नई दिल्ली,लाइफस्टाइल डेस्क। बढ़ते वज़न से परेशान हैं और जिम में घंटों पसीना बहाने के बाद भी मनचाही बॉडी नहीं मिलती तो परेशान मत रहिए। हम आपको वज़न को कम करने का देसी उपाय बताते है जिसके इस्तेमाल से आप मन चाही बॉडी हासिल कर सकते हैं। औषधीय गुणों से भरपूर नीम ना सिर्फ कई बीमारियों का उपचार करता है बल्कि आपका वज़न भी कंट्रोल में रखता है। नीम का नाम सुनते ही आपके ज़हन में उसकी कड़वाहट का ख्याल आता है तो घबराइए नहीं, नीम की कड़वाहट में उसकी मिठास छुपी है। नीम का इस्तेमाल आप जूस बनाकर कर सकते हैं। नीम का जूस ना सिर्फ वज़न को कंट्रोल करता है बल्कि खून को भी साफ करता है। इससे शरीर में होने वाले किसी भी तरह के संक्रम से छुटकारा पाया जा सकता है। Show
नीम में प्रचुर मात्रा में कैल्शियम और आयरन पाया जाता है जो शरीर की कमजोरी को दूर कर हड्डियों को मजबूत बनाता है। नीम के इस्तेमाल से आपकी बॉडी पर किसी भी तरह का साइड इफेक्ट नहीं होता। नीम बॉडी को डिटॉक्स करता है, साथ ही शुगर को कंट्रोल भी रखता है। आइए जानते हैं कैसे नींम की पत्तियों का जूस तैयार करें और उसके इस्तेमाल के कौन-कौन से फायदे हैं। Health Tips: सर्दियों में रामबाण है शहद, जानें इसके 5 बड़े फायदे यह भी पढ़ेंनीम का जूस बनाने के लिए सामग्री: नीम का जूस बनाने के लिए आपको 1 किलो नीम की पत्तियां, 5 लीटर पानी और ग्राइंडर की जरूरत होगी। नीम का जूस बनाने की विधि इसे बनाने के लिए पानी में नीम की पत्तियों को मिला लें। इन्हें रातभर के लिए भिगो दें। सुबह पत्तियों को पानी के साथ ग्राइंडर में पीस लें। इसके बाद मिश्रण को छान लें। अब इसका हर रोज सेवन करें। आप इस जूस का सेवन पूरे सप्ताह के लिए या फिर हर रोज तैयार कर सकते हैं। नीम का पेड़ आयुर्वेदिक औषधि का खजाना माना जाता है। लंबे समय से इसकी पत्तियां, टहनी, फल और बीज का इस्तेमाल कई समस्याओं के उपचार के लिए किया जाता रहा है। यही नहीं, नीम का सेवन जूस के रूप में भी किया जा सकता है। इससे कई शारीरिक समस्याओं से बचाव और उनके लक्षणों को दूर करने में मदद मिल सकती है। स्टाइलक्रेज के इस आर्टिकल में हम नीम का जूस का उपयोग, नीम के जूस के फायदे और नीम का जूस के नुकसान के बारे में विस्तार से जानकारी देने जा रहे हैं। इस लेख में दी गई सभी जानकारियां वैज्ञानिक अध्ययनों पर आधारित हैं। नीचे है जरूरी जानकारी चलिए जान लेते हैं कि नीम का जूस के फायदे में क्या-क्या शामिल हैं। विषय सूची
नीम का जूस के फायदे – Benefits of Neem Juice in Hindiनीम के जूस के उपयोग से शरीर को अनेक लाभ हो सकते हैं। वहीं, इस बात का ध्यान जरूर रखें कि नीम का जूस किसी भी शारीरिक समस्या का इलाज नहीं है। ये केवल समस्या से बचाव और कुछ हद तक राहत दिलाने में मदद कर सकता है। नीचे हम नीम का रस पीने के फायदे विस्तार से बता रहे हैं : 1. एंटी-फंगल गुणनीम का रस पीने के फायदे की बात करें, तो यह शरीर को फंगल संक्रमणों से बचाने में मदद कर सकता है। एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इनफार्मेशन) की वेबसाइट पर पब्लिश एक वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार, नीम के अर्क में एंटी-फंगल प्रभाव पाया जाता है, जो एस्परगिलस (Aspergillus) और राइजोपस (Rhizopus) जैसे फंगी के विकास को रोक सकता है (1)। इससे फंगल के कारण होने वाले संक्रमण के जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है। 