निम्न में से कौन सी कृषि के प्रकार का विकास यूरोपीय औपनिवेशिक समूहों द्वारा किया गया है? - nimn mein se kaun see krshi ke prakaar ka vikaas yooropeey aupaniveshik samoohon dvaara kiya gaya hai?

निम्नलिखित में से कौन-सी कृषि के प्रकार का विकास यूरोपीय औपनिवेशिक समूहों द्वारा किया-गया?

  • कोलखोज़

  • अंगूरोत्पादन

  • मिश्रित कृषि

  • रोपण कृषि


फूलों की कृषि कहलाती है-

  • ट्रक फार्मिंग

  • कारखाना कृषि

  • मिश्रित कृषि

  • पुष्पोत्पादन


चलवासी पशुचारण और वाणिज्य पशुधन पालन में अंतर कीजिए ।


चलवासी तथा व्यापारिक पशुपालन में निम्नलिखित अंतर हैं-

चलवासी पशुचारण व्यापारिक पशुपालन
  1. चलवासी पशुचारण में चरवाहे चारे तथा जल की तलाश में इधर-उधर घूमते हैं।
  2. चलवासी चरवाहे अविकसित तथा प्राचीन पद्धति से पशुपालन करते हैं।
  3. चलवासी पशुपालन एक जीवन-निर्वाह पद्धति है।
  4. चलवासी पशुचारण में विभिन्न प्रकार के पशुओं को रखा जाता है।
  5. चलवासी पशुपालन में चारा प्राकृतिक रूप से विकसित होता है।
  6. इसमें पशुओं के प्रजनन तथा नस्त सुधार के प्रयास नहीं किए जाते।
  7. चलवासी पशुचारण में पशुओं के स्वास्थ्य की जांच तथा उपचार की व्यवस्था नहीं होती है।
  8. चलवासी पशुचारण अर्धशुष्क प्रदेशों की कठोर जलवायु में होता है।
  9. चलवासी पशुचारण के मुख्य क्षेत्र सहारा, दक्षिणी-पश्चिमी व मध्य एशिया, यूरेशिया में टुंड्रा का दक्षिणी सीमांत व दक्षिणी पश्चिमी अफ्रीका हैं।
  1. व्यापारिक पशुपालन में चारे तथा जल की समुचित व्यवस्था की जाती है तथा चरवाहे स्थायी तौर पर एक ही स्थान पर पशुओं के साथ रहते हैं।
  2. व्यापारिक पशुपालन में आधुनिक पद्धति से पशुपालन किया जाता है।
  3. व्यापारिक पशुपालन में दूध, मांस, खाल, ऊन आदि का उत्पादन होता है जिसका अन्य देशों के साथ व्यापार किया जाता है। अधिक लाभ कमाने के उद्देश्य से उत्पादन किया जाता है।
  4. व्यापारिक पशुपालन में पशुओं को अनुकूल दशाओं के अनुसार रखा जाता है अर्थात् जिस पशु के लिए भौगोलिक दशा अनुकूल हो उनको वहीं रखा जाता है।
  5. व्यापारिक पशुपालन में पशुओं के लिए चारा फार्म में उगाया जाता है।
  6. इस पद्धति में पशुओं के प्रजनन तथा नस्ल सुधार के प्रयास किए जाते हैं।
  7. व्यापारिक पशुपालन में पशुओं के स्वास्थ्य तथा बीमारियों की रोकथाम तथा उपचार की व्यवस्था होती है।
  8. व्यापारिक पशुपालन शीतोष्ण घास के मैदानों में सम जलवायु में होता है।
  9. व्यापारिक पशुपालन के मुख्य क्षेत्र उत्तरी अमेरिका के प्रेयरी, दक्षिणी अमेरिका के लानोस व पम्पास, दक्षिणी अफ्रीका के वेल्ड, ऑस्ट्रेलिया के डाऊन्स व न्यूजीलैंड के घास स्थल हैं।


निम्नलिखित में से कौन-सी रोपण फसल नहीं है?

  • कॉफी

  • गन्ना

  • गेहूँ

  • रबड़


निम्नलिखित देशों में से किस देश में सहकारी कृषि का सफल परीक्षण किया गया है?

  • रूस

  • डेनमार्क

  • भारत

  • नीदरलैंड


रोपण कृषि की मुख्य विशेषताएँ बतलाइए एवं भिन्न-भिन्न देशों में उगाई जाने वाली कुछ प्रमुख रोपण फसलों के नाम बतलाइए।


रोपण कृषि की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

  1. इसमें कृषि क्षेत्र का आकार बहुत विस्तृत होता है।
  2. इसमें अधिक पूँजी, निवेश, उच्च प्रबंधन, तकनीकी आधार एवं वैज्ञानिक विधियों का प्रयोग किया गया है।
  3. यह एक फसली कृषि है जिसमें किसी एक फसल के उत्पादन पर ही संकेंद्रण किया जाता है।
  4. सस्ते श्रमिकों की उपलब्धता रहती है।
  5. यातायात के साधन विकसित होते हैं जिसके द्वारा बागान एवं बाजार सुचारू रूप से जुड़े रहते हैं।

मुख्य फसलें - यूरोपीय लोगों ने विश्व के अनेक भागों का औपनिवेशीकरण किया तथा कृषि के कुछ अन्य रूप जैसे रोपण कृषि की शुरुआत की। रोपण कृषि की मुख्य फसलें हैं - चाय, कॉफी, कोको, रबड़, गन्ना, कपास, केला एवं अनानास ।


कौन सी कृषि के प्रकार का विकास यूरोपीय औपनिवेशिक समूह द्वारा किया गया है?

यूरोपीय उपनिवेशों ने अपने अधीन उष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में चाय, कॉफी, कोको, रबड़, कपास, गन्ना, केले एवं अनन्नास की पौध लगाई ।

निम्नलिखित में से कौन सी कृषि यूरोपियों द्वारा शुरू की गई थी?

Detailed Solution. जैसा कि ऊपर उल्लेख किया गया है, बागानी कृषि यूरोपियों द्वारा उष्ण कटिबंध में स्थित उपनिवेशों में शुरू की गई थी। चाय, कॉफी, कोको, रबर, कपास, पाम तेल, गन्ना, केला और अनानास कुछ महत्वपूर्ण बागानी फसलें हैं।

निम्नलिखित कृषि के प्रकारों में से कौन सा प्रकार कर्तन दहन कृषि का प्रकार है?

कृषि, मत्स्यन और संग्रहण इनके अच्छे उदाहरण हैं। द्वितीयक क्रियाएँ इन संसाधनों के प्रसंस्करण से संबंधित हैं। इस्पात विनिर्माण, डबलरोटी पकाना और कपड़ा बुनना इन क्रियाओं के उदाहरण हैं। तृतीयक क्रियाएँ प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्र को सेवा कार्यों द्वारा सहयोग प्रदान करती हैं ।

स्थानांतरित कृषि का भविष्य अच्छा नहीं है क्यों?

स्थानान्तरी कृषि अथवा स्थानान्तरणीय कृषि जीविका कृषि का एक प्रकार है जिसमें कोई भूमि का टुकड़ा कुछ समय तक फसल लेने के लिए चुना जाता है और उर्वरता समाप्ति के बाद इसका परित्याग कर दूसरे टुकड़े को ऐसी ही कृषि के लिए चुन लिया जाता है। पहले चुने गए टुकड़े पर वापस प्राकृतिक वनस्पति का विकास होता है।