नशा मुक्त भारत अभियान क्या है? - nasha mukt bhaarat abhiyaan kya hai?

नशा मुक्त भारत अभियान के तहत हरियाणा एड्स कंट्रोल सोसायटी के सहयोग से राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान, भोडियाखेड़ा में अंतरराष्ट्रीय नशा मुक्ति तस्करी विरोधी दिवस पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में मुख्यातिथि उपायुक्त प्रदीप कुमार ने रीबन काटकर अभियान का शुभारंभ कर नशा मुक्त भारत अभियान के बारे में विस्तार से जानकारी दी। इस मौके पर उपायुक्त प्रदीप कुमार ने उपस्थितजन को नशा न करने की शपथ दिलाते हुए जिला फतेहाबाद को नशा मुक्त बनाने का आह्वान किया। कार्यक्रम उपरांत उपायुक्त ने आइटीआइ प्रांगण में पर्यावरण संरक्षण का संदेश देते हुए पौधारोपण किया।

उपायुक्त प्रदीप कुमार ने नशे के प्रकार, नशा एक बीमारी है, नशे की बीमारी से मुक्ति, नशे के बारे में पैदा हुई गलत धारणाओं व नशा प्रयोग करने वाले व्यक्ति के मुख्य लक्षणों आदि की जानकारी विस्तार से देकर नशा न करने बारे लोगों को जागरूक किया गया। सरकार व जिला प्रशासन का प्रयास है कि नशा मुक्त भारत अभियान से अधिक से अधिक लोग जुड़े, ताकि नशा मुक्ति का संदेश जन-जन तक पहुंचाया जा सके। नशा मुक्त भारत अभियान का उद्देश्य न केवल जन-साधारण को नशे के दुष्प्रभावों के बारे में जागृत करना है बल्कि नशे के खिलाफ जन आंदोलन का रुप देना है ताकि नशे के खिलाफ हर आदमी जुड़ कर अपना योगदान दे सकें। नशे पर पूर्णतया अंकुश लगाने के लिए जिला प्रशासन द्वारा व्यापक कदम उठाए जा रहे हैं। दुनिया में कोई भी कार्य असंभव नहीं है, नशा भी छोड़ा जा सकता है, इसके लिए ²ढ संकल्प लेना जरुरी है। व्यक्ति मनोरंजन के तौर पर नशे की शुरुआत करता है, लेकिन बाद में यह आदत में शुमार हो जाता है जिससे पूरे परिवार की मानसिक स्थिति के साथ-साथ आर्थिक स्थिति भी खराब हो जाती है। इस अवसर पर डीएसपी डा. कविता, जिला समाज कल्याण अधिकारी इंद्रा यादव, डिप्टी सीएमओ डा. कुलदीप गौरी, डा. हनुमान सिंह, प्राचार्य रमेश कुमार, डा. गिरीश, रेडक्रास सोसायटी सचिव सुरेंद्र श्योराण, डिप्टी डीईओ वेद दहिया, अश्वनी शर्मा, प्रदीप पोटलिया, रमेश ढाका, गुलाब सिंह, लिपिक ममता, मोनिका रानी, रीतू आदि ने भी संबोधित किया।

सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री श्री थावरचंद गहलोत ने सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री श्री कृष्ण पाल गुर्जर, श्री रामदास अठावले और श्री रतन लाल कटारिया की उपस्थिति में नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दिवस के अवसर पर आज नशा मुक्त भारत अभियान (एनएमबीए) के लिए वेबसाइट का शुभारंभ किया। मादक द्रव्यों के सेवन से मुक्त एक स्थायी दुनिया के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में प्रयास और सहयोग को मजबूत करने के लिए दुनिया भर में यह दिवस मनाया जाता है। नशीली दवाओं की मांग में कमी लाने के लिए नोडल मंत्रालय के रूप में काम करने वाला सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय देश भर में नशीली दवाओं के दुरुपयोग की रोकथाम के लिए विभिन्न कार्यक्रमों को लागू करता है।

नशा मुक्त भारत अभियान क्या है? - nasha mukt bhaarat abhiyaan kya hai?

नशा मुक्त भारत अभियान क्या है? - nasha mukt bhaarat abhiyaan kya hai?

इस वर्ष, नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दिवस के मौके पर, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने 6 दिवसीय नशा मुक्त भारत शिखर सम्मेलन का आयोजन किया। यह सम्मेलन नशीली दवाओं की रोकथाम के लिए मंत्रालय द्वारा की गई कई पहलों के ई-लॉन्च के साथ समाप्त हुआ।

नशा मुक्त भारत अभियान क्या है? - nasha mukt bhaarat abhiyaan kya hai?

