नासिक में कौन सी नदियों का संगम है? - naasik mein kaun see nadiyon ka sangam hai?

मैं आप सभी को आज की सैर भारत के महाराष्ट्र राज्य के पश्चिम-उत्तर में स्थित अतिप्राचीन नगरी नासिक की कराने जा रहा हूं।

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नासिक के इतिहास से लेकर घूमने, खाने-पीने, कहाँ रुके? के साथ ही कैसे जाये? पर विस्तृत चर्चा करूँगा, तो चलिए जानते है कि नाशिक की यात्रा कैसे करें? लेकिन उससे पहले इस शहर को इतिहास के दृश्टिकोण से एक नजर देख लेते हैं।

नासिक शहर की वर्तमान स्थिति

"नासिक" शहर को मराठी भाषा में " नाशिक " नाम से सम्बोधित करते है। यह शहर मुम्बई से मात्र 140 से 150 KM की दूरी पर स्थित है।

नासिक नगर प्रमुख रूप से हिन्दू सनातन धर्म का तीर्थ स्थल हैं। यह गोदावरी नदी के किनारे बसा हुआ एक सुंदर और पवित्र नगरी है।गोदावरी नदी को ' बूढ़ी गंगा ', 'वृद्ध गंगा ' और ' 'दक्षिण की गंगा' के नाम से भी जानते हैं।

नासिक नामकरण कैसे हुआ?

त्रेतायुग में जब प्रभु श्री राम, लक्ष्मण और माता सीता वनवास के दौरान पंचवटी रुके थे, तो यही पर श्री राम के आदेश पर अनुज श्री लक्ष्मण जी ने लंकाधिपति रावण की बहन शूर्पणखा की नाक काट दी थी, जिस कारण से इस स्थान का नाम अर्थात नगर का नाम 'नासिक' पड़ गया।

नाशिक शहर का इतिहास

यहाँ से प्राप्त बौद्ध धर्म से सम्बंधित गुफ़ाओं से इस बात के साक्ष्य मिलते है कि कभी यहाँ पर बौद्ध धर्म का भी वर्चस्व रहा होगा।

मौर्य वंश के पतन के बाद जब भारत वर्ष पर सातवाहनों का शासन शुरू हुआ था तो सातवाहनों ने नासिक को अपनी राजधानी बनाई थी। यह शयन जरूर दे कि यह वही वंश है जिसने सीसे के सिक्के चलाये थे।

मुग़ल काल में नासिक शहर को गुलशनबाद के रूप में जाना जाता था। कुछ इतिहासकारों की माने तो जब औरंगजेब का शासन था तो इस बादशाह ने अनेक हिन्दू मन्दिरो को तोड़वा कर इस्लामिक परम्परा की नींव डाली थी।

नासिक शहर की एक घटना का जिक्र करना चाहूंगा कि

1932 में यहाँ पंचवटी के पास कालाराम मन्दिर (राम, लक्ष्मण और सीता) हैं, जहाँ दलित वर्ग का प्रवेश वर्जित था।

यही पर दलितों के मसीहा डॉक्टर भीम राव अम्बेडकर जी ने छुआ-छूत के खिलाफ आंदोलन कर के मंदिरों में दलितों के प्रवेश करने की वकालत की थी।

नासिक शहर के समीप प्रमुख आकर्षण केंद्र

शहर के आस पास घूमने लायक बहुत सारे स्थान हैं, जहाँ जाकर आप आनंदमय हो जाएँगे। वैसे भी यहाँ आकर इन स्थानों को देखे बिना आपकी यात्रा अधूरी ही रहेगी।

कुम्भ मेला

गोदावरी नदी के तट पर स्थित नासिक में सिंहस्थ कुम्भ का आयोजन प्रत्येक 12 वर्ष पर किया जाता हैं। यह मेला भारत मे ही नही बल्कि पूरे विश्व में अपनी भव्यता के लिए सुप्रसिद्ध हैं।

सनातन धर्म अर्थात हिंदु धर्म में इस कुम्भ मेला को पवित्र त्यौहार के बराबर दर्ज़ा प्राप्त हैं। लगभग 2 माह तक चलने वाले इस मेले में कई धार्मिक अनुष्ठान, कथा वाचन, प्रदर्शनियों इत्यादि का आयोजन किया जाता हैं।

