Purity of Water and Its Need for the Body: धरती के सबसे कीमती चीजों में से एक पानी है. इसका इस्तेमाल दुनिया के सभी लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से करते हैं. पानी और उससे जुड़ी नासमझी या मनमानी का नतीजा आज एक तरफ जहां जलवायु असंतुलन के तौर पर दिख रहा है तो वहीं शारीरिक तौर पर भी पानी का असंतुलन सेहत की गंभीर समस्या बनकर सामने आ रहा है. जलवायु असंतुलन दुर्भाग्यपूर्ण परिणाम यह हुआ कि संसार के कई हिस्सों में लोगों को सेहतमंद रहने के लिए जितना पानी जरूरी है वह उन्हें मिल नहीं पाता. Show हालिया दिनों में पानी के कमी से कई तरह की गंभीर बीमारियों हो जाती हैं. हेल्थ एक्सपर्ट्स कहते हैं कि ठंड के मौसम में देखा जाता है कि कई लोग पानी का सेवन बेहद कम करते हैं या न के बराबर करते हैं, जबकि मौसम चाहे सर्दी का हो या फिर गर्मी का, हर इंसान को पर्याप्त मात्रा में पानी पीना चाहिए. कई बार हम सेहत के लिए लाभदायक मानकर जरूरत से ज्यादा पानी पी लेते हैं, जो कि स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह साबित हो जाता है. इसलिए शरीर की जरूरत के हिसाब से पानी पीना चाहिए. वहीं इस वैज्ञानिक तकनीकों से युक्त दौर में पानी की शुद्धता को लेकर भी काफी सावधानी बरती जा रही हैं. लेकिन पानी की शुद्धता की एक निश्चित सीमा है. उस सीमा से अधिक शुद्ध पानी या अशुद्ध पानी सेहत पर बुरा असर डालता है. आज हम इसी विषय पर इस लेख में चर्चा करेंगे- RO या दूसरी तकनीकों से पानी की शुद्धता का क्या हो पैमाना एक रिपोर्ट में Bureau of Indian Standards के मुताबिक अगर एक लीटर पानी में TDS यानी Total Dissolved Solids की मात्रा 500 मिलीग्राम से कम है तो ये पानी पीने योग्य है. लेकिन ये मात्रा 250 मिलीग्राम से कम नहीं होनी चाहिए क्योंकि, इससे पानी में मौजूद खनिज आपके शरीर में नहीं पहुंच पाते. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक प्रति लीटर पानी में TDS की मात्रा 300 मिलीग्राम से कम होनी चाहिए. अगर एक लीटर पानी में 300 मिलीग्राम से 600 मिलीग्राम तक TDS हो तो उसे पीने योग्य माना जाता है. हालांकि अगर एक लीटर पानी में TDS की मात्रा 900 मिलीग्राम से ज्यादा है तो वो पानी पीने योग्य नहीं माना जाता है. पानी में TDS 100 मिलीग्राम से कम हो तो उसमें चीजें तेजी से घुल सकती हैं. प्लास्टिक की बोतल में बंद पानी में कम TDS हो तो उसमें प्लास्टिक के कण घुलने का खतरा भी रहता है. जो स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक है. वहीं कई RO कंपनियां पानी को मीठा करने के लिए उसका टीडीएस घटा देते हैं. 65 से 95 टीडीएस होने पर पानी मीठा तो हो जाता है लेकिन उसमें से कई जरूरी मिनरल्स (Minerals) भी निकल चुके होते हैं, अधिकतर लोग इससे होने वाले नुक्सान को समझ नहीं पाते हैं. वाटर क्वालिटी इंडियन एसोसिएशन (Water Quality India Association) के सदस्यों ने एनजीटी (NGT) में RO का केस लड़ते हुए ये दलील दी थी कि देश के 13 राज्यों के 98 जिले ऐसे हैं जहां पानी को RO तकनीक से ही पीने योग्य बनाया जा सकता है. पानी की आदर्श शुद्धता है 350
टीडीएस शरीर के लिए जरुरी है कैलोरी के मुताबिक पानी इसी तरह 1974 में मारर्गेट मैक्लिलियम्स और फ्रेडरिक स्टेयर ने अपनी किताब "न्यूट्रिशन फॉर गुड हेल्थ" की पानी के ऊपर लिखे गए शोध की खूब चर्चा हुई. जहां यह सुझाया गया था कि हर वयस्क को रोज आठ गिलास पानी पीना चाहिए. पूरे दिन में आठ गिलास पानी पीने की अवधारणा का चलन इसी किताब की दें मानी जाती है. किताब के लेखकों ने आठ गिलास में फलों और सब्जियों से मिलने वाले पानी के अलावा कोल्ड ड्रिंक और बीयर को भी शामिल किया. पानी के लिए जरुरी है कि शरीर की जरूरत को समझें वैज्ञानिकों को अब तक ऐसे कोई सबूत नहीं मिले, जो यह कहें कि अच्छी सेहत के लिए खूब पानी पीना चाहिए. इसका सीधा मतलब यह है कि जब प्यास महसूस हो, तभी आप पानी पियें. हालांकि थोड़ा-बहुत पानी ज्यादा पीने से या कम पीने से कोई नुकसान नहीं है. यह भी पढ़े: Delhi News: दिल्ली सरकार ने 'रेड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ' अभियान के विज्ञापनों पर खर्च किये 10.46 करोड़ रुपये, RTI से हुआ खुलासा Delhi News: दिल्ली में 75 जगहों पर लगेगा 115 फीट ऊंचा तिरंगा, जानिए इस पर कितना पैसा खर्च कर रही है केजरीवाल सरकार पीने के लिए सबसे अच्छा पानी कौन सा है?मिट्टी की पानी की बोतल में कोई खतरनाक रसायन भी नहीं होता है और हैल्थ के लिए फायदेमंद भी होती है। मिट्टी की बोतल का पानी पीने से मेटाबॉलिज्म बेहतर और एसिडिटी का इलाज होता है। इसके साथ ही गैस्ट्रिक दर्द भी कम होता है। वहीं, फिल्टर्ड में बहुत सारे मिनरल्स धुल जाते हैं।
सुबह उठकर कौन सा पानी पीना चाहिए?बाॅडी को हाइड्रेट रखने और बीमारियों से बचाने के लिए हमें रोजाना पानी पीना चाहिए. माना जाता है कि रोजाना 8 से 10 गिलास पानी का सेवन करना चाहिए. इसके साथ ही ज्यादातर लोग मानते हैं कि सुबह ब्रश करने से पहले पानी पीना फायदेमंद होता है. तो चलिए जानते हैं कि इसके पीछे क्या सच है.
पीने लायक पानी कैसे होता है?- पानी की क्वालिटी तय करने के लिए ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (BIS) ने कई मापदंड (स्टैंडर्ड) बनाए हैं। इसके अनुसार किसी भी पेजयल में आर्सेनिक, लेड, सेलेनियम, मरकरी, नाईट्रेट आदि बिल्कुल नहीं होने चाहिए। इनका हेल्थ पर गंभीर असर पड़ता है। - पानी में फ्लोराइड, ऑयरन, कैल्शियम और मैग्नीशियम की एक लिमटेड मात्रा ही होनी चाहिए।
शुद्ध जल क्या होता है?शुद्ध पानी H2O स्वाद में फीका होता है जबकि सोते (झरने) के पानी या लवणित जल (मिनरल वाटर) का स्वाद इनमे मिले खनिज लवणों के कारण होता है।
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