अन्तिम गति देवगति है। देवों की विशेषताएँ, उनके भेद, प्रभेद, उनकी आयु, ऊँचाई, उनकी आठ ऋद्धियों के नाम एवं सुख-दु:ख आदि का वर्णन इस अध्याय में है। 1. देव किसे कहते हैं ? 2. देवगति किसे कहते हैं ? 3.
देव कितने प्रकार के होते हैं ? 4. देवों की कौन-कौन-सी विशेषताएँ हैं ? 5. नख, केश (बाल) के बिना देव कैसे लगते होंगे ? 6. देवों में आठ गुणों (ऋद्धियों) का स्वरूप बताइए? 7. भवनवासी देव किन्हें कहते हैं ? 8. भवनवासी देवों के नाम में कुमार शब्द क्यों जुड़ा है ? 9. भवनवासी देवों के कितने भेद हैं एवं उनके मुकुट पर चिह्न, आहार का अंतराल, श्वासोच्छास का अन्तराल, अवगाहना एवं आयु कितनी है ? देवों के नाम मुकुट पर चिंह आहार का अन्तराल श्वासोच्छवास का अन्तराल आयु उत्कष्ट आयु जघन्य अवगाहना असुरकुमार चूड़ामणि 1000 वर्ष 15 दिन 1 सागर सर्वत्र 10,000 वर्ष 25 धनुष नागकुमार सर्प 12.5 दिन 12.5 मुहूर्त 3 पल्य 10 धनुष सुपर्णकुमार गरुड़ 12.5 दिन 12.5 मुहूर्त 2.5 पल्य 10 धनुष द्वीपकुमार हाथी 12.5 दिन 12.5 मुहूर्त 2 पल्य 10 धनुष उदधिकुमार मगर 12 दिन 12 मुहूर्त 1.5 पल्य 10 धनुष स्तनतकुमार स्वस्तिक 12 दिन 12 मुहूर्त 1.5 पल्य 10 धनुष विद्युतकुमार वज्र 12 दिन 12 मुहूर्त 1.5 पल्य 10 धनुष दिक्कुमार सिंह 7.5 दिन 7.5 मुहूर्त 1.5 पल्य 10 धनुष अग्निकुमार कलश 7.5 दिन 7.5 मुहूर्त 1.5 पल्य 10 धनुष वायुकुमार तुरंग 7.5 दिन 7.5 मुहूर्त 1.5 पल्य 10 धनुष नोट - 1 पल्य आयु वाले देव 5 दिन के अंतराल से आहार एवं श्वासोच्छास 5 मुहूर्त में ग्रहण करते हैं एवं 10,000 वर्ष आयु वाले देव 2 दिन के अंतराल से आहार एवं यहाँ 7 श्वासोच्छास लेने पर वहाँ एक श्वासोच्छास ग्रहण करते हैं। 10. व्यंतर देव किन्हें कहते हैं ? 11. व्यतंर देवों के निवास स्थान कितने प्रकार के हैं ? 12. व्यन्तर देवों के कितने भेद हैं एवं उनके आहार, श्वासोच्छास का अंतराल कितना है एवं आयु और
अवगाहना कितनी है ? 13. ज्योतिषी
देव किन्हें कहते हैं ? 14. ज्योतिषी देवों की आयु,अवगाहना कितनी है, आहार एवं श्वासोच्छास का अंतराल कितना है ? 15. भवनत्रिक में उत्पति के क्या कारण हैं ? 16. वैमानिक देव किन्हें कहते हैं ? 17. वैमानिक देवों के भेद कितने व कौन से हैं ? 18. कल्पवासी देव की आयु व अवगाहना कितनी है ? कल्पवासी देव उत्कृष्ट आयु जघन्य आयु अवगाहना सौधर्म—ऐशान 2 सागर से कुछ अधिक 1 पल्य से कुछअधिक 7 हाथ सानत्कुमार-माहेन्द्र 7 सागर से कुछ अधिक 2 सागर से कुछअधिक 6 हाथ ब्रह्म—ब्रह्मोत्तर 10सागर से कुछअधिक 7 सागर से कुछअधिक 5 हाथ लान्तव-कापिष्ठ 14सागर से कुछअधिक 10सागर से कुछअधिक 5 हाथ शुक्र-महाशुक्र 16सागर से कुछअधिक 14सागर से कुछ अधिक 4 हाथ शतार-सहस्रार 18सागर से कुछअधिक 16सागर से कुछ अधिक 4 हाथ अन्नत-प्रणात 20सागर से अधिकनहीं 18सागर से अधिक नहीं 3.5 हाथ आरण-अच्युत 22सागर से अधिकनहीं 20सागर से अधिक नहीं 3 हाथ 19. कल्पातीत देवों की आयु व अवगाहना कितनी है ? कल्पातीत देव उत्कृष्ट आयु जघन्य आयु अवगाहना ग्रैवेयकों (अधो)में क्रमशः 23, 24, 25 सागर 22, 23, 24 सागर 2.5 हाथ मध्यम ग्रैवेयकों मे क्रमशः 26, 27, 28 सागर 25, 26, 27 सागर 2 हाथ उपरिम ग्रैवेयकों में क्रमशः 29, 30, 31 सागर 28, 29, 30 सागर 1.5 हाथ नव अनुदिशों मेंअनुतरों में 32 सागर 31 सागर 1.5 हाथ चार अनुतरों में 33 सागर 32 सागर 1 हाथ सर्वार्थसिद्धि में 33 सागर 33 सागर 1 हाथ विशेषः-अनुदिशों में अवगाहना 1.25 हाथ (सि.सा.दी. 15/257) 20. साधिक आयु (कुछ अधिक) का अर्थ क्या है, यह कौन से स्वर्ग तक लेते हैं ? 21. कल्पवासी और कल्पातीत देवों में आहार और श्वासोच्छास कब होता है ? 22. देव आहार में क्या लेते हैं ? 23. चार
प्रकार के देवों में विशेष भेद कितने होते हैं ?
