(2001 का अधिनियम संख्यांक 52){29 सितम्बर, 2001}ऊर्जा के दक्षतापूर्ण उपयोग तथा उसके संरक्षण और उससे सम्बन्धित या उसके आनुषंगिक विषयों का उपबन्ध करने के लिये अधिनियम Show
भारत गणराज्य के बावनवें वर्ष में संसद द्वारा निम्नलिखित रूप में यह अधिनयिमत हो:- अध्याय 1प्रारम्भिक1. संक्षिप्त नाम, विस्तार और प्रारम्भ(1) इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001 है। 2. परिभाषाएँइस अधिनियम में, जब तक कि सन्दर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो,- (क) “प्रत्यायित ऊर्जा सम्परीक्षक” से 1{ऐसा
सम्परीक्षक अभिप्रेत है जिसके पास धारा 13 की उपधारा (2) के खण्ड (त) के उपबन्धों के अनुसार प्रत्यायित ऊर्जा सम्परीक्षक अभिप्रेत है}; अध्याय 2ऊर्जा दक्षता ब्यूरो3. ऊर्जा दक्षता ब्यूरो की स्थापना और निगमन(1) ऐसी तारीख से, जो केन्द्रीय सरकार, अधिसूचना द्वारा, नियत करे, इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिये ऊर्जा दक्षता ब्यूरो के नाम से एक ब्यूरो की स्थापना की जाएगी। 4. ब्यूरो का प्रबन्ध(1) ब्यूरो के कार्यकलापों का साधारण अधीक्षण, निदेशन और प्रबन्ध शासी परिषद में निहित होगा जो कम-से-कम बीस किन्तु छब्बीस से अनधिक सदस्यों से मिलकर बनेगी, जिनकी नियुक्ति केन्द्रीय सरकार द्वारा की
जाएगी। (क) मंत्री जो विद्युत से सम्बन्धित केन्द्रीय सरकार के मंत्रालय या विभाग का भारसाधक है ....... पदेन अध्यक्ष; (3) शासी परिषद ऐसी सभी शक्तियों का प्रयोग और ऐसे सभी कार्य तथा बातें कर सकेगी जिनका प्रयोग या जो कार्य और बातें ब्यूरो द्वारा की जा सकेंगी। (4) उपधारा (2) के खण्ड (ण), खण्ड (त) और खण्ड (थ) में निर्दिष्ट प्रत्येक सदस्य, अपना पद, उस तारीख से, जिसको वह अपना पद ग्रहण करता है, तीन वर्ष की अवधि के लिये धारण करेगा। (5) उपधारा (2) के खण्ड (ण), खण्ड (त) और खण्ड (थ) में निर्दिष्ट सदस्यों को सन्दत्त की जाने वाली फीस और भत्ते तथा रिक्तियों को भरे जाने की रीति और उनके कृत्यों के निर्वहन में अनुसरण की जाने वाली प्रक्रिया वह होगी जो विहित की जाये। 5. शासी परिषद के अधिवेशन(1) शासी परिषद ऐसे समयों और स्थानों पर अधिवेशन करेगी और अपने अधिवेशनों में कारबार के संव्यवहार से सम्बन्धित (जिसके अन्तर्गत ऐसे अधिवेशनों में गणपूर्तित भी है) प्रक्रिया के ऐसे नियमों का पालन करेगी, जो विनियमों द्वारा उपबन्धित किये जाएँ। (2) अध्यक्ष या यदि वह किसी कारण से शासी परिषद के अधिवेशन में उपस्थित होने में असमर्थ है, तो उस अधिवेशन में उपस्थित सदस्यों द्वारा अपने में से चुना गया कोई अन्य सदस्य, अधिवेशन की अध्यक्षता करेगा। (3) शासी परिषद के किसी अधिवेशन के समक्ष आने वाले सभी प्रश्नों का विनिश्चय उपस्थित और मत देने वाले सदस्यों के बहुमत से किया जाएगा और मत बराबर होने की दशा में, अध्यक्ष का या उसकी अनुपस्थिति में, अध्यक्षता करने वाले व्यक्ति का द्वितीय या निर्णायक मत होगा। 6. रिक्तियों, आदि से ब्यूरो, शासी परिषद या समिति की कार्यवाहियों का अविधिमान्य न होनाब्यूरो या शासी परिषद अथवा किसी समिति का कोई कार्य या कार्यवाही केवल इस आधार पर अविधिमान्य नहीं होगी कि- (क) ब्यूरो या शासी परिषद अथवा समिति में कोई रिक्ति है या उसके गठन में कोई त्रुटि है; या 7. सदस्य का पद से हटाया जानाकेन्द्रीय सरकार, धारा 4 की उपधारा (2) के खण्ड (ण), खण्ड (त) और खण्ड (थ) में निर्दिष्ट किसी सदस्य को हटा देगी, यदि- (क) वह दिवालिया है या उसे किसी समय दिवालिया न्यायनिर्णीत किया गया है; परन्तु इस खण्ड के अधीन किसी सदस्य को तब तक नहीं हटाया जाएगा जब तक कि उसे इस विषय पर सुनवाई का उचित अवसर नहीं दे दिया गया हो। 8. सलाहकार समितियों और अन्य समितियों का गठन(1) इस निमित्त बनाए गए किन्हीं विनियमों के अधीन रहते हुए, ब्यूरो, इस अधिनियम के प्रारम्भ की तारीख से छह मास के भीतर, अपने कृत्यों के दक्षतापूर्ण निर्वहन के लिये सलाहकार समितियों का गठन कर सकेगा। (2) प्रत्येक सलाहकार समिति एक अध्यक्ष और ऐसे अन्य सदस्यों से मिलकर बनेगी जो विनियमों द्वारा अवधारित किये जाएँ। (3) उपधारा (1) में अन्तर्विष्ट शक्तियों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, ब्यूरो, उपस्करों या प्रक्रियाओं की बाबत ऊर्जा संरक्षण के मानक या सन्नियम तय करने के लिये उतनी संख्या में विशेषज्ञों की तकनीकी समितियों का गठन कर सकेगा जितनी वह आवश्यक समझे। 