2. सर्दी और खांसी के लिएसर्दी और खांसी की समस्या में भी नीम का जूस का उपयोग आयुर्वेदिक दवाई के तौर पर किया जा सकता है। इस संबंध में प्रकाशित एक वैज्ञानिक शोध के मुताबिक, नीम के पेड़ के हर भाग का इस्तेमाल खांसी से आराम दिलाने में सहायक हो सकता है (2)। वहीं, नीम में मौजूद एंटी-वायरल गुण सर्दी की समस्या को कम करने में सहायता कर सकता है (3)। 3. ल्यूकोरिया (Leucorrhoea)ल्यूकोरिया की समस्या में भी नीम का जूस के फायदे देखे जा सकते हैं। दरअसल, ल्यूकोरिया वह स्थिति है, जिसमें योनी से सफेद, पीला या हरे रंग का तरल पदार्थ बहार निकलता है (4)। ऐसे में नीम का जूस मददगार साबित हो सकता है। इस संबंध में एक रिसर्च में इस बात का जिक्र मिलता है कि ल्यूकोरिया की समस्या में नीम के जूस का सेवन लाभकारी हो सकता है (5)। हालांकि, नीम के जूस में मौजूद कौन-सा गुण इसमें मदद कर सकता है, इस संबंध में फिलहाल स्पष्ट वैज्ञानिक शोध उपलब्ध नहीं है। 4. वजन घटाने के लिएबढ़े हुए वजन को कम करने में भी नीम का जूस पीने के फायदे हो सकते हैं। इस संबंध में पब्लिश एक वैज्ञानिक रिसर्च में साफ तौर से इस बात का जिक्र मिलता है कि नीम के अर्क में टैनिन पाया जाता है, जो वजन नियंत्रण में कुछ हद तक मददगार हो सकता है (6)। इस आधार पर यह माना जा सकता है कि वजन घटाने के लिए नीम का जूस उपयोगी साबित हो सकता है। फिलहाल, इस विषय पर अभी और शोध किए जाने की आवश्यकता है। 5. बुखार से राहतनीम का जूस पीने के फायदे बुखार से राहत दिलाने के लिए भी हो सकते हैं। सालों से आयुर्वेद में इसका उपयोग कई शारीरिक समस्याओं के इलाज में किया जाता रहा है। वहीं, इससे जुड़े एक वैज्ञानिक अध्ययन से पता चलता है कि नीम के अर्क का इस्तेमाल माइल्ड और एक्यूट फीवर यानी हल्का व तेज बुखार को ठीक करने के लिए हर्बल दवाई के रूप में किया जा सकता है (7)। फिलहाल, इस विषय में अभी और शोध किए जाने की आवश्यकता है। 6. ओरल हेल्थ के लिएमुंह के स्वास्थ्य के लिए भी नीम का जूस पीने के फायदे हो सकते हैं। एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक वैज्ञानिक शोध के अनुसार, दांतों की देखभाल के लिए बनाए गए उत्पादों में नीम के अर्क का उपयोग किया जाता है। दरअसल, नीम में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं, जो मुंह और दांतों को नुकसान पहुंचाने वाले बैक्टीरिया को नष्ट करने का काम कर सकते हैं। इसके अलावा, इसमें एंटी-कारियोजेनिक (दांतों को टूटने से बचाने वाला) और एंटी-प्लाक (प्लाक के गठन को रोकने वाला) गतिविधि भी पाई जाती है, जिससे मौखिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद मिल सकती है (8)। 7. त्वचा के लिएत्वचा की समस्याओं में भी नीम के जूस को अच्छा माना जाता है। एनसीबीआई की वेबसाइट पर पब्लिश मेडिकल रिसर्च की मानें, तो नीम एक कारगर एंटीसेप्टिक (त्वचा को संक्रमण से बचाने वाला) की तरह काम कर सकता है। वहीं, शोध में जिक्र मिलता है कि नीम का उपयोग त्वचा के जुड़े रोग, सेप्टिक घाव और जले हुए घाव में लाभकारी हो सकता है। इसके अलावा, इसे अल्सर और एक्जिमा (सूजन से जुड़ी त्वचा समस्या) में भी फायदेमंद पाया गया है (9)। फिलहाल, इस पर अभी और शोध की आवश्यकता है। 