(1) कवि ईश्वर से क्या चाहते हैं ? - (1) kavi eeshvar se kya chaahate hain ?

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इस चित्र की मदद से एक कविता की रचना कीजिए |

(1) कवि ईश्वर से क्या चाहते हैं ? - (1) kavi eeshvar se kya chaahate hain ?


हे सूर्य देवता,
हे जीवन दाता,
तुम हो हमारे पिता और माता |

तुमसे होती है सुबह और शाम,
तुम देखते हो हमारे सब काम,
धरती का कण तुम्हारे गुण गाता |
तुमसे बड़ा है कोई न दानी,
तुमसे मिलते प्रकाश और पानी,
तुमसे सारा जहान सुख पाता|
हे सूर्य देवता, हे जीवन दाता |


कवि ईश्वर से क्या चाहते हैं ?


कवि चाहते हैं की ईश्वर लोगों के अपराधों को क्षमा कर दे | वह हमेशा लोगों पर अपनी कृपादृष्टि रखे | दुनिया के लोग किस हालत में हैं, इसकी वह हमेशा खबर रखे और दुनिया पर आनेवाली आफतोंको दुर करे |


वचन बदलकर वाक्य फिर से लिखिए :

(१) मैंने कविता लिखी |

(२) यहाँ मेरी किताब है |

(३) इसे लड्डू दे दो |


(१) हमने कविता लिखी |

(२) ये हमारी किताबे हैं |

(३) इन्हें लड्डू दे दो |


(1) कवि ईश्वर से क्या चाहते हैं ? - (1) kavi eeshvar se kya chaahate hain ?


ईश्वर की ईच्छा से ही दुनिया में हमारा जन्म हुआ हैं | उसीकी कृपा से हमें यह शरीर और ये प्राण मिले हैं | हमारा जीवन उसीके भरोसे हैं, क्योकि वही हमारा रखवाला हैं | इसलिए कवि ईश्वर से हम पर अपनी नजर रखने के लिए कहते हैं ?


कवि किसे सबसे ताकतवाला मानते हैं ? क्यों ?


कवि ईश्वर को सबसे ताकतवाला मानते हैं |

ईश्वर सर्वशक्तिमान हैं | वासा सब कुछ कर सकता हैं | वह जिसे चाहे उसे जीवन दे सकता हैं ओर जिसका चाहे उसका ले सकता हैं ? वह हर आफत को रउरा करने में समर्थ हैं | इसलिए कवि ईश्वर को सबसे अधिक ताकतवाला मानते हैं ?


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आत्मत्राण

रवींद्रनाथ टैगोर

NCERT अभ्यास

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए

प्रश्न 1: कवि किससे और क्या प्रार्थना कर रहा है?

उत्तर: कवि ईश्वर से प्रार्थना कर रहा है। वह यह चाहता है कि वह हर मुसीबत का सामना खुद करे। भगवान उसे केवल इतनी शक्ति दें कि मुसीबत में वह घबड़ा न जाए। वह भगवान से केवल आत्मबल चाहता है और स्वयं सब कुछ के लिए मेहनत करना चाहता है।


Chapter List

  • कबीर
  • मीरा
  • बिहारी
  • मनुष्यता
  • पर्वत प्रदेश में प्रवास
  • मधुर मधुर मेरे दीपक
  • तोप
  • कर चले हम फिदा
  • आत्मत्राण
  • बड़े भाई साहब
  • डायरी का एक पन्ना
  • तताँरा वामीरो कथा
  • गिरगिट
  • दूसरे के दुख से दुखी
  • पतझर में टूटी पत्तियाँ
  • कारतूस

प्रश्न 2: ‘विपदाओं से मुझे बचाओ, यह मेरी प्रार्थना नहीं’ – कवि इस पंक्ति के द्वारा क्या कहना चाहता है?

उत्तर: इस पंक्ति में कवि ने यह बताया है कि वह ये नहीं चाहता कि भगवान आकर उसकी मदद करें। वह भगवान को किसी भी काम के लिए परेशान नहीं करना चाहता अपितु स्वयं हर चीज का सामना करना चाहता है।

प्रश्न 3: कवि सहायक के न मिलने पर क्या प्रार्थना करता है?

उत्तर: जब किसी काम में उसे किसी की मदद न भी मिले तो भी उसका पुरुषार्थ अडिग रहना चाहिए।

प्रश्न 4: अंत में कवि क्या अनुनय करता है?

