‘उषा की दीपावली’ लघुकथा द्वारा प्राप्त संदेश लिखिए। Show
'उषा की दीपावली एक शिक्षाप्रद लघुकथा है। इस कथा में कई ऐसे प्रसंग हैं, जिनमें अनेक संदेश छुपे हुए हैं। बालिका उषा के घर में दीपावली के अवसर पर तरह-तरह के पकवान बनाए गए हैं, पर उषा की पसंद बाजारू चीजें हैं। इससे उसके मन में घर में बनी चीजों के प्रति अरुचि और बाजारू चीजों के प्रति आकर्षण के भाव दिखाई देते हैं, जो उचित नहीं हैं। बालिकाउषा सफाई करने वाले बबन को आटे के बुझे हुए दीप कचरे के डिब्बे में न डालकर
उन्हें सेंक कर खाने के लिए अपनी जेब में रखते हुए देखती है, तो उसकी आँखें ताज्जुब से भर उठती हैं। उसे लगता है कि एक ओर ऐसे लोग हैं, जो अनाज के एक-एक कौर को तरस रहे हैं और दूसरी ओर दावतों में भरी-भरी प्लेटें कचरे डिब्बें के हवाले कर दी जाती हैं, जिनसे कितने भूखे लोगों का पेट भर सकता था। इससे अन्न का सदुपयोग करने और उसकी बरबादी न करने का संदेश मिलता है। Chapter 2: लघुकथाएँ (उषा की दीपावली, मुस्कु राती चोट) लिखिए :दावत में होने वाली अन्न की बरबादी पर उषा की प्रतिक्रियाSOLUTION देवताओं में मेहमान प्लेट भर-भर कर खाना लेते हैं और जरा-जरा सा टूँग कर जूठे खाने से भरी प्लेट कचरे के डिब्बे में डाल देते हैं। दूसरी ओर अनेक ऐसे लोग हैं, जो दानेदाने के लिए तरसते हैं और वे भूखे-पेट सो जाते हैं। यह सोच कर उसकी आँखों में आँसू आ जाते हैं। संवादों का उचित घटनाक्रम(१) "रुपये खर्च हो गए मालिक"(२) "स्कूल नहीं जाता तू? अजीब है...!"(३) “अरे क्या हुआ ! जाता क्यों नहीं?"(४) “माँ, बाल मजदूरी अपराध है न?"समूह में से विसंगति दर्शाने वाला कृदंत/तद्धित शब्द चुनकर लिखिए -मानवता, हिंदुस्तानी, ईमानदारी, पढ़ाईSOLUTION पढ़ाई : (पढ़ + आई - कृत प्रत्यय) कृदंत थकान, लिखावट, सरकारी, मुस्कुराहटSOLUTION सरकारी: (सरकार +ई - तदूधित प्रत्यय) तदूधित बुढ़ापा, पितृत्व, हंसी, आतिथ्यSOLUTION हंसी: (हंस + ई - कृत प्रत्यय) कृदंत कमाई, अच्छाई, सिलाई, चढ़ाईSOLUTION अच्छाई: (अच्छा + आई - तद्धित प्रत्यय) तद्धित निम्नलिखित वाक्य में आए हुए शब्दों के वचन परिवर्तन करके वाक्य फिर से लिखिएपेड़ पर सुंदर फूल खिला है।SOLUTION पेड़ों पर सुंदर फूल खिले हैं कला के बारे में उनकी भावना उदात्त थी।SOLUTION कलाओं के बारे में उनकी भावना उदात्त थी दीवारों पर टांगे हुए विशाल चित्र देखे।SOLUTION दीवार पर टांगा हुआ विशाल चित्र देखा वे बहुत प्रसन्न हो जाते थे।SOLUTION वह बहुत प्रसन् हो जाती है हमारी-तुम्हारी तरह इनमें जड़े नहीं होती।SOLUTION मेरी तुम्हारी तरह इनमें से जड़ नहीं होती ये आदमी किसी भयानक वन की बात कर रहे थे।SOLUTION यह आदमी किसी भयानक वन की बात कर रहा था वह कोई बनावटी सतह की चीज है।SOLUTION वे कोई बनावटी सतह की चीजें हैं निम्नलिखित शब्दों का लिंग परिवर्तन करके प्रत्येक का वाक्य में प्रयोग कीजिए –अध्यापक, रानी, नायि का, देवर, पंडित, यक्ष , बुद् धि मान, श्रीमती, दुखियारा, विद्वान्
