प्रारंभ में इस आंदोलन को चलाने में कौन-कौन सी बाधा आई? Show प्रारंभ में इस साइकिल आंदोलन को चलाने में महिलाओं को अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। लोग उन पर गंदी-गंदी टिप्पणियाँ कसते थे लोकन महिलाएँ बिना किसी की परवाह किए निरंतर आगे की ओर अग्रसर ही होती रहीं। 890 Views '... उन जंजीरों को तोड़ने का जिनमें वे जकड़े हुए हैं, कोई-न-कोई
तरीका लोग निकाल ही लेते हैं ...' तमिलनाडु के जिला पुड़ुकोट्टई में महिलाओं में अधिक जागृति न थी। वे रूढ़िवादिता. पिछड़ेपन व बधनों से परिपूर्ण जीवन बिता रही थीं। इन्हीं बंधनों को लेखक न जंजीरें माना है। 1748 Views इस पाठ के अंत में दी गयी ‘पिता के बाद’ कविता पढ़िए। क्या कविता में और फातिमा की बात में कोई संबंध हो सकता है? अपने विचार लिखिए। पाठ के आधार पर फातिमा के यही विचार हैं कि साइकिल चलाना महिलाओं के आत्मसम्मान व आर्थिक संपन्नता को तो बढ़ावा देता ही है साथ ही साथ आजादी और खुशहाली का अनुभव भी करवाता है। जबकि इस कविता में इस बात को दर्शाया गया है कि दुख हो या सुख लड़कियाँ हर हाल में खुश रहती हैं। पिता के कंधों का भार अपने कंधों पर उठाने की हिम्मत रखती हैं। पिता की मृत्यु के पश्चात् माँ को संभालने की शक्ति भी उनमें होती है। वे अपने पूर्वजों का नाम ऊँचा उठाती हैं। उदास राहों पर भी खुशियाँ ढ़ुँढने की क्षमता रखती हैं। धूप, बारिश व हर मौसम अर्थात् हर परिस्थिति में खुश रहती हैं। 431 Views उपसर्गों और प्रत्ययों के बारे में आप जान चुके हैं। इस पाठ में आए उपसर्गयुक्त शब्दों को छाँटिए। उनके मूल शब्द भी लिखिए। आपकी सहायता के लिए इस पाठ में प्रयुक्त कुछ ‘उपसर्ग’ और ‘प्रत्यय’ इस प्रकार हैं-अभि, प्र, परि, वि (उपसर्ग), इक वाला, ता, ना। उपसर्ग प्रत्यय 897 Views ‘साइकिल आंदोलन’ से पुड़ुकोट्टई की महिलाओं के जीवन में कौन-कौन से बदलाव आए हैं? साइकिल आंदोलन से पुडुकोट्टई की महिलाओं में निम्न बदलाव आए- 1936 Views शुरूआत में पुरुषों ने इस आदोलन का विरोध किया परंतु आर साइकिल के मालिक ने इसका समर्थन किया, क्यों? जब स्त्रियों ने बड़ी संख्या में साइकिल चलाना सीखना शुरू किया तो पुरुषों ने इसका विरोध किया क्यौंकि उन्हें डर था कि इससे नारी समाज में जागृति आ जाएगी। उन पर कई प्रकार के व्यंग्य भी किए जाते। लेकिन महिलाओं ने इनकी परवाह न करके साइकिल चलाना जारी रखा। धीरे-धीरे महिलाओं द्वारा साइकिल चलाने को सामाजिक स्वीकृति प्राप्त हो ही गई। एक साइकिल विक्रेता ‘आर साइकिल्स’ के मालिक ने इसका समर्थन किया क्योंकि उसकी दुकान पर लेडिज साइकिल की बिक्री में 350 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। यहाँ तक कि जिन महिलाओं को लेडिज साइकिल नहीं मिल पाई थीं उन्होंने जेंटस साइकिलें ही खरीद लीं। दुकानदार द्वारा यह वक्तव्य बताना इस बात को प्रदर्शित करता है कि महिला साइकिल चालकों की संख्या दिन-प्रति-दिन बढ़ती ही जा रही है। 624 Views जहाँ पहिया हैNCERT Solutionप्रश्न 1: आपके विचार से लेखक 'जंजीरों' द्वारा किन समस्याओं की ओर इशारा कर रहा है? क्या आप लेखक की इस बात से सहमत हैं? अपने उत्तर का कारण भी बताइए। उत्तर: हमारा समाज पितृ-प्रधान समाज है जहाँ महिलाओं पर कई पाबंदियाँ लगाई जाती हैं। लेखक ने 'जंजीरों' द्वारा उन्हीं पाबंदियों की ओर इशारा किया है। लेखक का अवलोकन बिलकुल सटीक है। आज भी कई स्थान ऐसे हैं जहाँ महिलाओं को पढ़ने से रोका जाता है। कन्याओं की भ्रूण हत्या की जाती है। लड़कियों को यदि पढ़ाया भी जाता है तो केवल इसलिए कि उनकी शादी किसी खाते पीते घर में हो जाये। Chapter Listध्वनि लाख की चूड़ियाँ बस की यात्रा दीवानों की हस्ती चिट्ठियों की दुनिया भगवान के डाकिये क्या निराश कठिन समय नहीं कबीर कामचोर सिनेमा ने बोलना सुदामा चरित जहाँ पहिया है अकबरी लोटा सूर के पद पानी की कहानी बाज और साँप टोपीप्रश्न 2: 'साइकिल आंदोलन' से पुडुकोट्टई की महिलाओं के जीवन में कौन कौन से बदलाव आए हैं? उत्तर: साइकिल आंदोलन ने पुडुकोट्टई की महिलाओं