प्राथमिक उपचार का अर्थ क्या है? - praathamik upachaar ka arth kya hai?

प्रथमोपचार यानी वह सहायता या उपचार जो डॉक्टर के आने से पहले जख्मी व्यक्ति को दी जाती है। दुर्घटनाएँ अचानक होती हैं जिसका पूर्व अंदाज नहीं होता, थोड़ी सूझबूझ के साथ, दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति का समय पर उपचार किया जाए तो ज्यादा क्षति होने से उसे बचाया जा सकता है।

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प्राथमिक उपचार का महत्व (Prathmik Upchar ka Mahatva in Hindi)

प्राथमिक उपचार से न केवल व्यक्ति के प्राणों की रक्षा होती है, बलकी इससे व्यक्ति सामान्य से कम समय में स्वस्थ हो जाता है । प्राथमिक उपचार से शारीरिक नुकसान के बहुत बड़े खतरे को टाला जा सकता है । इस चिकित्सा में आप आपातकालीन परिस्थितियों में भी धैर्य बनाये रखना व इसकी आवश्यक प्रक्रियाओं का ज्ञान हासिल कर सकते है । यह आपके आत्मविश्वास को बढ़ाता है जिससे आपातकालीन स्थिति में भी आप अधिक प्रभावपूर्ण उपचार कर पाएंगे।
कुछ ऐसी ही दुर्घटनाओं के वक्त हम किस तरह की सहायता कर सकते हैं, इसका विवरण नीचे दिया है।

कैसे करें प्राथमिक उपचार ? (Prathmik Upchar Kaise Kare in Hindi)

1) हृदयाघात पर प्रथमोपचार (Heart Attack Aane Par Prathmik Upchar in Hindi)

  • जिस इंसान को हृदयाघात हुआ हो, वह इंसान अगर होश में हो तो उसे सहारा देकर आराम से बैठा दें या लिटा दें। ध्यान रहे कि लिटाते वक्त हृदय पर दबाव न पड़ने पाए। तुरंत एम्बुलेंस बुलाएँ।
  • अगर रुग्ण के कपड़े तंग हों तो ढीले कर दें, अगर मुमकिन हो तो बदल देना अच्छा है। कपड़े बदलते वक्त सावधानी बरतें।
  • रुग्ण को एक घंटे के अंदर डॉक्टर के सभी उपचार मिल जाने चाहिए।

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2) पानी में डूबे हुए इंसान पर प्राथमिक चिकित्सा (Pani me Dubne Par Prathmik Upchar in Hindi)

  • अगर आप किसी डूबे हुए इंसान को पानी से बाहर निकालकर ले जा रहे हैं तो ध्यान रखें कि उसका सिर शरीर की अपेक्षा नीचे की तरफ होना आवश्यक है। जिसके कारण पानी शरीर के अंदर जाने की आशंका कम होती है।
  • पानी से बाहर निकालने के पश्चात उसे सूखी जगह पर रखें । तुरंत एम्बुलेंस बुलाएँ। अपने हाथों की दो उंगलियाँ उसकी ठुड्डी (Chin) पर रखकर उसका सिर पीछे की तरफ झुका दें। इससे उसकी श्वास नलिका खुल जाएगी। यह देखें कि उसकी साँसें चल रही हैं या नहीं। अगर साँसें नहीं चल रही हों तो उसके मुँह से मुँह लगाकर कृत्रिम साँस दें।
  • पानी से बाहर निकाले हुए इंसान को ठंड लगने की आशंका रहती है, अगर मुमकिन हो तो उसके कपड़े बदल दें। ठंड से बचाने के लिए उसे गरम कपड़ा (कंबल वगैरह) ओढ़ा दें। वह इंसान अगर होश में हो तो उसे गर्म पेय पीने को दें।

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3) छोटे बच्चों के हृदय की धड़कन रुकने पर प्रथमोपचार (Hriday ki Dhadkan Rukne Par Prathmik Upchar in Hindi)

  • छोटे बच्चों के हृदय की धड़कन रुकने का कारण है – फेफड़ों द्वारा खून का ठीक से ऑक्सीकरण न होना। बच्चों को होश में लाने का उपाय उनकी उम्र को देखते हुए करना चाहिए।
  • बच्चे की सांस चल रही है या नहीं इसे जाँचने के लिए अपना गाल उसके नाक के पास ले जाकर साँस को महसूस करें।
  • बच्चे को कृत्रिम सांस देने के लिए उसके होठों पर अपने होठ इस तरह रखें ताकि उसकी नाक भी बंद हो जाए। फिर दीर्घ एवं गहरी सांस लेकर बच्चे को साँस दें। उसकी छाती में हवा भर जाएगी। दाएँ हाथ की पहली दो उंगलियों से निपल लाइन से दो उंगली दूर नीचे के प्वाइंट पर दृढ़ता से दबाव दें। ऐसा पाँच बार करें और बच्चे का चेहरा देखें। डॉक्टर की सहायता उपलब्ध होने तक ऐसा करते रहें।
  • बच्चे की नाड़ी देखें। बगल के पास बाजू पर दो उंगलियां रखकर नाड़ी जाँचें।

