मेवाड़ एवं अंग्रेजों के मध्य संधि कब हुई? - mevaad evan angrejon ke madhy sandhi kab huee?

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : 13 जनवरी, 1818

Free

RSMSSB Lab Assistant Mini Mock Test 1

45 Questions 90 Marks 60 Mins

Latest RSMSSB Lab Assistant Updates

Last updated on Sep 28, 2022

RSMSSB Lab Assistant Written Exam Result & Cut Off Out (Science) on 28th September 2022. The written exam for Science was conducted on 28th and 29th June 2022. A total number of 1439 candidates are shortlisted for the document verification round. The candidates must check out RSMSSB Lab Assistant Cut Off to get an idea about the competition level and the minimum qualifying marks that the candidates have to obtain in order to clear the written exam. The next round of selection process is document verification.

Online Question Bank For All Competitive Exams Preparation


Q.36 :  मेवाड़ व अंग्रेजों के बीच संधि कब हुई थी ?

(a) 1809 ई. में
(b) 1818 ई. में
(c) 1790 ई. में
(d) 1810 ई. में
View Answer
Answer : 1818 ई. में


Provide Comments :

सम्बन्ध स्थापित नहीं किया जा सकता।

ई.1817 तक मेवाड़ उस मोड़ पर जा पहुँचा था कि यदि तत्काल ही किसी बाह्य शक्ति का सहारा नहीं मिला तो राज्य के पूरी तरह नष्ट हो जाने की आशंका थी। ई.1803 एवं 1805 में असफल रहने के बाद ई.1817 में महाराणा ने अंग्रेजों से संधि करने का एक बार पुनः प्रयास किया तथा जयपुर के वकील चतुर्भुज हलदिया की मार्फत ब्रिटिश रेजीडेन्ट चार्ल्स मेटकाफ से कहलवाया कि मेवाड़ को मरहठों, पठानों तथा पिण्डारियों के चंगुल से छुड़ा लें। मेटकाफ तो तैयार ही बैठा था। उसने जब से दिल्ली के रेजीडेन्ट का पदभार ग्रहण किया था तब से ही वह राजपूत राज्यों के प्रति ब्रिटिश नीति में परिवर्तन करने पर जोर दे रहा था। मेटाकफ ने महाराणा की प्रार्थना स्वीकार कर ली।

ई.1817 में गवर्नर जनरल लॉर्ड हेस्टिंग्स से अनुमति पाकर चार्ल्स मेटकाफ ने राजपूत राजाओं को अपना प्रतिनिधि भेजने तथा संधि की बातचीत चलाने के लिये लिखा। इस पर महाराणा भीमसिंह ने आसीन्द के ठाकुर अजीतसिंह चूण्डावत को संधि की बातचीत चलाने के लिये दिल्ली भेजा। गवर्नर जनरल ने चार्ल्स मेटकाफ को निर्देशित किया कि उदयपुर के राजस्व का अधिकतम भाग ब्रिटिश सरकार को सहायता के रूप में लेना तय किया जाये तथा खिराज निश्चित करते समय महाराणा द्वारा सिंधिया व होलकर को दिया जाने वाला खिराज एक मानकर ब्रिटिश सरकार का खिराज निश्चित किया जाये। ये बड़ी कठोर शर्तें थीं किंतु महाराणा और मेटकाफ दोनों ही संधि के लिये आतुर थे इसलिये वार्ता टूटी नहीं।

अन्ततः 13 जनवरी 1818 को दोनों पक्षों के मध्य एक संधि हुई जिस पर महाराणा की ओर से ठाकुर अजीतसिंह ने तथा ब्रिटिश सरकार की ओर से चार्ल्स थियोफिलस मेटकॉफ ने हस्ताक्षर किये। 22 जनवरी 1818 को गवर्नर जनरल लॉर्ड हेस्टिंग्ज ने इसकी पुष्टि कर दी। इस संधि की शर्तें इस प्रकार से थीं-

दोनों पक्षों के बीच मैत्री, सहकारिता तथा स्वार्थ की एकता सदा पीढ़ी दर पीढ़ी बनी रहेगी और दोनों के मित्र तथा शत्रु एक दूसरे के मित्र तथा शत्रु होंगे। अंग्रेजी सरकार उदयपुर राज्य की रक्षा का वायदा करती है। उदयपुर के महाराणा सदैव अंग्रेजों के अधीन रहते हुए उनका साथ देंगे तथा अन्य राज्यों अथवा उनके शासकों के साथ किसी प्रकार का सम्बन्ध नहीं रखेंगे।

उदयपुर महाराणा अंग्रेजों की जानकारी के बिना किसी अन्य राजा के साथ न तो किसी प्रकार की संधि करेगा और न ही पत्र व्यवहार। अपने मित्रों तथा सम्बन्धियों के साथ महाराणा का पत्र व्यवहार चलता रहेगा। महाराणा किसी पर अत्याचार नहीं करेगा। यदि किसी से विवाद हो जाये तो उसे मध्यस्थता के लिये कम्पनी सरकार के सम्मुख पेश करेगा।

महाराणा आगामी पाँच वर्ष तक उदयपुर की वार्षिक आय का 1/4 भाग कम्पनी सरकार की खिराज में देगा और इस अवधि के पश्चात् रुपये का छः आने खिराज में देगा। उदयपुर महाराणा खिराज अदायगी का सम्बन्ध किसी और शक्ति अथवा राज्य के साथ नहीं रखेगा। यदि कोई और पक्ष खिराज की मांग करता है तो अंग्रेजी सरकार उसके दावे का जवाब देगी।