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय सचिव श्री आर. सुब्रह्मण्यम ने कार्यक्रम में शुरुआती भाषण दिया और संबोधन अतिरिक्त सचिव, सुश्री उपमा श्रीवास्तव ने दिया। संयुक्त सचिव सुश्री राधिका चक्रवर्ती ने एनएमबीए अभियान के बारे में विस्तार से बताया और कार्यक्रम का संचालन किया।

आज (26 जून, 2021) कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री श्री थावरचंद गहलोत ने कहा कि "नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दिवस के विशेष अवसर पर, हम किसी भी रूप में नशीली दवाओं के दुरुपयोग के खिलाफ अपने दृढ़ संकल्प को मजबूत करने और दुनिया को यह संदेश देने के लिए एक साथ आए हैं कि भारत इस बुराई से लड़ने में कोई कसर नहीं छोड़गा। यह सामाजिक लक्ष्यों को प्राप्त करने, नशीली दवाओं के दुरुपयोग को समाप्त करने की पहल और समुदाय-केंद्रित दृष्टिकोण और परिणामों को मजबूत करने की हमारी प्रतिबद्धता की भी पुष्टि करता है।" श्री गहलोत ने संकल्प व्यक्त किया कि भारत किसी भी कीमत पर नशीली दवाओं के दुरुपयोग के खतरे को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है।

श्री गहलोत ने कहा कि सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा किए गए राष्ट्रीय व्यापक सर्वेक्षण के अनुसार, देश में 6 करोड़ से अधिक लोग ड्रग यूजर्स हैं जिनमें से बड़ी संख्या में 10-17 वर्ष के आयु वर्ग के लोग हैं।

मंत्री ने बताया कि मंत्रालय ड्रग्स की मांग में कमी के लिए नोडल मंत्रालय है। इस मंत्रालय ने नशीली दवाओं के मुकदमों और इसके प्रभावों से संबंधित मुद्दों के समाधान के लिए कई कदम उठाए हैं। उन्होंने बताया कि देश भर में 500 से अधिक स्वैच्छिक संगठन हैं, जिन्हें मंत्रालय की नशीली दवाओं की मांग में कमी के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना (एनएपीडीडीआर) के तहत वित्तीय सहायता दी जाती है। ये गैर सरकारी संगठन नशा मुक्त भारत अभियान के कार्यान्वयन में सक्रिय रूप से शामिल रहे हैं। इन संस्थानों/संगठनों के स्वयंसेवी और आउटरीच कार्यकर्ता आसपास के इलाकों में गाँव-गाँव और घर-घर जाकर लोगों को नशीली दवाओं के दुष्परिणामों के बारे में शिक्षित करते हैं और मादक द्रव्यों के सेवन के पीड़ितों के पुनर्वास में सहायता करते हैं। श्री गहलोत ने बताया कि देश में कोविड-19 से उत्पन्न स्थिति के बावजूद नशा मुक्त भारत अभियान की गतिविधियां पूरी तरह से जारी हैं। मंत्री ने आग्रह किया कि आम आदमी को नशा मुक्त भारत अभियान का हिस्सा बनना चाहिए क्योंकि लोगों की भागीदारी से ही समाज से बुराई को मिटाया जा सकता है।

नशा मुक्त भारत अभियान क्या है? - nasha mukt bhaarat abhiyaan kya hai?

इस अवसर पर श्री रामदास अठावले ने कहा कि मादक पदार्थों के सेवन से बड़ी संख्या में लोगों की जिंदगी बर्बाद हो गई है। इस बुराई के दुष्परिणामों के बारे में जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता है और हमें नशीले पदार्थों के व्यापार को समाप्त करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें नशा मुक्त भारत बनाने की जरूरत है और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए बहुत गंभीर है।

नशा मुक्त भारत अभियान क्या है? - nasha mukt bhaarat abhiyaan kya hai?

श्री रतन लाल कटारिया ने अपने भाषण में कहा कि पूरी दुनिया इस खतरे का सामना कर रही है और नशे की लत का प्रभाव सिर्फ उस व्यक्ति पर नहीं पड़ता जो इसकी चपेट में है, बल्कि इससे परिवार और समाज के बड़े वर्ग पर विनाशकारी प्रभाव पड़ता है और यह गंभीर चिंता का विषय बन गया है। सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय को ड्रग्स की मांग को कम करने के लिए अधिकृत किया गया है। यह नशीले पदार्थों के दुरुपयोग की रोकथाम के सभी पहलुओं का समन्वय और देखरेख करता है, जिसमें समस्या की गंभीरता का आकलन करना, निवारक कार्रवाई, नशे के आदी व्यक्ति का उपचार और पुनर्वास, सूचना का प्रसार और जन जागरूकता गतिविधियां शामिल हैं। साथ ही यह मंत्रालय नशामुक्ति केंद्र भी चलाता है। श्री कटारिया ने कहा कि सरकार देश भर के गैर सरकारी संगठनों को वित्तीय सहायता प्रदान करती है। उन्होंने कहा कि इस अवसर पर हमें नशा मुक्त समाज बनाने का संकल्प लेना चाहिए।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्री कृष्ण पाल गुर्जर ने कहा कि हम एक ऐसी दुनिया में रह रहे हैं जहां नशीली दवाओं का व्यापार खतरनाक मोड़ ले रहा है। नशा न केवल व्यक्ति के जीवन को बर्बाद करता है बल्कि परिवार और समाज के लिए भी हानिकारक है। नशा समाज और देश के लिए भी चिंता का विषय बन गया है। श्री गुर्जर ने बताया कि मंत्रालय द्वारा बनाई गई योजनाओं का उद्देश्य नशीले पदार्थों की खपत को कम करना और नशा करने वालों का पुनर्वास करना है और हम इसे पूरे दृढ़ संकल्प के साथ आगे बढ़ा रहे हैं।