8. रूसी के लिएनीम जूस के फायदे रूसी की समस्या को कम करने के लिए भी हो सकते हैं। इस संबंध में प्रकाशित एक वैज्ञानिक अध्ययन के मुताबिक, नीम के पत्तों के अर्क में एंटीफंगल और एंटी बैक्टीरियल प्रभाव पाए जाते हैं, जो मलसेजिया फंगी और स्टैफिलोकोकस ऑरियस बैक्टीरिया की वजह से होने वाली रूसी की समस्या में लाभकारी हो सकते हैं। इस आधार पर यह माना जा सकता है कि नीम का जूस का उपयोग रूसी से निजात दिलाने में मदद कर सकता है। स्क्रॉल कर पढ़ें चलिए जानते हैं कि नीम के जूस का उपयोग किस तरह किया जा सकता है। नीम का जूस का उपयोग – How to Use Neem Juice in Hindiनीम जूस को कई तरह से उपयोग में लाया जा सकता है। इसके लिए उपयोग का सही तरीका पता होना जरूरी होता है। नीचे हम नीम के जूस को कैसे-कैसे उपयोग कर सकते हैं, इसकी जानकारी दे रहे हैं। कैसे करें उपयोग:
कब करें उपयोग:
कितना करें उपयोग:
पढ़ना जारी रखें इस आर्टिकल के अगले भाग में नीम का जूस बनाने की विधि बताने जा रहे हैं। नीम का जूस बनाने की विधिनीम जूस बनाना आसान है, इसे हर कोई घर में बना सकता है। नीचे जानिए नीम का जूस बनाने की विधि: सामग्री:
बनाने की विधि:
Subscribe आगे और जानकारी है आइए, अब जान लेते हैं कि नीम का जूस के नुकसान क्या-क्या हो सकते हैं। नीम का जूस के नुकसान – Side Effects of Neem Juice in Hindiजिस प्रकार नीम का जूस का उपयोग स्वास्थ्य को कई लाभ पहुंचा सकता हैं, उसी तरह नीम के जूस के सेवन से कुछ नुकसान भी हो सकते हैं। हालांकि, नीम का जूस के नुकसान से जुड़े सटीक शोध का अभाव है। फिर भी हम सावधानी के तौर पर इसके कुछ संभावित नुकसान बता रहे हैं:
उम्मीद करते हैं कि अब आप नीम के जूस के फायदे अच्छी तरह समझ गए होंगे। इसके अलावा, इसका उपयोग कैसे करना है, इसकी भी जानकारी हो गई होगी। अब आप चाहें, तो इसे अपनी जीवनशैली का हिस्सा बना सकते हैं। वहीं, इसके सेवन के दौरान इसकी मात्रा का ध्यान जरूर रखें। वहीं, नीम के जूस के उपयोग के बाद किसी भी तरह के नुकसान सामने आते हैं, तो इसका इस्तेमाल बंद करें और डॉक्टर से संपर्क करें। आशा करते हैं कि यह लेख आपके लिए मददगार रहा होगा। अक्सर पूछे जाने वाले सवाल:क्या मैं सुबह नीम जूस पी सकता हूं? जी हां, डॉक्टरी परामर्श पर सुबह नीम के जूस का सेवन किया जा सकता है। क्या हम खाली पेट नीम का रस पी सकते हैं? जी हां, नीम के जूस का सेवन खाली पेट किया जा सकता है। क्या हम रोजाना नीम का रस पी सकते हैं? नीम के जूस को प्रतिदिन ले सकते हैं या नहीं, इसपर कोई स्पष्ट वैज्ञानिक शोध उपलब्ध नहीं है। ऐसे में इस संबंध में विशेषज्ञ से सलाह लेना उचित होगा। क्या नीम का रस त्वचा के लिए अच्छा है? जी हां, नीम का रस त्वचा के लिए अच्छा होता है। यह त्वचा के कुछ समस्याओं को दूर करने में मदद कर सकता है, जिसके बारे में हमने लेख में जानकारी दी है (10)। नीम के जूस के पोषक तत्व में क्या-क्या शामिल है? नीम पत्ती के अर्क में फिनोल कंपाउंड, फ्लेवोनोइड्स, सैपोनिन, अल्कलॉइड और अमीनो एसिड जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं (11)। SourcesStylecraze has strict sourcing guidelines and relies on peer-reviewed studies, academic research institutions, and medical associations. We avoid using tertiary references. You can learn more about how we ensure our content is accurate and current by reading our editorial policy.
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