प्राचीन भारतीय संस्कृति पर यूनान का क्या प्रभाव पड़ा? - praacheen bhaarateey sanskrti par yoonaan ka kya prabhaav pada?

उत्तर :

ईसा पूर्व छठी शताब्दी के पूर्वार्द्ध में मद्र, गांधार एवं कंबोज के राजाओं की आपसी फूट एवं मगध जैसे शक्तिशाली साम्राज्य की अनुपस्थिति के कारण पश्चिमोत्तर भारत की राजनीतिक स्थिति बहुत कमजोर थी। हिंदुकुश के दर्रों से भारत में आसानी से घुसा जा सकता था। इसी का फायदा उठाकर ईरानी एवं मकदूनियाई शासकों ने पश्चिमोत्तर भारत पर आक्रमण किया और भारतीय राजनीतिक व्यवस्था के साथ-साथ कला एवं संस्कृति को भी व्यापक रूप में प्रभावित किया।

ईरानी आक्रमण एवं भारतीय कला संस्कृति पर इसके प्रभाव:

  • भारत और ईरान के मध्य संपर्क एवं व्यापार वृद्धि के महत्त्वपूर्ण सांस्कृतिक परिणाम हुए। ईरानी लिपिकारों के प्रभाव से भारत में खरोष्ठी लिपि का प्रचलन हुआ। ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी में पश्चिमोत्तर भारत में अशोक के कुछ अभिलेख इस लिपि में लिखे गए।
  • चंद्रगुप्त के दरबार में यूनानी राजदूत मेगस्थनीज के अनुसार मौर्य शासकों ने कुछ पर्सियन समारोह एवं अनुष्ठानों को अपनाया था।
  • मौर्य वास्तुकला पर ईरानी प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। अशोककालीन स्तंभ, विशेषकर घंटा आकार के गुंबज ईरानी प्रतिरूपों पर आधारित थे। अशोक के राज्यदिशों की प्रस्तावना और उनमें प्रयुक्त शब्दों में भी ईरानी प्रभाव दिखाई देता है।
  • ईरानी शासकों ने पश्चिमोत्तर भारत में पर्सियन चाँदी के सिक्कों का प्रचलन किया। इन सिक्कों की विशिष्ट ढलाई तकनीक एवं सुंदरता को भारतीय शासकों ने भी अपनाया।

मकदूनियाई आक्रमण एवं भारतीय कला संस्कृति पर इसके प्रभाव:

326 ई. पूर्व पश्चिमोत्तर भारत में सिकंदर के आगमन के पश्चात् भारतीय और यूनानी संस्कृतियों का संपर्क हुआ और इसके महत्त्वपूर्ण परिणाम निकले, जैसे-

  • भारत में यूनानी सिक्कों तथा इनकी ढलाई तकनीक का प्रचलन हुआ। इन सिक्कों पर जारी करने वाले राजा का नाम, जारी करने का वर्ष और शासक का चित्रण होता था, जो इनकी प्रमुख विशेषता थी।
  • यूनानी आक्रमण के पश्चात् यूनानी हेलेनिस्टिक कला भारत में पहुँची तथा आगे चलकर भारतीय और यूनानी मूर्तिकला के संश्लेषण से पश्चिमोत्तर भारत में मूर्तिकला की नवीन शैली ‘गांधार शैली’ का विकास हुआ। यह भारत में प्रतिमाओं के विकास की शुरुआत थी।
  • भारतीय शास्त्रीय साहित्य पर भी यूनानी प्रभाव पड़ा। युग पुरान, महाभारत एवं बौद्ध ग्रंथों में यूनानियों को पवन से संबोधित किया गया है।
  • भारतीय खगोल विज्ञान प्राचीन यूनानियों का ऋणी है। युग पुराण की गार्गी संहिता यूनानियों को खगोलशास्त्र के प्रवर्तकों के रूप में श्रेय देती है। आर्यभट्ट ने भी राशि चक्र के लिये यूनानियों को श्रेय दिया है।

इस प्रकार ईरानी एवं मकदूनियाई आक्रमणों के परिणामस्वरूप क्रमश: पर्सियन और यूनानी कला संस्कृति का भारतीय कला संस्कृति के साथ संश्लेषण के कारण भारतीय कला संस्कृति पर व्यापक प्रभाव  पड़ा। 

भारत के यवन राज्य


  • सीरिया के महान राज एन्टीयोकस ने 206 ई.पू. के आसपास हिन्दूकुश को पर कर काबुल की घाटी में राज्य करने वाले एक भारतीय राजा सुभगसेन को हराया और उससे अपरिमित धन और बहुत से हाथी लेकर स्वदेश वापस गया।
  • बैक्ट्रिया के यवन राजा डेमेट्रियस ने पंजाब का काफी भाग जीत लिया था। एक-दूसरे यवन राजा यूक्रेटियस ने डेमेट्रिय से बैक्ट्रिया का राज्य छीन लिया।
  • भारत के उत्तरी-पश्चिमी सीमा प्रांत में उस काल में बहुत से छोटे-छोटे यवन सामन्त राज्य करते थे। इनमें सबसे प्रसिद्ध राजा मिनान्डर था, जो आक्रमण करते हुए भारत में काफी अंदर तक घुस आया था।
  • मिनान्डर ने बौद्ध धर्म अंगीकार कर लिया। उसकी पहचान प्रसिद्ध बौद्ध ग्रन्थ ‘मिलिन्दपन्हो’ में उल्लिखित राजा मिलिन्द से की जाती है।
  • एक अन्य यवन राजा एंटियाल्कीडास था जो तक्षशिला में राज्य करता था, उसने अपने दूत हेलियोडोरस को शुंग राजा भागभद्र की राजसभा में भेजा था। हेलियोडोरस ने भागवत धर्म ग्रहण कर लिया और उसने बेसनगर में वासुदेव के गरुड़ स्तम्भ का निर्माण कराया था।

