पूजा पाठ में लहसुन प्याज क्यों नहीं खाते? - pooja paath mein lahasun pyaaj kyon nahin khaate?

ज्यादातर लोग भगवान को खुश करके अपनी मुरादें पूरी कराने के लिए व्रत रखते हैं। व्रत को रखते टाइम कुछ नियमों का पालन करना होता है।

ज्यादातर लोग भगवान को खुश करके अपनी मुरादें पूरी कराने के लिए व्रत रखते हैं। व्रत को रखते टाइम कुछ नियमों का पालन करना होता है, ऐसे में जो सबसे ज्यादा ध्यान रखने वाला नियम होता है वो यही होता है कि हम क्या खा रहे हैं और क्या नहीं? हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि व्रत के समय मासाहारी खाना नहीं खाना चाहिए और लहसुन, प्याज से भी परहेज करना चाहिए। व्रत में मासाहारी खाना नहीं खाना चाहिए इसके पीछे का लॉजिक तो लोगों को आसानी से समझ में आ जाता है लेकिन व्रत में लहसुन और प्याज क्यों नहीं खाना चाहिए इसके पीछे का लॉजिक समझना थोड़ा मुश्किल है। 

पूजा पाठ में लहसुन प्याज क्यों नहीं खाते? - pooja paath mein lahasun pyaaj kyon nahin khaate?

आपने कई बार देखा होगा या फिर सुना होगा कि कुछ लोग प्याज और लहसुन से परहेज करते हैं। केवल व्रत ही नहीं, बल्कि वो प्याज और लहसुन के टेस्ट से अनजान होते हैं। कई लोग इसके पीछे धार्मिक मान्यताओं का हवाला देते हैं, लेकिन कुछ लोग इसके पीछे वैज्ञानिक कारण भी बताते हैं। तो चलिए हम आपको बताते हैं कि आखिरकार व्रत में क्यों नहीं खाना चाहिए प्याज और लहसुन। 

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कुछ इस तरह बंटा हुआ है हमारा खाना 

व्रत में प्याज और लहसुन क्यों नहीं खाते हैं, इसके पीछे का कारण जानने से पहले आपको यह जानना होगा कि हमारे खाने की चीजों को कितने भागों में बांटा गया है। आयुर्वेद में खाद्य पदार्थों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है सात्विक, राजसिक और तामसिक। मानसिक स्थितियों के आधार पर इन्हें हम ऐसे बांट सकते हैं-

सात्विक: मन की शांति, संयम और पवित्रता जैसे गुण

राजसिक: जुनून और खुशी जैसे गुण

तामसिक: अंहकार, क्रोध, जुनून और विनाश जैसे गुण

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ये सब कारण हैं लहसुन और प्याज ना खाने के पीछे 

अहिंसा: प्याज और लहसुन तथा अन्य ऐलीएशस पौधों को राजसिक और तामसिक रूप में वर्गीकृत किया गया है। इसका तात्पर्य ये लगाया जाता है कि इनसे अज्ञानता में वृद्धि होती है। हिंदू धर्म में हत्या रोगाणुओं की भी निषिद्ध है जबकि जमीन के नीचे उगने वाले भोजन में समुचित सफाई की जरूरत होती है, जो सूक्ष्मजीवों की मौत का कारण बनता है। इस वजह से व्रत के दिनों में प्याज और लहसुन नहीं खाया जाता है।

सनातन धर्म के अनुसार: सनातन धर्म के वेद शास्त्रों के अनुसार प्याज और लहसुन जैसी सब्जियां जुनून, उत्तजेना और अज्ञानता को बढ़ावा देती हैं जिस कारण अध्यात्मक के मार्ग पर चलने में बाधा उत्पन्न होती हैं और व्यक्ति की चेतना प्रभावित होती है। इस कारण इनका सेवन नहीं करना चाहिेए। 

पूजा पाठ में लहसुन प्याज क्यों नहीं खाते? - pooja paath mein lahasun pyaaj kyon nahin khaate?