9. ब्यूरो महानिदेशक(1) केन्द्रीय सरकार अधिसूचना द्वारा ऐसे योग्य और ख्याति प्राप्त व्यक्तियों में से जिन्हें ऊर्जा उत्पादन, प्रदाय और ऊर्जा प्रबन्ध, मानकीकरण और ऊर्जा के दक्ष उपयोग और उसके संरक्षण से सम्बन्धित विषयों में पर्याप्त ज्ञान और अनुभव हो, महानिदेशक नियुक्त करेगी। (2) केन्द्रीय सरकार, अधिसूचना द्वारा, भारत सरकार के उप सचिव की पंक्ति से अनिम्न व्यक्ति को ब्यूरो के सचिव के रूप में नियुक्त करेगी। (3) महानिदेशक, उस तारीख से, जिसको वह अपना पद ग्रहण करता है 3{पाँच वर्ष} की अवधि के लिये या साठ वर्ष की आयु प्राप्त करने तक, इनमें से जो भी पहले हो, पद धारण करेगा। (4) महानिदेशक को सन्देय वेतन और भत्ते और सेवा के अन्य निबन्धन और शर्तें तथा ब्यूरो के सचिव के अन्य निबन्धन और शर्तें वे होंगी जो विहित की जाएँ। (5) शासी परिषद द्वारा कार्यकलापों के साधारण अधीक्षण, निदेशन और प्रबन्ध के अधीन रहते हुए, ब्यूरो महानिदेशक, ब्यूरो का मुख्य कार्यकारी प्राधिकारी होगा। (6) ब्यूरो महानिदेशक, ब्यूरो की ऐसी शक्तियों का प्रयोग और ऐसे कर्तव्यों का निर्वहन करेगा जो विनियमों द्वारा अवधारित किये जाएँ। 10. ब्यूरो के अधिकारी और कर्मचारी(1) 4{ब्यूरो, ब्यूरो में उतने अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों को नियुक्त कर सकेगा जितने वह इस अधिनियम के अधीन उसके कृत्यों के दक्षतापूर्ण निर्वहन के लिये आवश्यक समझे। (2) उपधारा (1) के अधीन नियुक्त ब्यूरो के अधिकारियों और अन्य कर्मचारियों की सेवा के निबन्धन और शर्तें वे होंगी जो विहित की जाएँ। 11. ब्यूरो के आदेशों और विनिश्चयों का अधिप्रमाणनब्यूरो के सभी आदेशों और विनिश्चयों को महानिदेशक या महानिदेशक द्वारा इस निमित्त प्राधिकृत ब्यूरो के किसी अन्य अधिकारी के हस्ताक्षर द्वारा अधिप्रमाणित किया जाएगा। अध्याय 3ऊर्जा प्रबन्ध केन्द्र की आस्तियों, दायित्वों, आदि का ब्यूरो को अन्तरण12. ऊर्जा प्रबन्ध केन्द्र की आस्तियों, दायित्वों और कर्मचारियों का अन्तरण(1) ब्यूरो की स्थापना की तारीख से ही,- (क) इस अधिनियम से भिन्न किसी विधि में या किसी संविदा या अन्य लिखत में ऊर्जा प्रबन्ध केन्द्र के प्रति किसी निर्देश को ब्यूरो के प्रति निर्देश समझा जाएगा; (2) औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 (1947 का 14) में या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि में किसी बात के होते हुए भी, ब्यूरो द्वारा इस धारा के अधीन अपनी नियमित सेवा के किसी कर्मचारी के आमेलित किये जाने से ऐसा कर्मचारी उस अधिनियम या अन्य विधि के अधीन किसी प्रतिकर के लिये हकदार नहीं होगा और ऐसा कोई दावा किसी न्यायालय, अधिकरण या अन्य प्राधिकारी द्वारा ग्रहण नहीं किया जाएगा। अध्याय 4ब्यूरो की शक्तियाँ और कृत्य13. ब्यूरो की शक्तियाँ और कृत्य(1) ब्यूरो, अभिहित उपभोक्ताओं, अभिहित अभिकरणों और अन्य अभिकरणों के साथ प्रभावी रूप से समन्वय करेगा, इस अधिनियम द्वारा या इसके अधीन उसे समनुदेशित कृत्यों का निर्वहन करने में विद्यमान संसाधनों और अवसरंचना को मान्यता देगा तथा उसका उपयोग करेगा। (2) ब्यूरो ऐसे कृत्यों का निर्वहन और ऐसी शक्तियों का प्रयोग कर सकेगा जो उसे इस अधिनियम द्वारा या उसके अधीन सौंपे जाएँ तथा विशेषतः ऐसे कृत्यों और शक्तियों के अन्तर्गत निम्नलिखित कार्य करने के कृत्य और शक्तियाँ भी सम्मिलित हैं- (क) धारा 14 के खण्ड (क) के अधीन अधिसूचित किये जाने के लिये अपेक्षित प्रक्रिया के लिये मान और ऊर्जा उपभोग मानक केन्द्रीय सरकार को सिफारिश करना; 5{(कक) धारा 14क के अधीन ऊर्जा बचत प्रमाणपत्र जारी करने के लिये केन्द्रीय सरकार को
सिफारिश करना;} अध्याय 5ऊर्जा के दक्ष उपयोग और उसके संरक्षण को सुकर बनाने और प्रवर्तित करने की केन्द्रीय सरकार की शक्ति14. ऊर्जा के दक्ष उपयोग और उसके संरक्षण को प्रवर्तित करने की केन्द्रीय सरकार की शक्तिकेन्द्रीय सरकार, अधिसूचना द्वारा, ब्यूरो के परामर्श से- (क) ऐसे किसी उपस्कर या साधित्र के लिये जो ऊर्जा का उपभोग, उत्पादन, पारेषण या प्रदाय करता है, प्रक्रिया के लिये मान और ऊर्जा उपभोग के मानक विनिर्दिष्ट कर सकेगी; 8{परन्तु इस धारा के खण्ड (क) के अधीन जारी की गई अधिसूचना की तारीख से छह मास की अवधि के भीतर उपस्कर या साधित्र के विनिर्माण या विक्रय या क्रय या आयात का प्रतिषेध करने वाली कोई अधिसूचना जारी नहीं की जाएगी: परन्तु यह और कि केन्द्रीय सरकार, बाजार, शेयर और उपस्कर या साधित्र पर समाघात करने वाले प्रौद्योगिकीय विकास को
ध्यान में रखते हुए और लेखबद्ध किये जाने वाले कारणों से, पहले परन्तुक में निर्दिष्ट छह मास की उक्त अवधि को छह मास से अनधिक की और अवधि के लिये विस्तारित कर सकेगी; परन्तु
