रत्न कितने वजन का पहनना चाहिए? - ratn kitane vajan ka pahanana chaahie?

प्रत्‍येक रत्‍न की अपनी एक अलग ऊर्जा और शक्‍ति होती है। वहीं रत्‍नों को पहनने से पहले भी कई नियम एवं विधि का पालन करना जरूरी है। आज हम आपको बताते हैं कि रत्‍न धारण करने से पहले किन बातों का ध्‍यान रखना चाहिए।

– शुक्‍ल पक्ष तिथि में ही कोई भी रत्‍न धारण करना चाहिए।

– सूर्योदय के एक से दो घंटे के भीतर ही रत्‍न को धारण कर लेना चाहिए। रत्‍न धारण करने के लिए शुभ समय सुबह के 6 से 8 बजे तक का होता है।

– रत्‍न का वजन कितना होना चाहिए ये जानने के लिए अपने कुल वजन को 12 से भाग कर दें। जो संख्‍या आएगी उतने रत्ती का ही रत्‍न धारण करें।

– रत्‍न केवल उन लोंगों को धारण करने चाहिए जिन्‍हें अथक प्रयास करने के बाद भी समस्‍याओं से छुटकारा नहीं मिल पा रहा है।

– रत्‍न को इस तरह धारण करें कि ये आपके शरीर से स्‍पर्श हो। जब तक रत्‍न शरीर से स्‍पर्श नहीं होगा आपको इसका पूरा फल नहीं मिलेगा।

– कोई भी रत्‍न अपनी मर्जी से धारण न करें। किसी अनुभवी ज्‍योतिष की सलाह के बाद ही रत्‍न धारण करें।

– कोई रत्‍न आपको सूट करता है या नहीं, ये जानने के लिए उस रत्‍न को तीन दिन के लिए अपने तकिए के नीचे रखें। अगर इन तीन दिनों के दौरान आपको कोई दुस्‍वप्‍न नहीं आता है तो वह रत्‍न आपको नुकसान नहीं पहुंचाएगा।

– सबसे जरूरी बात, रत्‍न से किसी चमत्‍कार की अपेक्षा न करें। रत्‍न अपना प्रभाव धीरे-धीरे ही दिखाते हैं।

बहुत सारे व्यक्तियों के मन में एक शंका रहती है कि रत्न कितने वजन का धारण करना चाहिए। मेरा ऐसा मानना है कि जो आप से अधिक शक्ति की चीज होगी तो उसकी पावर आपको आसानी से मिल पाएगी और यदि उसकी शक्ति आप से भी कम है तो उस शक्ति का आपको कोई विशेष फायदा नहीं है।

इसलिए जितना व्यक्ति का वजन है। यदि वह कोई मुख्य रत्न धारण कर रहा है। जैसे सूर्य का रत्न माणिक्य तो उसे अपने वजन से लगभग 3 कैरेट या 3 रत्ती अधिक वजन में माणिक्य धारण करना चाहिए और यदि वह सूर्य का मुख्य रत्न माणिक्य धारण ना करके उपरत्न धारण करना चाहता है तो उस व्यक्ति को अपने से लगभग दोगुने वजन का उपरत्न धारण करना चाहिए। ऐसा करने से उपरत्न भी व्यक्ति को मुख्य रत्न जितना ही लाभ दे पाएगा।

यदि हम अपने से कम वजन का रत्न धारण करते हैं तो उसकी शक्ति का शुभ अवसर हमें विशेष तौर पर प्राप्त नहीं हो पाता है। उसका असर केवल साधारण ही रहता है।

इसलिए आपकी आपकी शंका के समाधान के लिए मैं यहां बता रहा हूं कि मान लीजिए यदि किसी व्यक्ति का वजन 55 किलो है तो उसका चार – पांच किलो वजन ऊपर और नीचे हो सकता है। क्योंकि वजन हमेशा एक जैसा नहीं रहता। वह कुछ ना कुछ घटता और बढ़ता रहता है। इसलिए उस व्यक्ति का वजन हम 50 और 60 में से 60 किलो मान लेते हैं। अब 60 किलो में से जीरो को हटा देंगे तो 6 का अंक बचता हैं। अब 6 आपका वजन हुआ और उसमें 3 रत्ती या 3 कैरेट ज्यादा वजन का रतन धारण करना है इसलिए तीन और जोड़ देते हैं तो 9 बनता है अर्थात उस व्यक्ति को 9 रत्ती या कैरेट का वजन धारण करना चाहिए।अब यदि वह व्यक्ति मुख्य रत्न धारण न करके उपरत्न धारण करता है तो उसे 6 में 6 और जोड़ देना चाहिए अर्थात 12 यानी कि उस व्यक्ति को लगभग 11 से 12 कैरेट अथवा रत्ती का उपरत्न धारण करना चाहिए।

क्लिक करें : रत्न धारण मुहूर्त की विशेषताएं

इस प्रकार से रत्न व उपरत्न धारण करने से वह रत्न उस व्यक्ति को पूर्ण लाभ व पूर्ण शक्ति प्रदान कर पाएगा।

हर – हर महादेव

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ज्योतिष की दुनिया में रत्नों का भी विशेष महत्व है। बिगड़े और क्रिधोत ग्रहों को शांत करना हो या अस्त ग्रहों के प्रभाव को बढ़ाना हो.... इन सभी हलातों में ज्योतिषशास्त्री जातक को रत्नों की शरण में जाने की सलाह देते हैं।

