प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा की आवश्यकता - praarambhik baalyaavastha dekhabhaal aur shiksha kee aavashyakata

🔹 शिक्षक को बच्चों को नयी चीजों को सीखने , प्रकृतिक घटनायों का अनुभव करने और अनेक प्रकार के अनुभवों के दिलचस्प अवसर प्रदान करने पर अधिक ध्यान देना चाहिए । इस समय उसकी रचनात्मक अभिव्यक्ति और खोज बीन करने की प्रवृति को बढ़ावा दिया जाता है ।

1.1 बच्चों के मस्तिष्क का 85 प्रतिशत विकास 6 वर्ष की अवस्था से पूर्व ही हो जाता है। बच्चों के मस्तिष्क के उचित विकास और शारीरिक वृद्धि को सुनिश्चित करने के लिए उसके आरंभिक 6 वर्षों को महत्वपूर्ण माना जाता है। वर्तमान समय में, विशेष रूप से सामाजिक-आर्थिक रूप से वंचित पृष्ठ भूमि के करोड़ों बच्चों के लिए गुणवत्तापूर्ण प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा उपलब्ध नहीं है।

इसलिए ईसीसीई में निवेश करने से इसकी पहुँच देश के सभी बच्चों तक हो सकती है जिससे सभी बच्चों को शैक्षिक प्रणाली में भाग लेने और तरक्की करने के समान अवसर मिल सकेंगे। ईसीसीई संभवतया, समता स्थापित करने में सबसे शक्तिशाली माध्यम हो सकता है। प्रारंभिक बाल्यावस्था विकास, देखभाल के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के सार्वभौमिक प्रावधान को जल्द से जल्द, निश्चय ही वर्ष 2030 से पूर्व, उपलब्ध किया जाना चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पहली कक्षा में प्रवेश पाने वाले सभी बच्चे स्कूली शिक्षा के लिए पूरी तरह से तैयार हों।

1.2 ईसीसीई में मुख्य रूप से लचीली, बहुआयामी, बहु-स्तरीय, खेल-आधारित, गतिविधि-आधारित, और खोज-आधारित शिक्षा को शामिल किया गया है। जैसे अक्षर, भाषा, संख्या, गिनती, रंग, आकार, इंडोर एवं आउटडोर खेल, पहेलियाँ और तार्किक सोच, समस्या सुलझाने की कला, चित्रकला, पेंटिंग, अन्य दृश्य कला, शिल्प, नाटक, कठपुतली, संगीत तथा अन्य गतिविधियों को शामिल करते हुए इसके साथ अन्य कार्य जैसे सामाजिक कार्य, मानवीय संवेदना, अच्छे व्यवहार, शिष्टाचार, नैतिकता, व्यक्तिगत और सार्वजनिक स्वच्छता, समूह में कार्य करना और आपसी सहयोग को विकसित करने पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है। ईसीसीई का समग्र उद्देश्य बच्चों का शारीरिक-भौतिक विकास, संज्ञानात्मक विकास, समाज-संवेगात्मक-नैतिक विकास, सांस्कृतिक विकास, संवाद के लिए प्रारंभिक भाषा, साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान के विकास में अधिकतम परिणामों को प्राप्त करना है।

1.3 एनसीईआरटी द्वारा 8 वर्ष की आयु तक के सभी बच्चों के लिए दो भागों में प्रारंभिक बाल्यावस्था की शिक्षा के लिए एक उत्कृष्ट पाठ्यक्रम और शैक्षणिक ढांचा (एनसीपीएफईसीसीई) विकसित किया जाएगा, अर्थात्‌ 0-3 वर्ष के बच्चों के लिए एक सब-फ्रेमवर्क और 3-8 साल के लिए एक अन्य सब-फ्रेमवर्क का विकास किया जाएगा। उपरोक्त दिशानिर्देशों के अनुसार, ईसीसीई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय नवाचार एवं सर्वोत्तम प्रथाओं पर नवीनतम शोध को शामिल करेगा। विशेष रूप से, उन प्रथाओं को जो भारत में कई शताब्दियों से बाल्यावस्था की शिक्षा के विकास के लिए समृद्ध है और वे स्थानीय परंपराओं में विकसित हुईं हैं, जिनमें कला, कहानियां, कविता, खेल, गीत, और बहुत कुछ शामिल हैं, इन सभी को मुख्य रूप से शामिल किया जाएगा। शिक्षा का यह मॉडल माता-पिता दोनों के साथ-साथ आंगनवाड़ी के लिए भी एक मार्गदर्शक के रूप में काम करेगा।

