प्रेगनेंसी में 75 ग्राम ग्लूकोज टेस्ट कैसे करें? - preganensee mein 75 graam glookoj test kaise karen?

प्रेग्‍नेंसी के दौरान हार्मोन में होने वाले परिवर्तनों से हमारा वजन बढ़ने लगता है। जिससे इंसुलिन के फंक्शन भी ब्लॉक हो जाते हैं। इन सभी कारणों से ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है। इससे प्रेग्नेंट महिलाओं को गैस्टेशनल डायबिटीज भी हो जाता है। जो मां और बच्चे दोनों को प्रभावित करता है। यह खतरनाक हो सकता है।
इसलिए प्रेग्‍नेंसी के दौरान ग्लूकोज स्क्रीनिंग टेस्ट करवाना बहुत जरूरी है। ग्लूकोज स्क्रीनिंग टेस्ट या ग्लूकोज चैलेंज टेस्ट (GCT) प्रेग्‍नेंसी में 24 से लेकर 28 हफ्ते के बाद करवाया जाता है। अगर किसी महिला में गैस्टेशनल डायबिटीज के लक्षण दिखाई देते हैं तो यह टेस्ट पहले भी करवाया जा सकता है।

​ग्लूकोज स्क्रीनिंग टेस्ट कैसे होता है

प्रेगनेंसी में 75 ग्राम ग्लूकोज टेस्ट कैसे करें? - preganensee mein 75 graam glookoj test kaise karen?

यह जेस्टेशनल डायबिटीज से जुड़ा पहला टेस्ट है। अगर यह पॉजिटिव आए तभी डॉक्टर दूसरे टेस्ट की सलाह देते हैं। इस टेस्ट के लिए आपको किसी भी तरह से भूखा रहने की जरूरत नहीं पड़ती है।

आप अपना सामान्य भोजन ले सकते हैं। टेस्ट सेंटर में आपको 50 ग्राम ग्लूकोज लिक्विड पीने के लिए दिया जाता है। उसके कुछ घंटे बाद डॉक्टर आपका ब्लड सैंपल लेते हैं और शुगर लेवल की जांच करते हैं।

अगर शुगर लेवल 200mg/dl से ज्यादा आता है, तो इसका मतलब आपको टाइप-टू डायबिटीज है। अगर शुगर लेवल 140mg/dl से ज्यादा आता है तो डॉक्टर आपको ओरल ग्लूकोज टोलरेंस टेस्ट करवाने के लिए कहते हैं।

​ओरल ग्लूकोज टोलरेंस टेस्ट (OGTT) या टू स्टेप टेस्ट क्या है?

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इस टेस्ट में आपके ब्लड शुगर की जांच खाली पेट और भरे पेट दोनों तरह से की जाती है। इससे यह पता चलता है कि आपका शरीर ब्लड शुगर के प्रति किस तरह रिस्‍पॉन्‍स कर रहा है। जब कोई प्रेग्नेंट महिला ग्लूकोज स्क्रीनिंग टेस्ट के बाद ओजीटीटी के लिए जाती है तो इसे टू-स्टेप टेस्ट कहा जाता है।

ओजीटीटी के लिए टेस्ट से पहले आपको कम से कम 8 से 14 घंटे तक भूखा रहना पड़ता है। इस दौरान आप सिर्फ पानी ले सकती हैं । फिर डॉक्टर आपका टेस्ट सैंपल लेता है।

इसके बाद इस टेस्ट में आपको 100 ग्राम ग्लूकोज लिक्विड पीना पड़ता है। फिर डॉक्टर फास्टिंग शुगर टेस्ट के बाद नॉन फास्टिंग शुगर सैंपल लेते हैं । यह सैंपल हर 3 घंटे में लिया जाता है। अगर इन सभी टेस्ट के बाद आपका शुगर लेवल बहुत हाई आता है, तो इसका मतलब आपको जेस्टेशनल डायबिटीज है।

​OGTT में मील टाइम टारगेट शुगर लेवल

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फास्टिंग - 95 mg/dl (5.3mmol/L)

1 घंटे बाद - 180 mg/dl (10.0mmol/L)

2 घंटे बाद - 155 mg/dl (8.6mmol/L)

3 घंटे बाद - 140 mg/dl (7.8mmol/L)

​वन स्टेप टेस्ट

प्रेगनेंसी में 75 ग्राम ग्लूकोज टेस्ट कैसे करें? - preganensee mein 75 graam glookoj test kaise karen?