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4) मानसिक आघात के कारण होने वाले जख्म पर प्रथमोपचार (Mansik Aaghat Lagne Par Prathmik Upchar in Hindi))

  • रुग्ण को सीधा लिटा दें। सिर की अपेक्षा पैर एक फुट ऊंचाई पर रखें, जिससे हृदय की तरफ रक्त प्रवाह होने में आसानी होती है। मानसिक आघात के कारण का पता लगाकर उस पर उपचार करें।
  • रुग्ण के कपड़े जैसे नेक टाय, ब्लाउज, बेल्ट इत्यादि ढीला कर दें।
  • रुग्ण को शाल या ब्लैंकेट में लपेट दें। एम्बुलेंस बुलाएँ।
  • रुग्ण की नाड़ी एवं साँस पर ध्यान रखें। ज़रूरत पड़ने पर कृत्रिम सांस देने की तैयारी रखें।

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5) जले हुए इंसान की प्राथमिक चिकित्सा (Jalne Par Prathmik Upchar in Hindi)

  • ज़्यादा जले हुए इंसान को जमीन पर लिटा दें, ध्यान रखें, रुग्ण के जख्मों को जमीन की तकलीफ न हो । जले हुए भाग पर ठंडे पानी की धार डाल सकते हैं। जिसके कारण उसे जलन कम होगी और हानि भी नहीं होगी। साँस अगर अटक रही हो तो कृत्रिम साँस दें। दुर्घटनाग्रस्त इंसान अगर बेहोश हो रहा हो तो उसे रिकवरी पोजिशन में रखें।
  • जले हुए भाग पर सूजन चढ़ने से पहले ही रुग्ण के तंग कपड़े, घड़ी, ब्रेसलेट, अंगूठी इत्यादि उतार दें। तुरंत एम्बुलेंस बुलाएँ। त्वचा पर चिपके हुए कपड़ों को भूल से भी न खींचे। त्वचा पर चिपका कपड़ा खींचने से जख्म बढ़ने का खतरा होता है।
  • जख्म पर इंफेक्शन होने का डर रहता है। अगर आपके पास स्टेरलाइज्ड बैन्डेज उपलब्ध हो तो उससे जख्म को ढक दें। अगर स्टेरलाइज्ड बैन्डेज न हो तो सूती कपड़े से जख्म को ढक दें।

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6) फैक्चर होने पर प्राथमिक उपचार (Haddi Tutne Par Prathmik Upchar in Hindi)

a) हाथ की हड्डी टूटने पर प्रथमोपचार

अगर हाथों की हड्डी टूट जाए तो दूसरे हाथ से टूटे हुए हाथ को सहारा दें। बाद में एक स्कार्फ या चौकोर कपड़ा लेकर उसकी तिरछी घड़ी (त्रिकोण) करें व उसका स्लिंग तैयार करें। यह त्रिकोण कपड़ा रुग्ण के टूटे हुए हाथ के नीचे से लेकर ऊपर से निकाले। दोनों किनारे (एंड) गर्दन के पीछे बांध दें, इससे हाथ को सहारा मिलेगा, दर्द कम होगा। अगर कंधे या गर्दन की हड्डी प्रभावित होगी तो एक कपड़े की तिरछी पट्टी बाँधकर हाथ को जिस तरफ से लगाना हो उस हिस्से से सहारा दें।

b) पैर की हड्डी टूटने पर प्रथमोपचार

तुरंत एम्बुलेंस बुलाएँ। एम्बुलेंस आने तक पैर को नीचे व ऊपर से सहारा दें।
एम्बुलेंस आने तक पैर को थोड़ा सा ट्रैक्शन दें। ट्रैक्शन से दर्द थोड़ा कम होता है, उसी तरह अगर खून बह रहा होगा तो वह कम होगा। पैर को धीरे से खींचकर सीधा खींचें, दूसरा पैर भी सीधा रखें।
दोनों पैरों को जोड़कर कपड़े की पट्टियाँ पैर के नीचे से निकालकर घुटने के नीचे से लेकर ऊपर तक लाएँ, दोनों पैर के बीच में पॅडिंग करते पट्टी को अंग्रेजी के आठ के आकार में बाँधे । बची हुई पट्टी भी घुटने तक बाँध दें।

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7) मिर्गी आकर बेहोश होने पर प्रथमोपचार (Behosh Hone Par Prathmik Upchar in Hindi)

