राजस्थान में कौन सी नदी उत्तर से दक्षिण की ओर बहती है - raajasthaan mein kaun see nadee uttar se dakshin kee or bahatee hai

Rajasthan Ki Wah Nadi Jo Dakshinn Se Uttar Ki Or Bahti Hai -


A. बनास
B. चम्बल
C. गोमती
D. लूणी

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Comments Mamta on 13-09-2022

Raj ki ek matr nadi jo utar se Dakshin disha mai beti hai

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राजस्थान की नदियां

राजस्थान का अधिकांश भाग रेगिस्तानी है अतः वहां नदीयों का विशेष महत्व है। पश्चिम भाग में सिचाई के साधनों का अभाव है परिणाम स्वरूप यहां नदीयों का महत्व ओर भी बढ़ जाता है। प्राचीन समय से ही नदियों का विशेष महत्व रहा |राजस्थान में महान जलविभाजक रेखा का कार्य अरावली पर्वत माला द्वारा किया जाता है। अरावली पर्वत के पूर्व न पश्चिम में नदियों का प्रवाह है और उनका उद्गम "अरावली" पर्वत माला है।

राजस्थान में कौन सी नदी उत्तर से दक्षिण की ओर बहती है - raajasthaan mein kaun see nadee uttar se dakshin kee or bahatee hai

1.चम्बल नदी(चर्मण्वती,नित्यवाही,सदानिरा,कामधेनू)

राजस्थान की सबसे अधिक लम्बी नदी चम्बल नदी का उद्गम मध्य-प्रदेश में महु जिले में स्थित जानापाव की पहाडि़यों से होता है। यह नदी दक्षिण से उत्तर की ओर बहती हुई राजस्थान के चितौड़गढ़ जिले मे चैरासीगढ़ नामक स्थान पर प्रवेश करती है और कोटा व बंूदी जिलों में होकर बहती हुई सवाई माधोपुर, करौली, धौलपुर, जिलों में राजस्थान व मध्य-प्रदेश के मध्य सीमा बनाती है। यह नदी मध्यप्रदेश के 4 जिलों महु, मंन्दसौर, उज्जैन और रतलाम से होकर बहती है।

राजस्थान की एकमात्र नदी जो अ्रन्तर्राज्यीय सीमा का निर्माण करती है- चम्बल नदी है। अन्त में उत्तर-प्रदेश के इटावा जिले में मुरादगंज नामक स्थान पर यमुना नदी में विलीन हो जाती है। इस नदी की कुल लम्बाई - 966 कि.मी. है जबकि राजस्थान में यह 135 कि.मी बहती है।यह 250 कि.मी. लम्बी राजस्थान की मध्यप्रदेश के साथ अन्र्तराज्जीय सीमा बनाती है। यह भारत की एकमात्र नदी है जो दक्षिण दिशा से उत्तर की ओर बहती है। राजस्थान और मध्य-प्रदेश के मध्य चम्बल नदी पर चम्बल घाटी परियोजना बनाई गयी है और इस परियोजना में चार बांध भी बनाए गये है।

  1. गांधी सागर बांध (म.प्र.)
  2. राणा प्रताप सागर बांध (चितौड़,राज.)
  3. जवाहर सागर बांध (कोटा,राज.)
  4. कोटा सिचाई बांध (कोटा, राज.)

राजस्थान में कौन सी नदी उत्तर से दक्षिण की ओर बहती है - raajasthaan mein kaun see nadee uttar se dakshin kee or bahatee hai

सहायक नदियां : पार्वती, कालीसिंध, बनास, बामनी, पुराई

चम्बल नदी में जब बामनी नदी (भैसरोड़गढ़ में) आकर मिलती है तो चितौड़गढ़ में यह चूलिया जल प्रपात बनाती है, जो कि राजस्थान का सबसे ऊंचा जल प्रपात (18 मीटर ऊंचा) बनाती है। चितौड़गढ़ में भैसरोडगढ़ के पास चम्बल नदी में बामनी नदी आकर मिलती है। समीप ही रावतभाटा परमाणु बिजली घर है कनाडा के सहयोग से स्थापित 1965 में इसका निर्माण कार्य प्रारम्भ हुआ।