भारत पर यूनानी आक्रमण का प्रभाव

  • भारत के पश्चिमोत्तर प्रांत में एकता के नये युग का सूत्रपात हुआ और मौर्यों को एक विशाल साम्राज्य स्थापित करने में सहायता मिली।
  • भारत और पश्चिमी देशों के बीच चार जलमार्ग तथा चार स्थल मार्गों का पता चला। 
  • यूनानी मुद्रा निर्माण कला का प्रभाव भारतीय मुद्रा निर्माण पर पड़ा।
  • गांधार कला पर यूनानी प्रभाव पड़ा।
  • सिकंदर के आक्रमण की तिथि (326 ई.पू.) ने प्राचीन भारत के तिथिक्रम की गुत्थियों को सुलझा दिया।
  • सिकंदर के साथ आये इतिहासकारों ने तत्कालीन सामाजिक, राजनैतिक व्यवस्था के सम्बंध में बहुत-सा विवरण लिखा। इनसे प्राचीन भारतीय इतिहास के निर्माण में बड़ी सहायता मिली।
  • ज्योतिष के क्षेत्र में पोलिश और रोमन सिद्धांत यूनानियों की देन है।
  • सप्ताह के 7 दिनों का विभाजन, विभिन्न ग्रहों के नाम, काल गणना की प्रथा का अस्तित्व यूनानियों की देन है।
  • नाटकों में प्रयुक्त पटाक्षेप शब्द (यवनिका) यूनानी शब्द है।
  • पश्चिमोत्तर भारत में हेलेनिष्टिक कला का विकास हुआ।

ईरानी आक्रमण का प्रभाव 

  • भारत के विदेशी व्यापार को बहुत प्रोत्साहन मिला।
  • पश्चिमी देशों में आने-जाने के लिए समुद्री मार्ग खुल गये।
  • भारत का सामान सुदूर मिस्र और यूनान तक पहुंचने लगा।
  • भारत में खरोष्ठी लिपि का प्रचार हुआ।
  • भारत में ईरानी रजत मुद्राओं (सिग्लोई) के आधार पर रजत मुद्रा प्रचलन में आयी।
  • भारतीय राजाओं में साम्राज्यवादी विचारधारा की भावना प्रबल हुई।
  • स्त्री अंगरक्षकों की प्रथा, मंत्रियों के कक्ष में हमेशा अग्नि प्रज्ज्वलित रखने की व्यवस्था आदि की शुरुआत हुई।

भारत पर यूनानी आक्रमण का क्या प्रभाव हुआ?

सिकंदर के आक्रमण का भारत पर प्रभाव विभिन्न क्षेत्रों में भारत और यूनान के बीच प्रत्यक्ष सम्पर्क की स्थापना हुई। प्राचीन यूरोप को भारत के सम्पर्क में आने का अवसर मिला। पश्चिमोत्तर भारत के अनेक छोटे-छोटे राज्यों का एकीकरण हुआ

यूनानियों ने भारत को क्या नाम दिया था?

सिंधु सभ्यता के कारण भारत का पुराना नाम सिंधु भी था, जिसे यूनानी में इंडो या इंडस भी कहा जाता था. जब ये शब्द लैटिन भाषा में पहुंचा तो बदलकर इंडिया हो गया. जब अंग्रेज भारत में आए उस समय हमारे देश को हिन्दुस्तान कहा जाता था. हालांकि ये शब्द बोलने में उन्हें परेशानी होती थी.

ईरानी आक्रमण का भारत पर क्या प्रभाव पड़ा?

हखामनी (ईरानी) आक्रमण का भारत पर प्रभाव समुद्री मार्ग की खोज से विदेशी व्यापार को प्रोत्साहन मिला। पश्चिमोत्तर भारत में दायीं से बायीं ओर लिखी जाने वाली खरोष्ठी लिपि का प्रचार हुआ। (अशोक के कुछ अभिलेख खरोष्ठी लिपि में उत्कीर्ण हैं।) ईरानियों की अरमाइक लिपि का प्रचार-प्रसार हुआ।

सबसे शक्तिशाली यूनानी राजा कौन था?

यूनान के सम्राट सिकंदर को दुनिया सिकंदर महान, या 'अलेक्ज़ेंडर द ग्रेट' कहती है. हम आप सिकंदर को महान इसलिए कहते हैं कि उसने बहुत कम उम्र में यूरोप से लेकर एशिया तक अपनी सत्ता का विस्तार कर लिया था.

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