पुष्पा नाम का नक्षत्र क्या है? - pushpa naam ka nakshatr kya hai?

पुष्पा नाम की राशि क्या है? (What is the Pushpa Name Rashi, Pushpa Naam ki Rashi, Information in Hindi), पुष्पा नाम के राशि के बारे में जानकारी.


पुष्पा नाम का नक्षत्र क्या है? - pushpa naam ka nakshatr kya hai?
पुष्पा नाम का नक्षत्र क्या है? - pushpa naam ka nakshatr kya hai?

पुष्पा नाम की राशि (Pushpa Name Rashi)

  • पुष्पा नाम की राशि:  कन्या (Virgo)
  • लिंग:  स्त्री (Female)
  • नाम की लंबाई:  2.5 अक्षर

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कन्या राशि (Virgo Zodiac)

इस राशि का स्वामी बुध है, और यह राशिचक्र में छठी राशि है. यह दक्षिण दिशा की द्योतक राशि है और इस राशि का चिह्न हाथ में फूल की डाली लिये कन्या है. इस राशि के जातक संकोची और शर्मीले प्रभाव के साथ झिझकने वाले होते है, यह अपनी भावनाओं पर ज्यादा देर नियंत्रण नही रख पाते.

पुष्य का अर्थ है पोषण करने वाला, ऊर्जा व शक्ति प्रदान करने वाला. मतान्तर से पुष्य को पुष्प का बिगडा़ रूप मानते हैं। पुष्य का प्राचीन नाम तिष्य शुभ, सुंदर तथा सुख संपदा देने वालाहै। विद्वान इस नक्षत्र को बहुत शुभ और कल्याणकारी मानते हैं। विद्वान इस नक्षत्र का प्रतीक चिह्न गाय का थन मानते हैं। उनके विचार से गाय का दूध पृ्थ्वी लोक का अमृ्त है। पुष्य नक्षत्र गाय के थन से निकले ताजे दूध सरीखा पोषणकारी, लाभप्रद व देह और मन को प्रसन्नता देने वाला होता है। राशि में 3 डिग्री 20 मिनट से 16 डिग्री 40 मिनट तक होती है। यह क्रान्ति वृ्त्त से 0 अंश 4 कला 37 विकला उत्तर तथा विषुवत वृ्त्त से 18 अंश 9 कला 59 विकला उत्तर में है। इस नक्षत्र में तीन तारे तीर के आगे का तिकोन सरीखे जान पड़ते हैं। बाण का शीर्ष बिन्दु या पैनी नोंक का तारा पुष्य क्रान्ति वृ्त्त पर पड़ता है। पुष्य को ऋग्वेद में तिष्य अर्थात शुभ या माँगलिक तारा भी कहते हैं। सूर्य जुलाई के तृ्तीय सप्ताह में पुष्य नक्षत्र में गोचर करता है। उस समय यह नक्षत्र पूर्व में उदय होता है। मार्च महीने में रात्रि 9 बजे से 11 बजे तक पुष्य नक्षत्र अपने शिरोबिन्दु पर होता है। पौष मास की पूर्णिमा को चन्द्रमा पुष्य नक्षत्र में रहता है। इस नक्षत्र का स्वामी ग्रह शनि है।