1.4 भारत में चरणबद्ध तरीके से पूरे देश में उच्चतर गुणवत्ता वाले ईसीसीई संस्थानों के लिए सार्वभौमिक पहुँच सुनिश्चित करना वृहद लक्ष्य होगा।इस प्रारंभिक बाल्यावस्था में देखभाल और शिक्षा जैसे महत्वाकांक्षी लक्ष्य तक पहुँच सुनिश्चित करने के लिए इसे सभी छात्र तक पहुंचाना होगा। पिछड़े जिलों और उन क्षेत्रों पर विशेष ध्यान और प्राथमिकता देनी होगी जो सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े हैं।

विस्तृत और सशक्त ईसीसीई संस्थानों द्वारा ईसीसीई प्रणाली को लागू किया जाएगा जिसमें :-

  • पहले से काफी विस्तृत और सशक्त रूप से अकेले चल रहे आंगनवाड़ियों के माध्यम से
  • प्राथमिक विद्यालयों के साथ स्थित आंगनवाड़ियों के माध्यम से
  • पूर्व प्राथमिक विद्यालयों (जो कम से कम 5 से 6 वर्ष पूरा करेंगे) और प्राथमिक विद्यालयों के साथ स्थित हैं, इनके माध्यम से
  • अकेले चल रहे प्री-स्कूल के माध्यम से इसे लागू किया जाएगा। 
  • ये सभी विद्यालय ईसीसीई के पाठ्यक्रम और शिक्षण में प्रशिक्षित कर्मचारियों/ शिक्षकों को भर्ती करेंगे।

1.5 प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा (ईसीसीई) की सार्वभौमिक पहुँच के लिए, आंगनवाड़ी केंद्रों को उच्चतरगुणवत्ता के बुनियादी ढांचे, खेलने के उपकरण और पूर्ण रूप से प्रशिक्षित आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों / शिक्षकों के साथ सशक्त बनाया जाएगा। प्रत्येक आंगनवाड़ी में समृद्ध शिक्षा के वातावरण के साथ अच्छी तरह से डिजाइन किया हुआ हवादार, बाल-सुलभ और निर्मित भवन होगा।  आंगनवाड़ी केन्द्रों में बच्चे गतिविधि से भरे पर्यटन करेंगे, और अपने स्थानीय प्राथमिक स्कूलों के शिक्षकों और छात्रों से मिलेंगे, ताकि आंगनवाड़ी केन्द्रों से प्राथमिक स्कूलों में संक्रमण को सुचारू बनाया जा सके। आँगनवाडियों को स्कूल परिसरों / समूहों, में पूरी तरह से एकीकृत किया जायेगा और आंगनवाड़ी बच्चों, माता-पिता और शिक्षकों को स्कूल / स्कूल के विभिन्न कार्यक्रमों में परस्पर भाग लेने के लिए आमंत्रित किया जायेगा।

1.6 यह परिकल्पना की गई है की 5 वर्ष की आयु से पहले हर बच्चा एक प्रारंभिक कक्षा या "बालवाटिका" (जो कि कक्षा 1 से पहले है) में स्थानांतरित हो जायेगा जिसमे एक ईसीसीई योग्य शिक्षक हैं तैयारी कक्षा में सीखने को मुख्य रूप से खेल-आधारित शिक्षा पर आधारित होना चाहिए, जिसमें संज्ञानात्मक, भावनात्मक और शारीरिक क्षमताओं और प्रारंभिक साक्षरता और संख्या-ज्ञान विकसित करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। दोपहर के (मध्याह्) भोजन कार्यक्रम को प्राथमिक विद्यालय के साथ-साथ तैयारी कक्षाओं तक भी विस्तारित किया जाना चाहिए। स्वास्थ्य के विकास की निगरानी और जांच -परीक्षण जो आंगनवाड़ी व्यवस्था में उपलब्ध हैं, उसे प्राथमिक स्कूलों की तैयारी कक्षाओं के छात्रों को भी उपलब्ध कराया जाएगा।

1.7 ईसीसीई शिक्षकों के शुरुआती कैडर को तैयार करने के लिए आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों /शिक्षकों को एनसीईआरटी द्वारा विकसित पाठ्यक्रम/शिक्षण-शास्त्रीय फ्रेमवर्क के अनुसार एक व्यवस्थित तरीके से प्रशिक्षण दिया जाएगा।

  • 10 + 2 और उससे अधिक योग्यता वाले आंगनवाड़ी कार्यकत्री /शिक्षक को ईसीसीई में 6 महीने का प्रमाणपत्र कार्यक्रम कराया जाएगा; 
  • और कम शैक्षणिक योग्यता रखने वालों को एक वर्ष का डिप्लोमा कार्यक्रम कराया जाएगा जिसमें प्रारंभिक साक्षरता, संख्या और ईसीसीई के अन्य प्रासंगिक पहलुओं को भी शामिल किया जाएगा।
  • इन कार्यक्रमों को डिजिटल / दूरस्थ माध्यम से डीटीएच चैनलों के साथ-साथ स्मार्ट फोन के माध्यम से चलाया जा सकता है, जिससे शिक्षकों को अपने वर्तमान कार्य में न्यूनतम व्यवधान के साथ ईसीसीई योग्यता प्राप्त करने में सहूलियत मिल पाएगी।
  • आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों / शिक्षकों के ईसीसीई प्रशिक्षण को शिक्षा विभाग के क्लस्टर रिसोर्स सेंटर द्वारा मेंटर किया जाएगा और निरंतर मूल्यांकन के लिए कम से कम एक मासिक कक्षा भी चलाएगा। 