केन्द्रीय सरकार, ऐसे पहलुओं को ध्यान में रखते हुए जो विहित किये जाएँ, भिन्न-भिन्न अभिहित उपभोक्ताओं के लिये भिन्न-भिन्न माल और मानक विहित कर सकेगी; परन्तु खण्ड (त) से खण्ड (ध) के अधीन शक्तियों का प्रयोग सम्बद्ध राज्य के परामर्श से किया जाएगा। 9{14क. ऊर्जा बचत प्रमाणपत्र जारी करने की केन्द्रीय सरकार की शक्ति(1) केन्द्रीय सरकार, ऐसे अभिहित उपभोक्ता को ऊर्जा बचत प्रमाणपत्र जारी कर सकेगी, जिसकी ऊर्जा की खपत उस प्रक्रिया के अनुसार जो विहित की जाये, विहित मानों और मानकों से कम है। (2) ऐसा अभिहित उपभोक्ता, जिसकी ऊर्जा खपत विहित मानों या मानकों से अधिक है, विहित मानों और मानकों का अनुपालन करने के लिये ऊर्जा बचत प्रमाणपत्र क्रय करने का हकदार होगा। 14ख. ऊर्जा का मूल्य विनिर्दिष्ट करने की केन्द्रीय सरकार की शक्तिकेन्द्रीय सरकार, ब्यूरो के परामर्श से इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिये उपभोग की गई ऊर्जा के समतुल्य तेल का प्रति मीटरी टन मूल्य विहित कर सकेगी।, अध्याय 6ऊर्जा के दक्ष उपयोग और उसके संरक्षण को सुकर बनाने और प्रवर्तित करने की राज्य सरकार की शक्ति15. ऊर्जा के दक्ष उपयोग और उसके संरक्षण के लिये कतिपय उपबन्धों को प्रवर्तित करने की राज्य सरकार की शक्तिराज्य सरकार, अधिसूचना द्वारा, ब्यूरो के परामर्श से- (क) ऊर्जा संरक्षण निर्माण संहिता का, उसको क्षेत्रीय और स्थानीय जलवायु दशाओं के अनुरूप बनाने के लिये, संशोधन कर सकेगी और उसके द्वारा बनाए गए नियमों द्वारा भवनों में ऊर्जा के उपयोग के सम्बन्ध में ऊर्जा संरक्षण निर्माण संहिता को विनिर्दिष्ट और अधिसूचित कर सकेगी; 16. राज्य सरकार द्वारा निधि की स्थापना(1) राज्य सरकार राज्य के भीतर ऊर्जा के दक्ष उपयोग और उसके संरक्षण के सम्प्रवर्तन के प्रयोजनों के लिये निधि का गठन करेगी जिसे राज्य ऊर्जा संरक्षण निधि कहा जाएगा। (2) निधि में वे सभी अनुदान और उधार जमा किये जाएँगे जो इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिये राज्य सरकार या केन्द्रीय सरकार या अन्य संगठन या व्यष्टि द्वारा दिये जाएँगे। (3) निधि का उपयोजन इस अधिनियम के उपबन्धों को कार्यान्वित करने के लिये उपगत व्ययों को पूरा करने के लिये किया जाएगा। (4) उपधारा (1) के अधीन सृजित निधि का ऐसे व्यक्तियों या किसी प्राधिकारी द्वारा ऐसी रीति में प्रशासन किया जाएगा जो राज्य सरकार द्वारा बनाए गए नियमों में विनिर्दिष्ट की जाये। 17. निरीक्षण की शक्ति(1) अभिहित अभिकरण, इस अधिनियम के प्रारम्भ की तारीख से पाँच वर्ष की समाप्ति पर उतने निरीक्षण अधिकारी नियुक्त कर सकेगा जितने वह धारा 14 के खण्ड (क) में विनिर्दिष्ट ऊर्जा उपभोग के मानकों का पालन सुनिश्चित करने के प्रयोजन के लिये या यह सुनिश्चित करने के लिये कि धारा 14 के खण्ड (ख) में विनिर्दिष्ट उपस्कर या साधित्र पर लेबल पर विशिष्टियाँ सम्प्रदर्शित की गई हैं अथवा ऐसे अन्य कृत्यों का पालन करने के प्रयोजनार्थ, जो उन्हें सौंपे जाएँ, आवश्यक समझे। (2) इस अधिनियम के अधीन बनाए गए किन्हीं नियमों के अधीन रहते हुए, निरीक्षक अधिकारी को निम्नलिखित की बाबत शक्तियाँ प्राप्त होंगी- (क) धारा 14 के खण्ड (ख) के अधीन विनिर्दिष्ट उपस्कर या साधित्रों पर या उनके सम्बन्ध में चलाई जाने वाली किसी संक्रिया अथवा जिसकी बाबत धारा 14 के खण्ड (क) के अधीन ऊर्जा मानक विनिर्दिष्ट किये गए हैं, निरीक्षण करना; (i) उसे- (ii) उसके द्वारा जाँच किये गए या सत्यापित किये गए
किसी उपस्कर या साधित्र के स्टाक की तालिका तैयार करे; (3) निरीक्षक अधिकारी अभिहित उपभोक्ता के किसी ऐसे स्थान में ऐसे समय के दौरान जिसके दौरान ऐसा स्थान उत्पादन या उससे सम्बन्धित कारबार करने के लिये खुला है, प्रवेश कर सकेगा- (क) जहाँ ऊर्जा की सहायता से कोई क्रियाकलाप चलाया जा रहा हो; और (4) इस धारा के अधीन कार्यरत निरीक्षक अधिकारी, ऐसे स्थान से जिसमें उसने प्रवेश किया है, किसी भी कारण से कोई भी उपस्कर या साधित्र या लेखाबही अथवा कोई अन्य दस्तावेज वहाँ से नहीं हटाएगा और न ही हटवाएगा। 18. निदेश जारी करने की केन्द्रीय सरकार और राज्य सरकार की शक्तिकेन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार, इस अधिनियम के अधीन अपनी शक्तियों का प्रयोग और अपने कृत्यों का पालन करते हुए तथा ऊर्जा के दक्ष उपयोग और उसके संरक्षण के लिये किसी व्यक्ति, अधिकारी, प्राधिकारी या किसी अभिहित उपभोक्ता को लिखित में ऐसे निदेश जारी कर सकेगी जो वह इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिये ठीक समझे और ऐसा व्यक्ति, अधिकारी, प्राधिकारी या कोई अभिहित उपभोक्ता ऐसे निदेश का पालन करने के लिये आबद्ध होगा। स्पष्टीकरणशंकाओं से बचने के लिये यह घोषित किया जाता है कि इस धारा के अधीन निदेश जारी करने की शक्ति के अन्तर्गत- (क) किसी उद्योग, या भवन या भवन प्रक्षेत्र में प्रक्रिया के लिये सन्नियमों और ऊर्जा उपभोग के मानकों का विनियमन; या अध्याय 7ब्यूरो का वित्त, लेखा और सम्परीक्षा19. केन्द्रीय सरकार द्वारा अनुदान और उधारकेन्द्रीय सरकार, संसद द्वारा इस निमित्त विधि द्वारा किये गए सम्यक विनियोग के पश्चात ब्यूरो को या राज्य सरकारों को ऐसी धनराशियों का अनुदान और उधार दे सकेगी जिन्हें सरकार आवश्यक समझे। 