पुष्य नक्षत्र का स्वामी शनि ग्रह होता है। ज्योतिषशास्त्र में पुष्य नक्षत्र को बहुत ही शुभ माना गया है। वार एवं पुष्य नक्षत्र के संयोग से रवि-पुष्य जैसे शुभ योग का निर्माण होता है। इस नक्षत्र में जिसका जन्म होता है वे दूसरों की भलाई के लिए सदैव तत्पर रहते हैं, इन्हें दूसरों की सेवा एवं मदद करना अच्छा लगता है।। इन नक्षत्र के जातक को बाल्यावस्था में काफी मुश्किलों एवं कठिनाईयों से गुजरना पड़ता है। कम उम्र में ही विभिन्न परेशानियों एवं कठिनाईयों से गुजरने के कारण युवावस्था में कदम रखते रखते परिपक्व हो जाते हैं। इस नक्षत्र के जातक मेहनत और परिश्रम से कभी पीछे नहीं हटते और अपने काम में लगन पूर्वक जुटे रहते हैं। ये अध्यात्म में काफी गहरी रूचि रखते हैं और ईश्वर भक्त होते हैं। इनके स्वभाव की एक बड़ी विशेषता है कि ये चंचल मन के होते हैं। ये अपने से विपरीत लिंग वाले व्यक्ति के प्रति काफी लगाव व प्रेम रखते हैं। ये यात्रा और भ्रमण के शौकीन होते हैं। ये अपनी मेहनत से जीवन में धीरे-धीरे तरक्की करते जाते हैं। पुष्य नक्षत्र में पैदा लेने वाले व्यक्ति अपनी मेहनत और लगन से जीवन में आगे बढ़ते हैं। ये मिलनसार स्वभाव के व्यक्ति होते हैं। ये गैर जरूरी चीज़ों में धन खर्च नहीं करते हैं, धन खर्च करने से पहले काफी सोच विचार करने के बाद ही कोई निर्णय लेते हैं। ये व्यवस्थित और संयमित जीवन के अनुयायी होते हैं। अगर इनसे किसी को मदद चाहिए होता है तो जैसा व्यक्ति होता है उसके अनुसार उसके लिए तैयार रहते हैं और व्यक्तिगत लाभ की परवाह नहीं करते। ये अपने जीवन में सत्य और न्याय को महत्वपूर्ण स्थान देते हैं। ये किसी भी दशा में सत्य से हटना नही चाहते, अगर किसी कारणवश इन्हें सत्य से हटना पड़ता है तो, ये उदास और खिन्न रहते हैं। ये आलस्य को अपने ऊपर हावी नहीं होने देते, व एक स्थान पर टिक कर रहना पसंद नहीं करते।

पवित्र है पुष्य नक्षत्र[संपादित करें]

सत्ताइस नक्षत्रों में आठवां नक्षत्र है पुष्य। सभी नक्षत्रों में इस नक्षत्र को सबसे अच्छा माना जाता है। सभी नए सामान की खरीदारी, सोना, चांदी की खरीदारी के लिए पुष्य नक्षत्र को सबसे पवित्र माना जाता है। ऐसा क्यों हैं? चंद्रमा धन का देवता है, चंद्र कर्क राशि में स्वराशिगत माना जाता हैं। बारह राशियों में एकमात्र कर्क राशि का स्वामी चंद्रमा है और पुष्य नक्षत्र के सभी चरणों के दौरान ही चंद्रमा कर्क राशि में स्थित होता है। इसके अलावा चंद्रमा अन्य किसी राशि का स्वामी नहीं है। इसलिए पुष्य नक्षत्र को धन के लिए अत्यन्त पवित्र माना जाता है।

तंत्र मंत्र जादू टोने बेअसर[संपादित करें]

तंत्र मंत्र टोने टोटके जादू आदि कर्मों के यूं तो अनेक नियम हें और अनेक मर्यादायें हें, इन्‍हीं में से एक मर्यादा यह है कि पुष्‍य नक्षत्र में जन्‍मे लोगों पर तंत्र मंत्र जादू टोने टोटके का प्रयोग नहीं करना चाहिये, इन लोगों पर किये गये ऐसे प्रयोग स्‍वत: निष्‍फल होकर उल्‍टे करने वाले पर ही विपरीत असर डाल देते हैं। अत: किसी ऐसे प्रयोग के करने से पहले ऐसा जन्‍म नक्षत्र संबंधी, जन्‍म तिथि आदि संबंधी विचार परम आवश्‍यक होते हैं। मसलन अमावस्‍या या पूर्णिमा को जन्‍म लेने वालों पर या प्रबल ग्रह स्‍थिति वाले लोगों पर, राजा आदि पर तंत्र मंत्र जादू टोना टोटका आदि प्रयोग नहीं करना चाहिये, फिर भी किया जाये तो निष्‍फल हो जाता है और प्रयोग कर्ता पर ही विपरीत प्रभाव डाल कर उसे हानि पहुँचा देता है।