शुरुआती संबोधन में सामाजिक न्याय विभाग के सचिव श्री आर सुब्रह्मण्यम ने कहा, "पिछले साल हमने 'नशा मुक्त भारत अभियान' शुरू किया था और इतने कम समय में भी जमीनी स्तर पर काफी काम किया जा चुका है। एनएमबीए के तहत उन 272 जिलों को चुना गया है जहां नशे की चपेट में सबसे ज्यादा लोग हैं। लगभग 8000 युवा स्वयंसेवक घर-घर जा रहे हैं और मादक पदार्थों के सेवन के खिलाफ प्रचार कर रहे हैं। हमें उम्मीद है कि आजादी के 75 साल (आजादी का अमृत महोत्सव) के जश्न के एक हिस्से के रूप में हम जल्द ही कम से कम 100 जिलों को नशा मुक्त घोषित करने में सक्षम होंगे।"

आज लॉन्च की गई नशा मुक्त भारत अभियान वेबसाइट इस अभियान और इसकी गतिविधियों के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करेगी। फोटो और वीडियो गैलरी के माध्यम से अभियान की गतिविधियों की झलक देगी, ड्रग्स की मांग में कमी के उद्देश्य से मंत्रालय द्वारा स्थापित संस्थानों पर सूचना, शिक्षा और संचार(आईईसी) संसाधन सामग्री और जानकारी प्रदान करेगी। श्री थावरचंद गहलोत ने मासिक समाचार पत्र के विशेष 'नशा मुक्त भारत शिखर सम्मेलन संस्करण' का भी शुभारंभ किया, जो देश भर में अभियान के लिए जमीनी स्तर पर हो रही गतिविधियों के साथ-साथ सप्ताह भर चलने वाले शिखर सम्मेलन के दौरान हुई घटनाओं को जगह देगा। मंत्री द्वारा नशा मुक्त भारत अभियान पर बनाई गई एक लघु फिल्म भी लॉन्च की गई जिसमें अभियान के शुभारंभ के बाद से अब तक की गई गतिविधियों और जमीन पर इसके प्रभाव को दर्शाया गया है।

कार्यक्रम का समापन मंत्री ने अपने जिले में अभियान के लिए काम कर रहे मास्टर स्वयंसेवकों के साथ बातचीत के साथ किया। इन स्वयंसेवकों को 5 जिलों से चुना गया था और यहां वे तीन लोग भी मौजूद थे जो नशे की लत से बाहर निकले हैं और अब एक स्वस्थ और सुखी जीवन व्यतीत कर रहे हैं।

विभिन्न स्रोतों से उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर देश के 272 जिलों में 'नशा मुक्त भारत अभियान' या 'ड्रग्स-मुक्त भारत अभियान' को 15 अगस्त 2020 को हरी झंडी दिखाई गई थी। अभियान का मुख्य ध्येय नशे की समस्या के निवारक के रूप में काम करना, लोगों को नशे की लत के बारे में जागरूक करना, इस अभियान से जुड़े विभिन्न लोगों और संस्थाओं का क्षमता निर्माण, शैक्षणिक संस्थानों के साथ सकारात्मक साझेदारी और उपचार, पुनर्वास और परामर्श सुविधाओं में वृद्धि करना है।

नशा मुक्त भारत अभियान कब शुरू हुआ?

भारतीय युवाओं के बीच नशीली दवाओं के दुरुपयोग के मुद्दे को संबोधित करने के लिए, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने अगस्त 2020 में 272 सबसे अतिसंवेदनशील जिलों में नशा मुक्त भारत अभियान को लागू करना शुरू किया।

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नशा मुक्ति केंद्र में क्या किया जाता है?

यह होते हैं नशा मुक्ति केंद्र जब व्यक्ति बीड़ी, सिगरेट, शराब, चरस, अफीम, गांजा आदि नशे से पीड़ित हो जाता है और वह नशा छोड़ना चाहता है, तो परिजन नशा करने वाले व्यक्ति को नशा मुक्ति केंद्र में भेज देते हैं. नशा मुक्ति केंद्र हर महीने एक फीस लेता है, जिसमें उस व्यक्ति का खाना, रहना, इलाज आदि सम्मिलित होता है.