20. केन्द्रीय सरकार द्वारा निधि की स्थापना(1) ‘केन्द्रीय ऊर्जा संरक्षण निधि’ नामक एक निधि का गठन किया जाएगा और उसमें निम्नलिखित जमा किया जाएगा- (क) केन्द्रीय सरकार द्वारा धारा 19 के अधीन ब्यूरो को दिया गया कोई अनुदान और उधार; (2) निधि का उपयोजन निम्नलिखित की पूर्ति के लिये किया जाएगा- (क) ब्यूरो के महानिदेशक, सचिव, अधिकारियों और अन्य कर्मचारियों के वेतन, भत्ते और अन्य पारिश्रमिक; 21. ब्यूरो की उधार लेने की शक्तियाँ(1) ब्यूरो, केन्द्रीय सरकार की सहमति से या केन्द्रीय सरकार द्वारा उसे दिये गए किसी साधारण या विशेष प्राधिकार के निबन्धनों के अनुसार, ऐसे किसी स्रोत से धन उधार ले सकेगा जिसे वह इस अधिनियम के अधीन अपने किसी या सभी कृत्यों का निर्वहन करने के लिये उचित समझे। (2) केन्द्रीय सरकार, उपधारा (1) के अधीन ब्यूरो द्वारा लिये गए उधारों की बाबत मूलधन के प्रतिसन्दाय और उस पर ब्याज के सन्दाय की ऐसी रीति में, जिसे वह उचित समझे, गारंटी दे सकेगी। 22. बजटब्यूरो, प्रत्येक वित्तीय वर्ष में अगले वित्तीय वर्ष के लिये अपना बजट ऐसे प्रारूप में और ऐसे समय पर तैयार करेगा जो विहित किया जाये, जिसमें ब्यूरो की प्राक्कलित प्राप्तियाँ और व्यय दर्शित किया जाएगा और उसे केन्द्रीय सरकार को भेजेगा। 23. वार्षिक रिपोर्टब्यूरो, प्रत्येक वित्तीय वर्ष में पूर्ववर्ती वित्तीय वर्ष के दौरान अपने क्रियाकलापों का पूर्ण वृत्तान्त देते हुए अपनी वार्षिक रिपोर्ट ऐसे प्रारूप में और ऐसे समय पर, जो विहित किया जाये, तैयार करेगा और उसकी एक प्रति केन्द्रीय सरकार को प्रस्तुत करेगा। 24. वार्षिक रिपोर्ट का संसद के समक्ष रखा जानाकेन्द्रीय सरकार, धारा 23 में निर्दिष्ट वार्षिक रिपोर्ट को, उसके प्राप्त होने के पश्चात, यथाशीघ्र संसद के दोनों सदनों के समक्ष रखवाएगी। 25. लेखा और सम्परीक्षा(1) ब्यूरो उचित लेखा और अन्य सुसंगत अभिलेख बनाए रखेगा तथा लेखाओं का एक वार्षिक विवरण ऐसे प्रारूप में, जो केन्द्रीय सरकार द्वारा भारत के नियंत्रक-महालेखा परीक्षक से परामर्श करके विहित किया जाये, तैयार करेगा। (2) ब्यूरो के लेखाओं की सम्परीक्षा भारत के नियंत्रक-महालेखा परीक्षक द्वारा ऐसे अन्तरालों पर की जाएगी जो उसके द्वारा विनिर्दिष्ट किये जाएँ और ऐसी सम्परीक्षा के सम्बन्ध में उपगत कोई व्यय ब्यूरो द्वारा भारत के नियंत्रक-महालेखा परीक्षक को सन्देय होगा। (3) भारत के नियंत्रक-महालेखा परीक्षक और ब्यूरो के लेखाओं की सम्परीक्षा के सम्बन्ध में उसके द्वारा नियुक्त किसी व्यक्ति के ऐसी सम्परीक्षा के सम्बन्ध में वही अधिकार तथा विशेषाधिकार और प्राधिकार होंगे जो साधारणतया नियंत्रक-महालेखा परीक्षक को सरकारी लेखाओं की सम्परीक्षा के सम्बन्ध में हैं और विशिष्टतया, उसे बहियों, लेखाओं, सम्बन्धित वाउचरों तथा अन्य दस्तावेजों तथा कागजपत्रों के पेश किये जाने की माँग करने और ब्यूरो के कार्यालयों का निरीक्षण करने का अधिकार होगा। (4) भारत के नियंत्रक-महालेखा परीक्षक द्वारा या उसके द्वारा इस निमित्त नियुक्त किसी अन्य व्यक्ति द्वारा यथाप्रमाणित ब्यूरो के लेखे, उनकी सम्परीक्षा रिपोर्ट के साथ, प्रतिवर्ष केन्द्रीय सरकार को भेजे जाएँगे और वह सरकार उन्हें संसद के प्रत्येक सदन के समक्ष रखवाएगी। अध्याय 8शास्तियाँ और न्यायनिर्णयन26. शास्ति(1) यदि कोई व्यक्ति धारा 14 के खण्ड (ग), खण्ड (घ) या खण्ड (ज) या खण्ड (झ) या खण्ड (ट) या खण्ड (ठ) 10*** या खण्ड (द) या खण्ड (ध) अथवा धारा 15 के खण्ड (ख) या खण्ड (ग) या खण्ड (ज) के उपबन्धों का अनुपालन करने में असफल रहेगा तो वह ऐसी प्रत्येक असफलता के लिये ऐसी शास्ति का जो 11{दस लाख रुपए} से अधिक नहीं होगी और असफलता जारी रहने की दशा में ऐसे प्रत्येक दिन के लिये जिसके दौरान ऐसी असफलता जारी रहती है, ऐसी अतिरिक्त शास्ति का जो 11{दस हजार रुपए} तक की हो सकेगी, दायी होगा: परन्तु कोई व्यक्ति इस अधिनियम के प्रारम्भ की तारीख से पाँच वर्ष के भीतर शास्ति देने का भागी होगा। 12{(1क) यदि कोई व्यक्ति, धारा 14 के खण्ड (ढ) के उपबन्धों का अनुपालन करने में असफल रहेगा तो वह ऐसी शास्ति का जो दस लाख रुपए से अधिक की नहीं होगी और असफलता जारी रहने की दशा में ऐसी अतिरिक्त शास्ति का जो इस अधिनियम के अधीन विहित ऊर्जा के समतुल्य तेल के प्रति मीटरी टन मूल्य से कम की नहीं होगी, अर्थात जो विहित मानकों से अधिक होगी, दायी होगा।} (2) इस धारा के अधीन सन्देय कोई रकम, यदि उसका सन्दाय नहीं किया गया है, ऐसे वसूल की जाएगी मानो वह भू-राजस्व की कोई बकाया हो। 