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ग्राम सभा में प्रस्ताव पारित कर आबकारी विभाग को भेजते ही गांव से हट जाएगा ठेका प्रतापगढ़ सहित प्रदेश के 5034 गांवों को पेसा एक्ट में शराबबंदी का अधिकार, वोटिंग की जरूरत ही नहीं जयपुरकेरोजदा गांव और राजसमंद के काछबली गांव में लंबे संघर्ष और आंदोलन के बाद वोटिंग की प्रक्रिया के शराब का ठेका बंद करवाया। वहीं प्रदेश की 23 तहसीलों के 5034 गांवों के पास ऐसा अधिकार है जिसके दम पर उन्हें ठेका हटवाने के लिए तो किसी आंदोलन की जरूरत है और ही प्रशासनिक वोटिंग प्रक्रिया की। यह अधिकार उनको देता है, 1996 से देशभर के राजस्थान सहित आठ राज्यों में लागू किया गया पंचायतों के प्रावधान (अनुसूचित क्षेत्र का विस्तार) अधिनियम 1996 यानी पेसा एक्ट। इस एक्ट के अनुसार अनुसूचित क्षेत्र की सभी ग्राम सभाओं को अधिकार है कि वह अपने क्षेत्र में स्थित शराब ठेका हटवा सकती हैं। प्रदेश में पांच जिलों उदयपुर, बांसवाड़ा, डूंगरपुर, प्रतापगढ़ और सिरोही जिले के आबू रोड की 23 तहसीलें इस अधिनियम के दायरे में आती हैं, जहां 41.88 लाख जनसंख्या है। यहां आबकारी विभाग की यहां लगभग 300 दुकानें देशी और 100 विदेशी मदिरा की हैं। जागरूकता के अभाव में एक्ट बनने के दो दशकों के दौरान आबकारी विभाग के पास इन पंचायतों से ठेका हटवाने के लिए अब तक एक भी ऐसा आवेदन नहीं आया है। ^पेसा एक्ट के तहत शराब बंदी को लेकर अभी तक आवेदन नहीं आया है। संबंधित पंचायतों से कोई आवेदन आएगा तो हम नियमों के अनुसार कार्रवाई करेंगे। -ओपीयादव, आयुक्त, आबकारी विभाग ^ग्राम सभाओं में पेसा एक्ट के बारे में बताया जा रहा हैै कि ग्रामीण शराबबंदी करे। पेसा एक्ट के तहत ऐसे अधिकार है इसकी जानकारी नहीं है। मोतीलालमीणा, सरपंच रामपुरिया ग्राम पंचायत पीपलखूंट ^पिछलेकाफी समय से ग्राम सभाओं में शराब बंदी के लिए ग्रामीणों को प्रेरित कर प्रस्ताव लेते है लेकिन किस तरह क्रियान्वित करें इसकी जानकारी नहीं है। कालूरामकलासुआ, शक्करकंद पंचायत, धरियावद ^साल में 2-3 ग्राम सभाएं करते हैं लेकिन पेसा एक्ट में शराब बंदी की जा सकती है इसके बारे में पता नहीं है। -कैलाशवागवान, सरपंच अरनोद यह कहता है पेसा नियम पेसाअधिनियम के तहत राजस्थान में 2011 के नियम 29 के तहत किसी मादक पदार्थ के विक्रय औैर उपभोग को विनियमित करना अधिनियम - ग्राम सभा क्षेत्र में अवैध मदिरा के विनिर्माण या विक्रय के तहत मदिरा की दुकानों को हटवा सकती है। इसमें ग्राम सभा के संकल्प की एक प्रतिलिपि जिला कलेक्टर और आबकारी आयुक्त को भेजनी होगी। कलेक्टर को संकल्प की वास्तविकता को जांचने के लिए अधिकारी नियुक्त करना होगा। नियम 30 के अनुसार महिलाओं के विचारों को उच्च दर्जा दिया गया है। आबकारी महुआ-हथकड़ को नहीं मानता देशी आदिवासीक्षेत्रों में बनने वाली महुआ और हथकड़ शराब को आबकारी विभाग देशी शराब नहीं मनता। विभाग इस कारोबार के कारण राजस्व में हानि समझ इसे अवैध की श्रेणी में लेकर आए दिन शराब