इस टेस्ट में डॉक्टर आपका फास्टिंग ब्लड शुगर लेवल देखता है। उसके बाद आपको 75 ग्राम ग्लूकोज दिया जाता है। फिर डॉक्टर आपका नॉनफास्टिंग शुगर लेवल सैंपल लेता है जो 2 घंटे बाद हर 60 मिनट में लिया जाता है। इसके लिए पहले आपको 8 से 14 घंटे तक भूखा रहना पड़ता है।

​खाने के टाइम पर टारगेट शुगर लेवल

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फास्टिंग - 92 mg/dl (5.1 mool/L)

1 घंटे बाद - 180 mg/dL (10.0 mool/L)

2 घंटे बाद - 153 mg/dL (8.5 mool/L)

इससे ज्यादा वैल्यू आने का मतलब है कि आपको जेस्टेशनल डायबिटीज है।

​प्रेग्‍नेंसी के दौरान ग्लूकोज टेस्ट से होने वाले नुकसान

प्रेगनेंसी में 75 ग्राम ग्लूकोज टेस्ट कैसे करें? - preganensee mein 75 graam glookoj test kaise karen?

ज्यादातर महिलाओं को इससे कोई खास परेशानी नहीं होती है। इस टेस्ट के लिए पहले महिलाओं को 8 से 10 घंटे तक भूखे रहना पड़ता है। फिर अचानक से ग्लूकोज सल्यूशन न पीने से कुछ महिलाओं को उल्टी, सर दर्द, जैसी शिकायत हो सकती हैं। इसके साथ ही कुछ महिलाओं में चक्कर आना, ब्लीडिंग होना, स्किन इन्फेक्शन जैसे लक्षण भी देखे गए हैं।

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प्रेग्‍नेंसी में ग्‍लूकोज चैलेंज टेस्‍ट करवाने की जरूरत महिलाओं को कब और क्‍यों पड़ती है, आर्टिकल पढ़ें और जानें। 

ग्‍लूकोज चैलेंज टेस्‍ट एक प्रीनेटल टेस्‍ट है जो प्रेग्‍नेंसी के दौरान महिलाओं का किया जाता है। यह टेस्‍ट महिला के शरीर में जेस्टेशनल डायबिटीज की जांच करने के लिए किया जाता है। जेस्टेशनल डायबिटीज, डायबिटीज का अल्पकालिक रूप है और यह प्रेग्‍नेंट  महिलाओं में हो सकता है। यह लगभग 7% प्रेग्‍नेंट महिलाओं को प्रभावित करता है जो कि एक छोटी संख्या है। हालांकि, इस पर अंकुश लगाने और आवश्यक उपाय करने के लिए इसे जांचना जरूरी होता है। जब एक प्रेग्‍नेंट महिला का शरीर प्रेग्‍नेंसी के दौरान होने वाले इंसुलिन प्रतिरोध से निपटने के लिए इंसुलिन के उन्नत स्तर को हासिल करने में असमर्थ होता है, तो उसे जेस्टेशनल डायबिटीज होने की संभावना होती है।

इसे जरूर पढ़ें: सेकंड ट्राइमेस्टर में मैटरनल सीरम स्क्रीनिंग टेस्ट प्रेग्नेंसी में क्‍यों कराना चाहिए? जानें

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यह टेस्‍ट कब किया जाता है? 