27. न्यायनिर्णयन करने की शक्ति(1) राज्य आयोग, धारा 26 के अधीन न्यायनिर्णयन करने के प्रयोजनार्थ सम्बन्धित व्यक्ति को सुनवाई का युक्तियुक्त अवसर देने के पश्चात केन्द्रीय सरकार द्वारा विहित की जाने वाली रीति में, कोई शास्ति अधिरोपित करने के प्रयोजनार्थ जाँच करने के लिये अपने किसी सदस्य को न्यायनिर्णायक अधिकारी नियुक्त करेगा। (2) न्यायनिर्णायक अधिकारी को, कोई जाँच करने के दौरान किसी ऐसे व्यक्ति को, जो मामले के तथ्यों और परिस्थितियों से परिचित हो, साक्ष्य देने या कोई ऐसा दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिये, जो न्यायनिर्णायक अधिकारी की राय में जाँच की विषय वस्तु के लिये उपयोगी या उससे सुसंगत हो, समन करने और उसे हाजिर कराने की शक्ति होगी और यदि ऐसी जाँच पर उसका समाधान हो जाता है कि वह व्यक्ति धारा 26 में विनिर्दिष्ट किन्हीं धाराओं के उपबन्धों का अनुपालन करने में असफल हो गया है, तो वह उस धारा के उन खण्डों में से किसी के उपबन्धों के अनुसार ऐसी शास्ति अधिरोपित कर सकेगा, जो वह ठीक समझे: परन्तु जहाँ किसी राज्य में राज्य आयोग स्थापित नहीं किया गया है, वहाँ उस राज्य की सरकार उक्त राज्य में विधि कार्यों से सम्बद्ध सचिव के समतुल्य पंक्ति से अनिम्न अपने किसी अधिकारी को इस धारा के प्रयोजनार्थ न्यायनिर्णायक अधिकारी नियुक्त करेगी और ऐसा अधिकारी उस राज्य में राज्य आयोग की स्थापना के बाद उसके द्वारा न्यायनिर्णायक अधिकारी की नियुक्ति पर से ही न्यायनिर्णायक अधिकारी नहीं रहेगा: परन्तु यह और कि जहाँ किसी राज्य सरकार द्वारा नियुक्त कोई न्यायनिर्णायक अधिकारी, न्यायनिर्णायक अधिकारी नहीं रहता वहाँ वह, राज्य आयोग द्वारा नियुक्त न्यायनिर्णायक अधिकारी को अपने द्वारा न्यायनिर्णीत सभी मामले अन्तरित कर देगा और तत्पश्चात राज्य आयोग द्वारा नियुक्त न्यायनिर्णायक अधिकारी ऐसे मामलों में शास्तियों का अधिनिर्णय करेगा। 28. न्यायनिर्णायक अधिकारी द्वारा विचार में ली जाने वाली बातेंधारा 26 के अधीन शास्ति की मात्रा का न्यायनिर्णयन करते समय, न्यायनिर्णायक अधिकारी निम्नलिखित बातों का सम्यक ध्यान रखेगा, अर्थात: 29. सिविल न्यायालय की अधिकारिता न होनाऐसे किसी विषय की बाबत जिसमें इस अधिनियम के अधीन नियुक्त न्यायनिर्णायक अधिकारी या अपील अधिकरण को इस अधिनियम द्वारा या इसके अधीन अवधारण करने की शक्ति हो, किसी सिविल न्यायालय को कोई वाद या कार्यवाही ग्रहण करने की अधिकारिता नहीं होगी और इस अधिनियम द्वारा या उसके अधीन प्रदत्त किसी शक्ति के अनुसरण में की गई या की जाने वाली किसी कार्रवाई की बाबत किसी न्यायालय या अन्य प्राधिकारी द्वारा कोई व्यादेश अनुदत्त नहीं किया जाएगा। अध्याय 9ऊर्जा संरक्षण अपील अधिकरण13{30. अपील अधिकरणविद्युत अधिनियम, 2003 (2003 का 36) की धारा 110 के अधीन स्थापित अपील अधिकरण, विद्युत अधिनियम, 2003 के उपबन्धों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिये अपील अधिकरण होगा और इस अधिनियम के अधीन न्यायनिर्णायक अधिकारी या केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार या किसी अन्य प्राधिकारी के आदेशों के विरुद्ध अपीलों की सुनवाई करेगा।} 31. अपील अधिकरण को अपील(1) किसी न्यायनिर्णायक अधिकारी या केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार या किसी अन्य प्राधिकारी द्वारा इस अधिनियम के अधीन किये गए किसी आदेश से व्यथित कोई व्यक्ति, ऊर्जा संरक्षण अपील अधिकरण को अपील कर सकेगा: परन्तु न्याय निर्णायक अधिकारी के शास्ति अधिरोपित करने वाले आदेश के विरुद्ध अपील करने वाला कोई व्यक्ति, अपील फाइल करते समय शास्ति की रकम जमा कराएगा: परन्तु यह और कि जहाँ किसी विशेष मामले में, अपील अधिकरण की यह राय हो कि ऐसी शास्ति का निक्षेप ऐसे व्यक्ति के लिये असम्यक कठिनाई पैदा करेगा वहाँ अपील अधिकरण, ऐसे निक्षेप से अभिमुक्ति दे सकेगा जो कि ऐसी शर्तों के अधीन रहते हुए होगी जो वह शास्ति की वसूली को सुरक्षित करने के लिये अधिरोपित करना ठीक समझे। (2) उपधारा (1) के अधीन प्रत्येक अपील उस तारीख से जिसको न्याय निर्णायक अधिकारी या केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार या किसी अन्य प्राधिकारी द्वारा किये गए आदेश की प्रति व्यथित व्यक्ति द्वारा प्राप्त की जाती है, पैंतालीस दिन की अवधि के भीतर फाइल की जाएगी और वह ऐसे प्रारूप में, ऐसे रूप में सत्यापित और ऐसी फीस के साथ होगी जो विहित की जाये: परन्तु अपील अधिकरण, उक्त पैंतालीस दिन की अवधि की समाप्ति के पश्चात अपील ग्रहण कर सकेगा यदि उसका यह समाधान हो जाये कि उस अवधि के भीतर अपील फाइल न करने के लिये पर्याप्त कारण था। (3) अपील अधिकरण, उपधारा (1) के अधीन अपील की प्राप्ति पर, अपील के पक्षकारों को सुनवाई का अवसर देने के पश्चात, जिस आदेश के विरुद्ध अपील की गई है उसकी पुष्टि करते हुए, उपान्तिरत करते हुए या अपास्त करते हुए, जैसा वह ठीक समझे, आदेश पारित कर सकेगा। (4) अपील अधिकरण अपने द्वारा किये गए