नोट - व्यंतर और ज्योतिषियों में त्रायस्त्रिश और लोकपाल नहीं होते हैं। (तसू,4/5) 24. देवियों की उत्कृष्ट आयु
कितनी होती है ? 25. देवियों की जघन्य आयु कितनी होती है ? 26. देवियाँ कौन से स्वर्ग तक उत्पन्न होती हैं ? 27. सोलह स्वर्गों में कितने इन्द्र होते हैं ?
28. एक भवावतारी जीव कौन-कौन से होते हैं ? सौधर्म इन्द्र,सौधर्म इन्द्र की शची, उसी के सोमादि चार लोकपाल (पूर्वादि दिशाओों में क्रमशः सोम, यम, वरुण और धनद (कुबेर) होते हैं), सानत्कुमारादि दक्षिणेन्द्र, लौकान्तिक देव और सर्वार्थसिद्धि विमान के देव एक भवावतारी होते हैं। (त्रिसा, 548) 29. लौकान्तिक देव कौन हैं एवं कहाँ रहते हैं ? 30. लौकान्तिक देवों के कितने भेद हैं ? 31. लौकान्तिक देव कौन बनते हैं ? 32. कौन से स्वर्ग के देव मरणकर कितने समय बाद उसी स्वर्ग के देव हो सकते हैं ?
विशेष - पृथक्त्व का अर्थ 3 से 9 तक। किन्तु नवग्रैवेयक, नवअनुदिश एवं चार अनुत्तर विमानों में वर्ष पृथक्त्व से 8 वर्ष अन्तर्मुहूर्त से 9 वर्ष तक लेना होगा। क्योंकि कल्पातीत विमानों में मुनि ही जाते हैं और आठ वर्ष अन्तर्मुहूर्त से पहले मुनि नहीं बन सकते हैं। 33. वैमानिक देवों में उत्पत्ति के कारण क्या हैं ? 34. सभी देवों में आपस में बड़ा प्रेम रहता होगा ? 35. देवों में कितनी शक्ति होती है ? 36. देव अवधिज्ञान से कहाँ तक का जानते हैं ?
सभी देव ऊपर अपने-अपने विमान के ध्वजदंड तक जानते हैं। तथा असंख्यात कोड़ाकोड़ी योजन तिर्यक् रूप से जानते हैं। 37. देवगति के दुखों का वर्णन कीजिए ? 38. देवगति में कितने गुणस्थान होते हैं ? 39. 100 इन्द्र
कौन-कौन से होते हैं ? कप्यामरचउवीसा, चन्दो सूरो णरो तिरियो । भवनवासी देवों के 40 इन्द्र व्यन्तर देवों के 32 इन्द्र वैमानिक देवों के 24 इन्द्र ज्योतिषी देवों में सूर्य 1 इन्द्र ज्योतिषी देवों में चन्द्रमा 1 इन्द्र मनुष्यों में चक्रवर्ती 1 इन्द्र तिर्यऊचों में सिंह 1 इन्द्र
_________ Edited November 9, 2017 by admin कर्म की उत्कृष्ट स्थिति कितनी है?अर्थ:-वेदनीय कर्म की जघन्य स्थिति बारह मुर्हूत है ! भावार्थ-वेदनीय कर्म बंध कम से कम १२ मुर्हूत का होता है!
गति नाम कर्म के कितने भेद हैं?यत: गति नामकर्म जीवों को अनेक रंगभूमियों पर चलाता है अतएव इसे गति कहते हैं (पंचसंग्रहगाथा, ५९)। गति नामकर्म के मुख्य भेद नरक, तिर्यंच (पशुपक्षी), मनुष्य और देव ये चार हैं। १.
मोहिनी कर्म के कितने भेद होते हैं?चौथे कर्म मोहनीय को कर्मों का राजा कहा गया है। दर्शन और चरित्र मोहनीय के भेद से दो प्रकार के हैं। प्रथम दृष्टि या श्रद्धा को और दूसरा आचरण को विरूप देता है। तब जीवादि सात तत्वों और पुण्य पापादि में इस जीव का विश्वास नहीं होता और यह प्रथम (मिथ्यात्व) गुणस्थान में रहता है।
प्रमाद कितने प्रकार के होते हैं?प्रमाद तन की नहीं, मन की दुर्बलता व्यक्त करता है। यह लापरवाही, असावधानी का भाव दिखाता है। प्रमादी एक प्रकार से कर्तव्य-अकर्तव्य के प्रति 'मद' के वशीभूत हो लापरवाह आचरण दिखाता है, गलतियाँ करता है। प्रमादी आवश्यक नहीं कि ढीला-ढाला हो, वह चुस्ती-फुर्ती वाला भी हो सकता है, परंतु आलसी तो जगह पकड़ लेना चाहता है।
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