SOLUTION
‘अन्न बैंक की आवश्यकता’, इसपर अपने विचार लिखिए।SOLUTION अन्न बैंक अलाभकर धर्मादाय संस्थाएँ होती हैं। ये जरूरतमंद लोगों तथा गरीबों को सीधे-सीधे भोजन वितरित करती हैं। विश्व की सबसे पहली अन्न बैंक की स्थापना 1967 में अमेरिका में हुई थी, जिसका नाम था सेंट मेरी फूड बैंक। हमारे देश के बड़े-बड़े शहरों में भी अनेक अन्य बैंक काम कर रहे हैं, जो गरीबों और जरूरतमंद लोगों को भोजन वितरित करते हैं। शहरों में बड़े-बड़े समारोहों और पार्टियों में बड़े पैमाने पर मेहमानों के लिए खाने-पीने की व्यवस्था की जाती है। ऐसी पार्टियों में अक्सर काफी खाद्य पदार्थ बच जाता है। देर रात तक चलने वाली इन पार्टियों में इस भोजन को मजबूर कचरे के डिब्बों में फेंकना पड़ता है। अन्न बैंकें समारोहों और पार्टियों से संपर्क स्थापित कर बचे हुए खाद्य पदार्थों को एकत्र करती हैं और गरीबों और जरूरतमंद लोगों में उन्हें मुफ्त वितरित करती हैं। इस तरह अन्न बैंक सराहनीय कार्य करती हैं। 'हमारे देश में अनेक ऐसे लोग हैं, जिन्हें भूखे सो जाना पड़ता है। इस स्थिति को देखते हुए अन्न बैंकों के विस्तार की बहुत आवश्यकता है। छोटे-छोटे शहरों तथा बड़े गाँवों तक इसका विस्तार होना चाहिए। अन्न को बरबाद होने से बचाने और भूखे लोगों को भोजन कराने से दूसरे पुण्य का काम क्या हो सकता है! अन्न बैंकों समय की माँग हैं। अधिक-से-अधिक संस्थाओं को इस दिशा में आगे आने की आवश्यकता है। ‘शिक्षा से वंचित बालकों की समस्याएँ’, इस विषय पर अपना मत लिखिए।SOLUTION आज के जमाने में जहाँ शिक्षा के प्रचार-प्रसार के लिए हर दिशा में सार्थक प्रयास किए जा रहे हैं, वहीं किसी-न-किसी कारण से कुछ बच्चों को शिक्षा से वंचित रहने की घटनाएँ भी सामने आती हैं। शिक्षा से वंचित बालकों को जीवन में तरह-तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। अशिक्षा के कारण ऐसे बच्चों का मानसिक विकास नहीं हो पाता। इसलिए उनमें उचित और अनुचित का निर्णय लेने की क्षमता नहीं होती। कुछ बच्चे बुरी आदतवाले बच्चों के संपर्क में आकर असामाजिक कार्यों में लिप्त हो सकते हैं। ऐसे बच्चों को सामाजिक अवहेलना सहनी पड़ती है। इससे उनमें हीन भावना पनपती है और उनमें समाज के प्रति विद्रोह की भावना का जन्म होता है। अशिक्षित बच्चों में आत्मविश्वास की कमी होती है। इसलिए उन्हें अधिकतर दूसरों की सलाह से काम करना पड़ता है। अत: उन्हें धोखेबाजी का शिकार होना पड़ता है। अशिक्षित होने के कारण इन बच्चों को छोटा-मोटा काम मिल भी जाता है तो उससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार नहीं होता। वैसे भी बाल मजदूरी को अपराध माना जाता है। इसलिए उन्हें काम भी नहीं मिलता। अंत में ऐसे बच्चे निराशा के शिकार हो जाते हैं। यह स्थिति अत्यंत भयानक होती है। इस तरह शिक्षा से वंचित बच्चों के जीवन में समस्याएँ ही समस्याएँ होती है। ‘उषा की दीपावली’ लघुकथा द्वारा प्राप्त संदेश लिखिए।