पृथ्वी की सबसे निचली परत में कौन से तत्व? - prthvee kee sabase nichalee parat mein kaun se tatv?

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पृथ्वी की सबसे निचली या भीतरी परत में किन तत्वों की प्रधानता है तो आपके प्रश्न का उत्तर है पृथ्वी की सबसे निचली या भीतरी परत में भारी तत्वों की प्रधानता है जिनमें मुख्य तो निकल निखिल और आयरन एंड स्टील लोहा जिसको हम कहते हैं यह तो बहुत अधिक मात्रा में पाए जाते हैं धन्यवाद

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पृथ्वी के सबसे निचली परत में कौन से तत्व अधिकता में पाए जाते है ?

पृथ्वी की तीसरी तथा अंतिम परत जिसे क्रोड कहते है। इसमे निकल (Ni) तथा लोहा (Fe) की प्रधानता होती है। इसलिए इस परत का नाम निफे (NiFe) है। यह 2890 किमी० गहराई से पृथ्वी की केन्द्र तक है।

  • Science 7th Class

  • asked 2 years ago
  • B Butts

   

पृथ्वी की सबसे निचली परत में कौन से तत्व? - prthvee kee sabase nichalee parat mein kaun se tatv?
               

पृथ्वी की सबसे निचली परत में कौन से तत्व? - prthvee kee sabase nichalee parat mein kaun se tatv?

पृथ्वी की आतंरिक संरचना शल्कीय (अर्थात परतों के रूप में) है, जैसे प्याज के छिलके परतों के रूप में होते हैं। इन परतों की मोटाई का सीमांकन रासायनिक अथवा यांत्रिक विशेषताओं के आधार पर किया जा सकता है।

पृथ्वी की सबसे ऊपरी परत भूपर्पटी एक ठोस परत है, मध्यवर्ती मैंटल अत्यधिक गाढ़ी परत है और बाह्य क्रोड तरल तथा आतंरिक क्रोड ठोस अवस्था में है।

पृथ्वी की आतंरिक संरचना के बारे में जानकारी के स्रोतों को दो हिस्सों में विभक्त किया जा सकता है। प्रत्यक्ष स्रोत, जैसे ज्वालामुखी से निकले पदार्थो का अध्ययन, समुद्रतलीय छेदन से प्राप्त आंकड़े इत्यादि, कम गहराई तक ही जानकारी उपलब्ध करा पाते हैं। दूसरी ओर अप्रत्यक्ष स्रोत के रूप में भूकम्पीय तरंगों का अध्ययन अधिक गहराई की विशेषताओं के बारे में जानकारी देता है।

पृथ्वी की सबसे निचली परत में कौन से तत्व? - prthvee kee sabase nichalee parat mein kaun se tatv?

पृथ्वी की संरचना का विस्तृत स्वरूप :
(1) महाद्वीपीय भूपर्पटी
(2) महासागरीय भूपर्पटी
(3) Subduction
(4) बाहरी मैंटल
(5) तप्त बिन्दु (हॉट स्पॉट)
(6) भीतरी मैंटल
(7) Panache
(8) बाह्य क्रोड
(9) आंतरिक क्रोड
(10) Cellule de convection
(11) लिथोस्फीयर
(12) Asthénosphère
(13) गुटेनबर्ग असातत्य
(14) मोहोरोविकिक असातत्य
(?) Amande ?

पूर्वपीठिका[संपादित करें]

पृथ्वी के द्वारा अन्य ब्रह्माण्डीय पिण्डों, जैसे चंद्रमा, पर लगाया जाने वाला गुरुत्वाकर्षण इसके द्रव्यमान की गणना का स्रोत है। पृथ्वी के आयतन और द्रव्यमान के अन्तर्सम्बन्धों से इसके औसत घनत्व की गणना की जाती है। ध्यातव्य है कि खगोलशास्त्री पृथ्वी के परिक्रमण कक्षा के आकार और अन्य पिण्डों पर इसके प्रभाव से इसके गुरुत्वाकर्षण की गणना कर सकते हैं।

संरचना[संपादित करें]

पृथ्वी की सबसे निचली परत में कौन से तत्व? - prthvee kee sabase nichalee parat mein kaun se tatv?

पृथ्वी के अंदर अरीय धनत्व, Preliminary Reference Earth Model (PREM) के अनुसार।[1]

पृथ्वी की सबसे निचली परत में कौन से तत्व? - prthvee kee sabase nichalee parat mein kaun se tatv?

(PREM) Preliminary Reference Earth Model के अनुसार पृथ्वी के अन्दर गुरुत्वाकर्षण[1] Comparison to approximations using constant and linear density for Earth's interior.