  • फिट से ग्रसित इंसान अगर होश में हो तो कंधे और सिर को सहारा देकर उसे सीधा लिटा दें।
  • सिर के नीचे तकिया या कंबल रखें ताकि सिर स्थिर रह सके।
  • रुग्ण को अगर ठंड लग रही हो तो उसे कंबल ओढ़ा दें।
  • रुग्ण के कपड़े ढीले कर दें, साँस एवं नाड़ी जाँचते रहें।

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8) बिजली का झटका लगने पर प्राथमिक उपचार (Bijli ka Jhatka Lagne Par Prathmik Upchar in Hindi)

  • बिजली का झटका (शॉक) लगने पर सर्वप्रथम मेन स्विच बंद कर दें। मेन स्विच बंद करने न आए तो
  • किसी लकड़ी या सूखे कपड़े की सहायता से वह उपकरण बाजू में कर दें जिसकी वजह से शॉक लगा है। शॉक लगे इंसान को हाथ लगाने की गलती न करें।
  • शॉक लगा हुआ इंसान अगर बेहोश हो गया हो तो उसे रिकवरी पोजीशन में सुलाएँ। तुरंत एम्बुलेंस बुलाएँ। उस इंसान को होश में लाने का प्रयत्न करें।
  • बिजली के झटके से अगर जख्म हो गया हो तो उस इंसान को धीरज देते हुए खून रोकने की कोशिश करें। जख्म की जगह पर अगर कपड़ा हो तो उसे हटाकर स्टेरलाइज्ड पट्टी बाँध दें।
  • जख्म में अगर काँच या कोई भी वस्तु गई हो तो उसे निकालने का प्रयत्न न करें, उसे तुरंत अस्पताल में डॉक्टर के पास ले जाएँ।

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9) उष्माघात पर प्रथमोपचार

  • उष्माघात का अर्थ है कि इंसान के शरीर का तापमान बहुत अधिक बढ़ना इसलिए उस इंसान के सिर पर गीली चादर डालें, उसे सतत् हवा दें। उस इंसान के सिर पर नमक की ठंढे पानी की पट्टी रखें। शरीर का तापमान सामान्य होने तक उसे गीली चादर में ही रखें।
  • उष्माघात से पीड़ित इंसान को बहुत सारा पानी पिलाएं । एक लीटर पानी में चम्मचभर नमक डालकर पिलाने से जल्दी लाभ होगा।
  • उष्माघात से पीड़ित इंसान को छाँव में, ठंडी हवा में सीधे सुलाएँ। फर्स्ट एड के दरमियान अगर इंसान ठीक भी होता है, तब भी डॉक्टर को अवश्य दिखाएं।
  • शरीर का तापमान सामान्य होने तक पानी की पट्टी रखते रहें। डॉक्टर की सहायता मिलने तक रुग्ण पर सतत् ध्यान दें। तापमान बढ़ने लगे तो ऊपर बताए प्रयोग फिर से दोहराएँ। कृत्रिम साँस की जरूरत पड़े तो वह प्रथमोपचार भी करें।

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प्राथमिक उपचार का क्या अर्थ है?

किसी रोग के होने या चोट लगने पर किसी अप्रशिक्षित व्यक्ति द्वारा जो सीमित उपचार किया जाता है उसे प्राथमिक चिकित्सा (First Aid) कहते हैं। इसका उद्देश्य कम से कम साधनों में इतनी व्यवस्था करना होता है कि चोटग्रस्त व्यक्ति को सम्यक इलाज कराने की स्थिति में लाने में लगने वाले समय में कम से कम नुकसान हो।

प्राथमिक उपचार के क्या लाभ हैं?

प्राथमिक उपचार का प्राथमिक ज्ञान एक व्यक्ति और समाज दोनों के लिए सहायक होता है। यह आपको ऐसे व्यक्तियों को बनाए रखने में सहायता करता है जो अंततः किसी दुर्घटना या किसी दुखद स्थिति में घायल हो जाते हैं जब तक कि आवश्यक सहायता नहीं मिल जाती है।

प्राथमिक चिकित्सा के जनक कौन हैं?

लेकिन सही मायने में प्राथमिक चिकित्सा की अवधारणा की नींव रखने का श्रेय प्रशा (जर्मन साम्राज्य) के सैन्य सर्जन, फ्रेड्रिक वॉन एस्मार्च को जाता है, जिन्होंने सन 1870 में औपचारिक रूप से फ्रांसिसि-जर्मन युद्ध के लिए सैनिकों को प्राथमिक चिकित्सा (erste hilfe एर्स्ट हिल्फ के नाम से जिसका अर्थ First Aid होता है) प्रशिक्षण ...

हड्डी टूटने का प्राथमिक उपचार क्या है?

फ्रैक्चर के लिए प्राथमिक उपचार सुनिश्चित करें कि घायल व्यक्ति सदमे की स्थिति में नहीं है, और हड्डी को स्थिर करने के लिए एक पट्टी का उपयोग करें जब तक कि व्यक्ति को उचित चिकित्सा सहायता न मिल जाए।