे अवशोषित (absorbed) नहीं कर पाते।

मृदा जल कितने प्रकार के होते हैं - mrda jal kitane prakaar ke hote hain
  • मिट्टी में उपस्थित संपूर्ण पानी की मात्रा को होलार्ड (holard) कहते हैं। इसमें से पानी की वह मात्रा जो पौधों को प्राप्य होती है, उसे क्रेसार्ड (chresard) अथवा प्राप्य जल (Available water) कहते हैं। इसमें लगभग 75% केशिका जल की मात्रा होती है। शेष मिट्टी जल (अर्थात 25% केशिका जल, आर्द्रताग्राही जल, रासायनिक-बध्द जल एवं वाष्पीकृत जल) जो पौधों को प्राप्य नहीं होता, उसे इकाई (echard) अथवा अप्राप्य जल (non-available water) कहते हैं।
  • गुरूत्वीय जल के भली-भांति रिस जाने (percolate) के पश्चात मिट्टी में बचे शेष पानी की अधिकतम मात्रा को मिट्टी जलधारिता (field capacity) कहते हैं। इसका मान केशिका पानी एवं आर्द्रताग्राही जल के योग के बराबर होता है।
  • मृदा जल की वह प्रतिशत मात्रा जिस पर उस मिट्टी में उगने वाले पौधे स्थायी रूप से मुरझा जाये, स्थायी म्लानि प्रतिशत (permanent wilting percentage, PWP) कहलाती है।

More Information– जल विभव की परिभाषा (12th, Biology, Lesson-1), Ncrt Class 10 मृदा संसाधन और विकास, Ncert Class 10 जल संग्रहण सामाजिक विज्ञान

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जल कितने प्रकार के होते हैं?

पदार्थों में से है जो पृथ्वी पर प्राकृतिक रूप से सभी तीन अवस्थाओं में मिलते हैंजल पृथ्वी पर कई अलग अलग रूपों में मिलता है: आसमान में जल वाष्प और बादल; समुद्र में समुद्री जल और कभी कभी हिमशैल; पहाड़ों में हिमनद और नदियां ; और तरल रूप में भूमि पर एक्वीफर के रूप में।

मृदा में कुल कितने स्तर पाए जाते हैं?

2. (i) लाल मृदा (ii) लैटेराइट मृदा (iii) जलोढ़ मृदा 3.

मृदा जल का क्या महत्व है?

मृदा में जल के कार्य मृदा में अनेक भौतिक, रासायनिक तथा जैविक सक्रियाओं को प्रोत्साहित करता है। पोषक तत्वों के विलायक तथा वाहक के रूप में कार्य करता हैं। पौधों की कोशिकाओं में तनाव बनाए रखने हेतु पौधों की जड़े मृदा से जल अवशोषित करती है। प्रकाश संष्लेषण प्रक्रिया में एक कर्मक का कार्य करता है।

मिट्टी का पानी क्या है?

यह अंतर उन अकार्बनिक पदार्थों के सम्मिश्रण से होता है जो जीव-जंतु और पौधों से प्राप्त होते हैं। प्राकृतिक क्रियाओं द्वारा चट्टानों का छोटे-छोटे कणों में परिवर्तन होने से मिट्टी के बनने में जो सहायता होती है, उस क्रिया को अपक्षय (weathering) कहते हैं।