रामेश्वरम:- राजस्थान के सवाईमाधोपुर जिले में चम्बल नदी में बनास व सीप नदियां आकर मिलती है और त्रिवेणी संगम बनाती है।

राजस्थान के त्रिवेणी संगम

त्रिवेणी संगम स्थलनदियां जिला विशेष
साबंला (बेणेश्वर) सोम-माही-जाखम डूंगरपुर राजस्थान का कुंभ/ आदिवासियों का महाकुंभ
मांडलगढ़ (बींगोद) बनास -बेड़च-मेनाल भीलवाड़ा त्रिवेणी तीर्थ
मानपुर (रामेश्वर घाट) चम्बल-बनास-सीप सवाई माधोपुर वर्षो से अखण्ड संकीर्तन / श्रीजी मंदिर
राजमहल बनास-खारी-डोई टोंक

डांग क्षेत्र

चम्बल नदी के बहाव क्षेत्र में गहरी गढ़े युक्त भूमि जहां वन क्षेत्रों /वृक्षों की अधिकता है। 30-35 वर्ष पूर्व ये बिहार डाकूओं की शरणस्थली थे इन क्षेत्रों को डांग क्षेत्र कहा जाता है इन्हे 'दस्यू' प्रभावित क्षेत्र भी कहा जाता है।

सर्वाधिक अवनालिक अपवरदन इसी नदी का होता है। चम्बल नदी में स्तनपायी जीव 'गांगेय' सूस पाया जाता है।

तथ्य

भारत सरकार ने राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य को इको-सेंसिटिव ज़ोन घोषित किया। इस अभ्यारण्य में गंगा डॉल्फ़िन और गंभीर रूप से लुप्तप्राय घड़ियाल पाए जाते हैं। इको सेंसिटिव ज़ोन घोषित होने के कारण रिसॉर्ट्स, होटल या अन्य आवासीय और औद्योगिक गतिविधियों के निर्माण पर रोक होती है। यह अभ्यारण्य प्राकृतिक रूप से रहने वाले घड़ियालों का आवास है। 75% घड़ियाल इस अभ्यारण्य में रहते हैं।

काली सिंध

यह नदी मध्यप्रदेश के बांगली गांव(देवास) से निकलती है।देवास, शाजापुर, राजगढ़ मे होती हुई झालावाड के रायपुर में राजस्थान में प्रवेश करती है। झालावाड कोटा में बहती हुई कोटा के नानेरा में यह चम्बल में मिल जाती है। आहु, परवन, निवाज, उजाड सहायक नदियां है।इस नदी पर कोटा में हरिशचन्द्र बांध बना है।

आहु

यह मध्यप्रदेश मेंहदी गांव से निकलती है। झालावाड के नन्दपूूर में राजस्थान में प्रवेश करती है। झालावाड़ कोटा की सीमा पर बहती हुई झालावाड़ के गागरोन में काली सिंध में मिल जाती है।

तथ्य

झालावाड़ के गागरोन में कालीसिंध आहु नदियांे का संगम होता है। इस संगम पर गागरोन का प्रसिद्ध जल दुर्ग स्थित है।

पार्वती

यह मध्यप्रदेश के सिहोर से निकलती है बांरा के करियाहट में राजस्थान में प्रवेश करती है।बांरा, कोटा में बहती हुई कोटा के पालीया गांव में चम्बल में मिल जाती है।

तथ्य

पार्वती परियोजना धौलपुर जिले में है।

परवन

यह अजनार/घोड़ा पछाड की संयुक्त धारा है।यह मध्यप्रदेश के विध्याचल से निकलती है। झालावाड में मनोहर थाना में राजस्थान में प्रवेश करती है।झालावाड़ व बांरा में बहती हुई बांरा में पलायता (नक्से के अनुसार अटा गांव) गांव में काली सिंध में मिल जाती है।

बनास नदी

उपनाम: वन की आशा, वर्णानाशा, वशिष्ठि कुल लम्बाई: 480 कि.मी.

