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”पानी परात को हाथ छुयो नहिं, नैनन के जल सो पग धोए”ऊपर लिखी गई पंक्ति को ध्यान से पढ़िए। इसमें बात को बहुत अधिक बढ़ा चढ़ाकर चित्रित किया गया है। जब किसी बात को इतना बढ़ा चढ़ाकर प्रस्तुत किया जाता है तो वहाँ पर अतिशयोक्ति अलंकार होता है। आप भी कविता में से एक अतिशयोक्ति अलंकार का उदाहरण छाँटिए। Question ''पानी परात को हाथ छुयो नहिं, नैनन के जल सो पग धोए''ऊपर लिखी गई पंक्ति को ध्यान से पढ़िए। इसमें बात को बहुत अधिक बढ़ा-चढ़ाकर चित्रित किया गया है। जब किसी बात को इतना बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत किया जाता है तो वहाँ पर अतिशयोक्ति अलंकार होता है। आप भी कविता में से एक अतिशयोक्ति अलंकार का उदाहरण छाँटिए।
Solution ''कै वह टूटी-सी छानी हती, कहँ कंचन के अब धाम सुहावत।''यहाँ अतिश्योक्ति अलंकार है। टूटी सी झोपड़ी के स्थान पर अचानक कंचन के महल का होना अतिश्योक्ति है। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});पानी परात को हाथ छुओ नहीं में कौनसा अलंकार है?”पानी परात को हाथ छुयो नहिं, नैनन के जल सो पग धोए”ऊपर लिखी गई पंक्ति को ध्यान से पढ़िए। इसमें बात को बहुत अधिक बढ़ा चढ़ाकर चित्रित किया गया है। जब किसी बात को इतना बढ़ा चढ़ाकर प्रस्तुत किया जाता है तो वहाँ पर अतिशयोक्ति अलंकार होता है।
पानी परात को हाथ छुयो नहिं नैनन के जल सो पग धोए पंक्ति में कौन सा अलंकार निहित है?अतः सही उत्तर विकल्प 1 'अतिश्योक्ति अलंकार है। उपरोक्त पंक्ति में कृष्ण द्वारा अपने सखा सुदामा के पैर धोने की क्रिया का बढ़ा- चढ़ा कर वर्णन किया गया है, अत: अतिश्योक्ति अलंकर है। जहां प्रस्तुत व्यवस्था का वर्णन कर उसके माध्यम से किसी अप्रस्तुत वस्तु को व्यंजना की जाती है वहां और अतिशयोक्ति अलंकार होता है।
पानी परात को हाथ छुओ नहीं किसकी पंक्ति है?Answer: पानी परात को हाथ छुयो नहिं, नैनन के जल सों पग धोए।'' उक्त पंक्ति में भगवान श्री कृष्ण का अपने परम मित्र सुदामा के प्रति अत्यंत प्रेम प्रकट हुआ है। वह अपने बालसखा की दयनीय दशा को देखकर अत्यंत दुखी हो जाते हैं। वह इतनी दुखी हो जाते हैं कि पानी की बजाए अपने आंसुओं से मित्र के पैरों को ढूंढने लगते हैं।
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