के भट्टों पर कार्रवाई करता है। इधर पेसा अधिनियम के जानकार डॉ. भरत कुमार श्रीमाली का कहना है कि राजस्थान पेसा अधिनियम के अनुसार अनुसूचित क्षेत्र के आदिवासी के संदर्भ में आबकारी अधिनियम 1950 और 1956 में संशोधन कर देशी शराब को भी शामिल करना चाहिए। इससे आदिवासी क्षेत्र में प्रकरण नहीं बनेंगे और लोगों को जेल कम जाना पड़ेगा। पंचायतों में ग्राम सभाएं नहीं होने से शासन सचिवालय ने पिछले साल आदेश जारी कर सभाएं करवाने के लिए कहा था। हालांकि इन गांवों में जागरूकता के लिए गांव गणराज्य शिलालेख की स्थापना की जा रही है जिसमें पेसा के सभी नियम लिख हैं। ^जनजाति क्षेत्र में आने वाले गांवों को पेसा एक्ट अधिनियम ने अपने क्षेत्र से शराब ठेकों को हटवाने अधिकार दिया है। क्षेत्र में उनको ग्राम सभा में सर्वसम्मति से निर्णय लेकर आबकारी आयुक्त को पत्र भेजना होगा। पत्र में लिखना होगा कि ग्राम सभा में प्रस्ताव पारित कर निर्णय लिया गया है कि क्षेत्र में विभाग से शराब की दुकान को लाइसेंस दिया गया है उस रद्द किया जाए। -हेमंतपालीवाल, प्रदेश प्रतिनिधि, राजस्थान ग्राम सेवक संघ, उदयपुर डेली अपडेट्स
पेसा अधिनियम के प्रावधान, अनुच्छेद
244(1), भारत में जनजातीय नीति। पेसा अधिनियम से संबंधित मुद्दे, पेसा अधिनियम को लागू करने के लाभ। चर्चा में क्यों?गुजरात में विभिन्न चुनावी दल पंचायत उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम (पेसा), 1996 को सख्ती से लागू करने का वादा करके आदिवासियों को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं।
पेसा अधिनियम:
पेसा अधिनियम में ग्राम सभा का महत्त्व:
पेसा से संबंधित मुद्दे:
भारत की जनजातीय नीति:
आगे की राह
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस× पेसा अधिनियम राजस्थान में कब लागू हुआ?प्रश्न 3. राजस्थान 'पेसा' नियम कब से लागू हुए ? उत्तर राजस्थान 'पेसा' नियम - 2 नवम्बर, 2011 से गज़ट अधिसूचना पश्चात् लागू हुए।
राजस्थान के कितने जिलों में पेसा एक्ट लागू है?प्रदेश में पांच जिलों उदयपुर, बांसवाड़ा, डूंगरपुर, प्रतापगढ़ और सिरोही जिले के आबू रोड की 23 तहसीलें इस अधिनियम के दायरे में आती हैं, जहां 41.88 लाख जनसंख्या है।
पेसा अधिनियम कब आया?वर्ष 1995 में भूरिया समिति की सिफारिशों के बाद भारत के अनुसूचित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों हेतु आदिवासी स्वशासन सुनिश्चित करने के लिये पेसा अधिनियम 1996 अस्तित्व में आया।
पेसा अधिनियम कितने राज्य में लागू है?1995 में भूरिया समिति द्वारा प्रस्तुसत की गई रिपोर्ट के आधार पर, संसद ने पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्ताीर) अधिनियम, 1996 (पेसा) को 10 राज्यों अर्थात्, आंध्र प्रदेश, छत्तीोसगढ़, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्रप, उड़ीसा, राजस्थाषन और तेलंगाना में अधिसूचित अनुसूची V क्षेत्रों में कतिपय आशोधनों ...
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