पुस्तक बिल्ली महिला आदि क्या कहलाते हैं i शब्द समूह ii पद iii स्वतंत्र पद iv पदबंध - pustak billee mahila aadi kya kahalaate hain i shabd samooh ii pad iii svatantr pad iv padabandh

स्नेहल की बिल्ली

      तारापुर के संगम मुहल्ले में एक लड़की रहती थी। उसका नाम स्नेहल था। स्नेहल सातवीं कक्षा की विद्यार्थी थी। कुछ ही दिनों में उसकी परीक्षा शुरू होने वाली थी इसलिए वह रोज शाम को अपनी सहेली टीना के घर पढ़ाई करने जाने लगी। एक दिन पढ़ाई करते-करते दोनों को समय का पता ही नहीं चला। जब उन्होंने घड़ी देखी तो रात के ९.३० बज रहे थे। स्नेहल ने अपनी पुस्तक हाथ में ली और टीना से विदा लेते हुए जैसे ही वह घर से बाहर निकली अचानक जोर से बिजली कड़कने लगी।

      स्नेहल जल्दी-जल्दी कदम बढ़ाकर चलने लगी। वह आधे रास्ते तक ही पहुँची थी तब तक तेज पानी बरसने लगा। उसने पास की दुकान से एक थैली खरीदी और अपनी पुस्तक को भीगने से बचा लिया। वह वहीं खड़ी होकर बारिश के रुकने का इंतजार कर रही थी, तब उसे याद आया कि कल तो राखी का त्योहार है और उसे त्योहार की तैयारी भी करनी थी। यह सब सोचते-सोचते अचानक उसकी नजर एक बिल्ली पर पड़ी, जो पानी में पूरी तरह भीगकर काँप रही थी। स्नेहल ने जब उसे देखा तो उसे उस बिल्ली पर दया आ गई। उसने उस बिल्ली को अपने हाथ में उठा लिया। अब बारिश भी बंद हो गई थी। स्नेहल घर के लिए निकल पड़ी। घर पहुँचते ही उसने बिल्ली को सूखे कपड़े से पोछा और दूध पिलाया। बिल्ली दूध पीकर थोड़ी स्वस्थ दिखने लगी। स्नेहल ने उसे अपने कमरे के एक कोने में छोटा-सा बिस्तर लगाकर सुला दिया और फिर वह हाथ-मुँह धोकर खाना खाने चली गई। माँ-पापा ने उसके इस कार्य के लिए उसे शाबाशी दी।

      सुबह जब वह सोकर उठी तो उसने देखा कि बिल्ली एकदम स्वस्थ हो गई थी। स्नेहल ने जल्दी-जल्दी तैयार होकर अपने भाई को राखी बाँधी और मिठाई खिलाई। उसके भाई ने उसे ढेर सारे तोहफे दिए, जिसे देखकर वह खुश हो गई। राखी के त्योहार पर इस बिल्ली को मिले नए जीवन की वजह से स्नेहल ने बिल्ली का नाम राखी रख दिया। अब दोनों दोस्त बनकर साथ रहने लगीं।

सीख: जीवों पर दया करनी चाहिए।