प्रत्येक आदेश की एक प्रति अपील के पक्षकारों को या केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार या किसी अन्य प्राधिकारी को भेजेगा। (5) उपधारा (1) के अधीन अपील अधिकरण के समक्ष फाइल की गई अपील यथासम्भव शीघ्रता से निपटाई जाएगी और अपील की प्राप्ति की तारीख से एक सौ अस्सी दिन के भीतर अपील को अन्तिम रूप से निपटाने का पर्यास किया जाएगा: परन्तु जहाँ कोई अपील एक सौ अस्सी दिन की उक्त अवधि के भीतर निपटाई न जा सके वहाँ अपील अधिकरण उक्त अपील को उक्त अवधि के भीतर न निपटाने के लिये कारणों को लेखबद्ध करेगा। (6) अपील अधिकरण, इस अधिनियम के अधीन, यथास्थिति, न्याय निर्णायक अधिकारी या केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार या किसी अन्य प्राधिकारी द्वारा किये गए किसी आदेश की, यथास्थिति, किसी कार्यवाही के सम्बन्ध में वैधता, औचित्य या शुद्धता की परीक्षा के प्रयोजनार्थ स्वप्रेरणा से या अन्यथा, ऐसी कार्यवाहियों के अभिलेख मँगवाएगा और मामले में ऐसा आदेश करेगा जो वह ठीक समझे। 14{31क. अपील अधिकरण की प्रक्रिया और शक्तियाँविद्युत अधिनियम, 2003 (2003 का 36) की धारा 120 से धारा 123 तक (जिसमें दोनों धाराएँ सम्मिलित हैं) के उपबन्ध, यथावश्यक परिवर्तन सहित अपील अधिकरण को, इस अधिनियम के अधीन उसके कृत्यों के निर्वहन में, इस प्रकार लागू होंगे, जैसे वे विद्युत अधिनियम, 2003 के अधीन उसके कृत्यों के निर्वहन में उसको लागू होते हैं।, 15***44. अपीलार्थी का विधि व्यवसायी या प्रत्यायित सम्परीक्षक की सहायता लेने और सरकार का प्रस्तुतीकरण अधिकारियों की नियुक्ति करने का अधिकार(1) इस अधिनियम के अधीन अपील अधिकरण को अपील करने वाला कोई व्यक्ति अपील अधिकरण के समक्ष अपना मामला प्रस्तुत करने के लिये या तो स्वयं उपस्थित हो सकता है या अपनी पसन्द के, यथास्थिति, किसी विधि व्यवसायी या प्रत्यायित ऊर्जा सम्परीक्षक की सहायता ले सकता है। (2) केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार, यथास्थिति, एक या अधिक विधि व्यवसायियों या अपने किसी अधिकारियों को प्रस्तुतीकरण अधिकारियों के रूप में कार्य करने के लिये प्राधिकृत कर सकती है और उस प्रकार प्राधिकृत प्रत्येक व्यक्ति अपील अधिकरण के समक्ष किसी अपील की बाबत मामले का प्रस्तुतीकरण कर सकता है। 45. उच्चतम न्यायालय को अपीलअपील अधिकरण के किसी विनिश्चय या आदेश से व्यथित कोई व्यक्ति, उसको अपील अधिकरण के विनिश्चय या आदेश के संसूचित किये जाने की तारीख से साठ दिन के भीतर सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 (1908 का 5) की धारा 100 में विनिर्दिष्ट एक या अधिक आधारों पर उच्चतम न्यायालय में अपील फाइल कर सकेगा: परन्तु उच्चतम न्यायालय, यदि उसका यह समाधान हो जाये कि अपीलार्थी उक्त अवधि के भीतर अपील फाइल करने से पर्याप्त कारणवश निवारित हुआ था, साठ दिन से अनधिक और अवधि के भीतर अपील फाइल करने के लिये अनुज्ञात कर सकेगा। अध्याय 10प्रकीर्ण46. ब्यूरो को निदेश जारी करने की केन्द्रीय सरकार की शक्ति(1) ब्यूरो, इस अधिनियम के पूर्वगामी उपबन्धों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, इस अधिनियम के अधीन अपनी शक्तियों का प्रयोग और अपने कृत्यों का पालन करते समय, नीति के प्रश्नों पर उन निदेशों से बाध्य होगा जो केन्द्रीय सरकार समय-समय पर उसे लिखित में दे: परन्तु ब्यूरो को, जहाँ तक साध्य हो, इस उपधारा के अधीन कोई निदेश दिये जाने से पूर्व अपना मत व्यक्त करने का अवसर दिया जाएगा। (2) कोई प्रश्न नीति का है या नहीं, इस सम्बन्ध में केन्द्रीय सरकार का विनिश्चय अन्तिम होगा। 47. ब्यूरो को अधिक्रांत करने की केन्द्रीय सरकार की शक्ति(1) यदि किसी समय केन्द्रीय सरकार की यह राय हो- (क) कि गम्भीर आपात स्थिति के कारण ब्यूरो, इस अधिनियम के उपबन्धों
द्वारा या उनके अधीन उस पर अधिरोपित कृत्यों और कर्तव्यों का निर्वहन करने में असमर्थ है; या (2) उपधारा (1) के अधीन ब्यूरो को अधिक्रांत करने वाली अधिसूचना के प्रकाशन पर,- (क) धारा 4 की उपधारा (2) के खण्ड (ण), खण्ड (त) और खण्ड (थ) में निर्दिष्ट सभी सदस्य, अधिक्रांत किये जाने की तारीख से, अपना पद रिक्त कर देंगे; (3) उपधारा (1) के अधीन जारी की गई अधिसूचना में विनिर्दिष्ट अधिक्रांत की जाने की अवधि की समाप्ति पर केन्द्रीय सरकार, नई नियुक्ति द्वारा ब्यूरो का पुनर्गठन कर सकती है और ऐसी दशा में ऐसा/ऐसे व्यक्ति जो उपधारा (2) के खण्ड (क) के अधीन अपना/अपने पद रिक्त करता है/करते हैं, नियुक्ति के लिये निरर्हित नहीं समझा जाएगा/समझे जाएँगे: परन्तु केन्द्रीय सरकार, अधिक्रांत किये जाने की अवधि की समाप्ति से पूर्व, किसी समय, इस उपधारा के अधीन कार्रवाई कर सकेगी। (4) केन्द्रीय सरकार, उपधारा (1) के अधीन जारी की गई अधिसूचना और इस धारा के अधीन की गई किसी कार्रवाई और ऐसी कार्रवाई किये जाने के लिये दायी परिस्थितियों की पूर्ण रिपोर्ट संसद के प्रत्येक सदन के समक्ष शीघ्रतम रखवाएगी। 