रानी लक्ष्मीबाई का गांव कौन सा है? - raanee lakshmeebaee ka gaanv kaun sa hai?

झांसी की रानी का गांव कौन सा था?...


रानी लक्ष्मीबाई का गांव कौन सा है? - raanee lakshmeebaee ka gaanv kaun sa hai?

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झांसी की रानी का जन्म उत्तर प्रदेश के कानपुर नामक गांव में हुआ था

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रानी लक्ष्मीबाई का गांव कौन सा है? - raanee lakshmeebaee ka gaanv kaun sa hai?

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  • झांसी की रानी का जन्म कौन से गांव में हुआ था बताओ - jhansi ki rani ka janam kaun se gaon mein hua tha batao

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रानी लक्ष्मीबाई जयंतीः और मणिकर्णिका से बन गई झांसी की रानी...

ऐसे वक्त में जब एक-एक कर राजा अंग्रेजों के सामने घुटने टेक रहे थे तब ये रानी लक्ष्मीबाई हीं थी जिन्होंने अंग्रेजों का डटकर मुकाबला किया।

नई दिल्ली [जेएनएन]। 'खूब लड़ी मर्दानी वो तो झांसी वाली रानी थी' ये कविता आज भी रानी लक्ष्मीबाई की वीरता की गाथा बयां करती है। ऐसे वक्त में जब एक-एक कर राजा अंग्रेजों के सामने घुटने टेक रहे थे तब ये रानी लक्ष्मीबाई हीं थी जिन्होंने अंग्रेजों का डटकर मुकाबला किया। उन्होंने अंग्रेजों को नाकों चने चबवा दिए। आइए जानते हैं उनके जीवन के बारे में। 

झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का जन्म 19 नवम्बर 1835 को काशी (वाराणसी) में महाराष्ट्रीयन कराड़े ब्राह्मण परिवार में हुआ। उनके पिता का नाम मोरोपन्त ताम्बे  और माता का नाम भागीरथी बाई था। माता-पिता ने उनका नाम मणिकर्णिका रखा। सभी उन्हें प्यार से ‘मनु’कहकर पुकारते थे। मोरोपन्त मराठी थे और मराठा बाजीराव की सेवा करते थे। मनु जब मात्र 4 वर्ष की थीं, तभी उनकी माता की मृत्यु हो गयी। 

और बन गईं झांसी की रानी
मनु ने बचपन में ही शस्त्र और शास्त्र, दोनों की ही शिक्षा ली। इस दौरान लोग उन्हें प्यार से ‘छबीली’ के नाम से भी पुकारने लगे। वर्ष 1850 को उनका विवाह झांसी के महाराजा गंगाधर राव के साथ हो गया और वे झांसी की रानी बन गयी। विवाह पश्चात उनका नाम लक्ष्मीबाई रखा गया।

नहीं सह पाए पुत्र वियोग
वर्ष 1851 में लक्ष्मीबाई ने एक पुत्र को जन्म दिया, पर 4 माह पश्चात ही उसकी मृत्यु हो गयी। पुत्र वियोग का सदमा राजा को इस कदर लगा कि वे अस्वस्थ रहने लगे। उन्होंने 20 नवम्बर 1853 को एक बालक को गोद लिया। इस दत्तक पुत्र का नाम दामोदर राव रखा गया। 21 नवम्बर 1853 को राजा गंगाधर राव का निधन हो गया।

‘मैं अपनी झांसी नहीं दूंगी’
झांसी को शोक में डूबा देखकर अंग्रे़जों ने कुटिल चाल चली और झांसी पर चढ़ाई कर दी। रानी ने भी ईंट का जवाब पत्थर से दिया और उन्हें वर्ष 1854 में अंग्रेजों को सा़फ कह दिया ‘मैं अपनी झांसी नहीं दूंगी’। सदर बा़जार स्थित स्टार फोर्ट पर 5 जून 1857 को विद्रोहियों ने 3 बजे कब़्जा कर लिया, जिसके चलते झांसी में मौजूद सभी अंग्रे़जों ने किले में शरण ली।

