निम्नलिखित में कौन सही प्रेरणात्मक क्रम है? - nimnalikhit mein kaun sahee preranaatmak kram hai?

अभिप्रेरण (motivation) का अर्थ किसी व्यक्ति के लक्ष्योन्मुख (goal-oriented) व्यवहार को सक्रिय या उर्जान्वित करना है। मोटिवेशन दो तरह का होता है - आन्तरिक (intrinsic) या वाह्य (extrinsic)। अभिप्रेरण के बहुत से सिद्धान्त हैं। अभिप्रेरण के मूल में शारीरिक कष्टों को न्यूनतमीकरण तथा आनन्द को अधिकतम् करने की मूल आवश्यकता हो सकती है; या इसके पीछे विशिष्त आवश्यकताएँ, जैसे खाना, आराम करना या वांछित वस्तुएँ, रूचि (हॉबी), लक्ष्य, आदर्श आदि हो सकते हैं। अभिप्रेरण की जड़ में कुछ अल्प-स्पष्ट कारण, जैसे - स्वार्थ, नैतिकता/अनैतिकता आदि भी हो सकते हैं।

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प्रेरणा के स्रोत[संपादित करें]

प्रेरणा के प्रमुख 4 स्रोत होते हैं- आवश्यकताएं, चालक, उद्दीपन, प्रेरक।

आवश्यकताएं[संपादित करें]

प्रत्येक प्राणी की कुछ मौलिक आवश्यकताएं होती है। जिसके बिना उसका अस्तित्व सम्भव नहीं है जैसे भोजन, पानी, हवा इत्यादि। इन आवश्यकताओ की तृप्ति पर ही व्यक्ति का जीवन निर्भर करता है।

चालक[संपादित करें]

प्राणी की आवश्यकता से चालक का जन्म होता है। चालक, शक्ति का वह स्रोत है जो प्राणी को क्रियाशील करता है। जैसे भोजन की आवश्यकता से भूख-चालक की उत्पत्ति होती है। भूख चालक उसे भोजन की खोज करने के लिए प्रेरित करता है।

उद्दीपन[संपादित करें]

पर्यावरण की वे वस्तुएं जिसके द्वारा प्राणी के चालकों की तृप्ति होती है, उद्दीपन कहलाती हैं। भूख एक चालक है, और भूख चालक को भोजन संतुष्ट करता है। अतः भूख चालक के लिए भोजन उद्दीपन है। आवश्यकता, चालक व उद्दीपन तीनों में सम्बन्ध होता है।

आवश्यकता, चालक को जन्म देती है। चालक बढे़ हुए तनाव की दशा है जो कार्य और प्रारम्भिक व्यवहार की ओर अग्रसर करता है। उद्दीपन बाहरी वातावरण की कोई भी वस्तु होती है जो आवश्यकता की सन्तुष्टि करती है और इस प्रकार क्रिया के द्वारा चालक को कम करती है।

प्रेरक[संपादित करें]

प्रेरक शब्द व्यापक है। प्रेरकों को आवश्यकता, इच्छा, तनाव, स्वभाविक स्थितियाँ, निर्धारित प्रवृतियाँ, रूचि, स्थायी उद्दीपक आदि से जाना जाता है। यह किसी विशेष उद्देश्य की ओर व्यक्ति को ले जाते हैं।

अभिप्रेरण के प्रकार
  • (१) जन्मजात अभिप्रेरण - भूख, प्यास, भय आदि
  • (२) अर्जित अभिप्रेरण
    • (क) सामाजिक अभिप्रेरण -- समूह में रहना, संचय, प्रेम, युयुत्सा
    • (ख) व्यक्तिगत अभिप्रेरण -- अभिवृत्ति, विश्वास, रूचि, महत्वकांक्षा का स्तर, लक्ष्य, आदत

मनोवैज्ञानिक सिद्धान्त[संपादित करें]