बहाव: राजसमंद, चितौडगढ़,़ भीलवाड़ा, अजमेर, टोंक, सं. माधोपुर बेड़च व मेनाल नदीयां बनास में दायीं तरफ से मिलती है।

राजस्थान में पूर्णतः प्रवाह की दृष्टि से सर्वाधिक लम्बी नदी बनास नदी का उद्गम खमनोर की पहाड़ी कुंभलगढ़(राजसमंद) से होता है। राजसमंद से चितौड़गढ, भीलवाडा, अजमेर, टोंक जिलों से होकर बहती हुई अन्त में सवाई माधोपुर जिले में रामेश्वरम् नामक स्थान पर चम्बल नदी में विलीन हो जाती है। इस नदी की कुल लम्बाई 480 कि.मी. है जो की पूर्णतः राजस्थान में है। पूर्णतया राजस्थान- राजस्थान में बहने वाली सबसे लंम्बी नदी है।

राजस्थान में कौन सी नदी उत्तर से दक्षिण की ओर बहती है - raajasthaan mein kaun see nadee uttar se dakshin kee or bahatee hai

इस नदी पर दो बांध बनाए गए हैः-

  • (अ) बीसलपुर बांध (टोडारायसिंह कस्बा टोंक)
  • (ब) ईसरदा बांध (सवाई माधोपुर)

इससे जयपुर जिले को पेयजल की आपूर्ति की जाती है।

बीगोंद (भीलवाडा) - भीलवाड़ा जिले में बीगौंद नामक स्थान पर बनास नदी में बेडच व मेनाल प्रमुख है। बनास का आकार सर्पिलाकार है।

सहायक नदियां: बेड़च, मेनाल, खारी, कोठारी, मोरेल

बेड़च नदी (आयड़)

उद्गम:- गोगुन्दा की पहाडियां (उदयपुर)

कुल लम्बाई:- 190 कि.मी.

आयड सभ्यता का विकास/बनास संस्कृति

समापन:- बीगोद (भीलवाड़ा)

राजस्थान में उदयपुर जिलें में गोगुंदा की पहाडियां से इस नदी का उद्गम होता है। आरम्भ में इस नदी को आयड़ नदी कहा जाता है। किन्तु उदयसागर झील के पश्चात् यह नदी बेड़च नदी कहलाती है। इस नदी की कुल लम्बाई 190 कि.मी. है। यह नदी उदयपुर चितौड़ जिलों में होकर बहती हुई अन्त में भीलवाड़ा जिले के बिगोंद नामक स्थान पर बनास नदी में मिल जाती है। चितौड़गढ़ जिले में गम्भीरी नदी इसमें मिलती है।

लगभग 4000 वर्ष पूर्व उदयपुर जिले में इस नदी के तट पर आहड़ सभ्यता का विकास हुआ। बेड़च नदी बनास की सहायक नदी है।

कोठारी

यह राजसमंद में दिवेर से निकलती है। राजसमंद भिलवाड़ा में बहती हुई भिलवाड़ा के नन्दराय में बनास में मिल जाती है। भिलवाड़ा के मांडलगढ़ कस्बे में इस पर मेजा बांध बना है।

गंभीरी

मध्यप्रदेश के जावरा की पहाडीयों(रतलाम) से निकलती है।चित्तौड़गढ़ में निम्बाहेडा में राजस्थान में प्रवेश करती है। चित्तौडगढ़ दुर्ग के पास यह बेडच में मिल जाती है।

खारी

यह राजसमंद के बिजराल गांव से निकलती है।राजसमंद, अजमेर , भिलवाड़ा, टोंक में बहती हुई टोंक के देवली में बनास में मिल जाती है। भिलवाडा के शाहपुरा में मानसी नदी आकर मिलती है।भिलवाडा का आसिंद कस्बा इसे के किनारे है।

मोरेल

यह जयपुर के चैनपुरा(बस्सी) गांव से निकलती है।जयपुर, दौसा, सवाईमाधोपुर में बहती हुई करौली के हडोती गांव में बनास में मिल जाती है। सवाईमाधोपुर के पिलुखेडा गांव में इस पर मोरेल बांध बना है।

ढुंण्ढ/डुंण्ड

यह जयपुर के अजरोल/अचरोल से निकलती है।जयपुर,दौसा में बहती हुई दौसा लालसोट में यह मोरेल में मिल जाती है। इस नदी के कारण जयपुर के आस-पास का क्षेत्र ढुंढाड कहलाता है।

बाणगंगा नदी

उपनाम:- अर्जुन की गंगा, तालानदी, खण्डित, रूडित नदी

कुल लम्बाई:- 380 कि.मी.