यांत्रिक लक्षणों के आधार पर पृथ्वी को स्थलमण्डल, एस्थेनोस्फीयर, मध्यवर्ती मैंटल, बाह्य क्रोड और आंतरिक क्रोड में बांटा जाता है। रासायनिक संरचना के आधार पर भूपर्पटी, ऊपरी मैंटल, निचला मैंटल, बाह्य क्रोड और आंतरिक क्रोड में बाँटा जाता है।

गहराई परत
किलोमीटर मील
0–60 0–37 स्थलमण्डल (स्थानिक रूप से ५ और २०० किमी के बीच परिवर्तनशील)
0–35 0–22 … भूपर्पटी (परिवर्तनशील ५ से ७० किमी के बीच)
35–60 22–37 … सबसे ऊपरी मैंटल
35–2,890 22–1,790 मैंटल
100–200 62–125 … दुर्बलता मण्डल (एस्थेनोस्फियर)
35–660 22–410 … ऊपरी मैंटल
660–2,890 410–1,790 … निचला मैंटल
2,890–5,150 1,790–3,160 बाह्य क्रोड
5,150–6,360 3,160–3,954 आंतरिक क्रोड

पृथ्वी के अंतरतम की यह परतदार संरचना भूकंपीय तरंगों के संचलन और उनके परावर्तन तथा प्रत्यावर्तन पर आधारित है जिनका अध्ययन भूकंपलेखी के आँकड़ों से किया जाता है। भूकंप द्वारा उत्पन्न प्राथमिक एवं द्वितीयक तरंगें पृथ्वी के अंदर स्नेल के नियम के अनुसार प्रत्यावर्तित होकर वक्राकार पथ पर चलती हैं। जब दो परतों के बीच घनत्व अथवा रासायनिक संरचना का अचानक परिवर्तन होता है तो तरंगों की कुछ ऊर्जा वहाँ से परावर्तित हो जाती है। परतों के बीच ऐसी जगहों को असातत्य (geological discontinuity) कहते हैं।

भूपर्पटी[संपादित करें]

भूपर्पटी पृथ्वी की सबसे ऊपरी परत है जिसकी औसत गहराई २४ किमी तक है और यह गहराई ५ किमी से ७० किमी के बीच बदलती रहती है। समुद्रों के नीचे यह कम मोटी समुद्री बेसाल्तिक भूपर्पटी के रूप में है तो महाद्वीपों के नीचे इसका विस्तार अधिक गहराई तक पाया जाता है। सर्वाधिक गहराई पर्वतों के नीचे पाई जाती है। भूपर्पटी को भी तीन परतों में बाँटा जाता है - अवसादी परत, ग्रेनाइटिक परत और बेसाल्टिक परत। ग्रेनाइटिक और बेसाल्टिक परत के मध्य कोनराड असातत्य पाया जाता है। ध्यातव्य है कि समुद्री भूपर्पटी केवल बेसाल्ट और गैब्रो जैसी चट्टानों की बनी होती है जबकि अवसादी और ग्रेनाइटिक परतें महाद्वीपीय भागों में पाई जाती हैं।

भूपर्पटी की रचना में सर्वाधिक मात्रा आक्सीजन की है। एडवर्ड स्वेस ने इसे सियाल नाम दिया था क्योंकि यह सिलिका और एल्युमिनियम की बनी है। वस्तुतः यह सियाल महाद्वीपीय भूपर्पटी के अवसादी और ग्रेनाइटिक परतों के लिये सही है। कोनार्ड असातत्य के नीचे सीमा (सिलिका+मैग्नीशियम) की परत शुरू हो जाती है। भूपर्पटी और मैंटल के बीच की सीमा मोहोरोविकिक असातत्य द्वारा बनती है जिसे मोहो भी कहा जाता है।

मैंटल[संपादित करें]

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विश्व मानचित्र पर मोहो की गहराई

मैंटल का विस्तार मोहो से लेकर २८९० किमी की गहराई पर स्थित गुट्टेन्बर्ग असातत्य तक है। मैंटल के इस निचली सीमा पर दाब ~140 GPa पाया जाता है। मैंटल में संवहनीय धाराएँ चलती हैं जिनके कारण स्थलमण्डल की प्लेटों में गति होती है। मैंटल को दो भागों में बाँटा जाता है ऊपरी मैंटल और निचला मैंटल और इनके बीच की सीमा ७१० किमी पर रेपिटी असातत्य के नाम से जानी जाती है। मैंटल का गाढ़ापन 1021 से 1024 Pa·s के बीच पाया जाता है जो गहराई पर निर्भर करता है। [2] तुलना के लिये ध्यातव्य है कि पानी का गाढ़ापन 10−3 Pa·s और कोलतार (pitch) 107 Pa·s होता है।

क्रोड[संपादित करें]