उत्तर: जब मेरे दिन बहुत बुरे चल रहे हों और पूरी दुनिया मुझ पर अंगुली उठा रही हो तब भी ऐसा न हो कि मैं तुमपर कोई शक करूँ। इस तरह से कवि भगवान से यह भी अनुरोध करता है चाहे कितनी भी विपरीत परिस्थितियाँ क्यों न आ जाएँ, उसका विश्वास भगवान में हमेशा बना रहे।


प्रश्न 5: ‘आत्मत्राण’ शीर्षक की सार्थकता कविता के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: आत्मत्राण का मतलब है अपने आप को किसी भी स्थिति में ऊपर उठाना। इस कविता में कवि ने अपने सब कार्य स्वयं करने की बात की है। भगवान से मदद के नाम पर वह केवल इतना चाहता है कि भगवान उसके मनोबल को बढ़ाए रखें। दूसरे शब्दों में अपनी सभी जिम्मेदारियाँ वह स्वयं ही निभाना चाहता है। इसलिए ‘आत्मत्राण’ शीर्षक इस कविता के लिए बिलकुल सही है।

प्रश्न 6: अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए आप प्रार्थना के अतिरिक्त और क्या-क्या प्रयास करते हैं? लिखिए।

उत्तर: अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए मैं हर संभव प्रयास करता हूँ। मैं किसी भी काम में अपनी पूरी लगन और हुनर लगा देता हूँ।

प्रश्न 7: क्या कवि की ये प्रार्थना आपको अन्य प्रार्थना गीतों से अलग लगती है? यदि हाँ, तो कैसे?

उत्तर: अधिकतर प्रार्थनाओं में भगवान से कुछ न कुछ माँगा जाता है। इसके अलावा भगवान के रूप और उसकी शक्तियों की प्रशंसा की जाती है। इस कविता में कवि ने भगवान से कुछ भी नहीं माँगा है। साथ में वे भगवान की बिना मतलब की तारीफों के पुल भी नहीं बाँध रहे हैं।


निम्नलिखित अंशों के भाव स्पष्ट कीजिए:

प्रश्न 1: नव शिर होकर सुख के दिन में
तव मुख पहचानूँ छिन-छिन में।

उत्तर: इन पंक्तियों में ये संदेश दिया गया है कि सफलता के नशे में चूर होकर ईश्वर को भूलना नहीं चाहिए। हर उस व्यक्ति को याद रखना चाहिए जिसने आपको सफल बनाने में थोड़ा भी योगदान दिया हो।

प्रश्न 2: हानि उठानी पड़े जगत में लाभ अगर वंचना रही
तो भी मन में मानूँ न क्षय।

उत्तर: लाभ की जगह कभी हानि भी हो जाए तो भी मन में अफसोस नहीं होना चाहिए। नफा नुकसान जिंदगी में लगे ही रहते हैं। जरूरी नहीं कि हर वक्त किसी को लाभ ही हो। हानि के समय भी हिम्मत न टूटे ऐसा ईश्वर से विनती है।

प्रश्न 3: तरने की हो शक्ति अनामय
मेरा भार अगर लघु करके न दो सांत्वना नहीं सही।

उत्तर: कवि ये नहीं चाहता है कि भगवान उसकी जिम्मेदारियों को कम कर दें। बल्कि वह तो ये चाहता है कि भगवान उसमें उन जिम्मेदारियों को उठाने की भरपूर शक्ति दे दें।


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कवि ईश्वर से क्या चाहते हैं?

कवि इस कविता के माध्यम से ईश्वर से शक्ति पाने की कामना करता है । वह नहीं चाहते कि ईश्वर उसके हर मार्ग, हर विपत्ति को सरल बना दें। वह ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि विपत्ति के समय मुझमें इतनी शक्ति भर दो कि मैं सभी मुसीबतों का सामना कर सकूँ ।

कवि ईश्वर से क्या वरदान मांगता है class 6?

कवि ईश्वर से "सही के चयन की क्षमता" देने की प्रार्थना करता है। "मुझे तुम अपना अनुग्रह बात समझ कर, सही राह चुन सकने की मनीषा देना।"

कवि ईश्वर से क्या मांगना नहीं चाहता?

'विपदाओं से मुझे बचाओ, यह मेरी प्रार्थना नहीं'- के माध्यम से कवि यह कहना चाहता है कि हे ईश्वर ! मेरे जीवन में जो भी दुख और कष्ट आने वाले हैं आप उनसे मुझे मत बचाओ। मैं आपसे इसको सहने के लिए साहस और शक्ति माँगता हूँ ताकि इन दुखों से घबराकर हार न मान बैठें।

1 कवि किससे और क्या प्रार्थना कर रहा है?

प्रश्न 9-1: कवि किससे और क्या प्रार्थना कर रहा है? उत्तर 9-1: कवि करुणामय ईश्वर से प्रार्थना कर रहा है कि उसे जीवन में विपदा दें साथ ही उन विपदाओं से लड़ने की शक्ति भी दें ताकि वह इन मुश्किलों पर विजय पा सके। उसका विश्वास अटल रहे।