देश-विदेश से आने वाले लोगो का जमावड़ा इस समय होता है और पवित्र नदी गोदावरी में डुबकी लगा कर पुण्य के भागीदार बनते है।सबसे ज्यादा आकर्षक साधु और संतो की निकलने वाली झांकी या शाही स्नान का होता है। कुल मिला कर आप पूरा एन्जॉय करेंगे। जब भी आप यहाँ आएंगे मेले में तो रुकने के लिए गेस्ट हाउस, लक्सरी टेंट की सुविधा और धर्मशाला मिल जायेगा।

पंचवटी

नासिक में कौन सी नदियों का संगम है? - naasik mein kaun see nadiyon ka sangam hai?
नासिक में कौन सी नदियों का संगम है? - naasik mein kaun see nadiyon ka sangam hai?
पंचवटी नाशिक

नाम से ही स्पष्ट है कि यह जगह पांच वटों के कारण प्रसिद्व है।नासिक शहर के उत्तर में पंचवटी है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यह कहा जाता है कि 14 वर्ष के वनवास के दौरान प्रभु श्री राम, माता सीता और लक्ष्मण जी कुछ समय के लिए यहाँ रुके थे।

यही पर शूर्पणखा जो लंकेश्वर रावण की बहन थी, का नाक कटा था। सबसे ख़ास बात यह कि सीता माता अपहरण भी इसी पंचवटी से हुआ था।

गोदावरी घाट

चूंकि नासिक गोदावरी नदी के किनारे स्थित है। नगर। के इस नदी वाले स्थान पर पक्के घाट बने हुए है ताकि भक्त इस धार्मिक नगरी में आसानी से स्नान कर सके।

यह स्थान हरिद्वार और वाराणसी के घाटों की याद दिलाता है। कुम्भ मेला के कारण यहाँ के घाट पूर्ण रूप से सभी सुविधाओं से सुसज्जित है ताकि किसी भी पर्यटको या श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की दिक्कत ना हो।

कालाराम मंदिर

पंचवटी के समीप ही कालाराम मन्दिर है, जो नासिक का प्रसिद्ध मंदिर है। इसका निर्माण लगभग 1794 ई0 में गोपिकाबाई ने जो पेशवा थे, ने करवाया था।

इस मंदिर की वास्तु शैली त्रयम्बकेश्वर मन्दिर से मिलती जुलती है।
पूरा मन्दिर ही काले पत्थर से बनाया गया है।

यहाँ तक कि अंदर की मूर्ति जो श्री राम, माता सीता और लक्ष्मण की भी काले पत्थर से बनी है। जिससे मन्दिर अपने आप में अनोखा हो जाता हैं क्योंकि काले पत्थर से बनी मूर्ति प्रभु राम की केवल यही नासिक में ही है।

त्रयम्बकेश्वर ज्योर्तिलिंग

नासिक शहर से मात्र 30 KM की दूरी पर स्थित द्वादश ज्योतिर्लिंग में एक ज्योर्तिलिंग त्रिम्बकेश्वर मन्दिर स्थित है।

त्रयंबकेश्वर का अर्थ " तीन नेत्र वाले ईश्वर " को कहते है और आप सभी को यह जरूर ही पता है कि हिन्दू धर्म में किस देवता को तीन नेत्र वाला कहते है, जी हाँ हम बात भोले भंडारी की कर रहे है।

इस मंदिर पर पहुँचने के लिए बहुत ही अच्छी सुविधा है क्योंकि हर 15 मिनट पर सरकारी बसें, प्राइवेट टैक्सी और अन्य अपने निजी साधनों से पहुँचा जा सकता है।

यहाँ तो हमेशा भक्तो की भीड़ रहती है, परंतु हर वर्ष श्रावण मास और महाशिवरात्रि पर भीड़ के क्या कहने हैं। अगर सुकून से दर्शन करना हो तो ये विशेष दिनों को छोड़ कर ही दर्शन करने जाये।

सीता गुफ़ा

इसे सीता गुम्फा भी कहते है। गुम्फा का अर्थ ही गुफा होता है। यह पंचवटी के समीप है। यह स्थान भी आकर्षण का केंद्र है क्योंकि रावण ने ठीक इसी जगह से माता सीता का हरण किया था।