प्रेरणा, विचारों और व्यवहार को प्रभावित करती है। इसे एक चक्र के रूप में देखा जा सकता है। प्रत्येक व्यक्ति के अनुभवों की प्रेरणा दूसरे को प्रभावित करती है। जो व्यवहार, विश्वासों, इरादों, और प्रयासों से बनता है। यह अभिप्रेरण से जुड़ा हुआ है

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

  • अभिप्रेरणा के सिद्धान्त
  • "Intrinsic motivation doesn't exist, researcher says": An article summarizing the view of Steven Reiss

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Aspiration Management - Holistic Motivation Framework

प्रेरणा व्यवहार की व्याख्या करने के लिए इस्तेमाल एक सैद्धांतिक निर्माण है। यह लोगों कि कार्वाई, इच्छाओं और ज़रूरतों के लिए कारणों का प्रतिनिधित्व करता है। प्रेरणा भी व्यवहार करने की दिशा के रूप मे परिभाषित किया जा सकता है। एक मकसद एक निश्चित तरीके से कार्य करने के लिए व्यक्ति को संकेत देता है या कम से कम विशिष्ट व्यवहार के लिए एक झुकाव विकसित करता है। उदाह्ररण के लिए, जब कोई खाना खा के, अपनी भूख की ज़रुरत को पूरा करता है, या जब कोई छात्र अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए अपना सारा काम स्कूल में ही कर लेता है। दोनो उदाहरणों में हम क्या करते है और क्यों करते है इस में एक समानता पाई जाती है। मायर और मेयर के अनुसार, प्रेरणा शब्द लोकप्रिय संस्कृति का हिस्सा है जैसे अन्य मनोवैज्ञानिक अवधारणाओं रहें है।

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Research process (Based on Reeve, 2009, Figure 1.1)

सिद्धांतों और मॉडलों के प्रकार:[संपादित करें]

अभिप्रेरण सिद्धान्त : आंतरिक और बह्य प्रेरणा[संपादित करें]

प्रेरणा को दो अलग सिद्धांत में विभाजित किया जा सकता है- आंतरिक प्रेरणा और बह्य प्रेरणा।

आंतरिक प्रेरणा:[संपादित करें]

आंतरिक प्रेरणा का अध्ययन १९७० के दशक से किया गया है। आंतरिक प्रेरणा का निरीक्षण करने और ज्ञान प्राप्त करने के लिए एक क्षमता का विशलेषण करने, नई चीज़ों और नई चुनौंतियों के बाहर की तलाश करने के लिए स्वयम की इच्छा है।

यह ब्ल्कि बाहरी दबाव या इनाम के लिए एक इच्छा पर निर्भर से व्यक्ति के भीतर काम करना अपने आप मे एक ब्याज या भोग के द्वारा संचालित है, और मौजूद है। आंतरिक प्रेरणा की घटना पहले पशुओं के व्यवहार का प्रायोगिक अध्ययन के भीतर स्वीकार किया गया था। आंतरिक प्रेरणा एक प्रकृतिक प्रेरक प्रवृत्ति है और संज्ञानात्मक, सामाजिक और शारीरिक विकास मे एक महत्वपूर्ण तत्व है। आंतरिक रूप से प्रेरित हुए छात्रों की ही क्षमताओं में वृद्धि होगी, जो अपने कौशल मे सुधार करने के लिए काम स्वेच्छा के साथ ही काम में संलग्न होने की संभावना है।

बह्या प्रेरणा:[संपादित करें]

बह्य प्रेरणा एक वांछित परिणाम प्राप्त करने के क्रम में एक गतिविधि का प्रदर्शन करने के लिए संदर्भित करता है और यह आंतरिक प्रेरणा के विपरीत है। बह्य प्रेरणा व्यक्ति के बाहर के प्रभावों से आता है। बह्य प्रेरणा मे इस प्रश्न का उत्तर देना कठिन है कि, लोगों को प्रेरणा कहॉं सें मिलती है अपने कामों कों दृढता के साथ जारी रखने के लिए?