सामान्‍य रिकमनडेशन के अनुसार ग्‍लूकोज चैलेंज टेस्‍ट प्रेग्‍नेंसी के 24वें सप्‍ताह में या लगभग 28वें सप्‍ताह में या फिर तीसरे ट्राइमेस्‍टर की शुरुआत में किया जाता है। हालांकि, अब प्रेग्‍नेंट महिलाओं को यही सलाह दी जाती है कि वह पहले ट्राइमेस्‍टर में ही यह टेस्ट करवा लें। हाल में हुए इस डेवलमेंट को करने के पीछे उद्देश्य है कि प्रेग्‍नेंसी के 16वें सप्‍ताह में maternal glycemic level को प्रभावी ढंग से मापा जा सकता है। हालांकि, यदि इस समय टेस्‍ट नेगेटिव आता है तो इस टेस्‍ट को प्रेग्‍नेंसी के 24वें-28वें सप्‍ताह में दोबारा किया जा सकता है और अंतिम बार यह टेस्‍ट प्रेग्‍नेंसी के 32वें-34वें सप्‍ताह में किया जाता है। ग्‍लूकोज चैलेंज टेस्‍ट सभी प्रेग्‍नेंट महिलाओं के लिए एक अनिवार्य और सर्वभौमिक स्‍क्रीनिंग टेस्‍ट है। 

इसे जरूर पढ़ें: प्रेग्नेंसी में क्यों जरूरी है फर्स्ट ट्राइमेस्टर मैटरनल सीरम स्क्रीनिंग टेस्ट? जानें इसकी प्रक्रिया

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यह टेस्‍ट कैसे किया जाता है? 

इस टेस्‍ट के नाम से ही समझा जा सकता है कि इसे प्रेग्‍नेंट महिला के शुगर लेवल को मापने के लिए किया जाता है। सटीक परिणाम प्राप्‍त करने लिए इस टेस्‍ट को करवाने वाली महिला को फास्टिंग करनी पड़ती है। टेस्टिंग सेंटर में महिला को 75 ग्राम ग्‍लूकोज मौखिक रूप से दिया जाता है, जिसके 2 घंटे बाद लैब तकनीशियन या डॉक्‍टर ब्‍लड सैंपल एकत्र करता है। फिर प्रेग्‍नेंट महिला के शरीर में ग्‍लूकोज के लेवल का अध्‍ययन किया जाता है और चिकित्‍सक इसके तहत ही आगे कोई सलाह देता है। (प्रेगनेंसी में क्यों होती है खुजली)

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प्रेग्‍नेंट महिला को जेस्टेशनल डायबिटीज का रिस्‍क सबसे ज्‍यादा कब होता है? 

यह सुनिश्चित करना कि ग्‍लूकोज चैलेंज टेस्‍ट हर प्रेग्‍नेंट महिला करवाती है अभी भी मुश्किल है। ऐसे में निम्‍नलिखित स्थितियों में प्रेग्‍नेंट महिला को जेस्टेशनल डायबिटीज का खतरा हो सकता है: 

● यदि महिला की उम्र 26 वर्ष से अधिक है

● यदि परिवार में डायबिटीज की कोई हिस्‍ट्री है

● अगर महिला का वजन अधिक है

● यदि महिला को पहले 4 किलोग्राम से अधिक वजन का बच्चा हुआ है

● अगर महिला को पीसओडी या पीसीओएस है

यह टेस्‍ट न केवल होने वाली मां के लिए बल्कि बच्चे के लिए भी आवश्यक है। यदि सही तरीके से या समय पर इलाज नहीं किया जाता है, तो नवजात शिशु को इससे होने वाली स्वास्थ्य समस्याएं होने की संभावना हो सकती है। नवजात शिशु के अच्छे स्वास्थ्य के लिए और मां की सुरक्षा के लिए, सभी प्रेग्‍नेंट महिलाओं को ग्लूकोज चैलेंज टेस्ट करवाने की सलाह दी जाती है। 

एक्‍सपर्ट सलाह के लिए डॉ. शीला माने (एमडी, एफआईसीओजी, एफआईसीएमसीएच) का विशेष धन्‍यवाद। 

Reference:

https://www.japi.org/august2006/DIPSI-622.htm

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