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बड़ी परेशानियों का समाधान

निश्चित तौर पर रत्न आपके जीवन की बड़ी परेशानियों का समाधान बन सकते हैं, बशर्ते वह शुद्ध हों, साथ ही साथ उन्हें पहने के लिए जो नियम निर्धारित किए गए हैं उनका ध्यान रखना भी अत्यंत आवश्यक है।

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ज्योतिषविद्या

एक और बात जिसे नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए वो है उनका सही वजन, क्योंकि अगर धारण किए गए रत्न का वजन पर्याप्त नहीं है तो आप उसका प्रभाव देख पाने से वंचित रह जाएंगे और ज्योतिषविद्या जैसे विज्ञान को ही झुठला देंगे।

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रत्ती या वजन

तो चलिए इस लेख में हम आपको बताते हैं कि आपको कौनसा रत्न कितनी रत्ती या वजन का धारण करना चाहिए ताकि आपको उसका पूर्ण प्रभाव प्राप्त हो सके।

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माणिक्य

माणिक्य सूर्य का रत्न है। जिस जातक की कुंडली में सूर्य कमजोर होता है उसे उसके प्रभाव को बढ़ाने के लिए माणिक्य धारण करने की सलाह दी जाती है। जातक को कम से कम तीन रत्ती का माणिक्य पहनना चाहिए ताकि उसका पूर्ण लाभ प्राप्त हो सके।

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हीरा

शुक्र ग्रह का रत्न है हीरा, जिस जातक को हीरा धारण करने की सलाह दी जाती है उसे कम से कम डेढ़ रत्ती का हीरा पहनना चाहिए।

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नीलम

कुंडली में अगर शनि की स्थिति अच्छी है तो उसके पूर्ण प्रभाव को प्राप्त करने के लिए जातक को नीलम पहनना चाहिए। यह रत्न कम से कम चार रत्ती का पहना जाना चाहिए।

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पन्ना

बुध ग्रह का रत्न है पन्ना, अगर ज्योतिषशास्त्री ने आपको पन्ना पहनने की सलाह दी है तो आपको तीन से छ: रत्ती का पन्ना ही पहनना चाहिए, अन्यथा आप इसका पूर्ण प्रभाव प्राप्त नहीं कर पाएंगे।

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पुखराज

बृहस्पति ग्रह को मजबूत करने के लिए पुखराज धारण किया जाता है। यह कम से कम 3 से 4 रत्ती होना चाहिए। जातक को कभी 6,11,15 रत्ती का पुखराज नहीं पहनना चाहिए।

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मोती

चंद्रमा की शांति और प्रसन्नता के लिए मोती धारण किया जाता है। यह 4,6,2 या 11 रत्ती का होना चाहिए। जातक को कभी 7 या 8 रत्ती का मोती नहीं पहनना चाहिए।

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मूंगा

मूंगा मंगल ग्रह का रत्न है। इसे धारण करने से पहले ध्यान रखें कि यह 6,11 या 13 रत्ती का ही होना चाहिए। 5 या 114 रत्ती का मूंगा कभी नहीं पहनना चाहिए।

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गोमेद

गोमेद राहु का रत्न है, यह कम से कम 4, 6, 11 या 13 रत्ती का होना चाहिए। 7,10 या 16 रत्ती का गोमेद नहीं पहना जाता।

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    कितने वजन का रत्न पहनना चाहिए?

    पर, आम रत्न लगभग वही 600 से 1500 मिलीग्राम तक का पहना जाता है, पर हम आम तौर पर 600 से 1200 मिलीग्राम की सलाह देते हैं. पर, अगर 8 पक्की रत्ती गिनेगें, तो वह 1440 मिलीग्राम (1.44 ग्राम होगा). - केवल हीरा कम वज़न का - और मोती व ओपल अधिक वज़न के पहने जाते हैं.

    Ratan कितने रत्ती का पहनना चाहिए?

    मुख्यत: यह व्यक्ति की आयु व उसके अपने भार पर भी निर्भर करता है। इसमें बहुत ज्योतिषियों की अलग-2 राय है. हम प्रायः 25 वर्ष की आयु तक लोगों को 3 से 5 पक्की रत्ती, इससे बड़ों को 5 से 7 पक्की रत्ती तक कोई भी रत्न पहनने की सलाह देते हैं. 5े0 - 60 से ऊपर की आयु वालों को 8 पक्की रत्ती का रत्न धारण करना बेहतर होता है.

    पुखराज कितने वजन का पहनना चाहिए?

    पुखराज- कम-से-कम तीन रत्ती से चार रत्ती का होना चाहिए। 6,11 या 15 रत्ती का पुखराज कभी नहीं पहनना चाहिए। मोती- कम-से-कम 4,6,2 या 11 रत्ती का होना चाहिए, परन्तु 7 अथवा 8 रत्ती का कभी नहीं पहनना चाहिए

    कुंडली के हिसाब से कौन सा रत्न पहनना चाहिए?

    ज्योतिष बताते हैं कि सूर्य की प्रबलता के लिए माणिक, तो चन्द्र के लिए मोती पहनना चाहिए। इसी तरह जिसका मंगल ग्रह कमजोर होता है उसे मूंगा पहनने की सलाह दी जाती है। वहीं बुध के लिए पन्ना, गुरु के लिए पुखराज, शुक्र के लिए हीरा, शनि के लिए नीलम, राहु के लिए गोमेद, केतु के लिए लहसुनियां पहना जाता है।