इसे सही ढंग से समझने के लिए ‘राजनीतिक’ तथा ‘सिद्धांत’ इन दोनों शब्दों को अलग-अलग समझना आवश्यक है। यहाँ शब्द ‘सिद्धांत’ तथा ‘राजनीतिक’ एक दूसरे की विशेषता बताते हैं कि राजनीति सिद्धांत या राजनीति का सिद्धांत किसी विशिष्ट विषय की तरफ इशारा करते हैं। आइये इन्हें थोड़ा बारीकी से समझें। पहला, सिद्धांत का अर्थ क्या है? शब्द ‘थ्यूरी’ (Theory) एक ग्रीक शब्द है जहाँ यह दो अन्य शब्दों में सम्बन्धित था जो विचार करने योग्य है-
इसका अभिप्राय किसी परिणाम अथवा निष्कर्ष को सिद्ध करना अथवा उसे वैध ठहराना नहीं है। यह केवल खोज, अन्वेषण अथवा जाँच की प्रक्रिया है। सैद्धान्तीकरण उन घटनाओं के इर्द-गिर्द आरम्भ होता है जो हमारे आसपास घटित हो रही होती है और जिनके बारे में हम थोड़ा-बहुत जानते हैं और सैद्धान्तीकरण की प्रक्रिया इसलिए आरम्भ होती है क्योंकि सिद्धांतकार इन घटनाओं के प्रति अधूरे ज्ञान से असंतुष्ट होता है और वह इसे विस्तारपूर्वक एवं तार्किक स्तर पर समझना चाहता है। सैद्धान्तीकरण शोध की प्रक्रिया के माध्यम से समझने की प्रक्रिया हैं। इस सैद्धान्तीकरण के परिणामस्वरूप प्राप्त किए गए निष्कर्ष अर्थात् ‘थ्योरम’ किसी घटना की बेहतर समझ होगी जिसके बारे में हम पहले केवल अस्पष्ट रूप से जानते थे। अत: सैद्धान्तीकरण का अभिप्राय किसी विषय अथवा घटना को समझने का निरन्तर, अविरल, अबाध प्रयत्न होता है। यह ऐसे विषय अथवा घटना से आरम्भ होता है जिसके बारे में हम थोड़ा बहुत जानते हैं परन्तु जिसे विस्तारपूर्वक और स्पष्ट रूप से जानने की आवश्यकता है अर्थात् यह किसी घटना अथवा विषय के बारे में और अधिक जानने तथा ज्ञान प्राप्त करने की प्रक्रिया है और इसका मूल मन्त्र है-’समाप्त’ शब्द का नाम मत लो (Never say the end) अर्थात् समझने की यह प्रक्रिया उतनी देर तक चलती रहेगी जब तक कि घटनाएँ अथवा विषय पूरी तरह पारदश्र्ाी नहीं हो जाते जब तक रहस्यों की आखिरी गुत्थी नहीं सुलझ जाती या जब तक सिद्धांतकार के पास पूछने लायक प्रश्न समाप्त नहीं हो जाते एक सिद्धांतकार का कार्य किसी अनुभव अथवा घटना के तथ्य को कुछ एक अवधारणाओं या यदि हो सके तो अवधारणाओं की व्यवस्था के आधार पर समझना होता है अर्थात् सम्बद्ध अवधारणाओं के समूह के आधार पर जैसे विचारमन्थन, उद्देश्य, मन्शा, निष्कर्ष, औचित्य, स्वतन्त्रता, समानता, सन्तुष्टि आदि। अरस्तु का यह कथन-कि ‘मनुष्य एक राजनीतिक प्राणी है’- समाज की अन्तर्निहित मानवीय आवश्यकता की तरफ इशारा करता है तथा इस तथ्य की तरफ भी कि मानव अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति तथा आत्म-सिद्धि केवल राजनीतिक समुदाय के माध्यम से ही प्राप्त कर सकता है। अरस्तु के लिए ‘राजनीतिक’ महत्त्वपूर्ण इसलिए था क्योंकि यह एक ऐसे साझे राजनीतिक स्थान का प्रतिनिधित्व करता है जिसमें सभी नागरिक भाग ले सकते हैं। राजनीतिक सिद्धांत परिभाषा‘राजनीतिक’ तथा ‘सिद्धांत’ शब्दों के स्पष्टीकरण के बाद अब हम राजनीतिक सिद्धांत को कुछ परिभाषाओं के माध्यम से समझने का प्रयत्न करते हैं। सर्वसाधारण स्तर पर, राजनीतिक सिद्धांत राज्य से सम्बन्धित ज्ञान है जिसमें ‘राजनीतिक’ का अर्थ है ‘सार्वजनिक हित के विषय’ तथा सिद्धांत का अर्थ है ‘क्रमबद्ध ज्ञान’।डेविड हैल्ड के अनुसार, राजनीतिक सिद्धांत का महत्व इस बात से प्रकट होता है कि एक क्रमबद्ध अध्ययन के अभाव में राजनीति उन स्वाथ्र्ाी और अनभिज्ञ राजनीतिक नेताओं के हाथ का खिलौना मात्र बन कर रह जायेगी जो इसे शक्ति प्राप्त करने के एक यन्त्र के अतिरिक्त कुछ नहीं समझते। |