नीलकंठेश्वर मन्दिर

नासिक नगर में गोदावरी नदी के तट पर नीलकंठेश्वर मन्दिर अर्थात महादेव शिव जी का मंदिर हैं। यह मंदिर भी काले पत्थर से बना हुआ हैं। भक्त स्नान कर के इस मंदिर में माथा जरूर टेकते है।

सुंदर नारायण मंदिर

यह मंदिर नासिक में देवी अहिल्याबाई सेतु के समीप स्थित है। इसकी स्थापना गंगाधर ने लगभग 1756 ई0 के आस-पास करवाया था। यह मंदिर भगवान विष्णु जी को समर्पित है।

सप्तशृंगी माता धाम

यह माता जी का धाम नासिक से मात्र 65 KM की दूरी पर स्थित हिन्दू तीर्थस्थल हैं। मान्यता के अनुसार यह धाम सात पर्वत चोटियों के बीच स्थित हैं।

यहाँ आपको रोप वे अर्थात रज्जुमार्ग की सुविधा है मंदिर तक पहुँचने के लिये और सीढ़िया की भी अच्छी सुविधा हैं। भक्त अपनी सुविधा के अनुसार अपना चयन कर के धाम पर आसानी से पहुँच सकते है।

एक बात और की जब आप मन्दिर के लिए ऊपर पर्वत पर जाएंगे तो मौसम बदल जायेगा यानी सुहाना और हिल स्टेशन वाली अच्छी फीलिंग आयेगी।
नासिक से यहाँ आसानी से पहुँचा जा सकता है।

रामकुंड

यह कुंड गोदावरी नदी पर स्थित प्राकृतिक कुंड है। यहाँ लाखो भक्त श्रद्धालु स्नान करने के लिए आते है, ऐसी धार्मिक मान्यता है कि श्री राम जब नासिक आये थे तो इस कुंड में स्नान किया था।

सोमेश्वर मन्दिर

नासिक शहर से लगभग 7 से 8 KM की दूरी पर यह प्राचीन मंदिर भोले नाथ शिव शंकर जी को समर्पित है। अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिये भक्त दर्शन करने के लिये आते हैं।

प्रसिद्ध गणेश मंदिर

इस मंदिर को मोदकेश्वर गणपति मन्दिर भी कहते है। यह गणेश भगवान को समर्पित अति प्राचीन मंदिर है, जो हिन्दू धर्म के आस्था का केंद्र है।

इस मंदिर में गणपति का अतिप्रिय व्यंजन मोदक(लड्डू) को प्रसाद के रूप में अर्पण किया जाता है। यह लड्डू नारियल और गुड़ से बनाया जाता है।

पाण्डवलेनि गुफा

यह पंचवटी में स्थित एक गुफा है, जिसे नासिक गुफा भी कहते है। अन्य नाम पांडव गुफा या द्रोपदी गुफा भी कह कर पुकारते हैं।

पुरानी मान्यताओं के अनुसार पांडव जब अपने राज काज से निष्कासित कर दिये गये थे (वनवास के दौरान) तो यही पर शरण लिया था।
बौद्ध मत के अनुसार यह गुफा बुद्ध जीवन से जुड़ी हुई है।

शिर्डी

शिर्डी नासिक से थोड़ी दूर पर अर्थात लगभग 80 से 90 KM कि दूरी पर स्थित अहमदनगर जिले के कोपरगाँव में एक छोटा सा गांव है, जो साईं बाबा के कारण विश्व प्रसिद्ध है। लाखो श्रद्धालुओं का जमावड़ा वर्ष भर रहता है।

मुक्ति धाम मन्दिर

नासिक नगर में स्थित सफेद संगमरमर से बना हुआ मंदिर हैं। यह 1971 में बने मन्दिर के प्रांगण में सभी 12 ज्योर्तिलिंग का एक ही जगह दर्शन हो जायेगा। इसी कारण यह मन्दिर और प्रसिद्ध हो जाता हैं।