48. कम्पनियों द्वारा व्यतिक्रम(1) जहाँ कोई कम्पनी, धारा 14 के खण्ड (ग) या खण्ड (घ) या खण्ड (ज) या खण्ड (झ) या खण्ड (ट) या खण्ड (ठ) या खण्ड (ढ) या खण्ड (द) या खण्ड (ध) अथवा धारा 15 के खण्ड (ख) या खण्ड (ग) या खण्ड (ज) के उपबन्धों का अनुपालन करने में व्यतिक्रम करती है वहाँ ऐसा प्रत्येक व्यक्ति जो ऐसे उल्लंघन के समय कम्पनी का भारसाधक था और कम्पनी के कारबार के संचालन के लिये कम्पनी के प्रति उत्तरदायी था और साथ ही कम्पनी के बारे में यह समझा जाएगा कि उन्होंने उक्त उपबन्धों के उल्लंघन में कार्य किया है और वे अपने विरुद्ध कार्रवाई किये जाने और तद्नुसार धारा 26 के अधीन शास्ति अधिरोपित किये जाने के लिये दायी होंगे: परन्तु इस उपधारा की कोई बात किसी ऐसे व्यक्ति को इस अधिनियम में उपबन्धित शास्ति का भागी नहीं बनाएगी यदि वह यह साबित कर देता है कि पूर्वोक्त उपबन्धों का उल्लंघन उसकी जानकारी के बिना किया गया था या उसने पूर्वोक्त उपबन्ध का उल्लंघन किये जाने का निवारण करने के लिये, सब सम्यक तत्परता बरती थी। (2) उपधारा (1) में किसी बात के होते हुए भी, जहाँ धारा 14 के खण्ड (ग) या खण्ड (घ) या खण्ड (ज) या खण्ड (झ) या खण्ड (ट) या खण्ड (ठ) या खण्ड (ढ) या खण्ड (द) या खण्ड (ध) अथवा धारा 15 के खण्ड (ख) या खण्ड (ग) या खण्ड (ज) के उपबन्धों का उल्लंघन किसी कम्पनी द्वारा किया गया है और यह साबित हो जाता है कि वह उल्लंघन कम्पनी के किसी निदेशक, प्रबन्धक, सचिव या अन्य अधिकारी की सहमति या मौनानुकलता से किया गया है या उस उल्लंघन का किया जाना उसकी किसी उपेक्षा के कारण माना जा सकता है वहाँ ऐसा उल्लंघन ऐसे निदेशक, प्रबन्धक, सचिव या अन्य अधिकारी द्वारा किया गया समझा जाएगा और तद्नुसार अपने विरुद्ध कार्यवाही किये जाने और शास्ति अधिरोपित किये जाने का भागी होगा। स्पष्टीकरणइस धारा के प्रयोजन के लिये “कम्पनी” से कोई निगमित निकाय अभिप्रेत है और इसके अन्तर्गत फर्म या व्यष्टियों का अन्य संगम है। 49. आय पर कर से छूटआयकर अधिनियम, 1961 (1961 का 43) या आय, लाभ या अभिलाभ पर कर से सम्बन्धित तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य अधिनियमिति में अन्तर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी- (क) ब्यूरो; 50. सद्भावपूर्वक की गई कार्रवाई के लिये संरक्षणइस अधिनियम या इसके अधीन बनाए गए नियमों या विनियमों के अधीन सद्भावपूर्वक की गई या की जाने के लिये आशयित किसी बात के लिये कोई भी वाद, अभियोजन या अन्य विधिक कार्यवाही केन्द्रीय सरकार या महानिदेशक या सचिव या राज्य सरकार या उन सरकारों के किसी अधिकारी या राज्य आयोग या इसके सदस्यों या ब्यूरो के किसी सदस्य या अधिकारी या अन्य कर्मचारी के विरुद्ध नहीं होगी। 51. प्रत्यायोजनब्यूरो, साधारण या विशेष लिखित आदेश द्वारा, ऐसी शर्तों के, यदि कोई हों, अधीन रहते हुए जो उक्त आदेश में विनिर्दिष्ट की जाएँ, किसी सदस्य, समिति के सदस्य, ब्यूरो के अधिकारी या किसी अन्य व्यक्ति को, अधिनियम के अधीन अपनी उन शक्तियों और कृत्यों का (धारा 58 के अधीन शक्तियों के सिवाय) प्रत्यायोजन कर सकेगा जिन्हें वह आवश्यक समझे। 52. सूचना अभिप्राप्त करने की शक्तिधारा 14 के खण्ड (ख) में विनिर्दिष्ट उपस्कर या साधित्र का प्रत्येक अभिहित उपभोक्ता या विनिर्माता, ब्यूरो को ऐसी जानकारी देगा और किसी उपस्कर या साधित्र के सम्बन्ध में उपयोजित किसी सामग्री या पदार्थ के ऐसे नमूने देगा जिनकी ब्यूरो द्वारा अपेक्षा की जाये। 53. छूट देने की शक्तियदि केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार की यह राय है कि लोकहित में ऐसा करना आवश्यक या समीचीन है तो वह अधिसूचना द्वारा और ऐसी शर्तों के अधीन रहते हुए जो अधिसूचना में विनिर्दिष्ट की जाएँ, किसी अभिहित उपभोक्ता या अभिहित उपभोक्ताओं के वर्ग को इस अधिनियम के सभी या किन्हीं उपबन्धों के प्रवर्तन से छूट प्रदान कर सकेगी: परन्तु, यथास्थिति, केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार, किसी अभिहित उपभोक्ता या अभिहित उपभोक्ताओं के वर्ग को पाँच वर्ष से अधिक अवधि के लिये छूट नहीं देगी: परन्तु यह और कि, यथास्थिति, केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार ऐसी छूट देने से पूर्व ऊर्जा दक्षता ब्यूरो से परामर्श करेगी। 54. अपील अधिकरण के अध्यक्ष,सदस्यों, अधिकारियों और कर्मचारियों, राज्य आयोग के सदस्यों, ब्यूरो के महानिदेशक, सचिव, सदस्यों, अधिकारियों और कर्मचारियों का लोक सेवक होना16*** ब्यूरो के सदस्य, महानिदेशक, सचिव, अधिकारी और अन्य कर्मचारी, जब वे इस अधिनियम के किसी उपबन्ध के अनुसरण में कार्य कर रहे हों या उनके द्वारा ऐसा किया जाना तात्पर्यित हो, भारतीय दण्ड संहिता (1860 का 45) की धारा 21 के अर्थ में लोक सेवक होंगे। 