SOLUTION 'उषा की दीपावली एक शिक्षाप्रद लघुकथा है। इस कथा में कई ऐसे प्रसंग हैं, जिनमें अनेक संदेश छुपे हुए हैं। बालिका उषा के घर में दीपावली के अवसर पर तरह-तरह के पकवान बनाए गए हैं, पर उषा की पसंद बाजारू चीजें हैं। इससे उसके मन में घर में बनी चीजों के प्रति अरुचि और बाजारू चीजों के प्रति आकर्षण के भाव दिखाई देते हैं, जो उचित नहीं हैं। बालिकाउषा सफाई करने वाले बबन को आटे के बुझे हुए दीप कचरे के डिब्बे में न डालकर उन्हें सेंक कर खाने के लिए अपनी जेब में रखते हुए देखती है, तो उसकी आँखें ताज्जुब से भर उठती हैं। उसे लगता है कि एक ओर ऐसे लोग हैं, जो अनाज के एक-एक कौर को तरस रहे हैं और दूसरी ओर दावतों में भरी-भरी प्लेटें कचरे डिब्बें के हवाले कर दी जाती हैं, जिनसे कितने भूखे लोगों का पेट भर सकता था। इससे अन्न का सदुपयोग करने और उसकी बरबादी न करने का संदेश मिलता है। बालिका उषा बहन के आटे के दीपक बटोरते हुए देख कर द्रवित हो उठती है और उससे रहा नहीं जाता। वह अपने घर जाती है और पकवानों से भरी थैली लेकर बहन के हाथ में रख देती है। इससे उसके मन में गरीबों के प्रति सहानुभूति और अपने आनंद में गरीबों को शामिल की प्रवृत्ति की झलक मिलती है। इसके अलावा कहानी में आतिशबाजी पर पैसे बरबाद न करने और वातावरण को प्रदूषित न करने की ओर भी इशारा किया गया है। ‘मुस्कुराती चोट’ शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।SOLUTION बालक बबलू के घर की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण उसकी पढ़ाई बीच में ही छूट गई है, पर पढ़ाई की लालसा उसके मन में बनी रहती है। बबलू माँ को सहारा देने के लिए घर घर जा कर रद्दी इकट्ठा करता है और रद्दी पेपर के दुकानदार को बेच देता है। पर उसे अपनी पढ़ाई के लिए स्कूल की पुस्तकें खरीदने के लिए पैसे नहीं बच पाते। एक बार उसके पास रद्दी पेपर के दुकानदार के कुछ पैसे बचे थे। वह एक घर से रद्दी पेपर के साथ-साथ स्कूल की किताबें भी खरीद लाता है। अब उसे विश्वास हो जाता है कि वह अब पढ़ने स्कूल जा सकेगा, क्योंकि उसके पास किताबें आ गई हैं। वह रद्दी पेपर लेकर दुकानदार के पास बेचने जाता है। दुकानदार पेपर तौल कर एक तरफ रखता है। वह उससे अपने बचे हुए पैसों से सामने से बड़ा पाव और चाय लाने के लिए कहता है। पर बबलू सिर झुकाए खड़ा रहता है और टस-से-मस नहीं होता। दुकानदार बबलू पर झल्लाता है तो वह कहता है, रुपए तो खर्च हो गए। इस पर दुकानदार उसे बुरी तरह डांटता है। पर डांट खाने के बावजूद बबलू मुस्कराता रहता है। वह खुश है कि अब वह स्कूल जा सकेगा। उसके पास भी किताबें है। वह घर की ओर लौट पड़ता है। दुकानदार की फटकार का उस पर कोई असर नहीं होता। वह