आम तौर पर जो परिणाम आंतरिक प्रेरणा से प्राप्त नही होता, उसे प्राप्त करने के लिए व्यक्ति बह्य प्रेरणा का प्रयोग करता है। आम बह्य मंशा पुरस्कार है जैसे पैसे या अच्छे अंक, वांछित व्यवहार दिखाने के लिए और सज़ा का खतरा निम्नलिखित दुर्व्यवहार के लिए है। प्रतियोगिता एक बह्य प्रेरक है क्योंकि वह जीतने के लिए और दूसरों को हराने के लिए कलाकार को प्रोत्साहित करती है ना की बस गतिविधि के आंतरिक पुरस्कार का आनंद लें।

सामाजिक मनोवैज्ञनिक अनुसंधान ने यह संकेत दिया है कि बह्य पुरस्कार अतिऔचित्य करने के लिए नेतृत्व कर सकता है और आंतरिक प्रेरणा मे एक कमी पैदा कर सकता है। उदाहरण के लिए - एक उत्साही भीड और एक ट्रॉफी जीतने की इच्छा भी बाह्य प्रोत्साहन कर रहें है।

मनोसामाजिक उद्देश्य[संपादित करें]

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सामाजिक उद्देश्यों ज्यादातर हासिल कर ली जाते हैं या सीखे जाते हैं। हमारे परिवार प्रतिवेश, मित्रो, आदि इन उद्देश्यों को पाने के लिये मदद करते है। ये काफी जटिल होते है और एक व्यक्ति का सामाजिक वातावरण के द्वारा पाये जाते है। मनोवैञानिक के अनुसार मनुष्य मे चार प्रकार के मनोसामाजिक इरादों होते है।

संबद्धीकरण की आवश्यकता[संपादित करें]

ज़्यादा से ज़्यादा लोगो को अच्छा लगता है जब वे एक समूह का हिस्सा हो। समूह के गठन मानव जीवन के लिए महत्वपूर्ण है। मनुष्य यह चाहता है कि वह अन्य लोगो के सात शारीरिक और मानसिक रूप से करीब हो और इस धारणा को संबद्धता बुलाते है। उन्हे सामाजिक संपर्क के लिए प्रेरणा मिलता है। लोगो में संबंद्धीकरण पाया जाता है जब वे असाहायता मह्सूस करते हैं या जी घबराते है या भी जब वे बहुत खुश होते है। जिन लोगो मै इस उद्धेश्य सर्वोपर होता है वे अपना संबंधो का अनुरक्षण करते है।

अधिकार की आवश्यकता[संपादित करें]

वह व्यक्ति प्रभावशाली कहा जाता है जो किसी अन्य व्यक्ति का व्यवहार और भावनाओं को अपने अनुसार बदल सकता है। जो इस कार्य मे सफल होता है और जिसकी क्षमता रहे यह पाने को, वह निश्चित प्रभावशाली व्यक्ति है। प्रेरणा के लक्ष्यों है अन्य लोगो को मनाना, प्रभावित करना,आकर्षित करना और उनके दृष्टिकोण में अपनी कीर्ति बढ़ाना। डेविढ मेकलील्ंड (१९७५) ने कहा था कि अधिकार प्रकत करने के लिये लोग चार प्रकार् के तरीका प्रयोग करते है :-

  1. मानव अपने बल बढाने के लिये अन्य स्रोत के द्वारा अपना अधिकार बढाना चाह्ता है। जैसे विख्यात लोग के बारे मे पढना और इससे आकर्षित होना आदि
  2. अपना शक्ति खुद बढाना ओर मान्सिक और शारीरिक बल को प्रकट करना
  3. इनसान् जो कुछ करता है वह दूसरे लोगों को प्रभाबावित करने के लिये करता है।
  4. जब कोइ एक सन्स्था के अंग हो, वह यह चह्ता है कि उस सन्स्था के लोग उससे प्रभाबावित हो। जैसे राजनीतिकपार्टी के नेता जिसका असर आम आदमी पर पडता है।