बहाव:- जयपुर, दौसा, भरतपुर

समापन:- यू.पी. मे फतेहबाद के पास यमुना

एक मान्यता के अनुसार अर्जुन ने एक बाण से इसकी धारा निकाली थी अतः इसे अर्जुन की गंगा भी कहते है। लगभग 380 कि.मी. लम्बी इस नदी का उद्गम जयपुर जिले में बैराठ की पहाडियों से होता है। यह जयपुर, दौसा, भरतपुर में बहने के पश्चात् उतरप्रदेश मे आगरा के समीप फतेहबाद नामक स्थान पर यमुना नदी में विलीन हो जाती है। उपनाम: इसे खण्डित रूण्डित व तालानदी भी कहते है। इस नदी के तट पर बैराठ सभ्यता विकसित हुई।

राजस्थान में बैराठ नामक स्थान पर ही मौर्य युग के अवशेष प्राप्त हुए है।

नदियों के किनारे/संगम पर बने दुर्ग

  1. गागरोन का किला - आहू व कालीसिंध नदी के संगम पर(झालावाड़)
  2. भैंसरोड़ दुर्ग - चम्बल व बामनी नदियों के संगम पर(चित्तौड़गढ़)
  3. शेरगढ(कोशवर्द्धन) दुर्ग़ - परवन नदी के किनारे(बांरा)
  4. चित्तौड़गढ़ दुर्ग - गंभीरी और बेड़च नदियों के संगम के निकट
  5. मनोहर थाना दुर्ग - परवन और कालीरवाड़ नदियों के संगम पर
  6. गढ़ पैलेस, कोटा(कोटा दुर्ग) - चम्बल नदी के किनारे

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राजस्थान की कौन सी नदी उत्तर से दक्षिण की ओर बहती है?

सही उत्‍तर माही है। माही नदी दक्षिण से राजस्थान में प्रवेश कर पश्चिम की ओर बहती है और पुनः दक्षिण की ओर मुड़ जाती है। माही नदी प्रतापगढ़ जिले के सीमावर्ती हिस्से में बहती है और फिर दक्षिण की ओर मुड़कर गुजरात के पंचमहल जिले से गुजरती है और अंत में खंभात की खाड़ी में समाप्त होती है।

राजस्थान के पश्चिम में कौन सी नदी बहती है?

पश्चिम बनास नदी (West Banas River) भारत के राजस्थान और गुजरात में बहने वाली एक नदी है।

राजस्थान की सबसे गहरी नदी कौन सी है?

राजस्थान में पूर्णतः प्रवाह की दृष्टि से सर्वाधिक लम्बी नदी बनास नदी का उद्गम खमनोर की पहाड़ी कुंभलगढ़(राजसमंद) से होता है। राजसमंद से चितौड़गढ, भीलवाडा, अजमेर, टोंक जिलों से होकर बहती हुई अन्त में सवाई माधोपुर जिले में रामेश्वरम् नामक स्थान पर चम्बल नदी में विलीन हो जाती है। इस नदी की कुल लम्बाई 480 कि.

राजस्थान की एकमात्र अंतरराष्ट्रीय नदी कौन सी है?

घग्घर राजस्थान में प्रवाहित होने वाली एकमात्र अंतर्राष्ट्रीय नदी है। सरतगढ़ व अनूपगढ़ इसी नदी के किनारे पर स्थित है। हरियाणा में इस नदी के किनारे बनवाली सभ्यता व ओटू झील है। घग्घर आंतरिक प्रवाह की सबसे लम्बी नदी है।