दीर्घावधि में, राज्य सरकारों को चरण-विशेष में व्यावसायिक प्रशिक्षण, मार्गदर्शन की व्यवस्था और कैरियर मैपिंग के जरिये आरंभिक बाल्यावस्था में देखभाल और शिक्षा के लिए व्यावसायिक रूप से योग्य शिक्षकों के कैडरों को तैयार करना चाहिए। इन शिक्षकों की प्रारंभिक व्यावसायिक तैयारी और उसके सतत व्यावसायिक विकास (सीपीडी) के लिए आवश्यक सुविधाओं का भी विकास किया जाएगा।

1.8 ईसीसीई को चरणबद्ध तरीके से आदिवासी बहुल क्षेत्रों की आश्रमशालाओं में भी शुरू किया जाएगा। आश्रमशालाओं में ईसीसीई को एकीकृत करने और इसे लागू करने की प्रक्रिया ऊपर दिए गए विवरण के जैसी ही होगी।

1.9 ईसीसीई पाठ्यक्रम और शिक्षण-विधि की जिम्मेदारी मानव संसाधन विकास मंत्रालय की होगी ताकि प्राथमिक विद्यालय के माध्यम से पूर्व-प्राथमिक विद्यालय तक इसकी निरंतरता सुनिश्चित की जा सके और शिक्षा के मूलभूत पहलुओं पर ध्यान केन्द्रित किया जा सके। प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा पाठ्यक्रम की आयोजना और क्रियान्वयन मानव संसाधन विकास मंत्रालय, महिला और बाल विकास (डब्ल्यूसीडी), स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (एमएचएफडब्ल्यू), और जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से किया जाएगा। स्कूली शिक्षा में प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा के सुचारु एकीकरण एवं सतत मार्गदर्शन के लिए एक विशेष संयुक्त कार्य बल (टास्क फोर्स) का गठन किया जाएगा।

प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा का क्या महत्व है?

व्यापक प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा का उद्देश्य जन्म से छह वर्ष की आयु तक के बच्चों की समग्र रूप से वृद्धि, विकास और उनके शिक्षण को प्रोत्साहित करना है। “देखभाल” का अर्थ है बच्चों के लिए एक देखरेख पूर्ण और सुरक्षित परिवेश उपलब्ध कराते हुए उसके स्वास्थय, साफ – सफाई और पोषण पर ध्यान देना।

प्रारंभिक बाल्यावस्था से क्या समझते हैं?

जन्म से लेकर आठ वर्ष की आयु तक की अवस्था को प्रारंभिक बाल्यावस्था माना जाता है । ( a ) जन्म से लेकर 1 वर्ष तक ( b ) 3 से लेकर 8 वर्ष तक । शैशवास्था जन्म से लेकर एक वर्ष की आयु तक की अवधि को शैशवास्था कहते है, हालांकि कुछ विशेषज्ञ शैशवावस्था को 2 वर्ष तक मानते है ।

प्रारंभिक बाल्यावस्था शिक्षा का मुख्य उद्देश्य क्या है?

प्रारम्भिक बाल्यावस्था शिक्षा के दो प्रमुख उद्देश्य होते हैं- (i) आयु विकास की दृष्टि से, खेल आधारित गतिविधियों के उचित कार्यक्रम, पारस्परिक क्रियाओं तथा अनुभवों (जो जीवनपर्यन्त सीखने और विकास के लिए ठोस आधार प्रदान करेंगे) के माध्यम से बच्चों के सर्वांगीण विकास को बढ़ावा देना, तथा (ii) ऐसी विशेष प्रकार की अवधारणाओं ...

ईसीसीई कार्यक्रम की प्रमुख विशेषता क्या है?

ईसीई कार्यक्रम की मुख्य विशेषता पूर्व बाल्यावस्था के 3 से 5 वर्ष की आयु के बच्चों के मानसिक एवं शारीरिक विकास को सुनिश्चित करना है। इस कार्यक्रम के तहत बच्चों के स्वास्थ्य एवं भोजन के पोषण की आवश्यकता पर जोर दिया जाता है। उन्हें साफ-सफाई संबंधी, सलीके से रहने संबंधी आदतों को सिखाया जाता है।