व्यवहार में होता है बदलाव: साथ ही कुछ लोगों का ये भी कहना है कि मांस, प्याज और लहसुन का ज्यादा मात्रा में सेवन व्यवहार में बदलाव का कारण बन जाता है। शास्त्र के अनुसार लहसुन, प्याज और मशरूम ब्राह्मणों के लिए निषिद्ध हैं, क्योंकि आमतौर पर ये अशुद्धता बढ़ाते हैं और अशुद्ध खाद्य की श्रेणी में आते हैं। ब्राह्मणों को पवित्रता बनाए रखने की जरूरत होती है, क्योंकि वे देवताओं की पूजा करते हैं जो कि प्रकृति में सात्विक होते हैं। व्रत के दिनों को भी बेहद पवित्र माना गया है और भगवान को खुश करने के लिए व्रत रखा जाता है, ऐसे में अशुद्ध मन के साथ व्रत कैसे रखा जा सकता है, इसलिए व्रत के समय में प्याज और लहसुन खाना मना होता है। 

प्याज और लहसुन ना खाने के पीछे है यह कहानी 

‘जैसा अन्न वैसा मन’ मतलब जैसा भोजन हम खाते हैं उसका असर हमारे तन-मन पर पड़ता है और हमारी प्रवृति भी वैसी होनी शुरू हो जाती है। ऐसा कहा जाता है कि भोजन वही ग्रहण करना चाहिए, जो सात्त्विक हो। दूध, घी, चावल, आटा, मूंग, करेला जैसे सात्त्विक पदार्थ हैं। तीखे, खट्टे, चटपटे, अधिक नमकीन आदि पदार्थों से निर्मित भोजन रजोगुण में बढ़ोतरी करता है। लहसुन, प्याज, मांस-मछली, अंडे आदि जाति से ही अपवित्र हैं और यह राक्षसी प्रवृति के भोजन कहलाते हैं।

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प्याज और लहसुन ना खाने के पीछे एक कहानी भी है। ऐसा कहा जाता है कि समुद्रमंथन से निकले अमृत को मोहिनी रूप धरे विष्णु भगवान जब देवताओं में बांट रहे थे तभी दो राक्षस राहु और केतू भी वहीं आकर बैठ गए। 

भगवान ने उन्हें भी देवता समझकर अमृत की बूंदे दे दीं, लेकिन तभी उन्हें सूर्य व चंद्रमा ने बताया कि यह दोनों राक्षस हैं। भगवान विष्णु ने तुरंत उन दोनों के सिर धड़ से अलग कर दिए। इस समय तक अमृत उनके गले से नीचे नहीं उतर पाया था और चूंकि उनके शरीरों में अमृत नहीं पहुंचा था वो उसी समय जमीन पर गिरकर नष्ट हो गए लेकिन राहू और केतु के मुख में अमृत पहुंच चुका था इसलिए दोनों राक्षसों के मुख अमर हो गए। 

भगवान विष्णु द्वारा राहू और केतू के सिर काटे जाने पर उनके कटे सिरों से अमृत की कुछ बूंदे जमीन पर गिर गईं, जिनसे प्याज और लहसुन उपजे। चूंकि यह दोनों सब्जियां अमृत की बूंदों से उपजी हैं इसलिए यह रोगों और रोगाणुओं को नष्ट करने में अमृत समान होती हैं, पर क्योंकि यह राक्षसों के मुख से होकर गिरी हैं इसलिए इनमें तेज गंध है और ये अपवित्र हैं, जिन्हें कभी भी भगवान के भोग में इस्तेमाल नहीं किया जाता है।  

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पूजा में लहसुन or प्याज क्यों नहीं खाते?

विज्ञान के मुताबिक, प्याज और लहसुन को तामसिक प्रकृति का माना जाता है और कहा जाता है कि यह शरीर में मानसिक और भावनात्मक ऊर्जा को बढ़ा देता है जिससे मन भटक जाता है. इसलिए नवरात्रि के उपवास के दौरान इसकी अनुमति नहीं है.

लहसुन प्याज को मांसाहारी क्यों माना जाता है?

लहसुन और प्याज को तामसिक भोजन की प्रवर्ति मे रखा गया है। क्योंकि इनकी तासीर गर्म पदार्थों मे की गयीं है। और इनके खाने से व्यक्ति मे सहनशीलता कम होतीं हैं। पर अब अधिकतर लोग नही मानते हैं।

हिंदू धर्म के अनुसार लहसुन प्याज क्यों नहीं खाना चाहिए?

वेद शास्त्रों के अनुसार,लहसुन और प्याज जैसी सब्जियां जुनून,उत्तेजना को बढ़ावा देती हैं और आध्यात्म के मार्ग पर चलने से रोकती हैं इसलिए इनका सेवन नहीं करना चाहिए। वहीं आयुर्वेद के मुताबिक,फ़ूड प्रोडक्ट्स को तीन कैटेगरीज में बांटा जाता है। सात्विक,राजसिक और तामसिक जिनमें सात्विक खाना:शांति,पवित्र माना जाता है।