भंडारदरा

यह सह्याद्रि पर्वतमाला पर स्थित नासिक शहर से लगभग 70 से 75 KM की दूरी पर हैं। यहाँ एक प्रकार का हिल स्टेशन है, जहाँ प्राकृतिक झरना, जंगल, बांध और झील हैं।

अगर आप नासिक फुर्सत में गए हो या आपका बजट इजाज़त दे तो यहाँ से मात्र 170 KM की दूरी पर सपनो का शहर या कहे कि माया नगरी बिल्कुल सही पकड़े जी, हां मैं मुम्बई नगर की बात कर रहा हूँ।

आप मुम्बई(बम्बई) में कम से कम 2 से 3 दिन में घूम सकते हैं, लेकिन एक बात का ध्यान जरूर दे कि यह नगर और नगर की अपेक्षा महंगा है तो अपने बजट पर ध्यान रखकर ही यहाँ का प्लान करियेगा।

मुम्बई के अलावा 200 KM के अंदर औरंगाबाद भी जा कर घूम सकते है। इस नगर में आप को अजंता- एलोरा की गुफाएं, घृणेश्वर महादेव मन्दिर जो द्वादश ज्योर्तिलिंग में शामिल है और बीबी का मकबरा जैसे स्मारक को भी घूम सकते है।

नासिक घूमने का सही मौसम (समय)

मई और जून की गर्मी को छोड़ कर नासिक कभी भी घूमने का प्लान बना सकते हैं। यहाँ समय समय पर विभिन्न प्रकार के मेले का भी आयोजन होता है, जैसे की महाशिवरात्रि पर लगने वाला मेला, 12 वर्षो पर लगने वाला कुम्भ मेला,

कैसे पहुँचे नासिक?

नासिक का निकटम रेलवे स्टेशन नाशिक रोड के नाम से हैं, जो कोलकाता, हावड़ा बाया जबलपुर, इटारसी जंक्शन, भुसावल जंक्शन, मुम्बई का मुख्य रेल मार्ग पर स्थित है।

इसके अलावा नई दिल्ली/हज़रत निज़ामुद्दीन रेलवे स्टेशन से भी सीधे रेल सेवा है, जो भोपाल होते बाया भुसावल होते हुये नाशिक रोड पहुँच सकते है।

यहाँ स्टेशन पर अनेक महत्वपूर्ण ट्रेन का ठहराव है। स्टेशन से बाहर निकलते ही आप को नासिक शहर जाने के लिए टैक्सी, टेम्पो से पहुँचा जा सकता हैं-
क्योंकि नाशिक रोड स्टेशन से नाशिक शहर के मध्य लगभग 10 KM की दूरी हैं।

घूमने के लिए यहाँ प्री-पेड टैक्सी की व्यवस्था बहुत ही अच्छी हैं, जिसका लाभ अधिकतर घूमने वाले पर्यटक या श्रद्धालु उठाते हैं।

इस व्यवस्था की सबसे अच्छी बात यह होती है, की सरकार की तरफ से रूट चार्ज फिक्स है, जिसके चलते किसी को भाड़े के लिये मोल भाव की जरूरत नही होती हैं।

बस द्वारा

नाशिक पहुँचने के लिए मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र राज्य या अन्य पड़ोसी राज्यों से सरकारी बस और प्राइवेट बस की अच्छी व्यवस्था हैं।

आप अपनी सुविधा के अनुसार AC/Non AC बस को ऑनलाइन या ऑफलाइन बुक कर के आनंद ले सकते है और यात्रा की थकावट भी नही होती है।

एयरपोर्ट सेवा

निकटतम हवाई अड्डा मुम्बई है, जो नाशिक शहर से लगभग 180 KM की दूरी पर स्थित है। एयरपोर्ट से बाहर आने पर टैक्सी की सुविधा उपलब्ध है, भाड़ा तय कर के नाशिक पहुँचा जा सकता है। बस का भी अच्छा विकल्प मौजूद है।

