भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए Show निर्मला पुतुलKavita Kosh से निर्मला पुतुल
कविता-संग्रह
प्रतिनिधि रचनाएँ
नेपालीमा अनूदित रचना
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निर्मला पुतुल (जन्मः 6 मार्च 1972) बहुचर्चित संताली लेखिका, कवयित्री और सोशल एक्टिविस्स्ट हैं।[1] दुमका, संताल परगना (झारखंड) के दुधानी कुरुवा गांव में जन्मी निर्मला पुतुल हिंदी कविता में एक परिचित आदिवासी नाम है। पिता सिरील मुरमू (नहीं रहे) व मां कांदिनी हांसदा की पुत्री निर्मला ने राजनीतिशास्त्र में ऑनर्स हैं और नर्सिंग में डिप्लोमा किया है। [2] इनकी प्रमुख कृतियों में ‘नगाड़े की तरह बजते शब्द’ और ‘अपने घर की तलाश में’ हैं।[3] इनकी कविताओं का अनुवाद अंग्रेजी, मराठी, उर्दू, उड़िया, कन्नड़, नागपुरी, पंजाबी, नेपाली में हो चुका है। कविता लेखन के साथ-साथ पिछले 15 वर्षों से भी अधिक समय से निर्मला शिक्षा, सामाजिक विकास, मानवाधिकार और आदिवासी महिलाओं के समग्र उत्थान के लिए व्यक्तिगत और संस्थागत स्तर पर लगातार सक्रिय हैं। अनेक राज्य स्तरीय और राष्ट्रीय सम्मान हासिल कर चुकी निर्मला फिलहाल निर्वाचित मुखिया हैं। [4][5] सन्दर्भ[संपादित करें]
निर्मला पुतुल की रचना कौन सी है?इनकी प्रमुख कृतियों में 'नगाड़े की तरह बजते शब्द' और 'अपने घर की तलाश में' हैं। इनकी कविताओं का अनुवाद अंग्रेजी, मराठी, उर्दू, उड़िया, कन्नड़, नागपुरी, पंजाबी, नेपाली में हो चुका है।
बिटिया मुर्मू के लिए शीर्षक कविता के रचयिता कौन है?स्रोत : पुस्तक : नगाड़े की तरह बजते शब्द (पृष्ठ 14) रचनाकार : निर्मला पुतुल
उतनी दूर मत ब्याहना बाबा कविता के कवि कौन है?मुझे उतनी दूर मत ब्याहना...
क्या तुम जानते हो कविता का भावार्थ?काव्य डेस्क
अपने... आपसे लड़ते । शब्दो की प्रतीक्षा में उसके चेहरे को । उसकी फैलती जड़ो को अपने भीतर ।
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