सीमा परत के नीचे पृथ्वी की तीसरी तथा अंतिम परत पाई जाती है, जिसे क्रोड कहते है। इसमे निकल (Ni) तथा लोहा (Fe) की प्रधानता होती है। इसलिए इस परत का नाम निफे (NiFe) है। यह 2890 किमी० गहराई से पृथ्वी की केन्द्र तक है। इसका घनत्व 11-12 तक है तथा औसत घनत्व 13 ग्राम प्रति घन सेमी है। क्रोड का भार पृथ्वी के भार का लगभग 1/3 है। यह पृथ्वी का लगभग 16% भाग घेरे हुए है। इसको दो भागो में बाटा गया है, बाह्य क्रोड तथा आंतरिक क्रोड। बाह्य क्रोड सतह के नीचे लगभग 2900 से 5150 किमी0 तक फैला हुआ है तथा आंतरिक क्रोड लगभग 5150 से 6371 किमी0 पृथ्वी के केंद्र तक फैला हुआ है। बाह्य क्रोड में भूकम्प की द्वातीयक लहरें या S-तरंगे प्रवेश नही कर पाती है इससे प्रमाणित होता है कि यह भाग द्रव अवस्था में है। आंतरिक क्रोड में भूकम्प की P-लहरों की गति कम अर्थात 11•23 किमी0/सेकेण्ड हो जाती है।

बाह्य कोर तरल अवस्था में पाया जाता है क्योंकि यह द्वितीयक भूकंपीय तरंगों (एस-तरंगों) को सोख लेता है। आंतरिक क्रोड की खोज १९३६ में के. ई. बूलेन ने की थी। यह ठोस अवस्था में माना जाता है। इन दोनों के बीच की सीमा को बूलेन-लेहमैन असातत्य कहा जाता है।

आंतरिक क्रोड मुख्यतः लोहे का बना है जिसमें निकल की भी कुछ मात्रा है। चूँकि बाह्य क्रोड तरल अवस्था में है और इसमें रेडियोधर्मी पदार्थो और विद्युत आवेशित कणों की कुछ मात्रा पाई जाती है, जब इसके पदार्थ धारा के रूप में आतंरिक ठोस क्रोड का चक्कर लगते हैं तो चुंबकीय क्षेत्र बन जाता है। पृथ्वी के चुम्बकत्व या भूचुम्बकत्व की यह व्याख्या डाइनेमो सिद्धांत कहलाती है।

ऐतिहासिक विकास[संपादित करें]

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यह अनुभाग खाली है, अर्थात पर्याप्त रूप से विस्तृत नहीं है या अधूरा है। आपकी सहायता का स्वागत है!

पुराने मत[संपादित करें]

  • एडवर्ड स्वेस की संकल्पना-यह भाग पानी से भरा है।
  • डाली का मत-यहां लावा भरा हुआ है।
  • आर्थर होम्स की संकल्पना-
  • वान डर ग्राट की संकल्पना-

आधुनिक मत[संपादित करें]

1. भूपर्पटी (Crust) - गहराई 0-50km, आयतन-0.5%, द्रव्यमान-0.2%, घनत्व-2.7-3ग्राम/घनcm

2.प्रावार (mantle) - गहराई 50 से 2900km, आयतन- 83.5%, द्रव्यमान- 67.8%, घनत्व- 3 से 5.5 ग्राम/घनcm

3.क्रोड (Core)- गहराई- 2900 से 6371km, आयतन- 16%, द्रव्यमान- 32%, घनत्व- 10 से 14ग्राम/घनcm

बूलेन का माडल[संपादित करें]

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PREM माडल[संपादित करें]

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सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. ↑ अ आ A. M. Dziewonski, D. L. Anderson (1981). "Preliminary reference Earth model" (PDF). Physics of the Earth and Planetary Interiors. 25 (4): 297–356. PMC 411539. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 0031-9201. डीओआइ:10.1016/0031-9201(81)90046-7. मूल (PDF) से 13 नवंबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 29 मई 2014.
  2. Uwe Walzer, Roland Hendel, John Baumgardner Mantle Viscosity and the Thickness of the Convective Downwellings

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

  • पृथ्वी की आन्तरिक संरचना

पृथ्वी की सबसे निचली परत में कौन से तत्व पाए जाते हैं?

Answer: 3. कार्बन-डाई-ऑक्साइड- यह सबसे भारी गैस है और इस कारण यह सबसे निचली परत में मिलती है फिर भी इसका विस्तार 32 किमी की ऊंचाई तक है.

पृथ्वी के सबसे निचली परत को क्या कहते हैं?

क्षोभमंडल पृथ्वी के वायुमंडल की सबसे निचली परत है।

पृथ्वी की ऊपरी परत को क्या कहा जाता है?

भूपर्पटी भूपर्पटी पृथ्वी की सबसे ऊपरी परत है जिसकी औसत गहराई २४ किमी तक है और यह गहराई ५ किमी से ७० किमी के बीच बदलती रहती है।

पृथ्वी की सबसे आंतरिक परत को क्या कहते हैं तथा किन किन तत्वों से बना है?

पृथ्वी के सबसे आंतरिक परत को धात्विक क्रोड कहा जाता है। यहाँ परत लोहा, निकेल और कुछ अन्य धातु से बनी है। इसका दबाव इतना है की यहाँ अब तरल नहीं है। इस परत का तापमान लगभग ५४३० °C इतना है।