प्रमुख शहरों से नाशिक की दूरी

  • मुम्बई से-170 KM
  • कल्याण से- 130 KM
  • थाने से- 145 KM
  • खंडाला से- 233 KM
  • जलगांव से- 250 KM
  • भुसावल से- 280 KM
  • पूने से- 220 KM
  • मनमाड से- 85 KM
  • शिर्डी से- 86 KM
  • नागपुर से- 680 KM
  • हैदराबाद से- 750 KM
  • औरंगाबाद से- 195 KM
  • कोल्हापुर से-455 KM
  • शोलापुर से- 430 KM
  • रतलाम से- 490 KM
  • खंडवा से- 415 KM
  • जबलपुर से- 960 KM
  • इटारसी से- 610 KM
  • कोलकाता से- 1925 KM
  • पटना से- 1550 KM
  • वाराणसी से-1320 KM
  • इंदौर से- 422 KM
  • उज्जैन से- 480 KM
  • हरिद्वार से- 1458 KM
  • प्रयागराज से- 1225 KM
  • नई दिल्ली से- 1265 KM
  • लखनऊ से- 1220 KM

ठहरने की जगह

यहाँ पर रुकने के लिए छोटे बड़े कई होटल या मोटेल मिलेंगे। आप अपने बजट के अनुसार होटल का चुनाव कर सकते है। अगर डिस्काउंट चाहते हो तो होटल की बुकिंग आप ऑनलाइन कर सकते है, जरूर आपको बेहतर विकल्प मिलेंगे।

आज के समय यदि पहले से होटल की बुकिंग है तो घूमने का अपना अलग ही आनंद है। इसके अलावा गेस्ट हाउस, धर्मशाला भी अच्छा विकल्प है रुकने के लिए।

खानपान

ट्रेडिशनल फ़ूड के ऑप्शन यहाँ ज्यादा नही है, परन्तु मराठी भोजन का लुफ़्त उठा सकते है। वैसे मध्य भारत होने के कारण आपको उत्तर भारतीय और दक्षिण भारतीय व्यंजन का संगम मिलेगा।

आप सभी अपने बजट के हिसाब से रेस्टोरेंट का चुनाव कर के फैमिली के साथ एन्जॉय कर सकते है।

खरीदारी

यहाँ खरीदारी को ले कर ज्यादा नही सोचना है क्योंकि वैसे कुछ स्पेशल यहाँ का प्रसिद्ध नही है।

हाँ ये अलग बात है कि नासिक की प्याज़ भारत में प्रसिद्ध हैं, परंतु बात जब घूमने की कर रहे हैं तो शो पीस या घर को सजाने की सामग्री की खरीदारी कर सकते हैं।

अन्त में मैं आपसे यही कहना चाहूंगा कि चाहे आप भक्त के रूप में दर्शन करने या पवित्र नदी गोदावरी में स्न्नान करने या घूमने की दृष्टि से पर्यटक के रूप में या चाहे किसी भी रूप में कम से कम एक बार नासिक नगर का ट्रिप तो जरूर बनाइये।

आप ये ट्रिप सोलो या ग्रुप या फैमिली के साथ बना सकते है। कुल मिलाकर 3 से 4 दिन में आप नासिक और अगल-बगल के स्थानों को घूम सकते हैं।

नासिक में कौन कौन सी नदियों का संगम है?

नाशिक गोदावरी नदी के किनारे बसा हुआ है। यह महाराष्ट्र के उत्तर पश्चिम में, मुम्बई से १५० किमी और पुणे से २०५ किमी की दुरी में स्थित है।

महाराष्ट्र के नासिक जिले से कौन सी नदी निकलती है?

महाराष्ट्र के नाशिक से भारत की पवित्र नदी 'गोदावरी' निकलती है। Explanation: महाराष्ट्र के नाशिक से भारत की पवित्र नदी 'गोदावरी निकलती' है।

नासिक का पुराना नाम क्या है?

नाशिक शहर का इतिहास मुग़ल काल में नासिक शहर को गुलशनबाद के रूप में जाना जाता था।

नासिक क्यों फेमस है?

नासिक का इतिहास – History Of Nashik in Hindi बताया जाता है कि भगवान राम, देवी सीता और भगवान लक्ष्मण के 14 साल के वनवास के समय पंचवटी में रहने के लिए उपयोग करते हैं जिसकी वजह से शहर काफी प्रसिद्ध है। नासिक में हर 12 साल में कुम्भ का मेला भी लगता है, जिसमें करोड़ो भक्त भाग लेते हैं।