55. निदेश देने की केन्द्रीय सरकार की शक्तिकेन्द्रीय सरकार उक्त राज्य में इस अधिनियम को प्रवर्तित करने के लिये उस राज्य सरकार या ब्यूरो को निदेश दे सकेगी। 56. नियम बनाने की केन्द्रीय सरकार की शक्ति(1) केन्द्रीय सरकार, इस अधिनियम के उपबन्धों को कार्यान्वित करने के लिये अधिसूचना द्वारा नियम बना सकेगी। (2) विशिष्टतया और पूर्वगामी शक्ति की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बना ऐसे नियम निम्नलिखित सभी या किन्हीं विषयों के लिये उपबन्ध कर सकेंगे- (क) केन्द्रीय सरकार द्वारा धारा 4 की उपधारा (2) के खण्ड (ण), खण्ड (त) और खण्ड (थ) के अधीन सदस्यों के रूप में नियुक्त किये जाने वाले व्यक्तियों की संख्या; 57. नियम बनाने की राज्य सरकार की शक्ति(1) राज्य सरकार, इस अधिनियम के उपबन्धों को कार्यान्वित करने के लिये नियम, अधिसूचना द्वारा, बना सकेगी जो केन्द्रीय सरकार द्वारा बनाए गए नियमों से यदि कोई हों, असंगत नहीं होंगे। (2) विशिष्टतया और पूर्वगामी शक्ति की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, ऐसे नियम निम्नलिखित सभी या किन्हीं विषयों के लिये उपबन्ध कर सकेंगे, अर्थात- (क) धारा 15 के खण्ड (क) के अधीन ऊर्जा संरक्षण निर्माता संहिता; 58. विनियम बनाने की ब्यूरो की शक्ति(1) ब्यूरो केन्द्रीय सरकार के पूर्व अनुमोदन से और पूर्व प्रकाशन की शर्त के अधीन रहते हुए, इस अधिनियम के प्रयोजनों को क्रियान्वित करने के लिये इस अधिनियम और तद्धीन बनाए गए नियमों के उपबन्धों से सुसंगत विनियम अधिसूचना द्वारा बना सकेगा। (2) विशिष्टतया और पूर्वगामी शक्ति की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, ऐसे विनियम निम्नलिखित विषयों के लिये उपबन्ध कर सकेंगे, अर्थात- (क) शासी परिषद के अधिवेशनों का समय और स्थान और धारा 5 की उपधारा (1) के अधीन ऐसे अधिवेशनों में अपनाई जाने वाली प्रक्रिया; 59. नियमों और विनियमों का संसद और राज्य विधान-मंडल के समक्ष रखा जाना(1) इस अधिनियम के अधीन केन्द्रीय सरकार द्वारा बनाया गया प्रत्येक नियम और बनाया गया प्रत्येक विनियम बनाए जाने के पश्चात यथाशीघ्र संसद के प्रत्येक सदन के समक्ष जब वह सत्र में हो, कुल तीस दिन की अवधि के लिये रखा जाएगा। यह अवधि एक सत्र में अथवा दो या अधिक आनुक्रमिक सत्रों में पूरी हो सकेगी। यदि उस सत्र के या पूर्वोक्त आनुक्रमिक सत्र के ठीक बाद के सत्र के अवसान के पूर्व दोनों सदन उस नियम या विनियम में कोई परिवर्तन करने के लिये सहमत हो जाएँ तो तत्पश्चात वह ऐसे परिवर्तित रूप में ही प्रभावी होगा। यदि उक्त अवसान के पूर्व दोनों सदन सहमत हो जाएँ कि वह नियम या विनियम नहीं बनाया जाना चाहिए तो तत्पश्चात वह निष्प्रभाव हो जाएगा। किन्तु उस नियम या विनियम के ऐसे परिवर्तित या निष्प्रभाव होने से उसके अधीन पहले की गई किसी बात की विधिमान्यता पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा। (2) राज्य सरकार द्वारा बनाया गया प्रत्येक नियम बनाए जाने के पश्चात यथाशीघ्र जहाँ राज्य के विधान-मंडल के दो सदन हैं वहाँ प्रत्येक सदन के समक्ष और जहाँ राज्य विधान-मंडल का एक ही सदन है वहाँ उस सदन के समक्ष रखा जाएगा। 60. अन्य विधियों का लागू होना वर्जित नहींइस अधिनियम के उपबन्ध, तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि के उपबन्धों के अतिरिक्त होंगे न कि उनके अल्पीकरण में। 61. अधिनियम के उपबन्धों का कतिपय दशाओं में लागू न होनाइस अधिनियम के उपबन्ध रक्षा, परमाणु ऊर्जा से सम्बन्धित केन्द्रीय सरकार के मंत्रालय या विभाग या ऐसे ही अन्य मंत्रालयों या विभागों या ऐसे मंत्रालयों या विभागों के नियंत्रणाधीन उपक्रमों या बोर्डों या संस्थाओं को लागू नहीं होंगे, जो केन्द्रीय सरकार द्वारा अधिसूचित किये जाएँ। 62. कठिनाइयों को दूर करने की शक्ति(1) यदि इस अधिनियम के उपबन्धों को प्रभावी करने में कोई कठिनाई उत्पन्न होती है तो केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में प्रकाशित आदेश द्वारा ऐसे उपबन्ध कर सकेगी जो उक्त अधिनियम के उपबन्धों से असंगत न हों और कठिनाई को दूर करने के लिये आवश्यक प्रतीत हों: परन्तु इस धारा के अधीन ऐसा कोई आदेश इस अधिनियम के प्रारम्भ की तारीख से दो वर्ष की अवधि की समाप्ति के पश्चात नहीं किया जाएगा। (2) इस धारा के अधीन किया गया प्रत्येक आदेश किये जाने के पश्चात यथाशीघ्र संसद के प्रत्येक सदन के समक्ष रखा जाएगा। अनुसूची{धारा 2(ध) देखिए,21*** ऊर्जा गहनता उद्योगों और अन्य स्थापनों की सूची 1. एल्युमिनियम; सन्दर्भ1. 2010 के अधिनियम सं० 28 की धारा 2 द्वारा प्रतिस्थापित। |