मुस्कराता रहता है, जानकारी दीजिएसंतोष श्रीवास्तव जी लिखित साहित्यिक विधाएँ- ________________________SOLUTION (1) संतोष श्रीवास्तव जी ने साहित्य की विभिन्न विधाओं पर उल्लेखनीय कार्य किया है। (2) उन्होंने कहानियाँ, उपन्यास, ललित निबंध तथा यात्रा संस्मरण आदि विधाओं पर अनेक पुस्तकें लिखी हैं। इसके अलावा आपने कुछ लघुकथाएँ भी लिखी है। अन्य लघुकथाकारों के नाम - ______________________________SOLUTION लघुकथा हिंदी साहित्य में प्रचलित विधा है। हिंदी साहित्य में प्रमुख लघुकथाकार इस प्रकार हैं : डॉ. कमल किशोर गोयनका, डॉ. सतीश दुबे, संतोष सुपेकर और कमल चोपड़ा। . Hindi - Yuvakbharati 11th Standard Balbharti Solutions for HSC Maharashtra State Board• Chapter 1: प्रेरणा • Chapter 2: लघुकथाएँ (उषा की दीपावली, मुस्कु राती चोट) • Chapter 3: पंद्रह अगस्त • Chapter 4: मेरा भला करने वालों से बचाएँ • Chapter 5.1: मध्ययुगीन काव्य - भक्ति महिमा • Chapter 5.2: मध्ययुगीन काव्य - बाल लीला • Chapter 6: कलम का सिपाही • Chapter 7: स्वागत है ! • Chapter 8: तत्सत • Chapter 9: गजलें (दोस्ती, मौजूद) • Chapter 10: महत्त्वाकांक्षा और लोभ • Chapter 11: भारती का सपूत • Chapter 12: सहर्ष स्वीकारा है • Chapter 13: नुक्कड़ नाटक (मौसम, अनमोल जिंदगी) • Chapter 14: हिंदी में उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएँ • Chapter 15: समाचार : जन से जनहित तक • Chapter 16: रेडियो जॉकी • Chapter 17: ई-अध्ययन : नई दृष्टि . . उषा की दीपावली लघुकथा क्या संदेश देती है?'उषा की दीपावली' लघुकथा संतोष श्रीवास्तव द्वारा लिखी गई एक मर्मस्पर्शी कहानी है। इस लघु कथा के माध्यम से यह संदेश देने का प्रयत्न किया गया है कि दीपावली या अन्य किसी बड़े त्यौहार पर बेकार की फिजूल खर्ची से बचना चाहिए। गरीबों के प्रति संवेदनशील होने चाहिये।
उषा की दीपावली इस लघुकथा में उषा ने बबन को इन में से कौनसी चीज दी?बालिकाउषा सफाई करने वाले बबन को आटे के बुझे हुए दीप कचरे के डिब्बे में न डालकर उन्हें सेंक कर खाने के लिए अपनी जेब में रखते हुए देखती है, तो उसकी आँखें ताज्जुब से भर उठती हैं।
उषा को क्या पसंद है?'उषा की दीपावली एक शिक्षाप्रद लघुकथा है। इस कथा में कई ऐसे प्रसंग हैं, जिनमें अनेक संदेश छुपे हुए हैं। बालिका उषा के घर में दीपावली के अवसर पर तरह-तरह के पकवान बनाए गए हैं, पर उषा की पसंद बाजारू चीजें हैं।
दीपों को अपने जेब में कौन रख रहा था *?उसने देखा, सफाई करने वाला बबन उन दीपों को कचरे के डिब्बे में न डाल अपनी जेब में रख रहा था । कृशकाय बबन कंपाउंड में झाडू लगाते हुए हर रोज उसे सलाम करता था । तुमने दीपक जेब में क्यों रख लिए उषा ने पूछा । घर जाकर अच्छे से सेंककर खा लेंगे, अन्न देवता हैं न ।
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