संधि की सातवीं शर्त में लिखा गया था कि महाराणा का कथन है कि उदयपुर राज्य के बहुत से जिले दूसरों ने अन्याय पूर्वक दबा लिये हैं, और वे उन स्थानों को वापस दिलाये जाने की प्रार्थना करते हैं। ठीक-ठीक हाल मालूम न होने से अंग्रेजी सरकार इस बात का पक्का कौल-करार करने में असमर्थ है किंतु कम्पनी सरकार उदयपुर राज्य की समृद्धि एवं उन्नति का पूरा ध्यान रखेगी। जब कभी भी भी अंग्रेजी सरकार की सहायता से उदयपुर राज्य को जो भी स्थान वापिस मिलेगा तो उसकी आय में से उदयपुर राज्य रुपये के पीछे छः आने कम्पनी सरकार को देगा।

आवश्यकता पड़ने पर उदयपुर अपनी सेना को अंग्रेजी सेना की सहायतार्थ भेजेगा। ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी उदयपुर राज्य के आंतरिक प्रशासन एवं सम्प्रभुता में किसी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं करेगी। यह अहदनामा एक माह के पश्चात् लागू हो जायेगा।

इस संधि के अनुसार मेवाड़ के महाराणा ने अंग्रेजों की सर्वाेच्चता को स्वीकार कर लिया तथा अंग्रेजों ने मेवाड़ राज्य को बाह्य आक्रमणों से सुरक्षा प्रदान करने तथा आंतरिक शांति एवं व्यवस्था बनाये रखने में सहायता देने का आश्वासन दिया। महाराणा को अपनी विदेश नीति अंग्रेजों को सौंपनी पड़ी और अपने आपसी विवादों को अंग्रेजों की मध्यस्थता तथा निर्णय हेतु वचन बद्ध होना पड़ा।

महाराणा ने आवश्यकता के समय अपने राज्य के समस्त सैनिक संसाधन अंग्रेजों को सुपुर्द करने स्वीकार कर लिये। अंग्रेजों को वार्षिक खिराज देने के सम्बन्ध में अजीतसिंह ने राज्य के राजस्व का 1/4 भाग देने की बात कही किंतु मेटकाफ ने 3/8 भाग खिराज में देने की मांग की। अंत में यह तय हुआ कि प्रथम पाँच वर्ष तक तो मेवाड़ के राजस्व में से एक चौथाई भाग खिराज के रूप में लिया जायेगा और इसके बाद 3/8 भाग वसूल किया जायेगा।

इस संधि के बाद कप्तान टॉड की मेवाड़ राज्य में पोलिटिकल एजेण्ट के पद पर नियुक्ति हुई। फरवरी 1818 में कप्तान टॉड उदयपुर आया। महाराणा ने उसका बड़ा भव्य स्वागत किया। एक दिन महाराणा ने सब सरदारों को बुलाकर बड़ा दरबार किया। इस दरबार में टॉड ने महाराणा से पूछा कि जो सरदार आपके विरोधी हों, उनके नाम बताईये, अंग्रेजी सरकार उनके विरुद्ध कार्यवाही करने के लिये तैयार है। महाराणा भीमसिंह ने यहाँ भी उदारता दिखायी और बोला- ''मैंने अब तक के सारे अपराध क्षमा कर दिये हैं किंतु अब जो लोग भविष्य में कसूर करेंगे, उसकी सूचना आपको दी जायेगी।"

मेवाड़ और अंग्रेजी के मध्य संधि कब हुई?

सही उत्तर 13 जनवरी, 1818 है। 13 जनवरी 1818 को मेवाड़ और अंग्रेजों के बीच संधि पर हस्ताक्षर किए गए थे।

राजस्थान में अंग्रेजों की प्रथम संधि कब और कहाँ हुई थी?

उत्तर भारत के राज्यों में सर्वप्रथम भरतपुर के महाराजा रणजीतसिंह ने 29 सितम्बर, 1803 को अंग्रेजों के साथ संधि की। नवम्बर 1803 में अलवर के शासक बख्तावरसिंह व दिसम्बर, 1803 में जयपुर के शासक जगतसिंह ने भी अंग्रेज कम्पनी के साथ संधियाँ की। 1804 में धौलपुर के शासक कीरतसिंह ने भी कम्पनी के साथ संधि की

मेवाड़ की संधि कब हुई?

5 फरवरी 1615 को जहांगीर और अमर सिंह के बीच मुगल-मेवाड़ संधि पर हस्ताक्षर किए गए। अमर सिंह का शासन काल 1597 से 1620 ई. था। संधि का प्रस्ताव मेवाड़ की ओर से हरिदास झाला और शुभकरण ने प्रस्तुत किया।

करौली राज्य और अंग्रेजों के मध्य संधि कब हुई?

अंतिम रियासत - सिरोही - 11 सितंबर 1823 को यहां के शासक महाराजा शिवसिंह द्वारा संधि पर हस्ताक्षर किए गए थे। अंग्रेजों द्वारा स्थापित प्रथम रियासत 15 नवंबर 1817 में आमिर खान पेंडारी के नेतृत्व में टोंक थी। झाला मदन सिंह के नेतृत्व में 1838 में द्वितीय रियासत के रूप में झालावाड़ को अंग्रेजों द्वारा स्थापित किया गया था।