के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव ला दिया है। महिलाएँ अब पहले से अधिक स्वतंत्र हो गई हैं। कहीं आने जाने के लिए अब वे घर के पुरुषों की मोहताज नहीं हैं। अब उनके पास खाली समय भी बच पाता है क्योंकि साइकिल के इस्तेमाल से कहीं आने जाने में समय की बचत होती है। प्रश्न 3: शुरुआत में पुरुषों ने इस आंदोलन का विरोध किया परंतु आर. साइकिल्स के मालिक ने इसका समर्थन किया, क्यों? उत्तर: आर. साइकिल्स के मालिक ने इस आंदोलन का समर्थन इसलिए किया कि इसके कारण उसके दुकान की बिक्री बढ़ गई। उसकी बिक्री और मुनाफे में कई गुना का इजाफा हुआ। प्रश्न 4: प्रारंभ में इस आंदोलन को चलाने में कौन कौन सी बाधा आई? उत्तर: प्रारंभ में लोगों ने साइकिल चलाने वाली महिलाओं पर फब्तियाँ कसीं। उनपर अभद्र टीका टिप्पणी की। प्रश्न 5: आपके विचार से लेखक ने इस पाठ का नाम 'जहाँ पहिया है' क्यों रखा होगा? अपने मन से इस पाठ का कोई दूसरा शीर्षक सुझाइए। अपने दिए हुए शीर्षक के पक्ष में तर्क दीजिए। उत्तर: पहिया गतिशीलता का सूचक माना जाता है। हमारे राष्ट्रीय ध्वज में भी चक्र है जो प्रगति का सूचक है। इस कहानी में साइकिल के कारण होने वाली प्रगति के बारे में बताया गया है। इसलिए लेखक इस पाठ के शीर्षक में पहिये का इस्तेमाल किया है। मेरे हिसाब से इस पाठ का एक और शीर्षक हो सकता है 'साइकिल से स्वतंत्रता' क्योंकि साइकिल चलाना सीखने से महिलाओं को एक नई आजादी मिली है। प्रश्न 6: साइकिल चलाना ग्रामीण महिलाओं के लिए इतना महत्वपूर्ण क्यों है? समूह बनाकर चर्चा कीजिए। उत्तर: आज भी ग्रामीण महिलाओं को कई प्रकार की बंदिशों में रहना पड़ता है। आज शहरों में महिलाएँ लगभग हर क्षेत्र में पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। हमारे देश में महिलाएँ ऊँचे पदों पर आसीन हो चुकी हैं; जैसे प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, मुख्यमंत्री, न्यायाधीश, आदि। लेकिन गाँवों की महिलाओं के लिए अभी यह सब किसी सपने जैसा ही है। साइकिल चलाने से महिलाएँ काफी हद तक स्वतंत्र हो जाती हैं और उनमें एक प्रकार की गतिशीलता आ जाती है। इसलिए साइकिल चलाना ग्रामीण महिलाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। प्रश्न 7: साइकिल को विनम्र सवारी क्यों कहा गया है? उत्तर: जब आपके पास से कोई मोटरसाइकिल या मोटरकार फर्राटे से निकल जाती है तो हो सकता है कि आप भयभीत हो जायें। इंजन वाली गाड़ियाँ प्रदूषण भी फैलाती हैं। लेकिन साइकिल तो बड़े ही आराम से चलती है और पर्यावरण हितैषी होती है। इसलिए साइकिल को विनम्र सवारी कहा गया है।
साइकिल आंदोलन में महिलाओं को कौन कौन सी बाधाएं आई?प्रारंभ में इस आंदोलन को चलाने में कौन-कौन सी बाधा आई? प्रारंभ में इस साइकिल आंदोलन को चलाने में महिलाओं को अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। लोग उन पर गंदी-गंदी टिप्पणियाँ कसते थे लोकन महिलाएँ बिना किसी की परवाह किए निरंतर आगे की ओर अग्रसर ही होती रहीं।
प्रारम्भ में साइकिल आंदोलन को चलाने में कौन कौन सी बाधाएँ आईं?1. 'साइकिल आंदोलन' से पुडुकोट्टई की महिलाओं के जीवन में कौन-कौन से बदलाव आए हैं? 2. शुरूआत में पुरुषों ने इस आंदोलन का विरोध किया परंतु आर.
शुरुआत में महिलाओं को साइकिल चलाता देख लोगों की क्या प्रतिक्रिया थी *?कई बार वे बहुत अजीब होते हैं जैसे उक्त जिले में अपनी पहचान प्रदर्शित करने के लिए साइकिल का चयन किया। वहाँ नव साक्षर लड़कियाँ, महिलाएँ साइकिल चलाती हैं। लेखक के अनुसार साइकिल चलाने संबंधी इस आंदोलन ने महिलाओं के न सिर्फ आर्थिक पक्ष को मजबूत किया बल्कि उनमें एक नए आत्मविश्वास का संचार भी हुआ।
साइकिल चलाने में कौन कौन सी महिलाएं आगे आईं?इसकी प्रशंसकों में हैं-महिला खेतिहर मजदूर, पत्थर खदानों में मजदूरी करने वाली औरतें और गाँवों में काम करने वाली नसें। बालवाड़ी और आँगनवाड़ी कार्यकर्वी, बेशकीमती पत्थरों को तराशने में लगी औरतें और स्कूल की अध्यापिकाएँ भी साइकिल का जमकर इस्तेमाल कर रही हैं।
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