61 अंग्रेजों को मौत के घाट उतारा
यह संघर्ष 6 जून से 8 जून 1857 तक चला, जिसमें कैप्टन डनलप, लेफ्टिनेण्ट टेलर और कैप्टन गॉर्डन मारे गये। कैप्टन स्कीन ने बचे हुए अंग्रे़ज सैनिकों सहित बागियों के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। इसी दिन झोकनबाग में बागियों ने 61 अंग्रे़जों को मौत के घाट उतारा।

सत्ता की बागडोर संभाली
12 जून 1857 में महारानी ने एक बार फिर झांसी राज्य का प्रशासन संभाला, जो उनके पास 4 जून 1858 तक रहा। जनरल ह्यूरो़ज 21 मार्च 1858 को झांसी आ धमका और 21 मार्च से 3 अप्रैल तक अंग्रेजों के साथ रानी का घनघोर युद्ध हुआ। 

अंग्रेजों के हाथ नहीं आयीं
युद्ध जब चरम पर पहुंचा, तब रानी दत्तक पुत्र को पीठ पर बांधे और घोड़े की लगाम मुंह में दबाये किले के ऊपर से कूद कर दुश्मनों से निर्भीकता पूर्वक युद्ध करने लगीं। अपने सलाहकारों की सलाह से 03 अप्रैल 1858 को रानी आधी रात के समय 4-5 घुड़सवारों के साथ कालपी की ओर रवाना हुई। अंग्रेज सैनिकों ने उनका पीछा किया, पर वे हाथ नहीं आयीं। 17 जून 1858 को महारानी ग्वालियर पहुंची, जहां उनका अंग्रे़जों से पुन: युद्ध प्रारम्भ हुआ और रानी के भयंकर प्रहारों से अंग्रे़ज सेना को पीछे हटना पड़ा।

वीरगति को प्राप्त हुई वीरांगना
18 जून 1858 को ह्यूरो़ज स्वयं युद्ध भूमि में आ डटा। अब रानी ने दामोदर राव को रामचन्द्र देशमुख को सौंपकर अंग्रे़जों से युद्ध करते हुए सोनरेखा नाले की ओर बढ़ चलीं, किन्तु दुर्भाग्यवश रानी का घोड़ा इस नाले को पार नहीं कर सका। उसी समय पीछे से एक अंग्रे़ज सैनिक ने रानी पर तलवार से हमला कर दिया, जिससे उन्हें काफी चोट आई और 18 जून 1858 को 23 वर्ष की आयु में वे वीरगति को प्राप्त हुई। बाबा गंगादास की कुटिया में, जहां रानी का प्राणान्त हुआ था, वहीं चिता बनाकर उनका अन्तिम संस्कार किया गया।

Edited By: Vikas Jangra

रानी लक्ष्मीबाई कौन से गांव की थी?

झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का जन्म 19 नवम्बर 1835 को काशी (वाराणसी) में महाराष्ट्रीयन कराड़े ब्राह्मण परिवार में हुआ। उनके पिता का नाम मोरोपन्त ताम्बे और माता का नाम भागीरथी बाई था। माता-पिता ने उनका नाम मणिकर्णिका रखा।

रानी लक्ष्मीबाई की जन्म भूमि क्या है?

वाराणसी, भारत

रानी लक्ष्मीबाई कौन से राज्य की थी?

लक्ष्मीबाई उर्फ़ झाँसी की रानी मराठा शासित राज्य झाँसी की रानी थी। जो उत्तर-मध्य भारत में स्थित है। रानी लक्ष्मीबाई 1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की वीरांगना थी जिन्होंने अल्पायु में ही ब्रिटिश साम्राज्य से संग्राम किया था।

झांसी का पुराना नाम क्या है?

उस समय राजा वीर सिंह ने इस पहाड़ी पर बने किले के आसपास नगर बसाया, जि‍से बलवंत नगर नाम दिया था। उस समय झांसी को बलवंत नगर के नाम से ही जाना जाता था