उपलब्धि की आवश्यकता[संपादित करें]

जब कोई उत्तीर्नता चाहता है, उस पर उपलब्धि होने का इच्छा ज़्यादा होता है। यह बचपन का प्रारंभिक वर्षों में देखा जाता है। जिन लोगो में यह अधिक्तर प्रकट होता है वे कटिन कार्य करना पसन्द करते हैं। वे अपने प्रदर्शन के बारे में प्रतिक्रिया पता करने के लिए इच्छा करते है ताकि चुनौतियों के अनुसार वे अपने लक्ष्यों बदल सकते है।

जिज्ञासा और अन्वेषण[संपादित करें]

कुछ लोग विशेष लक्ष्य के लिए नहीं बल्कि जिज्ञासा पाने के लिये काम करते है। इन विष्यो की खोज में यानि अनुभव की तलाश में, नई जानकारी प्राप्त करने में खुशी मिलता है। इस तरह की खोज् सिर्फ मनुष्य मे ही नहीं, जानवर मे भी होता है। लोग दोहराव से थक जाते है और नई जानकारी चाहते हैं। यह ज़्यादा से ज़्यादे बच्चो मे दिखाई पडता है। यह उनके व्यवहार और अभिव्यक्ति जैसे मुस्कुराहट और बडबडाहट के माध्यम से दिखाया जाता है। उनके मकसद पूरा न होने पर वे परेशान् हो जाते हैं। इसलिये हम हमेशा रोमानचिक अनुभवो की खोज मे लगे रहते हैं।

कुछ लोग विशेष लक्ष्य के लिए नहीं बल्कि जिज्ञासा पाने के लिये काम करते है। इन विष्यो की खोज में यानि अनुभव की तलाश में, नई जानकारी प्राप्त करने में खुशी मिलता है। इस तरह की खोज् सिर्फ मनुष्य मे ही नहीं, जानवर मे भी होता है। लोग दोहराव से थक जाते है और नई जानकारी चाहते हैं। यह ज़्यादा से ज़्यादे बच्चो मे दिखाई पडता है। यह उनके व्यवहार और अभिव्यक्ति जैसे मुस्कुराहट और बडबडाहट के माध्यम से दिखाया जाता है। उनके मकसद पूरा न होने पर वे परेशान् हो जाते हैं। इसलिये लोगो का स्वभाव है कि वे हमेशा नई और रोमान्चिक अनुभवो की खोज मे लगे रहते हैं।

सन्दर्भ[संपादित करें]

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

  • अभिप्रेरण (Motivation)

निम्नलिखित में से कौन सा प्रेरणा का सही क्रम है?

इस प्रकार उपर्युक्त बिंदुओं से यह स्पष्ट है कि प्रेरणा-चक्र के संदर्भ में आवश्यकता, प्रबल प्रेरणा, उत्तेजना, लक्ष्य-उन्मुखी व्यवहार, उपलब्धि, उत्तेजना में कमी सही क्रम है।

अभिप्रेरणा से संबंधित सही क्रम क्या है?

आंतरिक अभिप्रेरणा तब होती है जब अधिगमकर्ता बाह्य संतोषजनक परिणाम का अनुभव करने के लिए कार्य करता हैं. बाह्य अभिप्रेरणा तब होती है जब अधिगमकर्ता बाह्य पुरूस्कार प्राप्त करने के लिए कार्य करता हैं. बाह्य पुरूस्कार से स्थायी व्यवहार परिवर्तन होता हैं. बाह्य पुरस्कार आंतरिक अभिप्रेरणा प्रदान करते हैं.

प्रेरणा कितने प्रकार के होते हैं?

Motivation दो तरह की होती है :.
आंतरिक प्रेरणा (Internal Motivation).
बाहरी प्रेरणा (External Motivation).

प्रेरणा के कौन कौन से दो रूप है?

प्रेरणा को दो अलग सिद्धांत में विभाजित किया जा सकता है- आंतरिक प्रेरणा और बह्य प्रेरणा