हमेशा प्रयोग कर्ता को अपने व प्रयोग के लिये उपयोग किये जा रहे व्‍यक्‍ति के ग्रहों की स्‍थिति का गहरा ज्ञान अवश्‍य कर लेना चाहिये। सदैव टकराव ग्रहों का ग्रहों से होता है और जिसके ग्रह नक्षत्र योग तिथि आदि बलवान होते हें, सदैव वही विवजयी होता है। यह तथ्‍य भी स्‍मरण रखना चाहिये कि पैदल पर पैदल का वार और सवार पर सवार का वार, राजा पर राजा का वार ही सर्वोचित एवं सर्वोत्‍तम नीति है। पुष्‍य नक्षत्र के मध्‍य में यानि द्वितीय एवं तृतीय चरण में जनमे लोग बेहद प्रबल होते हैं, इनसे सदैव तंत्र आदि प्रयोंगों से दूर ही रहना चाहिये। आल्‍हा में एक पंक्‍ति इस संबंध में एक पंक्‍ति कही गयी है - पुष्‍य नक्षत्र में मलखे जनमो, बारहीं परी है बिसपित जाय। अष्‍ट सनीचर आय कें बैठो देखत किला भसम होय जाय।। आचार्य चाणक्‍य का सूत्र है कि ग्रह ही राज्‍य देते हें, ग्रह ही राज्‍य का हरण कर लेते हें। अत: जन्‍मकुण्‍डली के ग्रहों, चालू गोचर के ग्रहों आदि का इन प्रयोंगों में विचार करना अत्‍यंत आवश्‍यक रहता है। इसी प्रकार पति अपनी पत्‍नी पर और पत्‍नी अपने पति पर तंत्र प्रयोग न करे, इस प्रकार के प्रयोग मर्यादा विरूद्ध हैं। पिता पुत्र पर और पुत्र अपने पिता पर, सगे भाई एक दूसरे पर, बहिन भाई एक दूसरे पर कभी भूल कर भी ऐसे प्रयोग न करें क्‍योंकि ये मर्यादा विरूद्ध होने के साथ रक्‍तांश के कारण करने वाले पर स्‍वयं पर भी वार करते हैं, वहीं पति पत्‍नी आपस में अर्धांग होने से खुद ही खुद पर वार कर बैठते हें जिससे उन दोनों को खुद ही खुद द्वारा हानि पहुँचा दी जाती है। भोजन करते व्‍यक्‍ति, सो रहे निद्रा मग्‍न व्‍यक्‍ति, संभोग अथवा मैथुनरत व्‍यक्ति, बीमार, वृद्ध और बच्‍चों पर भी ऐसे प्रयोग मर्यादा विरूद्ध होते हैं।

पुष्पा नाम के लोग कैसे रहते हैं?

Pushpa naam ke vyakti ka vyavhar kaisa hota hai. पुष्प नाम के लोग संकोची और झिझकने वाले स्वभाव के हो सकते हैं, हालाँकि जीवन में शिक्षा और सफलता हासिल करने के साथ-साथ इनकी लज्जा और शर्म कम हो सकती है। पुष्प नाम वाले लोगों को बेवजह गुस्सा नहीं आता लेकिन जब आता है तो जल्दी समाप्त नहीं हो सकता है।

पुष्पा नाम का क्या मतलब होता है?

पुष्पा नाम का अर्थ फूल के समान नाजुक महिला से है। क्योंकि 'प' अक्षर कन्या राशि में आता है, इसलिए यह नाम भी कन्या राशि के अंतर्गत आता है।

पुष्पराज की राशि क्या है?

पुष्पराज नाम के व्यक्ति की राशि कन्या है।